THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Saturday, November 7, 2015

छोटा राजन को देश और दलितों का आदर्श मत बनाइये ................................................................................... “ अपराध का रंग हरा है तो वह आतंकवाद और अगर गैरुआ है तो वह राष्ट्रवाद ,एक मुल्क के रूप में आखिर कहां जा रहे है हम ? “

छोटा राजन को देश और दलितों का आदर्श मत बनाइये

...................................................................................

" अपराध का रंग हरा है तो वह आतंकवाद और अगर गैरुआ है तो वह राष्ट्रवाद ,एक मुल्क के रूप में आखिर कहां जा रहे है हम ? "

..............................................................................................................................................................

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की इंडोनेशिया के बाली शहर में नाटकीय गिरफ्तारी तथा उसका आनन फानन में भारत लाया जाना किसी पूर्व निर्धारित पटकथा जैसा लगता है .संभव है कि यह कवायद काफी दिनों से की जा रही हो ,जिसे एक खुबसुरत मोड़ दे कर इस अंजाम तक पंहुचाया गया है . केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस बात से इत्तेफाक रखते है ,वे मानते है कि इस दिशा में काफी समय से काम चल रहा था .इसका मतलब यह हुआ कि छोटा राजन की गिरफ्तारी पूर्वनियोजित घटनाक्रम ही था .

वैसे तो यह माना जाता रहा है कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियां उसकी लम्बे वक़्त से मददगार रही है तथा उसे मोस्टवांटेड अंडरवर्ल्ड माफिया दाउद इब्राहीम के विरुद्ध एक तुरुप के पत्ते के रूप में संभाल कर रखे हुए थी मगर यह भी एक सम्भावना हो सकती है कि वर्तमान केंद्र सरकार में भी छोटा राजन के प्रति हमदर्दी रखनेवाले  कुछ लोग हो ,जिन्होंने उसकी ससम्मान गिरफ्तारी का प्रबंध करने में अहम् भूमिका अदा की हो ? फ़िलहाल किसी भी सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है .जैसा कि हम जानते है कि अपराध जगत के सत्य उजागर होने में थोडा समय लेते है ,इसलिए वक़्त का इंतजार करना उचित होगा .

छोटा राजन की गिरफ्तारी होते ही सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रामदास अठावले की प्रतिक्रिया आई ,उन्होंने कहा कि छोटा राजन को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह दलित है ,जबकि दाउद को नहीं .अठावले के बयान से देश को छोटा राजन की जाति का पता चला.तथ्यात्मक रूप से यह बात सही है कि उसका जन्म 1956 में मुंबई के चेम्बूर इलाके में एक मध्यमवर्गीय दलित परिवार में हुआ था .वह मात्र 11 कक्षा तक पढ़ा कि उसके पिता जो की जो कि एक मिल में नौकरी करते थे ,उनकी नौकरी छूट गयी .आर्थिक तंगी के चलते उसने पढाई छोड़ दी और सिनेमा के टिकट ब्लेक करने लगा .यह काम उसके लिए अपराध जगत का प्रवेशद्वार बना .यहीं से वह राजन नायर नामक माफिया की नजर में चढ़ा जो उस वक्त बड़ा राजन कहलाता था .उसके साथ मिलकर छोटा राजन ने अवैध वसूली ,धमकी ,मारपीट और हत्याएं तक की .1983 में जब बड़ा राजन को गोली का शिकार हो गया तब उसका अपराध का साम्राज्य राजेन्द्र सदाशिव निखिलांजे उर्फ़ छोटा राजन को संभालना पड़ा .फिर उसकी माफिया किंग दाउद से दोस्ती हो गयी .दोनों ने मिलकर काले कारोबार और क्राइम में जमकर भागीदारी निभाई .उनकी दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो गयी थी कि जब पुलिस के शिकंजे से बचने के लिए दाउद दुबई भागा तो वह अपने साथ छोटा राजन को भी ले गया .

