THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, May 28, 2012

पोर्न स्टार सनी लियोन को नागरिकता और जन्मजात भारतीयों को देश निकाला!

पोर्न स्टार सनी लियोन को नागरिकता और जन्मजात भारतीयों को देश निकाला!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

छोटे परदे के रिएलिटी शो 'बिग बॉस' में आई एडल्ट फिल्मों की हिरोइन पोर्न स्टार जिस्म 2 की अभिनेत्री सनी लियोन को नागरिकता और जन्मजात भारतीयों को देश निकाला!जिस्म -२ जैसी विवादस्पद फिल्म की सूटिंग करते हुए सनी को भारतीय नागरिकता मिल गयी।सनी लियोन को नागरिकता का मसला सेलिब्रेटी महज रूटीन पेज थ्री खबर नहीं है, इससे पता चलता है कि भारत में सत्ता कैसे खुले बाजार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आइकनों के लिए नियम कानून ताक पर रख देती है और बहिष्कृत अछूत बहुजनों को नागरिकता, नागरिक और मानव अधिकारों  से वंचित करके उनके जल, जंगल , जमीन और आजीविका पर कारपोरेट राज कायम किया जाता है।सनी ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर ट्वीट करके इस उपलब्ध को सेलिब्रेट किया है। इससे पहले उनके पास कनाडा की नागरिकता थी।पोर्न स्टार सनी का असल नाम करण मल्होत्रा है जो कनाडा में पली और बढ़ी। बहरहाल सनी लियोन को जब से भारतीय नागरिकता प्राप्त हुई है वह बेहद खुश नजर आ रही हैं। उनकी यह खुशी उनके द्वारा मीडिया को दिए जा रहे बयानों के साथ-साथ जिस्म-2 के सैट पर भी दिखाई दे रही है।बंगाली शरणार्थियों का बांग्लादेशी बताकर उनके देश निकाले के लिए अतिसक्रिय हिंदुत्ववादी तमाम संगठनों का हालांकि सनी की भारतीय नागरिकता पर कोई एतराज नहीं है। देशभर में छितरा दिये गये तमाम बंगाली शरणार्थी अछूत हैं और उनके पुनर्वास और नागरिकता आंदोलन दलित आंदोलन है। पर दलित संगठनों ने उन्हें हमेशा अपने दायरे से बाहर​ ​ रखा है। राजनीति की तरह अंबेडकर विचारधारा के झंडेवरदारों ने अछूत बंगाली शरणार्थियों का इस्तेमाल ही किया है।भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की त्रासदी के बाद अपने देश में मौलिक अधिकारों के लिए जूझ रहे बंगाली शरणार्थी परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उन्हें दोयम दर्जे का जीवन जीना पड़ रहा है।

