THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, January 20, 2014

दीदी की मार,दुनिया बाहर और विपक्ष की हार যোগেন, কেডিকে টিকিট দিল তৃণমূল এ বার সাংসদ মিঠুন, সৌজন্যে মমতা

दीदी की मार,दुनिया बाहर और विपक्ष की हार

যোগেন, কেডিকে টিকিট দিল তৃণমূল

এ বার সাংসদ মিঠুন, সৌজন্যে মমতা

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

ममता बनर्जी का राजनीतिक कायाकल्प हो गया है। उन्हें अब उत्तेजित करके कोई चने की झाड़ पर चढ़ा नहीं सकता।बात बात पर इस्तीफा देने की धमकी भी नहीं देतीं दीदी इन दिनों।राज्यसभा चुनावों में कुणाल घोष अभिज्ञता के बाद फिर किसी पत्रकार को टिकट न देने के बावजूद अबकी दफा फिर कलम पत्रिका के संपादक अखबार कलम के संपादक अहमान हसन इमरान को उन्होंने प्रत्याशी बना दिया। चार जो उम्मीदवार उन्होंने मैदान में उतारे हैं,उनमें तीन अराजनीतिक हैं।एकमात्र झारखंड के विवादित केडी सिंह राजनीतिक चेहरा है।


नवान्न में बंगाल के दादा क्रिकेट आइकन सौरभ गांगुली के साथ निर्मायक बात हो हो जाने के बाद उन्हें तृणमूली झंडे में लिपट देने का मिशन पेल हो जाने के बाद दादा की ही तरह वाम पक्ष के अति प्रिय फिल्म स्टार मिथुन चक्रवर्ती को पहला उम्मीदवार बनाकर दीदी ने सबसे बड़ा तुरुप का पत्ता फेंका है,विपक्ष के पास उसका कोई जवाब ही नहीं है।दूसरा उम्मीदवार का चेहरा भी बेहद प्रसिद्ध है,वे हैं मशहूर चित्रकार जोगेन चौधरी।केडी तीसरे उम्मीदवार हैं। तो चौते उम्मीदवार पत्रकार अहमद हसन। एक सीट पर वाम प्रत्याशी की जीत तय है।कुल पांच सीटों के लिए चुनाव हो रहा है।पांचवे सीट के लिए दीदी क्या रणनीति अपनाती हैं,अब यह देखना है।पांचवीं सीट के लिए कांग्रेस और वाम दलों की अपनी अपनी रणनीति है।


राज्यसभा चुनाव की पिछली किश्त में दीदी ने हिंदी, बांग्ला और उर्दू पत्रकारों को एक मुश्त राज्यसभा में पहुंचाया था। राज्यसभा की क्या कहें,लोकसभा चुनावों में राजनीतिक के बजाय अराजनीतिक चेहरे को ही ज्यादा तवज्जो देती रही हैं।हालिया हावड़ा संसदीय चुनाव में मशहूर फुटबालर प्रसून बंद्योपाध्याय को मैदान में उतारकर उन्होंने विपक्ष को चारो खाने चित्त कर दिया।मशहूर गायक कबीर सुमन के बागी बन जाने के बावजूद दीदी को अराजनीति में ज्यादा सुरक्षित दांव नजर आता है।एकमुस्त राजनीतिक विवादों से निजात पाने के अलावा राजनैतिक चुनौती शून्य रहती है। मसलन कबीर सुमन और कुमाल घोष के बागी बन जाने से दीदी को राजनीतिक नकसान नहीं के बराबर हैं,वहीं डायमंड हारबर के सांसद राजनीति के पक्के खिलाड़ी सोमेन मित्र के कांग्रेस में वापसी उनके लिए सरदर्द का सबब बन गया है।


