THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, May 9, 2014

शारदा फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच तो हो रही है,लेकिन ठगे गरीबों का पैसा वापस होगा क्या? नहीं!

शारदा फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच तो हो रही है,लेकिन ठगे गरीबों का पैसा वापस होगा क्या? नहीं!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


शारदा फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच तो हो रही है,लेकिन ठगे गरीबों का पैसा वापस होगा क्या?


नहीं!


बंगाल में आखिरी चरण के मतदान से पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार राज्यसरकार के प्रबल आपत्ति के बावजूद शारदा फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच तो हो रही है,लेकिन ठगे गरीबों का पैसा वापस होगा क्या?


नहीं!


सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिट फंड घपले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। पश्चिम बंगाल सरकार अब तक इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का विरोध करती रही है।


इस मामले में राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के शारदा समूह से निकट संबंध होने के आरोप भी लगते रहे हैं।

पश्चिम बंगाल की सरकार इस मामले में सीबीआई जांच की यह कह कर आलोचना करती रही है कि राज्य की विशेष जांच टीम ने इस मामले की जांच में ख़ासी प्रगति की है और अगर इस मोड़ पर जांच सीबीआई को सौपी जाती है तो राज्य पुलिस का मनोबल गिरेगा।

जब राज्य सरकार की इस दलील को ख़ारिज कर दिया गया तो उसने आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल को छोड़ कर अन्य राज्यों में इस केस से जुड़े मामले सीबीआई को सौंपे जाएं।



असम त्रिपुरा और ओडीशा में वोट पड़ गये,बिहार में कुछ सीटों पर मतदान बाकी है।चुनाव नतीजों पर भी इस फैसले के असर हो जाने का अंदेशा कम ही है।


वोट बैंक समीकरण से मिलने वाले जनादेश में घोटालों का असर केंद्र या राज्य सरकारों की किस्मत तय नहीं किया करती।


आरोपों से घिरे राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री,मंत्री,सांसद, विधायक को न्यायिक प्रणाली के बाहर लोकतांत्रिक तरीके से सजा देने या उन्हें सत्ता बाहर करने का कोई उपाय फिलहाल भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में नहीं हैं।


सीबीआई के हवाले हजारों हजार घोटालों के मामले पहले से लंबित रहे हैं और चारा घोटाले में लालू यादव को जेल भेजने के अलावा नतीजा सिफर है और विडंबना देखिये कि भ्रष्टाचार के अभियोग में जेल से जमानत पर छूटे लालू यादव ही उत्तरभारत में सियासी गणित को मुलायम,मायावती,पासवान और नीतीश कुमार से कहीं ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं जेलयात्रा के बाद।


आरोप तो यह है कि क्षत्रपों को अंकुश में रखने के लिए ही केंद्रीय जांच एजंसियों का इस्तेमाल वक्त की नजाकत के मुताबिक होता है।


शारदा फर्जीवाड़े के पर्दाफाश के बाद सेबी,ईडी,आयकर विभाग समेत तमाम केंद्रीय एजंसियों ने भारी सक्रियता दिखायी और सेबी को पुलिसिया हक हकूक से लैस भी किया गया बाकायदा कानूनी तौर पर देश भर में चलने वाली पोंजी कंपनियों पर कार्रवाई के लिए।लेकिन मामला बीच में ठंडे बस्ते में चला गया।


इसी बीच निवेशकों को पैसा लौटाने में नाकाम देश की सबसे बड़ी पोंजी कंपनी सहारा इंडिया के सर्वेसर्वा सहारा श्री सुब्रत राय भी जेल चले गये।शारदा प्रमुख सुब्रत राय अपनी खासमखास देवयानी के साथ जेल में ही हैं।तृणमूली सांसद कुणाल घोष भी जेल में। मुख्यमंत्री समेत पक्ष विपक्ष ते तमाम सांसद मंत्री नेताओं के खिलाफ आरोप होने के बावजूद केंद्रीय एजंसियों और राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल ने चुनिंदा लोगों से ही पूछताछ की है।


चुनाव प्रक्रिया शुरु होते ही अचानक ईडी हरकत में आ गयी और नये सिरे से शारदा फर्जीवाड़े की बासी कड़ी में चुनावी उबाल आ गया।इसीके मध्य अब सीबीआई जांच का आदेश भी हो गया।


दोषियों को कब सजा होगी,मामला खुलेगा या नहीं,ये सवाल अपनी जगह है।असली सवाल फिर वही है कि शारदा फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच तो हो रही है,लेकिन ठगे गरीबों का पैसा वापस होगा क्या?