भारतीय नागरिकता और राष्ट्रीयता कानून के अनुसार: भारत का संविधान पूरे देश के लिए एकमात्र नागरिकता उपलब्ध कराता है। संविधान के प्रारंभ में नागरिकता से संबंधित प्रावधानों को भारत के संविधान के भाग II में अनुच्छेद 5 से 11 में दिया गया है। प्रासंगिक भारतीय कानून नागरिकता अधिनियम 1955 है। जिसे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 1986, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 1992, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 और नागरिकता (संशोधन) अध्यादेश 2005 के द्वारा संशोधित किया गया है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 को 7 जनवरी 2004 को भारत के राष्ट्रपति के द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी और 3 दिसंबर 2004 को यह अस्तित्व में आया।नागरिकता (संशोधन) अध्यादेश 2005 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित किया गया था और यह 28 जून 2005 को अस्तित्व में आया।इन सुधारों के बाद भारतीय राष्ट्रीयता कानून जूस सोली (jus soli) (क्षेत्र के भीतर जन्म के अधिकार के द्वारा नागरिकता) के विपरीत काफी हद तक जूस सेंगिनीस (jus sanguinis) (रक्त के अधिकार के द्वारा नागरिकता) का अनुसरण करता है।नये नागरिकता कानून में हिंदुओं के लिए कोई अलग रियायत नहीं है। इसके अलावा इस कानून से शरणार्थियों के अलावा देश के अंदर विस्थापित दस्तावेज न रख पाने वालों,​​ आदिवासियों,मुसलमानों, बस्ती वासियों और बंजारा खानाबदोश समूहों के लिए भी नागरिकता का संकट पैदा हो गया है। यह सिर्फ हिंदुओं या बंगाली शरणार्थियों की समस्या तो कतई नहीं है। खासकर नागरिकता के लिए बायोमैट्रिक पहचान के लिए अनिवार्य बना दी गयी आधार कार्ड​ योजना के बाद।नंदन निलेकणि खुद कहते हैं कि एक सौ बीस करोड़ की आबादी वाले इस देश में महज साठ करोड़ लोगों​ ​ को आधार कार्ड दिया जायेगा।संविधान में  विभाजन के शिकार लोगों​ ​ को नागरिकता और पुनर्वास के वादे वाले धारा को बदले बिना संविधान के फ्रेमवर्क से बाहर गैरकानूनी ढंग से यह संविधान संशोधन किया गया।​​शरणार्थियों को जो आधार वर्ष १९७१ का सुरक्षा कवच देने का वायदा किया जाता है, उस सिलसिले में भी स्पष्ट किया कि इसकी कोई कानूनी ​​वैधता नहीं है। सिवाय इसके कि इंदिरा मुजीब समझौते के बाद इसी साल शरणार्थियों का पंजीकरण बंद हो गया। शरणार्थियों को आने से रोकने के लिए जो कऱना था, किया नहीं गया।इसी साल पुनर्वास विभाग ही बंद कर दिया गया और तबसे देश के भीतर विकास के बहाने शरणार्थी बनाने का काम तेज हो गया। असम समझौते में जो आधार वर्ष कई बात है, वह असम से विदेशी घुसपैठियों को निकालने के लिए है। पऱ ऐसा भी नहीं हुआ। नागऱिकता संशोधन कानून और आधार  कार्ड योजना  का मकसद तो सिर्फ विकास के बहाने विनाश के लिए आदिवासियों, शरणार्थियों और बंजाऱा समुदायों के साथ बस्तियों में रहने वालों की बेदखली और कारपोरेट को जमीन देने का है।

खबर है कि जिस्म 2 के पहले सनी लियोन अपनी एक एडल्ट मूवी रिलीज करने की सोच रही है ताकि उन्हें मिली लोकप्रियता का फायदा उठाया जा सके। इस फिल्म में सनी एक फोटोग्राफर बनी हैं जो उन लोगों से बदला लेती हैं जिन्होंने उसके साथ बुरा किया है।हालांकि सनी ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि सनी चाहती हैं कि जिस्म 2 के पहले उनकी यह फिल्म सामने आना चाहिए। हो सकता है कि इससे जिस्म 2 को फायदा पहुंचे।

रियलिटी टीवी शो 'बिग बॉस' से सीधे बॉलीवुड में एंट्री पाने वाली सनी लियोन ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्वीटर पर ट्वीट किया है कि मेरे पास आज एक सबसे ब़डी खबर है । अब मैं अधिकारिक रूप से भारतीय हो गई हूं। वाऊऊऊऊ!!!!!!सनी ने लिखा है कि उन्हें नागरिकता का कार्ड मिल गया है। सनी इस समय महेश भट्ट की फिल्म 'जिस्म-2' में काम कर रही हैं।