तृणमूल के पार्टीबद्ध टिकटार्थी राजनेता दीदी के इस रवैये से खासे परेशान हैं।दीदी ने लोकसभा,राज्यसभा और विधानसभा में टालीवूड बालीवूड एकाकार कर दिया है। दिवंगत महानायिका सुचित्रा सेन ने जिसतरह दीदी को बुलाकर पैंतीस साला अंतराल हटाकर उनसे कई कई दफा यहां तक कि दो दो घंटे तक बातचीत की है,उससे पूरा फिल्मउद्योग अब दीदी के कब्जे में हैं।तृणमूली राजनेताओं को चिंता इस बात बात की है कि उनकी सीट पर मुनमुन सेन से लेकर किसी को भी खड़ा कर सकती हैं दीदी।दीदी के लिए अब कोई अपरिहार्य नहीं है।बंगाल में राजनीति अब सिनेमा की तरह हो रही है,हूबहू।ग्लेमर कोशेंट के वर्चस्व के सामने राजनीति असहाय है और विपक्ष भी।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को घोषणा की है कि पार्टी अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को राज्यसभा के लिए नामित करेगी। पश्चिम बंगाल में आगामी राज्यसभा चुनाव में मिथुन तृणमूल कांग्रेस के पहले उम्मीदवार होंगे।


तृणमूल कांग्रेस ने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को राज्यसभा के लिए नामित करने के बाद रविवार को तीन अन्य लोगों को राज्यसभा के लिए नामित किया। इनमें प्रसिद्ध चित्रकार जोगेन चौधरी भी शामिल हैं।


ममता बनर्जी ने फेसबुक पर पोस्ट किया है कि हमारे राज्य से इस बार राज्यसभा के पांच सदस्यों का चुनाव किया जाना है। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी द्वारा इनमें से एक स्थान मिथुन चक्रवर्ती को दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मिथुन फिल्म जगत की जानी-मानी हस्ती हैं और उन्होंने सफलता के साथ सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया है।


ममता ने कहा कि 'हमें उनके नामांकन पर गर्व है। वह पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे देश के सम्मानित व्यक्तित्व हैं।' पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के पांच स्थान अप्रैल महीने में खाली हो रहे हैं। इसके लिए 7 फरवरी को चुनाव होंगे।


पार्टी महासचिव मुकुल रॉय ने यहां मीडियाकर्मियों से कहा, "मतों की अपनी संख्या के अनुसार तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में राज्यसभा की पांच सीटों में से चार सीटें आसानी से जीत सकती है। इसके अनुसार चक्रवर्ती के अलावा हमने सर्वसम्मति से तीन और सदस्यों को नामित करने का निर्णय लिया।"


इन तीनों में शामिल हैं- चौधरी, दैनिक कलम के संपादक अहमद हसन, और झारखंड से पार्टी के राज्यसभा सदस्य के.डी. सिंह।


रॉय ने कहा, "सिंह की राज्यसभा सदस्यता का कार्यकाल डेढ़ वर्ष बाकी है, लेकिन हम चाहते हैं कि वह पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व करें, क्योंकि वह लंबे समय से राज्य के लिए काम कर रहे हैं।"


सिंह झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे, लेकिन बाद में वह तृणमूल में शामिल हो गए।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को मिथुन चक्रवर्ती के नामांकन की घोषणा की थी।


उल्लेखनीय है कि 16 राज्यों में राज्यसभा की 55 सीटों के लिए सात फरवरी को चुनाव होना है। इसके लिए अधिसूचना 21 जनवरी को प्रकाशित होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 28 जनवरी है। मौजूदा 55 सदस्यों का कार्यकाल दो अप्रैल को समाप्त हो रहा है।


যোগেন, কেডিকে টিকিট দিল তৃণমূল

এই সময়: রাজ্যসভা নির্বাচনে দলের আরও চার প্রার্থীর নাম ঘোষণা করল তৃণমূল৷ শনিবার মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় ফেসবুকে মিঠুন চক্রবর্তীর নাম ঘোষণা করার পর রবিবার অন্য দুই নিশ্চিত আসনে চিত্রশিল্পী যোগেন চৌধুরী এবং কে ডি সিংকে মনোনীত করার সিদ্ধান্ত ঘোষণা করে দলের নির্বাচন কমিটি৷ দলের চতুর্থ প্রার্থী হিসেবে কলম পত্রিকার সম্পাদক আহমেদ হাসানকে (ইমরান) মনোনীত করেছে তৃণমূল৷ পাঁচটি আসনের একটিতে বামেদের জয় সুনিশ্চিত৷ সিপিএম জানিয়ে দিয়েছে তৃণমূলের চতুর্থ প্রার্থীকে সমর্থনের কোনও প্রশ্নই উঠছে না৷ পঞ্চম আসনে কংগ্রেসের কৌশল কী হতে চলেছে তা নিয়ে অবশ্য ধোঁয়াশা জিইয়ে রেখেছেন প্রদেশ কংগ্রেস নেতৃত্ব৷


