THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, November 24, 2014

क्येकी तरक्की क्येक विकास, हर आँखों में आंसा आंस || अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा जी से नैन क्या मिले,भारत को अमेरिका बना दियो मोदी महाराजज्यू और अब संसद में मोदी की कदमबोशी की तैयारी, बुलरन में अर्थव्यवस्था,करोड़पति समुदाय बल्ले बल्ले,गणतंत्र भी उन्हींका! देश लोकतंत्र है,नागरिकों का कत्लेआम भी लोकतांत्रिक है! बचाइये इस लोकतंत्र को,मनाइये लोकतंत्र महोत्सव 26 नवंबर को! मनाइये संविधान दिवस!

क्येकी तरक्की क्येक विकास, हर आँखों में आंसा आंस ||


अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा जी से नैन क्या मिले,भारत को अमेरिका बना दियो मोदी महाराजज्यू और अब संसद में मोदी की कदमबोशी की तैयारी, बुलरन में अर्थव्यवस्था,करोड़पति समुदाय बल्ले बल्ले,गणतंत्र भी उन्हींका!

देश लोकतंत्र है,नागरिकों का कत्लेआम भी लोकतांत्रिक है!

बचाइये इस लोकतंत्र को,मनाइये लोकतंत्र महोत्सव 26 नवंबर को!

मनाइये संविधान दिवस!

पलाश विश्वास


त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

बुजुर्गो ले जोड़ पहाड़, राजनीति ले तोड़ पहाड़ |

ठेकदारों ले फोड़ पहाड़, नान्तिनो ले छोड़ पहाड़ ||

त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

ग्वाव नै गुसैं घेर नै बाड़, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||

सब न्हाई गयी शहरों में, ठुला छ्वटा नगरो में,

पेट पावण क चक्करों में, किराय दीनी कमरों में |

बांज कुड़ों में जम गो झाड़, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||

त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

क्येकी तरक्की क्येक विकास, हर आँखों में आंसा आंस ||

जे. ई. कै जा बेर पास, ऐ. ई. मारू पैसो गाज |

अटैचियों में भर पहाड़, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||

त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

सांढ़ संस्कृति शबाब पर यूं है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस माह की शुरआत से अभी तक भारतीय पूंजी बाजार में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। सरकार के सुधार एजेंडा को लेकर उम्मीद के बीच इसमें बढ़ोतरी हुई है।


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते हुए उम्मीद जताई कि रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पूंजी की लागत कम करने के कदम जरूर उठाएगा।सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए कोयला ब्लाकों के आवंटन और कोयले का अंतिम उपयोग करने वाली विशिष्ट इकाइयों को ब्लाकों की नीलामी करने के पश्चात ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को कोयले के वाणिज्यिक खनन की अनुमति देगी।


लोकतंत्र का नजारा यह।कटघरे में फंसी सत्ता बचाने के लिए ममताबनर्जी को बिना नोटिस कालेज स्क्वायर से लेकर धर्मतल्ला तक पूरे कोलकाता महानगर को जाम करने की इजाजत है आडवाणी,जेटलीऔर राजनाथ सिंह से मिलने के बाद भी सीबीआई दबिश रहने की वजह से धर्मनिरपेक्ष केंद्र विरोधी जिहाद के लिए,लेकिन कोलकाता पुलिस ने हमें एक किमी की पदयात्रा मेट्रो चैनल धर्मतल्ला  से रेड रोड पर अंबेडकर की प्रतिमा तक करने की इजाजत नहीं दी है क्योंकि हम सत्ता की राजनीति नहीं कर रहे हैं ।