सनी अपनी इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित हैं और मानती हैं कि इस फिल्म में वह अपने धमाकेदार अभिनय से 'जिस्म' में वाहवाहियां लूट चुकीं बिपाशा बसु को प्रतिद्वंद्विता देंगी। सनी लियोन इस समय एक ऐसा नाम है जिसको हर कोई भुनाना चाहता है। इस पोर्न स्टार की हर हरकत जानने के लिए भारतीयों ने गूगल खंगाल डाला है। इसलिए फिल्म निर्माताओं को लगता है सनी लियोन फिल्म की सफलता की गारंटी है। अंग प्रदर्शन के मोर्च में नित नये रिकॉर्ड तोड़ रहीं पॉर्न स्टार सन्नी लियोन की फिल्म 'जिस्म 2' की शूटिंग शुरू हो चुकी है।शूटिंग की पहली तस्वीरों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सन्नी लियोन आनेवाले दिनों में किस तरह के कहर बरपाने का इरादा रखती हैं।  हाल ही में 31 वर्ष की हुई पोर्न फिल्म स्टार सनी लियोन की बॉलीवुड डेब्यू फिल्म की शूटिंग के चर्चे जयपुर से शुरू होकर श्रीलंका तक खबरों में छाए हुए हैं।  'जिस्म 2' के साथ ही अब जंजीर में आइटम नम्बर कर सकती है।

मजे की बात तो यह है कि आनन फानन में बारतीय नागरिकता हासिल करने वाली सनी की पहचान निश्चित नहीं है, जबकि ाम भारतीयों को अपनी नागरिकता और पहचान साबित करने के लिए एढ़ी से चोटी का जोर लगाना पड़ता है।एडल्‍ट फिल्‍म स्‍टार सनी लियोन को बॉलीवूड में पैठ बनाने की ठौर तो मिल गया लेकिन उनके लिए अपनी पहचान को लेकर ही अब सवाल उठाए जा रहे हैं।  सनी लियोन अपना असली नाम करेन मल्होत्रा बताती हैं, लेकिन उनका पासपोर्ट कुछ और ही बयां कर रहा है।  सनी लियोन के पासपोर्ट पर उनका नाम करेनजीत कौर वोरा लिखा हुआ है और यही नाम बचपन से चला आ रहा है.अब सनी ने अपना नाम करेन मल्होत्रा क्यों बताया इसका जवाब उन्होंने अभी तक नहीं दिया।  पोर्न फिल्मों में काम करने से पहले उन्होंने अपना नाम सनी कर लिया।  लियोन सरनेम कहां से आया? इस बारे में यह तर्क दिया जा रहा है कि जिस तरह पुरुष अपने नाम के आगे सिंह जोड़ते हैं।  कुछ इसी तरह सनी ने अपने नाम के आगे 'लॉयनेस' जोड़ा जो लियोन बन गया।इस पोर्न स्टार की अभी तक एक भी फिल्म रिलीज नहीं हुई है, लेकिन बॉलीवुड के अधिकांश निर्माता-निर्देशक सनी को लेकर फिल्म प्लान कर रहे हैं।सनी ये बात बार-बार दोहरा चुकी हैं कि वे जिस्म 2 के रिलीज होने तक कोई फिल्म नहीं करना चाहती हैं, लेकिन एकता कपूर ने सनी को मना लिया है। सूत्रों के मुताबिक रागिनी एमएमएस का सीक्वल बनाया जा रहा है और इसके लिए सनी को साइन किया गया है।रागिनी एमएमएस को कम बजट में बनाया गया था और बॉक्स ऑफिस पर फिल्म सफल रही थी, लेकिन सनी के जुड़ने से इसके सीक्वल को भव्य पैमाने पर बनाया जाएगा। कहा जा रहा है कि यह रियल लाइफ स्टोरी से प्रेरित होगी।जिस्म 2 की शूटिंग खत्म करने के बाद सनी इस फिल्म की शूटिंग आरंभ करेंगी।



गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून पास करवाने में पहले विपक्ष के नेता बाहैसियत संसदीय सुनवाई समिति के अध्यक्ष बतौर और फिर सत्ताबदल के बाद मुख्य नीति निर्धारक की हैसियत से प्रणव मुखर्जी की भूमिका खास रही है। 1956 तक पासपोर्ट वीसा का चलन नहीं था। भारत और पाकिस्तान की दोहरी नागरिकता थी। पर नये नागरिकता कानून के तहत 18 जुलाई 1948 से पहले वैध दस्तावेज के बिना भारत आये लोगों ने अगर नागरिकता नहीं ली है, तो वे अवैध घुसपैठिया माने जाएंगे। इसी कानून के तहत उड़ीसा के केंद्रपाड़ा जिले के रामनगर इलाके के 21 लोगों को देश से बाहर निकाला गया। जबकि वे नोआखाली दंगे के पीड़ित थे और उन्होंने 1947-48 में सीमा पार कर ली थी। राजनीतिक दल इस कानून की असलियत छुपाते हुए 1971 के कट आफ ईयर की बात करते हैं। कानून के मुताबिक ऐसा कोई कट आफ ईयर नहीं है। हुआ यह था कि 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति के बाद यह मान लिया गया कि शरणार्थी समस्या खत्म हो गयी। इंदिरा मुजीब समझौते के बाद इसी साल से पूर्वी बंगाल से आने वाले शरणार्थियों का पंजीकरण बंद हो गया। फिर अस्सी के दशक में असम आंदोलन पर हुए समझौते के लिए असम में विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए 1971 को आधार वर्ष माना गया, जो नये नागरिकता कानून के मुताबिक गैरप्रासंगिक हो गये हैं।​

पूर्वी पाकिस्तान से आए बंगाली शरणार्थियों को देश के कई प्रांतों में ज़मीन देकर भारत सरकार ने बसाया। बिहार में भी किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया एवं भागलपुर आदि क्षेत्रों में इन शरणार्थियों को बसाया गया। इसी क्रम में 1956 में चंपारण के कई हिस्सों में भारत सरकार ने उन्हें खेती के लिए चार एकड़ और घर बनाने के लिए तीन डिसमिल ज़मीन प्रदान की थी, लेकिन आज तक इन्हें पूर्ण मौलिक अधिकार नहीं मिल सके हैं। 54 वर्षों के बाद भी स्थिति जस की तस है। राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन के कारण इनकी हालत काफी दयनीय है। ज़मीन का रैयाती हक आज तक नहीं मिला है। दोनों सरकारों को राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक पिछड़ेपन का ख्याल नहीं है। मातृभाषा की पढ़ाई से वंचित रखा गया है।परिवार में सदस्यों की संख्या बढ़ती चली गई। परिवार के सदस्य भूमिहीन होते चले गए. सरकार को ऐसे परिवारों को भूमिहीनों में जोड़ना चाहिए था। साठ प्रतिशत लोग भूमिहीन हैं। सरकार ने जाति प्रमाणपत्र देने का वादा किया था, वह भी आधा-अधूरा है। बिहार के बहुत सारे अंचल में जाति प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जाते हैं। जैसे योगापटी, मैंनाटॉड़ आदि क्षेत्रों में. जबकि सरकार द्वारा सभी ज़िला पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया था कि विस्थापित बंगाली शरणार्थियों को उत्तराधिकार एवं अभिलेख में उल्लिखित आधार अथवा अनुपलब्धता के आधार पर पूछताछ करके जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाएं, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है।इस संदर्भ में विभिन्न संगठनों ने पटना की सड़कों पर धरना-प्रदर्शन भी किया. इनमें नम: शूद्र समिति, पूर्वी बंगला शरणार्थी समिति एवं बिहार बंगाली शरणार्थी आदि प्रमुख रहे. 2009 में इन समितियों ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया, लेकिन 27 मई, 2009 को बिहार सरकार ने एक समझौता करके लोकसभा चुनाव में वोट देने की अपील की, लेकिन उसके बाद सरकार फिर शिथिल पड़ गई. समस्या जस की तस बनी रही। बिहार में अगर यह स्थिति है तो उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान,महाराष्ट्र,ओड़ीशा, छत्तीसगढ़, झारखंड,मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र,​​ त्रिपुरा, मणिपुर, मेगालय,असम व अन्यत्र बंगाली अछूत शरणार्थियों की जिनसे न बंगाली भद्रलोक सत्तावर्ग और न देश के दूसरे दलितों का कोई लेना देना है,की स्थिति बदतर है।