दाउद और छोटा राजन का रिश्ता 1992 तक गाढ़ी दोस्ती का रहा ,लेकिन छोटा राजन की मुंबई पर बढती पकड़ से सतर्क हुए दाउद ने उसके साथ विश्वासघात करना शुरू कर दिया .एक तरफ तो साथ में सारे काले कारोबार ,दूसरी तरफ छोटा राजन के खास सहयोगियों पर अपने शूटरों द्वारा प्रहार ,दो तरफ़ा खेल खेल रहा था दाउद .शुरू शुरू में तो छोटा राजन को यह महज़ संयोग लगा लेकिन जब उसके खास साथी बहादुर थापा और तैय्यब भाई की हत्या में दाउद का हाथ होने की पुष्टि हुयी तो दोनों के मध्य दरार आ गयी जो 1993 के मुंबई बम्ब विस्फोट से एक ऐसी खाई में बदल गयी ,जिसे फिर कभी नहीं पाटा जा सका .एक ज़माने के खास दोस्त अब जानी दुश्मन बन चुके थे .फिर जो गेंगवार मुंबई में चली उसने पुलिस का काम सरल कर दिया .माफिया एक दुसरे को ही मार रहे थे .पुलिस का काम वो खुद ही करते रहे और एक दुसरे को निपटाते रहे .इस तरह मुंबई से माफिया का सफाया होने लगा  .दाउद मुंबई बम धमाकों के बाद कराची में रहने लग गया तथा वह आई एस आई के हाथो की कठपुतली बन गया और छोटा राजन अपनी सुरक्षा के लिहाज़ से बैंकाक भाग गया .भारत से दूर दुनिया के दो अलग अलग देशों से दोनों के बीच दुश्मनी और जंग जारी रही . भारत सरकार दोनों को भारत लाने की वचनबद्धता दोहराते रही पर कामयाब नहीं हो पाई ..और अब अचानक अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन सहजता से बाली पुलिस के हत्थे चढ़ गया .वहां की सरकार ने भी बिना कोई हील हुज्जत किये आराम से इतने बड़े अपराधी को भारत को परोसने को एकदम से राज़ी हो गयी !

अंततः 27 साल के लम्बे अरसे  बाद 6 नवम्बर 2015 की सुबह 5  बजकर 45 मिनट पर  55 वर्षीय अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की भारत में वापसी हो गयी  .मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉन ने दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरते ही भारत भूमि को चूमा ,धरती माता (भारत माता ) को प्रणाम किया .छोटा राजन के इस एक कारनामे से राष्ट्र निहाल हो गया और देश में उसके लिए सकारात्मक माहौल बनने लग गया . संभव है कि आने वाले समय में उसे आतंकवाद के खिलाफ ज़िन्दगी भर लड़नेवाला योद्धा भी मान लिया  जाये .जिस तरह से उसकी गिरफ्तारी की पूरी घटना कारित की गयी है ,वह इसी तरफ कहानी के आगे बढ़ने का संकेत देती है .

क्या यह महज़ संयोग ही है कि छोटा राजन का एक भाई दीपक निखिलांजे उस  रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया का बड़ा नेता है ,जिसके नेता ने छोटा राजन के प्रति सबसे पहले हमदर्दी जताई है .दीपक हाल ही में प्रधानमंत्री की मुंबई यात्रा के दौरान उनके साथ मंच पर  भी दिखाई दिया था ,उसी पार्टी के नेता और भाजपा के सहयोगी दलित नेता रामदास अठावले छोटा राजन को दलित बता कर एक वर्ग की सहानुभूति बनाने का प्रयास करते है . क्या इसे भी सिर्फ इत्तेफाक ही माना जाये कि छोटा राजन का साला राहुल वालनुज  सिर्फ एक महीने पहले  शिवसेना छोड़कर भाजपा में शामिल होता है और भाजपाई श्रमिक संगठन राष्ट्रीय एकजुट कामगार संगठन का उपाध्यक्ष बनाया जाता है .छोटा राजन के परिजनों की भाजपा से लेकर प्रधानमंत्री तक की  परिक्रमा और रामदास अठावले का दलित सम्बन्धी बयान सिर्फ संयोग मात्र  नहीं हो सकते है ,इतना ही नहीं बल्कि छोटा राजन के एक भाई  आकाश निखिलांजे का यह कहना कि –वह कोई आतंकी नहीं है और अब खुद छोटा राजन द्वारा मीडिया के समक्ष अपने आपको मुंबई पुलिस का प्रताड़ित पीड़ित बताना और यह कहना कि मुंबई पुलिस ने दाउद के इशारों पर उस पर बहुत अत्याचार किये है .बकौल छोटा राजन मुंबई पुलिस में दाउद के बहुत सारे मददगार है ,जिनके नामों के खुलासे होने के दावे किये जा रहे है .

ऐसा लग रहा है कि छोटा राजन के साथ एक अपराधी सा बर्ताव नहीं करके उसे  भारत के खास देशभक्त हिन्दू डॉन  के रूप में प्रस्तुत करके उसका राजनितिक लाभ लेने  का प्रयास  किया जा रहा है ,उसके पक्ष में  हवा बनायीं जा रही है .छोटा राजन के  बयान और भारत सरकार के बयान सब एक खास तरह का माहौल  और कथ्य निर्मित कर रहे है .छोटा राजन ने कह दिया है कि वह ज़िन्दगी भर आतंकवाद के खिलाफ लड़ा है और आगे भी लड़ता रहेगा .तो इसका मतलब यह निकाला जाये कि  अब 70 आपराधिक मामलों में वांछित अपराधी आतंक से लड़ने वाला हीरो बना दिया जायेगा ( ऐसे अपराध जिनमे 20 हत्या के और 4 आतंक निरोधक कानून के अंतर्गत भी मामले है ) यह आतंकवाद को धर्म ,सम्प्रदाय और रंग के चश्मों से देखनेवाली एक खास किस्म की विचारधारा की सफलता नहीं  है ?