इसी राजनीति में हिस्सेदारी के लिए भूमि सुधार के ब्राह्मणवाद विरोधी,स्त्री पक्षधर,पुरोहित कर्मकांड वर्जक मतुआ हरिचांद गुरुचांद ठाकुर के वंशज शरणार्थियों को नागरिकता की मांग लेकर ठाकुर नगर में अनशन बजरिये परिावर के लिए लोकसभा टिकट का फैसला करने लगे हैं।मतुआ संघाधिपति दिवंगत सांसद कपिल कृष्ण ठाकुर को श्रद्धाजंलि देने के बहाने मतुआ वोट बैंक साधने ममता बनर्जी वहां पहुंचे तो देश भर में बंगाली शरणार्थियों के खिलाफ रंगभेदी देश निकाला अभियान चलाने वाली भाजपा ने उसी इलाके में रैली की है।


राजनीति की पैदल फौज में सीमाबद्ध हो गयी है हमारी नागरिकता और लोकतंत्र की ताकत का अहसास नहीं है हमें।


हम अपने लोगों से,अपने स्वजनों से,अंबेडकर के नाम लाखों संगठन चलाने वाले लोगों से,इस संविधान की वजह से हर स्तर पर आरक्षण कोटा प्रतिनिधित्व का फायदा उठाकर सवर्ण बन जाने वालों से,अंबेडकर को जाने बिना,भारतीय संविधान में नागरिक अधिकारों के बारे में न जानने वाले छात्रों,युवाओं और महिलाओं से 26 नवंबर को पुलिसिया इजाजत के बिना पदयात्रा निकालने की अपील भी नहीं कर रहे हैं।


सिर्फ निवेदन कर रहे हैं कि पर्व त्योहार के तौर पर मुक्त बाजार में संकट में घिरी नागरिकता,स्वतंत्रता,संप्रभुता,खत्म किये जा रहे लोकतंत्र,विपर्यस्त मनुष्य प्रकृति पर्यावरण जलवायु और मौसम के पक्ष में लोकतंत्र का महोत्सव मनायें देशभर में।


लाठी का यह चित्र दंडकारण्य,मणिपुर या कश्मीर का नहीं है,यह नई दिल्ली के पास सत्ताकेंद्रे के पास लोकतंत्र का असली चेहरा है,इसे समझें और इस दमनतंत्र,जनसंहारी आर्थिक सुधारों के खिलाफ लोकतंत्र महोत्सव मनाकर अमन चैन कायम रखते हुए मुंहतोड़ जवाब दें।


यह जरुरी इसलिए है कि अमेरिका के अश्वेत राष्ट्रपति का इस्तेमाल बहुजनों को अनेस्थेसिया देने के लिहाज से आगामी गणतंत्र दिवस पर होना है और इससे पहले नागरिकता को आधार निराधार बनाकर बायोमेट्रिक डिजिटल रोबोटिक बना देने की तैयारी है तो बुलरन यानी सांढों की निरंकुश दौड़ यानी विदेशी पूंजी के सर्वव्यापी वर्चस्व के लिए संसद में सारे कानूनों को बदल देने का बंदोबस्त है,जहां निवास करने वाले अरबपति करोड़पति कारपोरेट फंडिंग के प्रतिनिधि हैं और हमारे वे कुछ भी नहीं लगते।



ओबामा आने से पहले सारे सुधार लागू कर देने की अभूतपूर्व हड़बड़ी में है केसरिया कारपोरेट सरकार क्योंकि उन्हें मालूम है कि नीतिगत विकलांगता और राजनीतिक बाध्यताओं से जनसंहारी सुधार रोकने कामतलब सत्ता से बेदखली है।


जिन बोफोर्स तोपों की वजह से राजीवगांदी हारे और वीपी सिंह बजरिये मंडल कमंडल कुरुक्षेत्र बन गया देश,उसी तोप की गरज सुना.यी पड़ रही है दिल्ली के जनपथ पर और अमेरिकी हथियार कंपनियों के पक्ष में तमाम सौदे तयकर रहे हैं नये प्रतिरक्षामंत्री।


रक्षा मंत्रालय से जाते जाते उनके पूर्ववर्ती ,मशहूर कारपोरेट वकील ने विदेशी पूंजी के लिए भारतीय पर्तिरक्षा,राष्ट्रीयएकता और अखंडता के सारे दरवज्जे खुल्ला छोड़ गये हैं एफडीआई का भंडारा खोलकर।अब खुदरा बाजार की बारी है।