আলিমুদ্দিন সূত্রের খবর, ২৩ তারিখ বামফ্রন্টের বৈঠকের পর বাম প্রার্থীর নাম ঘোষণা করা হতে পারে৷ অন্যদিকে ২৪ কিংবা ২৫ তারিখ দলীয় প্রার্থীর নাম ঘোষণা করবে কংগ্রেস হাইকম্যান্ড৷ তৃণমূলের সম্পূর্ণ প্রার্থী তালিকা দেখে সিপিএম কেন্দ্রীয় কমিটির সদস্য মহম্মদ সেলিমের প্রতিক্রিয়া, 'ওদের দল, ওরা প্রার্থী ঘোষণা করেছে৷ আমাদের কিছু বলার নেই৷' তৃণমূলের চতুর্থ প্রার্থীকে বামেরা সমর্থন করবে কিনা জানতে চাইলে সেলিম স্পষ্ট বলেন, 'উনি তৃণমূলের প্রার্থী৷ সমর্থনের প্রশ্ন আসছে কোত্থেকে?'


পাটিগণিতের হিসাব অবশ্য বলছে, বামেদের সাহায্য না-নিয়ে কংগ্রেসের পক্ষে এ বার আর রাজ্যসভায় কাউকে নির্বাচিত করে পাঠানো সম্ভব নয়৷ অথচ চতুর্থ আসনে তৃণমূলকে সমর্থন করলে তা দলের 'পরাজয়' বলেই মনে করছেন প্রদেশ কংগ্রেস সভাপতি প্রদীপ ভট্টাচার্য৷ লড়াই থেকে সরে দাঁড়িয়ে কংগ্রেস শেষ পর্যন্ত তৃণমূলের প্রার্থীকে সমর্থন করবে কি না জানতে চাইলে প্রদীপবাবু বলেন, 'তা হলে তো কংগ্রেসের হার হবে৷' এর পরেই তাঁর সংযোজন, 'এ নিয়ে আমাদের এখনও কোনও আলোচনা হয়নি৷ তৃণমূলের প্রার্থীকে সমর্থন করব কি করব না সে সম্পর্কে এখনই কোনও মন্তব্য করছি না৷'


তবে দলের চতুর্থ প্রার্থীর জয়ের ব্যাপারেও আশাবাদী তৃণমূল নেতৃত্ব৷ কারণ তৃণমূলের চতুর্থ প্রার্থীকে ঠেকাতে গেলে বাম-কংগ্রেসের সমঝোতা ছাড়া তা সম্ভব নয়৷ সংখ্যালঘু সম্প্রদায়ের এই চতুর্থ প্রার্থীকে ঠেকাতে সিপিএম এবং কংগ্রেস যদি হাত মেলায় তা হলেও রাজনৈতিক ভাবে তৃণমূলেরই লাভ৷ সেক্ষেত্রে লোকসভা ভোটের আগে তৃণমূল ফের কংগ্রেস-সিপিএম আঁতাতের প্রচার জোরদার করবে৷ তা ছাড়া অন্য আর একটি বিষয়ে দু'দলেই ভাঙন ধরার সম্ভাবনা উড়িয়ে দেওয়া যাচ্ছে না এখনই৷ নরেন্দ্র মোদীকে ঠেকাতে যখন সর্বভারতীয় কংগ্রেস উঠেপড়ে লেগেছে ঠিক সেই সময় পশ্চিমবঙ্গে কংগ্রেস যদি তৃণমূলের সংখ্যালঘু প্রার্থীর বিরোধিতা করে তা হলে লোকসভার প্রচারে মমতা এই ফায়দা তুলবেনই৷