वैसे तो सत्तासीन गठबंधन के लिए छोटा राजन हर दृष्टि से मुफीद है ,वह दलित है ,उसका परिवार अम्बेडकरवादी नव बुद्धिस्ट परिवार रहा है ,उसकी माँ लक्ष्मी ताई निखिलांजे ने मुंबई के तिलकनगर में एक बुद्ध विहार बनवाने में अहम् भूमिका निभाई थी ,वह मुंबई पुलिस से प्रताड़ित एक स्वधर्मी डॉन है ,जिसने बाबरी मस्जिद ढहा दिये जाने के बाद मुंबई धमाकों का बदला लेने वाले धर्मांध और देशद्रोही दाउद के खिलाफ लम्बी जंग लड़ी ,सन्देश साफ है कि जो काम  भारत की सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों को करना चाहिए था वह अकेले छोटा राजन ने किया है ,वह कथित इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाला वतनपरस्त भारतीय है ,उसका सम्मान होना चाहिए ,उसकी सुरक्षा होनी चाहिए और उसकी मदद से हमें दाउद जैसे दरिन्दे को धर दबोचना चाहिए .उसकी नाटकीय गिरफ्तारी के तुरंत बाद से ही भक्तगण ऐसा माहौल बनाने में लगे हुए है .इस बीच महाराष्ट्र पुलिस ने सी बी आई की  अन्तराष्ट्रीय अपराधों के अनुसन्धान में विशेष दक्षता को देखते हुए छोटा राजन के खिलाफ सारे मामल उसे  सोंप दिये है .अब छोटा राजन केंद्र सरकार का विशिष्ट अतिथि है तथा उसके जान माल की सुरक्षा करना इस कृतज्ञ राष्ट्र की ज़िम्मेदारी है !

छोटा राजन की तयशुदा गिरफ्तारी ,उसके लगभग पूर्वनिर्धारित  प्रत्यर्पण और वायुसेना के विशेष विमान गल्फस्ट्रीम -3 से भारत पदार्पण और दीवाली से ठीक पहले स्वदेश आगमन को एक उत्सव का रूप देना और उसे आतंकवाद के खिलाफ आजीवन लड़नेवाला एक दलित यौद्धा निरुपित कर दिया जाना जिस सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तरफ ईशारा कर रहा है वह वर्तमान के जेरेबहस असहिष्णु राष्ट्र से भी कई ज्यादा भयानक है .राष्ट्रभक्ति के नाम पर ,आतंकवाद से लडाई के नाम पर एक अपराधी को राष्ट्रनायक बनाने के हो रहे प्रयास निसंदेह डरावने है .हत्यारे  को नायक बनाया जा रहा है. एक माफिया डॉन को दलितों का मसीहा बना कर पेश किया जा रहा है .क्या यह देश इतना कमजोर हो गया है कि हमें आतंकवाद के विरुद्ध लडाई भी आतंकियों को देशभक्ति का चोला पहना कर लड़नी पड़ रही है  ?

हमें याद रखना होगा कि आतंक को धर्म के चश्मे से देखने की यह अदूरदर्शी नीति एक दिन देश विभाजन का कारक बन सकती है .लोग जवाब चाहेंगे कि एक दिन इसी तरह ख़ुफ़िया एजेसियों के द्वारा याकूब मेमन भी लाया गया था ,सरकारी साक्षी बनने के लिए ,फिर वो समय भी आया जब उसे लम्बे समय तक कैद में सड़ाने के बाद फांसी के फंदे पर लटका दिया गया और जिसने इसका विरोध किया वो सभी राष्ट्रद्रोही घोषित कर दिये गये ,क्या इस इतिहास की पुनरावृति छोटा राजन मामले में नहीं होगी ,इसकी कोई गारंटी है ? आज यह सवाल खड़ा हो रहा है कि यह किस तरह का देश हम बना रहे है, जहाँ  पर अक्षम्य अपराधों और दुर्दांत जालिमों को राष्ट्रवाद के उन्माद चादर तले ढंक कर सुरक्षित करने की सुविधा निर्मित कर ली गयी है .हम कितने आत्मघाती सोच को अपना चुके है जहाँ अगर आतंक का रंग हरा है तो वह खतरनाक और आतंक का रंग गैरुआ है तो वह राष्ट्रवाद मान लिया जायेगा .निर्मम सत्ता का यह स्वभक्षी समय है ,हम खुद नहीं जानते कि हम कहां जा रहे है ,पर इतनी सी गुजारिश तो की ही जा सकती है कि छोटा राजन जैसे अपराधी को देश और दलितों का आदर्श बनाने की भूल मत कीजिये .

_ भंवर मेघवंशी

( लेखक स्वतंत्र पत्रकार है और दलित ,आदिवासी एवं अल्पसंख्यक समुदायों के प्रश्नों पर राजस्थान में कार्यरत सामाजिक कार्यकर्ता है )


--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...