मोदीबाबू एफडीआई कहां करेंगे ,कहां नहीं.यह ओबामा महाशय की मर्जी मिजाज के माफिक होना है। जो अफगानिस्तान में सैन्यशक्ति बढ़ाकर ,तीसरे तेल युद्ध की शुरुआत करके और इजराइल के मार्फत .यरूशलम के अल अक्श मस्जिद में ताला लगाने का करिश्मा कर आये हैं।बाबरी विध्वंस प्लस अल अक्श तालाबंदी का नजारा पेश होना है।


मोदी बाबू और उनके पार्टनर अमित शाह  लेकिन इस बीच बागी सूबों और रागी क्षत्रपों को कब्जाने का खेल पूरी दक्षता के साथ खेल रहे हैं ताकि संसद में तमाम जनविरोधी कानून पास करके अमेरिकी पूंजी और तमाम विदेशी निवेशकों के हित साध दें।


बाराक ओबामा की प्रजा जो खुद को मानने से इंकार करें,ऐसे हर भारतीय नागरिक से अपेक्षा है कि 26 जनवरी को भारतीय गणतंत्र के अपहरण से पहले अंततः एकबार संविधानदिवस मनाकर 26 जनवरी को लोकतंत्र का महोत्सव जरुर मनायें।


गौर करें कि अमेरिकापरस्ती में बाजार में बहार ऐसे खिली है कि अब चिनारों में आगजनी तय है। सकारात्मक घरेलू और वैश्विक रुझान के बीच पूंजी प्रवाह बरकरार रहने के मद्देनजर बंबई शेयर बाजार का सूचकांक सेंसेक्स आज के शुरुआती कारोबार में 28,514.98 अंक के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जबकि नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी शुरुआती कारोबार में पहली बार 8,500 अंक के स्तर को पार कर गया।


गौर करें कि संसद सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आने वाले समय में और रोमांचक अवसरों का वादा करते हुए आज कह दिया कि अगामी आम बजट में दूसरी पीढ़ी के तमाम आर्थिक सुधारों की घोषणा की जाएगी।

जेटली ने कहा, देश में अभी ज्यादातर क्षेत्रों को और अधिक खुला बनाने की जरूरत है। इसके लिए पूंजी की वाजिब लागत के साथ-साथ नीतियों व कर व्यवस्था में स्थिरता की जरूरत है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि सरकार द्वारा किए गए उपायों के प्रभावी होने के बाद 2015-16 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर छह प्रतिशत से उपर पहुंच जाएगी और इसके बाद हम उच्च आर्थिक वृद्धि दर की राह पर चल पड़ेंगे।



धनी लोगों को मिल रहे सब्सिडी के लाभ में कटौती का समय अब नजदीक आता दिख रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने समाज में ऐसे वर्ग के लोगों को बिना मात्रा निर्धारित किए ही सब्सिडी का लाभ देने पर सवाल उठाया है जिनकी पहचान नहीं हो सकती है।



सिर्फ आम आदमी परेशां,बाकी सब बहार है!


अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा जी से नैन क्या मिले,भारत को अमेरिका बना दियो मोदी महाराजज्यू और अब संसद में मोदी की कदमबोशी की तैयारी, बुलरन में अर्थव्यवस्था,करोड़पति समुदाय बल्ले बल्ले,गणतंत्र भी उन्हींका!


देश लोकतंत्र है,नागरिकों का कत्लेआम भी लोकतांत्रिक है!


