THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Sunday, September 29, 2013

बंगाल देवी दुर्गा के साथ महिषासुर के पूजन का भी गवाह बनेगा

 बंगाल से बाहर बंगाल की चर्चा की एक खास वजह है दुर्गा पूजा। शक्ति की उपासना के इस पर्व में बंगालियों की तल्लीनता देखते बनती है। पंडालों और मूर्तियों में इनके इनोवेशन को देखने दुनिया भर के पर्यटक कोलकाता और राज्य के दूसरे हिस्सों का भ्रमण करते हैं। लेकिन, इस साल बंगाल देवी दुर्गा के साथ महिषासुर के पूजन का भी गवाह बनेगा। आदिवासी बाहुल्य पुरुलिया जिले में दो स्थानों पर विजयादशमी को महिषासुर के कथित शहादत का उत्सव मनाए जाने की तैयारी है।

कोलकाता से करीब 225 किलोमीटर दूर झारखंड की सीमा पर बसा है पुरुलिया। 90 के दशक में विदेशी एयरक्राफ्ट से यहां के कुछ गांवों में अत्याधुनिक हथियार गिराए जाने के कारण देशी-विदेशी मीडिया में पहली बार चर्चा में आया यह आदिवासी बाहुल्य जिला महिषासुर की कथित शहादत का जश्न मनाने की योजनाओं के कारण एक बार फिर चर्चा में है। जिले के झापड़ा कस्बे में 'खेरवाल बिर लॉक्चर कमिटि' ने विजयादशमी (13 अक्टूबर) को आदिवासियों के असुर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले महिषासुर की शहादत पर मेला लगाने की योजना बनाई है। इसके आयोजन में जुटे अजीत हेम्ब्रोम ने इसकी पुष्टि की। 32 वर्षीय इस आदिवासी युवा ने बताया कि उक्त समारोह में भागीदारी के लिए देश भर के आदिवासियों को निमंत्रण भेजा गया है। इसमें झारखंड व बंगाल के अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली आदि राज्यों के सैकड़ों लोग शामिल होंगे। इस दौरान महिषासुर की पूजा की जाएगी।

अजीत की मानें तो देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ था। महिषासुर का असली नाम हुडुर दुर्गा था और साजिश के तहद उनकी हत्या की गई थी। यह आर्यो-अनार्यो की लड़ाई थी, जिसमें महिषासुर मारे गए।

इसी तरह पुरुलिया के ही भेलागोड़ा, काशीपुर में 'आदि शहीद स्मारक फेस्टिवल महिषासुर स्मरण' नामक समारोह आयोजित किया जाने वाला है। यहां के समारोह के संचालन में चरियन महतो जुटे हैं। वह भी आदिवासी हैं। महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हैं।

बहरहाल, इस आयोजन की सफलता के लिए फेसबुक पर भी अभियान चलाया जा रहा है। 'असुर आदिवासी विजडम डाक्यूमेंटेशन इनिशियेटिव' नामक फेसबुक पेज पर इस आयोजन में शामिल होने की अपील की गई है। इस पेज को सैकड़ों आदिवासियों ने लाइक किया है और दर्जनों लोगों ने इसके साथ लगी महिषासुर की फोटो को अपने वाल पर शेयर भी किया है।

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