गौरतलब है कि गुवाहाटी में बंगाली शरणार्थियों का पहला खुला सम्मेलन पिछले दिनों संपन्न हो गया। खास बात यह है कि इस सम्मेलन में सत्तादल के ​​कांग्रेसी मंत्री भी शामिल हुए।इन मंत्रियों ने हिंदू बंगाली शरणार्थियों की नागरिकता का मसला हल करने का वादा किया। नये नागरिकता कानून में हिंदुओं के लिए कोई अलग रियायत नहीं है। इसके अलावा इस कानून से शरणार्थियों के अलावा देश के अंदर विस्थापित दस्तावेज न रख पाने वालों,​​ आदिवासियों,मुसलमानों, बस्ती वासियों और बंजारा खानाबदोश समूहों के लिए भी नागरिकता का संकट पैदा हो गया है। यह सिर्फ हिंदुओं या बंगाली रणार्थियों की समस्या तो कतई नहीं है, खासकर नागरिकता के लिए बायोमैट्रिक पहचान के लिए अनिवार्य बना दी गयी आधार कार्ड​ योजना के बाद।

कलकत्ता में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मुख्य कार्यालय था और अण्डेमान में ब्रिटिश अधिकार के समय कलकत्ता बन्दरगाह से प्राय: जलयान भेजे जाते थे। सन् १८५८ ई। और उसके बाद के वर्षों में निर्वासित किए जाने वाले व्यक्ति भी मुख्य रूप से कलकत्ता से ही पोर्टब्लेयर लाए जाते थे। बंगाल के क्रान्तिकारी और अन्य अपराधी प्राय: अण्डेमान में निर्वासित कर दिये जाते थे। परन्तु बंगालियों की संख्या पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित शरणार्थियों को बसाने के कारण धीरे-धीरे बढ़ती गई। सन् १९४९ ई। में पहली बार २०२ बंगाली परिवारों को पोर्टब्लेयर से आठ दस मील के घेरे में बसाया गया। १९५० ई। में ११९ बंगाली परिवार और सन् १९५१ में ७८ बंगाली परिवार बसाए गए। बाद में हर साल नए परिवार आते गए और दूर-दूर के इलाकों में फैलते गए। दक्षिण अण्डेमान के दूरवर्ती प्रदेशों के बाद उनको लांग आइलैण्ड, लिटिल अण्डेमान, ओरलकच्चा, मध्य अण्डेमान और उत्तरी अण्डेमान में बसाया गया। इन बंगाली शरणार्थियों को द्वतीय पंचवर्षीय योजना के अन्त तक दक्षिणी अण्डेमान में (५६५ परिवार), मध्य अण्डेमान में (९३१ परिवार) और उत्तरी अण्डेमान में (११४८ परिवार) बसाया गया। ३३९ शरणार्थी परिवार मध्य अण्डेमान के बेटापुर क्षेत्र में बसाये गए। इन पूर्वी पाकिस्तान से आये हुए बंगालियों के लिये २,०५० एकड़ भूमि साफ की गई। इसी तरह के १०० बंगाली परिवारों को नील द्वीप में १,१९० एकड़ भूमि पर बसाया गया। इस तरह से ग्रेट अण्डेमान के तीनों क्षेत्रों अर्थात् उत्तरी अण्डेमान, मध्य अण्डेमान और दक्षिणी अण्डेमान में पूर्वी पाकिस्तान से आये हुए २,८८७ बंगाली परिवार बसा दिये गये। इन बंगाली शरणार्थियों के अलावा केरल के १५७ परिवार तमिलनाडु के ४३ परिवार, बिहार के १८४ परिवार, माही से आये ४ परिवार और बर्मा से आये ५ परिवारों को ग्रेट अण्डेमान में बसाया गया था।लिटिल अण्डेमान में भी पूर्वी पाकिस्तान से आये बंगाली शरणार्थियों और श्रीलंका से आये तमिल शरणार्थियों के लगभग २००० परिवारों को बसाने की योजना तैयार की गई थी। रामकृष्णापुरम आदि की बंगाली बस्तियों की तुलना में अब ओंगी जन-जाति अपने ही द्वीप लिटिन अण्डेमान में एक नगण्य समुदाय में संकुचित हो गई है। इसी तरह हैव लाक द्वीप में बंगाली शरणार्थियों को बसाया गया।आज बंगाली समुदाय के सदस्यों का इन द्वीपों में सबसे बड़ा समूह बन गया है। बंगाल की संस्कृति और सभ्यता अण्डेमान में मुखरित हो उठी है। दुर्गापूजा, "यात्रा", "तर्जा", "कवि गान", "बाउल", और `कीर्तन' के स्वर गूंजते सुनाई देते हैं। इन बस्तियों में दुर्गापूजा, सरस्वती पूजा, लक्ष्मी पूजा, मनसा पूजा, दोलोत्सव और झूलन जैसे उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं।