हमारे गुरुजी ताराचंद्र त्रिपाठी, जिन्हें हम जीआईसी में चाणक्य कहा करते थे और बाद में जाना कि वे तो मुक्तिबोध के ब्रह्मराक्षस हैं,फिर नये सिरे से फेसबुक पर सक्रिय है।बूढ़ापे में भी चैन से नहीं बैठते हमारे गुरुजी,थोड़ा भी इधर उधर हुए कि फौरन फोने पर कान उमेठ देते हैं।


वे लंबे अरसे से खामोश रहे हैं जो हमारी चिंता का सबब रहा है क्योंकि सारे गुरुजन तो दिवंगत हुए ठैरे,इकलौते वहीं अभी हमें वेताल की तरह विक्रमादित्य बनाये हुए हैं और उनकी लगाई आग हमारी पूंछ से निकलबे नहीं करै है।


नैनीताल पहुंचकर फोन किया तो पता चला कि वे मुरादाबाद में हैं तो हम हल्द्वानी नहीं रुके और हरुआ दाढ़ी से अबकी दफा पर मुलाकात हो ही  हीं पायी।बाद में अमरउजाला के प्रिंटलाइन से पता चला कि हमारे पुरातन सहकर्मी मित्र सुनील साह वहीं स्थानीय संपादक पदे विराजमान हैं।


भास्कर से तो मुलाकात नैनीताल में हो गयी लेकिन देहरादून जाकर भी सुनीता और उनकी बेबी से मुलाकात न हो सकी।चंद्रशेखर करगेती बिन मिले रह गये।रुद्रपुर के तमाम मित्रों से भी मुलाकात न हो सकी।


लेकिन हमने नैनीताल समाचार से अपने गुरुजी को फोने पर प्रणाम करके निकले तो तसल्ली हुई कि देश अब भी बचा हुआ है और लोकतंत्र भी बचा रहेगा क्योंकि अब भी हमारे इकलौते गुरुजी हैं जो नरेंद्र मोदी संप्रदाय पर भारी है।


उन गुरुजी ने लिक्खा है,जरा गौर करेंः


माँगा था उत्तराखंड. नेताओं ने बना दिया उल्टाखंड. सुना है तेलंगाना भी तेल लगाना बनने की कगार पर है.


गुरुजीने हालांकि झारखंड पर लिखा नहीं है।


इस के साथ ही चंद्रशेखर करगेती का यह पोस्ट ताजातरीनः

कवितायें भी बहुत कुछ कह जाती है, गीत बन कर

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कई लोग हैं जो अभी भी नहीं समझ पा रहें हैं, क्योंकि वे पढ़े लिखे है ! आधे पढे लिखे राणा जी आज से लगभग 35 साल पहले अब के विकास का अर्थ सही मायने में समझ गए थे, पहाड़ की कीमत से भरी अटेचियों को हम आज भी नहीं देख पा रहें ! काश हम भी सत्ता में बैठे पहाड़ में विकास के ठेकेदारों के मंसूबो को समय रहते समझ पाते !

त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

बुजुर्गो ले जोड़ पहाड़, राजनीति ले तोड़ पहाड़ |

ठेकदारों ले फोड़ पहाड़, नान्तिनो ले छोड़ पहाड़ ||

त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

ग्वाव नै गुसैं घेर नै बाड़, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||

सब न्हाई गयी शहरों में, ठुला छ्वटा नगरो में,

पेट पावण क चक्करों में, किराय दीनी कमरों में |

बांज कुड़ों में जम गो झाड़, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||

त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

क्येकी तरक्की क्येक विकास, हर आँखों में आंसा आंस ||

जे. ई. कै जा बेर पास, ऐ. ई. मारू पैसो गाज |

अटैचियों में भर पहाड़, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़ ||

त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, रौय दुखो को ड्योर पहाड़ ||

साभार --- हीरा सिंह राणा



आज सवेरे कश्मीर घाटी में युवा वकील अशोक बसोत्तरा से बातें हुईं जो वहां केसरिया लहर के मुकाबले चुनाव मैदान में हैं और उनकी अब भी वही शिकायत है कि बाकी देश की आंखों में कश्मीर घाटी नहीं है जैसे पूर्वोत्तर के तमाम मित्र या फिर तमिलनाडु या दंडकारण्य के साथी या आदिवासी भूगोल के लोग या गोरखालैंड वाले कहते रहते हैं कि इस देश के लोकतंत्र में उनकी कहीं सुनवाई नहीं होती।न इस देश के नागरिकों को अपने सिवाय किसी की कोई परवाह है।


