THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Saturday, September 28, 2013

नवान्न पहुंचने से पहले विद्रोह कुचलने के मूड में ममता बनर्जी

नवान्न पहुंचने से पहले विद्रोह कुचलने के मूड में ममता बनर्जी


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



अबकी दफा हावड़ा में लोगों को पूजा की उलटी गिनती में उतनी दिलचस्पी नहीं है,जितनी बेसब्री से वा पलक पांवड़े बिछाकर नवान्न में देखने को बेताब हैं। जैसे पूरे 46 साल बाद पानीहाटी नगरपालिका से वामपंथियों का लगभग सफाया हो गया,लोग वहीं कथा हावड़ा में दुहराये जानेकी भी प्रतीक्षा में हैं। पूजा से पहले दीदी की राजधानी हावड़ा होगी और इससे पहले वे निर्ममता से पार्टी में बगावत को कुचलने के मूड में हैं।यह सिर्फ संयोग नहीं है कि शारदा समूह का सीएमडी और चेयरमैन सुदीप्तो सेन न सिर्फ खुद कई चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं का मालिक था बल्कि उसने बंगाल और असम में कई और मीडिया समूहों में भी निवेश कर रखा था। अब शारदा फर्जीवाड़े से सड़क पर आये पत्रकारों गैरपत्रकारों को न्याय मिलने का रास्ता खुलने लगा है। लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस ने चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी। लेकिन सीबीआई जांच हुई नहीं है।


गिरफ्तार भी होंगे कुणाल

एकदम बलि का बकरा बन गये हैं कुणाल घोष,इस पर दो राय नहीं हो सकती।मामला कुणाल पांडेय के निलंबन का है नहीं,अब वे गिरफ्तार भी कर लिये जायेंगे। शारदा समूह के मीडिया वाइस प्रेसीडेंट सोमनाथ दत्त को  गिरफ्तार कर लिया गया है तो मीडिया समूह के सीईओ कुणाल के लिए सिर्फ गीदड़ भभकियों से पार लगने के आसार कम हैं। वे कुछ करने की हालत में होते तो अब तक कर ही लेते। उनकी दुर्गत पर बंगाल में कोई रोने वाला नहीं है।खासकर जबकि पूजा के आसपास करीब पांच लाख शारदा पीड़ितों को मुआवजा का चेक देने की तैयारी है।तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को अपने राज्य सभा सांसद कुणाल घोष को अनुशासनिक आधार पर निलंबित कर दिया। तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने यहां संवाददाताओं को बताया, `कारण बताओ नोटिस के बावजूद घोष पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने से बाज नहीं आए। उन्होंने पार्टी की छवि धूमिल की। अनुशासन समिति ने 27 सितंबर को बैठक की और उन्हें निलंबित करने का फैसला लिया।`


तापस शताब्दी खाल बचाने की फिराक में


शो काज के जवाब में तापस शताब्दी ने दीदी को पत्र लिखकर बिना शर्त माफी मांगकर निलंबन तो टाल दिया है, लेकिन अगली दफा वे सांसद बन पायेंगे,इसकी संभावना कम है।शारदा चिटफंड घोटाले को लेकर पुलिस की जांच में घिरे घोष ने 20 सितंबर को एक कार्यक्रम के दौरान पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस घोटाले में शामिल लोग उन्हें बलि का बकरा बना रहे हैं। उन्होंने घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। उस समय पार्टी के दो लोकसभा सांसद तापस पाल और शताब्दि राय भी घोष के साथ मौजूद थे। उन्होंने भी उस मंच से अपनी दिल की बात कही थी।तृणमूल की अनुशासन समिति ने उसी दिन बैठक कर तीनों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का फैसला लिया था। अनुशासन समिति के संयोजक चटर्जी ने कहा कि कारण बताओ नोटिस के जवाब में पाल और राय ने पार्टी की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पत्र लिखकर माफी मांग ली, लेकिन घोष ने अपना पार्टी विरोधी कदम वापस नहीं लिया। चटर्जी ने कहा, `घोष को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक पार्टी से निलंबित किया गया है और उन्हें इसकी औपचारिक सूचना भेजी जा रही है।`