রবিবার দুপুরে তৃণমূল ভবনে বৈঠক করেন দলের নির্বাচন কমিটির সদস্যরা৷ সুব্রত বক্সী, পার্থ চট্টোপাধ্যায়, সৌগত রায়, রত্না দে নাগদের সঙ্গে নিয়েই দলের সর্বভারতীয় সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায় ঘোষণা করেন রাজ্যসভার তিন প্রার্থীর নাম৷ যোগেন চৌধুরীকে নিশ্চিত আসনে মনোনীত করতে পেরে দল তৃপ্ত বলে জানান তিনি৷ প্রতিক্রিয়ায় যোগেনবাবুও সংবামমাধ্যমকে বলেন, 'আমার আঁকার কাজও চলবে৷ রাজ্যসভাতেও সময় দেব৷' ঝাড়খণ্ড থেকে নির্বাচিত রাজ্যসভা সাংসদ করণদীপ সিং অচিরেই পদত্যাগ করে বাংলা থেকে ফের রাজ্যসভায় যাবেন৷ ওই বৈঠকেই মুকুলবাবু স্পষ্ট করে দেন, 'কলম পত্রিকার সম্পাদক আহমেদ হাসান ইমরান দলের চতুর্থ প্রার্থী'৷ কৃতজ্ঞ ইমরানের প্রতিক্রিয়া, 'আমি মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের কাছে ঋণী এবং কৃতজ্ঞ৷ প্রথমত আমি একজন সাংবাদিক এবং সংখ্যালঘু শ্রেণির প্রতিনিধি৷ জলপাইগুড়ির চা বাগানে জন্মেছি, বড় হয়েছি৷ সে দিক থেকে দেখলে আমি উত্তরবঙ্গেরও প্রতিনিধি৷' প্রার্থী ঘোষণার পর কথা প্রসঙ্গেই মুকুলবাবু বলেন, 'প্রার্থী মনোনয়নে আমাদের কম্বিনেশনটা খুব ভাল হয়েছে৷ সব স্তর থেকেই প্রতিনিধিত্ব থাকছে৷'


কিন্ত্ত মেয়াদ ফুরোনোর দেড় বছর আগে কে ডি সিংকে পদত্যাগ করিয়ে ঝাড়খণ্ড থেকে বাংলায় নিয়ে আসার প্রয়োজন কী? মুকুলবাবুর কথায়, 'বাংলার সঙ্গে কে ডি সিংয়ের যোগ অনেক দিনের৷ আর এখান থেকে রাজ্যসভায় যাওয়ার সুযোগ যখন আছেই তা হলে আর অযথা ঝাড়খণ্ডের একটা আসন আটকে রাখার দরকার কী৷ ওই রাজ্যের কেউ পাক৷' মুকুলবাবু এই ব্যাখ্যা দিলেও এর পিছনে রয়েছে অন্য কারণ৷ কে ডি সিংকে আরও এক দফা রাজ্যসভায় পাঠাতে চায় দল৷ কিন্ত্ত কে ডির ছ'বছরের মেয়াদ ফুরনোর পর তাঁকে ঝাড়খণ্ড থেকে রাজ্যসভায় পাঠানো তৃণমূলের পক্ষে সম্ভব নয়৷ কারণ ঝাড়খণ্ডে তৃণমূলের সেই শক্তি নেই৷ তিনি ঝাড়খণ্ড মুক্তি মোর্চার টিকিটে রাজ্যসভায় গিয়ে পরে তৃণমূলে যোগ দিয়েছিলেন৷


কে ডিকে বাংলায় নিয়ে আসার আরও একটা কারণ আছে৷ দলত্যাগ করার জেরে কে ডি সিংয়ের ঝাড়খণ্ডে প্রবেশ অলিখিত ভাবে নিষিদ্ধ করে দেয় সে রাজ্যে ঝাড়খন্ড মুক্তি মোর্চা সরকার৷ দু'দুবার রাঁচি বিমানবন্দর থেকে ফিরতে বাধ্য হওয়া কে ডি সম্প্রতি মুকুল রায়ের সফরসঙ্গী হিসেবে ঝাড়খণ্ডে ঢুকতে পারেন দু'বছর পর৷ কে ডির টোল খাওয়া ভাবমূর্তির জন্য ঝাড়খণ্ডে তৃণমূলের ভালো বই মন্দই বেশি হতে পারত৷ তাই তাঁকে এ রাজ্যে নিয়ে এসে এক ঢিলে দুই পাখি মারতে চাইছে তৃণমূল৷ প্রথমত ঝাড়খণ্ডে দলের ভাবমূর্তি উজ্জ্বল করা৷ দ্বিতীয়ত রাজ্যসভায় কে ডির দ্বিতীয় দফার প্রবেশ এখন থেকেই সুনিশ্চিত করা৷ নাম ঘোষণার প্রস্ত্ততিস্বরূপ সোমবারই কে ডিকে ঝাড়খণ্ডের 'প্রহরীর' দায়িত্ব থেকে অব্যাহতি দিয়ে সংখ্যালঘু নেতা পারভেজ কুরেশিকে দায়িত্ব দেন মুকুলবাবু৷ ঝাড়খণ্ডে কে ডির অনুগামীদেরও সাংগঠনিক গুরুদায়িত্ব থেকে সরিয়ে দেওয়া হয়েছে৷