देसभर में बांगाली शरणार्थियों की क्या हालत है, उसके लिए एक उदाहरण काफी है। पिछले दिनों माना-कैंप में रह रहे शरणार्थी बांग्लादेशी नागरिकों के घरों की दीवालों में भड़काऊ नारा लिखने के चलते हंगामा खड़ा किया गया। गुस्साएं शरणार्थियों ने माना बस स्टैण्ड में नारे के विरोध में जमकर हंगामा किया और थाना घेरने की कोशिश की। मगर सुरक्षा बलों के मजबूत के घेरे के चलते शरणार्थी बस स्टैण्ड में प्रदर्शन कर लौट गए। बाद में माना नगर पंचायत उपाध्यक्ष श्यामा प्रसाद चक्रवर्ती की शिकायत पर पुलिस संपत्ति विरूपण अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध दर्ज कर जांच कर रही है।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माना कैम्प में रह रहे शरणार्थी बांग्लादेशी नागरिकों की घरों की दीवाल में अवैध बांग्लादेशियों को भगाओ के नारे लिखे है। नारे के नीचे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का नाम अंकित है। इससे माहौल तनावपूर्ण हो गया था। जहां काफी संख्या में बंगाली समुदाय के नागरिक बस स्टैण्ड चौक में जमा होकर हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांतीय संयोजक सुधांशू ने नारे के लिखने में किसी तरह से हाथ होने से इंकार किया है। उनका कहना है कि नारे से उनका कोई संबंध नहीं है। इधर बस स्टैण्ड चौक में बंगाली समुदाय के लोगों के आक्रोश के चलते फोर्स को बुला लिया गया था। जहां दो घंटै से अधिक प्रदर्शन के बाद गुस्साएं नागरिक सुरक्षा अधिकारियों के आश्वासन पर शांतु हुए। बताया गया है कि प्रदर्शन के दौरान क्षेत्र के विधायक नंदे साहू भी वहां पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाईश दी। जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जारी एक विज्ञप्ति के माध्यम से नारे की आलोचना की है। साथ में असामाजिक तत्वों की शरारत करार दिया है। संगठन ने माना सीएसपी, जीएस बामरा, अति पुलिस अधीक्षक शहर डॉ. लाल उमेंद सिंह को एक ज्ञापन सौंपकर उपरोक्त हरकत के लिए जिम्मेदार शरारती तत्वों की तलाश कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। संगठन में प्रांतीय सह मंत्री राकेश मिश्रा ने कहा कि संगठन उपरोक्त घटना की निंदा करता है।


सनी बताती हैं कि भारत आकर वह बेहद खुश हैं और अपनी इस फिल्म को लेकर रोमांचित भी हैं। वह कहती हैं कि 'जिस्म' फिल्म में मैंने बिपाशा का काम देखा था। उनकी परफॉरमेंस से मैं इतनी प्रभावित हूं कि इसके सीक्वेल में मैं अपनी तरफ से कोई कमी नहीं रहने दूंगी।  इस फिल्म में लियोन के साथ रणदीप हुड्डा व अरुणोदय सिंह भी नजर आएंगे।गौरतलब है कि सनी लियोन 'बिग बॉस सीजन 5' में नजर आई थीं जहां अपने बेबाक अंदाज से उन्होंने काफी लोकप्रियता बटोरी।