नागरिकों को यह अहसास है ही नहीं कि यह देश किसी सरकार बहादुर का साम्राज्य नहीं है और न इस देश का प्रधानमंत्री किसी दिव्यशक्ति के प्रतिनिधि हैं।


अश्वमेध के घोड़े लेकिन खूब दौड़ रहे हैं जैसे बाजारों में दौड़ रहे हैं सांढ।


साँढ़ो की दौड़ ही इस देशकी,लोकतंत्र कीऔर अर्थव्यवस्था की सेहत का पैमाना है और इसी बुल रन को जारी रखने के लिए बंगाल, पंजाब, तमिलनाड, काश्मीर, झारखंड जैसे असुर जनपदों को छत्तीसगढ़,तेलंगाना और उत्तराखंड बना देने की कवायद है ।


और कवायद है देवसंस्कृति के पुनरूत्थान की,संस्कृत को अनिवार्य बनाने की कवायद जारी है।यानी मुकम्मल रंगभेदी मनुस्मडति राज का चाकचौबंद इंतजाम।


लोगों को केंद्रीय विद्यालयों में संपन्न तबकते के बच्चों को पढ़ायी जा रही तीसरी भाषा जर्मन को हटाने का अफसोस हो रहा है लेकिन भारतीय भाषाओं और बोलियों,समूची लोक विरासत और जनपदों की हत्या की खबर भी नहीं है।


शिक्षा के अधिकार की परवाह नहीं है।खास लोगों के परमानेंटआरक्षण की नालेज इकोनामी की खबर भी नहीं है और न परवाह है।सबको समान शिक्षा,समान अवकर की कोई चिंता है ही नहीं।


बीबीसी संवाददाता मित्रवर सलमान रवि ने हालात यूं बयां किये हैंः

No vehicle available. All vehicles taken away for election duty.

Reached Daltonganj for the first phase of Assembly elections.


फिर भी क्या खूब लिखा है भाई उदय प्रकाश जी नेः

कल-परसों से जर्मन भाषा को केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में हटाये जाने को लेकर बहसें चल रही हैं.

क्या संघ अब जर्मनों को 'शुद्ध और सर्वोच्च आर्य ' तथा हिन्दू द्विजों - उच्च सवर्णों को उसी आर्य वंश का मानने वाली पुराणी धारणा त्याग देगा ?

क्या हिटलर के बारे में विचार बदल गए और अब वह उसकी आत्मकथा का प्रचार-प्रसार बंद कर देगा और उसे प्रतिबंधित कर देगा ?

और बड़ा सवाल यह -- क्या अब संघ हिटलर की नाज़ी बर्दी , जो अब तक संघ का औपचारिक यूनिफार्म है , उसे भी बदल देगा ?

बड़ा वैचारिक शिफ्ट है भाई जी।

अब जर्मन की जगह संस्कृत आ गयी तो ड्रेस कोड भी तो बदलना ही लाजिम है।

अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा जी से नैन क्या मिले क़ि हज़रत अमीर खुसरो की कव्वाली हो गयी --

'छाप तिलक सब छीनी रे, तोसे नयना मिलाय के .... !'

ओबामा तो निकला बहुतै बड़ा रंगरेज़ .... हो रसिया !

संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हुआ है। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र आज प्रारंभ हो रहा है और मुझे उम्मीद है कि ठंडे माहौल में ठंडे दिमाग से काम होगा। देश की जनता ने हमें देश चलाने के लिए चुना है। पिछले सत्र मे विपक्ष की सकारात्मक भूमिका के कारण बहुत अच्छा काम हुआ था मुझे उम्मीद है इस बार भी ऐसा ही होगा।