इसका सीधा और एकमात्र जवाब है, नहीं!


सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना इस देश में डंके की चोट पर होती रही है।


सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को हाशिये पर रखकर देश के अनेक हिस्सों में संविधान लागू नहीं है और न कानून का राज है।


संसाधनों की लूटखसोट कानून और संविधान को ठेंग दिखाकर बिना रोक टोक जारी है।


मसलन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सहाराश्री जेल में तो पहुंच गये,लेकिन रिकवरी नहीं हो सकी और न निवेशकों को पैसा वापस मिला।


बंगाल में इससे पहले हुए तमाम मामलों में रिकवरी का इतिहास कोई सकारात्मक नहीं है।


अब तक जो तथ्य सामने आये हैं,शारदा समूह के नाम जमा रकम का कहीं निवेश हुआ नहीं है और न बैंक खातों या अचल संपत्ति में उनकी खोज संभव है।ज्यादातर रकम ठिकाने लगा दी गयी है और हस्तांतरित है।जो लाभान्वित हुए,उनकी खोज के लिए सीबीआई जांच का आदेश है।जांच कब पूरी होगी,कोई नहीं जानता।चुनावउपरांते बदल चुके राजनीतिक समीकरण का इस जांच प्रक्रिया पर क्या असर होगा कहना मुश्किल है।


मां माटी मानुष की सरकार चार सौ के करीब पोंजी कंपनियों में से एकमात्र शारदा समूह के शिकार लोगों को पांच सौ करोड़ का फंड बनाकर जनआक्रोश शांत करने की वजह से मुआवजा बांटती रही है,बिना किसी रिकवरी के।अब सारे के सारे क्षतिग्रस्त निवेशकों को राज्यसरकार मुआवजा देने लगे तो शायद बजट भी कम पड़ जाये।


साबीआई जांच की घोषणा के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारे दोषियों को जेल भेजने का ऐलान करते हुए दावा किया है कि अब मुआवजा देना राज्य सरकार का सरदर्द नहीं है।मुआवजा सीबीआई देगी।


अभी तक एक विशेष जांच टीम, एक न्यायिक आयोग, प्रवर्तन निदेशालय और गंभीर जालसाजी जांच कार्यालय इसकी छानबीन कर रहे थे।


इस घपले के केंद्र में शारदा ग्रुप और उसके गिरफ़्तार प्रमुख सुदीप्तो सेन हैं।

लगभग एक साल पहले ये घपला प्रकाश में आया, तब से बंगाल पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हुई गंभीर व्यापारिक अमियमितताओं को देखते हुए वो इसकी जांच करने में सक्षम नहीं होगी क्योंकि इसमें 70 से ज्यादा कंपनियां गैर कानूनी तरीके से बंगाल, असम, त्रिपुरा, झारखंड और ओडिसा में धन जमा कर रही थीं।

अदालत का मानना है कि इस मामले के अंतरराष्ट्रीय परिणाम भी हो सकते हैं।



गौरतलब है किसुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शारदा चिट फंड घोटाले की जांच का काम सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में इस करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं।


सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के विरोध के बावजूद आया है। यह फैसला ममता सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है।


पिछले साल अप्रैल में सामने आए इस घोटाले में बंगाल, ओडिशा, असम के अलावा त्रिपुरा और झारंखड के हजारों लोगों ने करोड़ों रुपये गंवा दिए थे। शारदा ग्रुप के प्रमुख सुदीप्त सेन फरवरी में कोलकाता की एक अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी। सेन ने प्रोविडेंट फंड नियमों के उल्लंघन का दोष कबूल किया था।


इस घोटाले पर पश्चिम बंगाल में खूब राजनीतिक हंगामा भी हुआ है। विपक्ष राज्य की सीएम ममता बनर्जी और सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेताओं के शारदा सहित कई पोंजी स्कीमों से कनेक्शन को लेकर सवाल उठाती रही है। शारदा ने 2011 में अखबार और टीवी न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किए थे। तीन साल चले ये अखबार और चैनल जमकर ममता की तारीफ करते रहे थे।


हालांकि ममता बनर्जी ने शारदा और उनके बीच किसी कनेक्शन से इनकार किया है। ममता ने उलटे आरोप लगाया है कि फर्जीवाड़ा करने वाली ऐसी कंपनियां लेफ्ट के शासनकाल में ही आईं।


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