हालांकि सनी ने अभी ये स्पष्ट नहीं किया है कि वो एडल्ट फिल्मों को छोड़कर भारत में ही बस जाएंगी या नहीं।ट्वीटर पर अपने फैंस से रुबरु रहने वाली सनी ने हाल ही में लाल साड़ी में एक हॉट फोटोशूट कराया है जिसमें उनका सुपरहॉट अंदाज देख उनके फैंस के साथ ही बॉलीवुड में खलबली मच गई।

सनी लियोन के बारे में कहा जाता है कि वह अपने पेशे को लेकर बेहद ईमानदार है और इस मसले पर काफी बेबाक राय रखती है। हाल ही में एक अखबार के साथ बातचीत में कनाडाई पॉर्न स्टार ने यह माना है कि बॉलीवुड में उनकी एंट्री सिर्फ और सिर्फ पॉर्न फिल्मों की वजह से ही हुई है।सनी लियोन ने अखबार के साथ बातचीत में कहा कि पॉर्न फिल्मों में काम करना उनका पहला पेशा है जिसे वह नहीं छोड़ सकती। उनका कहना है कि यह ज्यादा बेहतर है कि मैं पॉर्न फिल्में और बॉलीवुड में काम साथ-साथ ही करूं।लियोन ने कहा कि अगर मैं बॉलीवुड फिल्मों में काम नहीं करूंगी तो जाहिर सी बात है कि मैं एडल्ट फिल्मों में ही काम करूंगी. सनी के मुताबिक यूं तो मैं साल में सिर्फ एक ही एडल्ट फिल्म करती हूं लेकिन यह बात भी सच है कि इस पॉर्न फिल्म उद्योग में सबसे रूढिवादी लड़की हूं। हालांकि सनी ने यह भी साफ किया कि उनका फिलहाल किसी भी एडल्ट फिल्मों में काम करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।

कुछ दिनों की बात है, जब सनी लियोन ने भारतीय टेलीविजन शो मे आकर चारो तरफ सनसनी फैला दी थी। इस विषय को लॆकर काफी बवाल भी हुआ!उसके बाद ज्यादा वक्त नहीं बीता कि सनी को भारतीय नागरिकता मिल गयी और बालीवूड का चर्चित चेहरा बनकर ग्लोबल​ ​ कारपोरेट संसकृति का आइकन बन गयी वे। लेकिन विडंबना यह है कि बड़ी आसानी से सनी को तमाम विवादों के बावजूद सहजता से नागरिकता मिल गयी, पर जन्मजात भारतीय आदिवासी, शरणार्थी और बस्तीवासियों से इसके विपरीत नागरिकता छीनी जा रही है और उन्हें देश निकाला की सजा दी जा रही है। से पोर्न फिल्मों की इंडो कनेडियाई अभिनेत्री सनी लियोन की चर्चा बॉलीवुड में छायी हुई है।​जब से सनी को बिग बॉस के लिए बुलाया गया है तभी से पूरा मीडिया उनके आगे पीछे घूम रहा है। भारत आते ही सनी ने मीडिया को बयान देना शुरू कर दिए और कहा कि वे बॉलीवुड फिल्मों में काम करने की इच्छुक हैं। उनका यह बयान सुनते ही महेश भट्ट ने तुरन्त उन्हें अपने बैनर विशेष फिल्म्स की शृंखला "मर्डर" के तीसरे संस्करण के लिए अपने बेटे राहुल भट्ट के साथ लांच करने की घोषणा कर दी। गौरतलब है कि राहुल भट्ट बिग बॉस के चौथे संस्करण में काम कर चुके हैं और सनी लियोन बिग बॉस-5 में।लियोन के भारत आते ही उनको अपनी फिल्म में लेने की घोषणा करते हुए महेश भट्ट ने सफलता को अपने साथ जोड लिया है। पहले महेश भट्ट की योजना अपने पसंदीदा नायक इमरान हाशमी के साथ लियोन को लेकर एक "ब्ल्यू फिल्म" शीर्षक से फिल्म बनाने की योजना थी, लेकिन उस फिल्म की पटकथा तैयार होने में अभी समय था।इसलिए "ब्ल्यू फिल्म" को नजरअंदाज करते हुए उन्होंने लियोन को अपने बैनर के लिए ब्रांड बन चुके "मर्डर" के तीसरे संस्करण को बनाने की घोषणा की। इस फिल्म की पटकथा पर महेश "मर्डर-2" के समय से ही काम कर रहे थे।