सोमेन और सौगत तूफान उठाने से रहे


रही बात सोमेन मित्री और उनकी पत्नी की,तृणमूल में उनके बने रहने की कोई सूरत है ही नहीं।पार्टी छोड़ने संबंधी उनके बयानों से कोई तूफान उठने वाला नहीं है।दिनेश त्रिवेदी भी लाइन में आ गये हैं। बंगाल की राजनीति में उनकी कोई जड़ है ही नहीं। सौगत राय भी वक्त की नजाकत समझ ही रहे हैं।सोमेन मित्र ने कुणाल के निलंबन पर अचंभा जरुर जताया है लेकिन वे कुमाल की कितनी मदद कर सकेंगे,किस हद तक मदद कर सकेंगे,इसका अता पता नहीं है। सौगत हालांकि केएमडीए के खिलाफ बोलकर बागी तेवर बनाये हुए हैं।लेकिन उनके भी जल्द ही लाइन पर आ जाने की उम्मीद ज्यादा है।


आत्मरक्षा में दिनेश त्रिवेदी


पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने पहले ही कह दिया  कि पार्टी का हर सदस्य अनुशासन का पालन करने को बाध्य है और कुणाल घोष, शताब्दी राय और तपस पाल जैसे सांसद यदि नाखुश हैं तो वे पार्टी छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। गौरतलब है कि विद्रोही सांसद कुणाल घोष ने गुरुवार को आरोप लगाया कि दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों सहित तृणमूल के तीन लोकसभा सांसद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के साथ दिल्ली में एक चाय पार्टी पर चुपके से मुलाकात की है। घोष के मुताबिक यह मुलाकात तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के आवास पर हुई। पूर्व शहरी विकास राज्य मंत्री सौगत राय और सोमेन मित्रा भी उस पार्टी में मौजूद थे।




शारदा कांड में अब कार्रवाई शुरु, दागियों के लिए आफत


राजनीतिक समीकरण पर नजर रखने वाले शायद इस परगौर करने से चूक रहे हैं कि सोमनाथ दत्त की गिरफ्तारी के साथ शारदा कांड में सही मायने में कार्रवाई होने लगी है।अगर दावे के मुताबिक अपनी गिरफ्तारी के बाद कुणाल घोष कोई गुल खिलाने में कामयाब हो जाते हैं तो शारदा रहस्य का परदा खुलेगा। दागियों के खिलाफ कार्रवाई जो लंबित है,उसे अंजाम देकर विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकती हैं दीदी।


क्या देबजानी अपनी खामोश जुबान खोलेंगी?



इसी बीच शारदा समूह की कार्यकारी निदेशक देबजानी मुखर्जी को बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय ने हिरासत में लिया।जिससे जांच प्रक्रिया और तेज होने की उम्मीद है। शारदा समूह ने चिटफंड योजनाओं में लाखों निवेशकों को कथित तौर पर चूना लगाया था। देबजानी के वकील अनिर्बान गुहा ठकुरता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को धन शोधन अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत देबजानी को एक अक्तूबर तक सात दिन की हिरासत में सौंपा गया। देबजानी इससे पहले न्यायिक हिरासत में थी। शारदा समूह के अध्यक्ष सुदीप्तो सेन की करीबी सहायक देबजानी को उनके साथ ही इस साल अप्रैल में सोनमर्ग से गिरफ्तार किया गया था।देबजानी को लंबे समय से सरकारी गवाह बनानेकी कवायद जारी है।अब सवाल है  कि नये हालात में क्या देबजानी अपनी खामोश जुबान खोलेंगी?


