THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Sunday, May 26, 2013

नियमगिरी, सरकार और जनाक्रोश Posted by संघर्ष संवाद on शुक्रवार, मई 24, 2013 | 0 टिप्पणियाँ



उड़ीसा सरकार शुरू से ही वेदांता कंपनी के पक्ष में ग्राम सभा से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पैरवी करती आ रही है जबकि स्थानीय ग्रामवासी, आदिवासी अपनी जमीन, जंगल, नदी, झरने पहाड़ बचाने की लड़ाई लगातार लड़ते आ रहे हैं. अब 18 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आया कि वेदांता कम्पनी को उड़ीसा के नियामगिरी की पहाड़ियों में बॉंक्साइड के खनन के लिए वहॉं की ग्राम सभा की सहमति लेनी होगी. इस आदेश के बाद से राज्य सरकार पहले के मुकाबले ज्यादा बर्बर तरीके से आदिवासियों को दबाने में लग गई है. पेश है नियमगिरी आंदोलन के अगुआ लिंगराज आजाद की यह रिपोर्ट एवं अमिताभ पातरा का विडियो; 

2003  में जब नियामगिरी की पहाड़ियों में बॉंक्साइड के खनन के लिए वहॉं की ग्राम सभा की गई थी उसी समय आदिवासियों ने इस परियोजना को अस्वीकार कर दिया था. 2010  में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा भी रोक लगा दी गई परंतु उड़ीसा सरकार ने वेदांता कंपनी की बाक्साइट माइनिंग पर  केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लगायी गयी रोक को सर्वोच्च न्यायालय में  चुनौती दी । जिस पर 18 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आया कि वेदांता कम्पनी को उड़ीसा के नियामगिरी की पहाड़ियों में बॉंक्साइड के खनन के लिए वहॉं की ग्राम सभा की सहमति लेनी होगी. राज्य सरकार शुरू से ही वहॉं की ग्राम सभा, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लगायी गयी रोक को नहीं मान रही थी उस से कैसे उम्मीद की जा सकती है की वाह निरपक्ष ग्राम सभा होने देगी. इन सभी सवालों को लेकर नियामगिरी सुरक्षा समिति द्वारा 17 मई से एक पदयात्रा का आयोजन किया गया.

17 मई को मुनिगुडा, लांजीगढ़ और कल्याणसिंह पूरा से तकरीबन 200 गांवों के आदिसवासियों ने तीन समूहों में पदयात्रा की शुरुआत की जो नियामगिरी क्षेत्र के 100 किलोमीटर के दायरे के 130 गांवों से गुजरते हुए 22 मई को मुनिगुडा पहुचकर सभा में बदल गई. सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें सरकार से मांग की गई कि-
  • आज राज्य सरकार ने सीआरपीएफ के माध्यम से नियामगिरी पहाड़ पर माओवादियों को पकड़ने के नाम पर सर्च अभियान शुरू करवा रखा जिसका मकसद है वेदांता कंपनी के विरोध में बोलने वालो को माओवादी के नाम पर जेल में डालना. इसे तत्काल प्रभाव से रोका जाये उसके बाद ही ग्राम सभाओं का आयोजन किया जाना चाहिए.
  • सुप्रीम कोर्ट ने 7 सप्ताह में ग्राम सभाओं का आयोजन करने का आदेश दिया परंतु राज्य सरकार अभी 7 सप्ताह की और मांग कर रही है जिसका हम विरोध करते है तथा ग्राम सभाओं का आयोजन 7 सप्ताह के अंदर ही किया जाये.
  • अभी राज्य सरकार ने 12 गांवों को ही ग्राम सभा के लिए चिंहित किया है जिसका हम विरोध करते है. हमारी मांग है की नियामगिरी पहाड़ पर स्थित सभी गाँवों में ग्राम सभा हो, वह भी उनके गाँवों में ही.
  • नियामगिरी पहाड़ के आस-पास जैसे – खाद्वामाली, सिजीमाली, पतानामाली और कत्रुमाली में जो माइनिंग हो रही है उसे तत्काल प्रभाव से रोका जाये क्योंकि इस माइनिंग का प्रभाव भी नियामगिरी पहाड़ पर पड़ रहा हाई.

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