सनी लियॉन को साइन करने के बाद जिस्म 2 को लगातार चर्चा में बनाए रखने की कोशिश महेश भट्ट और उनकी बेटी पूजा भट्ट कर रहे हैं। हाल ही में इस फिल्म का फर्स्ट लुक जारी किया गया है, जिसमें एक लड़की को उत्तेजक तरीके से दिखाया गया है। यह सनी लियॉन नहीं है। इस लड़की का नाम नहीं बताया जा रहा है।जिस्म 2 के ओपनिंग शॉट के लिए सनी लियॉन न्यूड नजर आ सकती हैं। सनी को इस तरह के सीन पर किसी भी किस्म की आपत्ति नहीं है। इस बात को भट्ट पूरी तरह भुनाना चाहते हैं। फिलहाल सनी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजार कर उन्हें रोल के लिए तैयार किया जा रहा है। यह फिल्म 2003 में बनी 'जिस्म' का सिक्वेल है जिसमें जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु ने काम किया था। 12 दिसंबर 2012 को जिस्म 2 रिलीज होगी।

पॉर्न स्टार सनी ने छोटे परदे पर रियलिटी शो 'बिग बॉस 5' के जरिए धूम तो मचाई ही, लेकिन कंडोम के बारे में अपने 'ज्ञान' को लेकर भी वह खासी लोकप्रिय है। हालांकि, अब लॉस एंजिल्स परिषद ने सभी पॉर्न स्‍टारों के लिए शूटिंग के दौरान कंडोम के इस्‍तेमाल को अनिवार्य बना दिया है। इसलिए अब सनी लियोन को भी इस नए नियम का पालन करना होगा। फिल्म एलए, जो लॉस एंजिल्‍स में शूटिंग के लिए परमिट जारी करती है, ने कहा कि सालाना 45,500 परमिटों में पांच फीसदी परमिट अश्लील (पॉर्न) शूटिंग के लिए दिया जाता है। शहर परिषद के इन उपायों का मतलब यह है कि अमेरिका के इस दूसरे सबसे बड़े शहर में फिल्‍म की शूटिंग की परमिट हासिल करने के लिए पॉर्न फिल्‍मों के प्रोड्यूसरों को सेट पर कंडोम की उपलब्ध सुनिश्चित करनी होती है।

लॉस एंजिल्‍स परिषद के इस कदम का मकसद यह है कि वयस्क फिल्म उद्योग तक घातक एचआईवी/एड्स रोग की पहुंच न हो सके। क्‍योंकि कई मामलों में लापरवाही के कारण ये घातक रोग सामने आ चुके हैँ।

पॉर्न स्टार सनी लियोन का न्यूड होना कोई नई बात नहीं। खास बात यह है कि इस बार वह एक मैगजीन के लिए न्यूड हुई है। एफएचएम नाम की इस मैगजीन में सनी लियोन ने बड़े ही उत्तेजक तेवर दिखाए है। उनका फोटो इस मैगजीन के कवर पेज पर देखा जा सकता है।

इस तस्वीर में सनी लियोन ने हरे रंग की साड़ी पहनी है। ऐसा पहली बार है जब कनाडाई पॉर्न स्टार सनी लियोन किसी मैगजीन के लिए टॉपलेस हुई है।

सनी लियोन इन दिनों फिल्म जिस्म-2 में काम कर रही है। साथ ही वह रागिनी एमएमस के सीक्वल में भी दिखेंगी। साथ ही पेटा के कंपेन से संबंधित एड शूट में भी सनी लियोन अब दिखने लगी है। हाल ही में पेटा के एक कंपेन में वह नजर आई थी जिसमें कुत्तों से प्यार करने का पैगाम उनके टी शर्ट पर लिखा हुआ था।

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