गैरमाकपाई विपक्ष को सख्त चेतावनी


माकपाइयों को घेरने के बाद दीदी ने केंद्रीय रेलराज्य मंत्री अधीर चौधरी के खिलाफ वारंट निकालकर गैरमाकपाई विपक्ष को भी सख्त चेतावनी दे दी है। दीर्घ संघर्ष के बाद हासिल जमीन दीदी आसानी से छोड़ने वाली नहीं और वे दरहकीकत भूमि अधिग्रहणके सख्त खिलाफ हैं।


टूटेगी सिर्फ दागियों की किलेबंदी


सबूत मिलने पर दागियों के खिलाफ दीदी के कार्रवाई करने से चूकने की संभावना कम ही है। कार्रवाई हुई तो दीदी के इर्द गिर्द दागियों की किलेबंदी ही टूटेगी और राज्य में विकास की गति दलालों के शिकंजे से रिहा होगी।


मुआवजा  का सिलसिला


पांच लाख पीड़ित यानी पांच लाख परिवार,उनके प्रभाव क्षेत्र को जोड़ लें तो शारदा कांड के पटाक्षेप के लिए दीदी ने चाकचौबंद इंताजाम कर लिये हैं। इन्हीं सोमनाथ दत्त को वीरभूम में लोकसभा चुनावों के दौरान सांसद शताब्दी राय के साथ देखा जाता रहा है। शारदा समूह की पोंजी योजनाओं की धोखाधड़ी के शिकार लाखों निवेशकों को राहत देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार 30 सितंबर से मुआवजा वितरित करेगी। जंगलमह के दौरे परगईं मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार 30 सितंबर को कोलकाता में खुदीराम अनुशीलन केन्द्र में एक कार्यक्रम में धोखाधड़ी के शिकार एक हजार निवेशकों को मुआवजा देगी।उन्होंने कहा कि सरकार इसके बाद 10-12 दिन में एक लाख अन्य निवेशकों को मुआवजा देने का प्रयास करेगी। ममता ने कहा कि सरकार को दीवाली के बाद तीन चार लाख अन्य निवेशकों को मुआवजा देने की आशा है। इस संकट के लिए पूर्व वाममोर्चा शासन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जनता के साथ धोखा हुआ। यह पूर्व शासन के दौरान हुआ। अप्रैल में इस मामले के प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्री ने धोखाधड़ी के शिकार निवेशकों को 500 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी।


शारदा समूह और अन्य कंपनियों के चिटफंड में अनियमितता की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित जस्टिस (रिटायर्ड) श्यामल सेन इंक्वायरी कमीशन ने अपना काम को बखूबी अंजाम दिया और जांच आयोग को चार लाख से अधिक शिकायतों के साथ-साथ जमा की गई राशि को वापस करने की अपीलें मिली हैं।


उम्मीद में कांग्रेस

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अबु हासिम खान चौधरी ने मालदह में दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के बागी सांसदों ने कांग्रेस से बातचीत की है और वे नवंबर में पार्टी में शामिल हो सकते हैं।मंत्री ने कहा कि वरिष्ठ सांसद सोमन मित्रा के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस से नाराज चल रहे करीब आठ से 10 सांसदों ने कांग्रेस से बातचीत की है। खान चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नवंबर में दीपावली के बाद अच्छी खबर आ सकती है। पार्टी के तानाशाही अंदाज में क्रियाकलापों से कई लोग नाखुश हैं और वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में गये कई सांसदों को पछतावा है कि उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को गलत समझा। इनमें से कई अपने मूल दल में लौटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में कोई लोकतांत्रिक क्रियाकलाप नहीं हैं। जो अपने मन से बोलना चाहते हैं, उन पर निशाना साधा जाता है क्योंकि पार्टी तुच्छ राजनीति से उपर नहीं उठ सकी है और लोगों के आपसी रिश्तों में विश्वास नहीं करती।मंत्री ने कहा कि पार्टी प्रमुख कुछ खास लोगों की सलाह पर काम करती हैं जिसके कारण कई सांसदों का पार्टी से मोह भंग हो गया है।



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