THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Saturday, May 17, 2014

आदरणीय येचुरी जी/करात साहब/बर्धन जी/एक्स-वाई-ज़ेड जी, -

Palash Biswas इस दो कौड़ी के लेखक के स‌ाथ मैं भी हूं।मैं अपने ब्लागों में इस पत्र को टांग रहा हूं स‌हमति और स‌मर्थन के स‌ाथ।जो स‌हमत हैं वे ्पने ्पने दीवाल पर टांग दें।अंधोंको लालटेन दिखाना मुश्किल है।फिर भी रोशनी में गजब की ताकत होती है क्या पता कि मौकापरस्त जमात की दृष्टि भी लौट आयें।

आदरणीय येचुरी जी/करात साहब/बर्धन जी/एक्स-वाई-ज़ेड जी, 
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यह हार नहीं रिजेक्शन है आपका और दुखद यह कि आप अब भी इससे कुछ सीखने की जगह सिखाने और आंगन टेढ़ा होने की बात कर रहे हैं. सीधी बात यह है कि आपके एजेंडे पर क्रान्ति नाम की कोई चीज़ तो खैर वर्षों से नहीं है. एक ढीली ढाली सामाजिक जनवादी पार्टी के रूप में आप लोग वर्षों से साम्प्रदायिकता पर एक वायवीय सी लड़ाई परोक्ष प्रत्यक्ष रूप से सपा-कांग्रेस जैसी भ्रष्ट पूंजीवादी पार्टियों की रहनुमाई में खेल रहे हैं और इधर उधर करके राज्यसभा के लिए जुगाड़ बनाते हुए अपने प्रोफेसरों तथा कुछेक और लोगों के लिए जोड़-जुगाड़-फेलोशिप-पुरस्कार-विदेश यात्रा जैसी चीजों के लिए जुटा रहे हैं. अब तो वह भी मुश्किल हो गया. तो ये जहाज के पंक्षी पुनि जहाज पर आने की जगह दूसरी जहाज़ पर बैठना शायद बेहतर समझें. 
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मुझे उम्मीद कभी नहीं थी आपसे. जब उम्र सोचने समझने की हुई तो आप अपने अंत के शिलालेख लिख रहे थे, हाँ खिलाफ़ नंदीग्राम के समय लिखा लेकिन अक्सर अवायड करता रहा कि लगा कुल मिलाके नुक्सान सेकुलर ताक़तों का ही होगा. अब फिलहाल जितना नुकसान हो चुका है, उससे ज़्यादा क्या होगा?
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संभव है आपके लिए कि ईमानदारी से भारत जैसे देश में अपनी अवस्थिति का आकलन करते हुए खुद को एक फैसलाकुन जंग में झोंक दें? यह लोकतंत्र की ख़ूबी ही जानिये कि दो सीट पाने वाली पार्टी पूर्ण बहुमत भी पा सकती है तो इस ख़ूबी का फ़ायदा आप भी उठा सकते हैं लगभग कांग्रेसहीन विपक्ष के दौर में. कर पायें तो करिए वरना कम से कम अपनी पार्टियों से कम्युनिस्ट नाम हटा दीजिये. सर्टिफिकेट नहीं दे रहा...आपके लोग गालियाँ दे तो वैसे ही सुन लूंगा जैसे संघियों की आज सुन ले रहा हूँ. 
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एक दो कौड़ी का लेखक

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