अब क्या होना है,बूझ लीजिये नौटंकी की पटकथा घमासान।


लोकसभा में सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने नए मंत्रियों का का परिचय करवाया। संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही आज श्रद्धांजलि देने के साथ स्थगित कर दी गई। गौरतलब है कि राज्यसभा सांसद मुरली देवड़ा का देर रात मुंबई में निधन हो गया था। इससे पहले पिछले महीने लोकसभा में टीएमसी सांसद कपिल कृष्ण ठाकुर का भी निधन हो गया था। लोकसभा अपने दो वर्तमान सदस्यों हेमंत चंद्र सिंह और कपिल कृष्ण ठाकुर के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद कल तक के लिए स्थगित कर दी गई।


संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार को विपक्ष के कड़े रुख का सामना करना पड़ सकता है। रविवार को सरकार की ओर से सभी पार्टियों की बैठक बुलाई गई, जिसमें 26 पार्टियों के 40 से ज्यादा नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि बजट सत्र की तरह शीतकालीन सत्र भी कामयाब रहेगा। इस बैठक में समाजवादी पार्टी और टीएमसी ने हिस्सा नहीं लिया था।


बैठक में प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि बजट सत्र की तरह ही शीतकालीन सत्र भी कामयाब रहेगा। सरकार को विपक्ष या किसी भी सदस्य द्वारा उठाए गए मुद्दे पर बहस में कोई आपत्ति नहीं है। बैठक के बाद नायडू ने कहा कि सरकार विपक्ष के सुझावों पर अमल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और काला धन के मुद्दे पर सरकार तमाम संभव कदम उठा रही है।


वहीं, कांग्रेस ने सरकार को काला धन, सूखा, मंहगाई समेत एक दर्जन मुद्दों की सूची सौंपी है। जिसे शीतकालीन सत्र के दौरान उनकी ओर से उठाया जाएगा। पार्टी का कहना है कि सरकार ने सात बिल चर्चा के लिए रखे हैं और 14 बिल पेश किए जाएंगे। कांग्रेस चाहती है कि महिला आरक्षण और दलित अत्याचार संशोधन बिल जैसे लंबित बिलों को भी इस सत्र में जोड़ा जाए। वहीं, जेड़ीयू, लेफ्ट, सपा और बीएसपी का कहना है कि बीमा विधेयक का विरोध करेगी। इन पार्टियों का कहना है कि वो कांग्रेस से भी इसका विरोध करने का अनुरोध कर रही है।


हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी का कहना है कि वो बिल देखने के बाद ही अपना रुख साफ करेगी। सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होकर तृणमूल कांग्रेस ने अपने तेवर के संकेत दे दिए हैं। पार्टी का कहना है कि वो उनके नेताओं को सीबीआई द्वारा परेशान किए जाने समेत कई मुद्दों को संसद में उठाएगी। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात है कि शिवसेना उसके साथ खड़ी नजर आ रही है। पार्टी की ओर से साफ किया गया कि महाराष्ट्र के रिश्तों का असर दिल्ली में देखने को नहीं मिलेगा।


शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र का परिणाम दिल्ली में नहीं होगा। सरकार के पूरे कार्यकलापों के साथ रहेंगे। महाराष्ट्र में बहुत सूखा है वो मुद्दा हम ठाएंगे। उस पर सरकार से जवाब मांगेंगे। शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलना है जिसमें 22 बैठकें होंगी। इस दौरान सरकार की कोशिश बीमा संशोधन विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी विधेयक, लोकपाल एवं लोकायुक्त संशोधन विधेयक जैसे कई अहम विधेयक पारित कराने की होगी। विपक्ष का कहना है कि वो सत्र के दौरान पीएम मोदी के विदेश दौरों और घोषणाओं को नतीजों की कसौटी पर कसेगा। लेकिन अपनी छिन्न भिन्न मौजूदगी में वो कितना असरदार साबित होगा ये बड़ा सवाल है।


आज पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के खिलाफ कोलकाता में मार्च निकालने वाली हैं। हालांकि रविवार को संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा था कि चिटफंड घोटाले में टीएमसी सांसदों की गिरफ्तारी में सरकार को हाथ नहीं है। शारदा चिटफंड घोटाले में टीएमसी सांसदों की गिरफ्तारी से तिलमिलाई ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का टीएमसी ने बहिष्कार किया। यही नहीं, ममता ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी नए सत्र में कालेधन समेत कई मुद्दोंपर केंद्र सरकार का जमकर विरोध करेगी।

टीएमसी-बीजेपी में टकराव

टीएमसी ने नए सत्र के पहले ही दिन इंश्योरेंस में एफडीआई के विरोध में धरना देने का भी ऐलान किया है। दरअसल, टीएमसी और बीजेपी के बीच टकराव हाल में तब बढ़ी, जब शारदा घोटाले में पार्टी के सांसद श्रजॉय बोस की गिरफ्तारी हुई। उधर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने विवाद थामते हुए साफ किया कि केंद्र सरकार सीबीआई का गलत इस्तेमाल नहीं कर रही है।

जेटली के ब्लॉग पर मचा बवाल

दरअसल बीजेपी और टीएमसी के रिश्तों में उस वक्त खटास और बढ़ गई जब ममता बनर्जी के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग के जरिए पलटवार किया। बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के बयान ने तो आग में घी का काम किया। अरुण जेटली ने अपने ब्लाग में ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा। जेटली ने ब्लॉग में लिखा कि शारदा चिटफंड घोटाले में कुछ टीएमसी नेताओं से पूछताछ और गिरफ्तारी को लेकर ममता दीदी की प्रतिक्रिया से मैं बेहद निराश हूं। टीएमसी से जुड़े कुछ लोग चिटफंड स्कीम के जरिए पैसे बनाने में जुटे थे। इस स्कीम के तहत छोटे निवेशकों को लूटा गया। नई राजनीतिक पार्टी होने के नाते अब ये किसी भी जिम्मेदार नेता के लिए अनिवार्य है कि वो ऐसे नेताओं से पार्टी को बचाए। ये निराशाजनक है कि ममता दीदी ये करने के बजाय इन नेताओं के साथ खड़ी होते दिखना चाह रही हैं।

आदित्यनाथ का विवादित बयान

टीएमसी के साथ जारी घमासान के बीच बीजेपी के तेजतर्रार सांसद योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल को आतंकियों को अड्डा बता दिया। आदित्यनाथ के मुताबिक पश्चिम बंगाल में कई आतंकी संगठन शरण ले रहे हैं। लेकिन जब उनको हटाने की बात होती है तो ममता सरकार उनके पक्ष में खड़ी हो जाती हैं। संसद के शीत सत्र से पहले ममता बनर्जी के तेवर सरकार के लिए परेशानी खड़े करने वाले हो सकते हैं। लेकिन एक सच ये भी है कि उनकी पार्टी के कुछ सांसद चिट फंड घोटाले में जारी सीबीआई की जांच में फंसे हैं। ऐसे में ममता केंद्र सरकार से सीधे टकराव ले पाएंगी, कहना मुश्किल है।

शीतकालीन सत्रः कानून बन पाएंगे ये विधेयक!

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/11/141124_winter_session_parliament_vr


नरेंद्र मोदी, अमित शाह

संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है.

22 दिनों तक चलने वाले इस सत्र में संसद की आखिरी बैठक 23 दिसंबर को होगी. संसद के समक्ष फिलहाल 67 विधेयक लंबित हैं.


इनमें से नौ विधेयक संसद के पिछले सत्र में पेश किए गए थे जबकि 40 विधेयक पंद्रहवीं लोकसभा के दौरान मनमोहन सिंह की पिछली सरकार ने संसद के सामने विचार के लिए रखे थे.

18 ऐसे विधेयक हैं जो पिछली लोकसभाओं से लंबित पड़े हुए हैं.

लंबित अध्यादेश

लोकसभा

सरकार ने पिछले कुछ महीनों में दो अध्यादेश जारी किए हैं. जो कोयला खनन और सरकारी कपड़ा कंपनियों से संबंधित हैं.

इन दोनों अध्यादेशों को कानून की शक्ल देने के लिए संसद के मौजूदा सत्र में विधेयक लाया जाना है ताकि इन्हें खत्म होने से बचाया जा सके.

जो विधेयक लंबित हैं, उनमें 11 स्वास्थ्य और परिवार कल्याण से संबंधित हैं. ये विधेयक मानसिक स्वास्थ्य, मेडिसिन सेक्टर और एचआईवी की रोकथाम से संबंधित हैं.

शीतकालीन सत्र में संसद को श्रम और रोज़गार क्षेत्र से जुड़े नौ विधेयकों पर भी विचार करना है. इनमें फैक्ट्री (संशोधन) बिल और अप्रैंटिस अमेंडमेंट बिल हैं.

शीतकालीन सत्र

भारत की संसद

दोनों ही विधेयकों को संसद के पिछले सत्र के दौरान पेश किया गया था. अप्रैंटिस अमेंडमेंट बिल को लोकसभा पहले ही पास कर चुकी है.

लेकिन बाल श्रम (निषेध और नियमन) बिल, 2012 और भवन निर्माण क्षेत्र से जुड़े कामगारों के लिए 2013 में लाया गया विधेयक अब भी लंबित है.

संसद में लंबित कई विधेयक तो ऐसे हैं जिन पर स्टैंडिंग कमेटी को विचार करना है. इनमें शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों और बच्चों के अधिकारों से जुड़ा विधेयक भी है.

यह देखना बाक़ी है कि इन विधेयकों को शीतकालीन सत्र के दौरान पारित करने के लिए स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट वक्त पर आ जाती है या नहीं.

राज्यसभा

सोनिया गांधी, हामिद अंसारी

बीमा संशोधन विधेयक, 2008 पर फिलहाल राज्य सभा की सेलेक्ट कमेटी विचार कर रही है.

यह विधेयक भारतीय बीमा कंपनियों में विदेशी निवेशकों को अपना हिस्सा 49 फीसदी तक ले जाने के इज़ाजत देता है.

सेलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट इसी शीतकालीन सत्र में आनी है जिसके बाद ही विधेयक को पारित कराने के लिए आगे बढ़ाया जा सकेगा.

कैबिनेट ने पिछले तीन महीनों में दो विधेयकों को मंजूरी दी है. जिनमें एक जहाज़रानी क्षेत्र से संबंधित है तो दूसरा वास्तुकला विद्यालय से.

सदन का काम

सुमित्रा महाजन

कुछ ऐसे विधेयक भी प्रस्तावित हैं जिनके मसौदों पर अलग-अलग मंत्रालयों में सलाह मशविरे का काम जारी है.

इनमें छोटी फैक्ट्रियों के कामगारों से संबंधित विधेयक है. नागरिकता कानून में भी कुछ संशोधन प्रस्तावित हैं और सड़क परिवहन और सुरक्षा से जुड़ा विधेयक भी है.

शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा के प्रश्नकाल का समय अब पहले की तरह 11 से 12 बजे न होकर दोपहर 12 से एक बजे तक होगा.

इसके साथ ही राज्यसभा का काम भी अब पहले से एक घंटे ज्यादा होगा. यह सुबह 11 से शाम छह बजे तक होगा.

2014 के बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान संसद के कामकाज में हुए सुधार के मद्देनज़र इन बदलावों को देखा जा सकता है.

प्राथमिकता सूची

अरुण जेतली, नरेंद्र मोदी

बजट सत्र के दौरान लोकसभा ने प्रश्नकाल के दौरान 87 फीसदी काम किया जबकि राज्यसभा नियत समय का 40 फीसदी ही इस्तेमाल कर पाई.

2011 में भी राज्यसभा ने इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी जब प्रश्नकाल का समय खिसकाकर दो बजे से तीन बजे के बीच कर दिया गया था लेकिन इसे कुछ समय बाद ही रोक दिया गया.

हालांकि संसद के इस शीतकालीन सत्र में कौन से विधेयक सरकार की प्राथमिकता सूची में है, इस पर आधिकारिक रूप से अभी तक कुछ नहीं कहा गया है.

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