আরও চমক তৃণমূলের

মমতার প্রার্থী কে ডি সিংহ, যোগেনও

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

রাজ্যসভার প্রার্থী তালিকায় তৃণমূলের চমক অব্যাহত! অভিনেতা মিঠুন চক্রবর্তীর পরে এ বার তৃণমূলের তরফে রাজ্যসভার প্রার্থী হচ্ছেন চিত্রকর যোগেন চৌধুরী। পাশাপাশিই, রাজ্যসভার সাংসদ-পদের মেয়াদ ফুরোনোর আগেই ঝাড়খণ্ড থেকে পশ্চিমবঙ্গে এসে ফের প্রার্থী হচ্ছেন কাঁওয়ার দীপ (কে ডি) সিংহ!

চলচ্চিত্র ব্যক্তিত্ব মিঠুনকে রাজ্যসভায় প্রার্থী করার কথা শনিবারই ফেসবুকে ঘোষণা করেছিলেন তৃণমূল নেত্রী তথা মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। তার ২৪ ঘণ্টার মধ্যেই রবিবার তৃণমূল ভবনে দলের আরও তিন প্রার্থীর নাম জানিয়ে দিয়েছেন তৃণমূলের সর্বভারতীয় সাধারণ সম্পাদক মুকুল রায়। যোগেন, কে ডি ছাড়া তৃণমূলের আর এক প্রার্থী কলকাতার একটি দৈনিক সংবাদপত্রের সম্পাদক আহমেদ হাসান ওরফে ইমরান। পশ্চিমবঙ্গ থেকে এ বার রাজ্যসভায় যে পাঁচটি আসন খালি হচ্ছে, তার মধ্যে বিধানসভায় নিজেদের শক্তির নিরিখে তৃণমূল তিনটি আসন জিততে পারবে। প্রধান বিরোধী পক্ষ বামফ্রন্ট পাবে একটি আসন।


* *

যোগেন চৌধুরী

কে ডি সিংহ


পঞ্চম আসনটি জেতার মতো একক শক্তি কারওই নেই। ওই আসনটিতেই ইমরানকে প্রার্থী করছে তৃণমূল। কংগ্রেসও শেষ পর্যন্ত প্রার্থী দিলে ওই একটি আসনেই ভোট হবে। তৃণমূলের তালিকা অনুযায়ী প্রথম তিন জন মিঠুন, যোগেন ও কে ডি-র রাজ্যসভায় যাওয়া এখন সময়ের অপেক্ষা।

এর মধ্যে তৃণমূলের এ বারের তালিকায় এক মাত্র 'রাজনৈতিক' মুখ কে ডি। অন্য দলের হয়ে ঝাড়খণ্ড থেকে রাজ্যসভায় গিয়ে তিনি পরে তৃণমূলে যোগ দিয়েছিলেন। রাজ্যসভার সাংসদ হিসেবে তাঁর এখনও দেড় বছর বাকি আছে। পরের বার অবশ্য তৃণমূল প্রার্থী হিসেবে তাঁর ঝাড়খণ্ড থেকে জিতে আসার সম্ভাবনা ক্ষীণ। এই অবস্থায় তৃণমূল মেয়াদ ফুরোনোর আগেই তাঁকে এ রাজ্য থেকে প্রার্থী করতে চলেছে। মুকুলবাবুর ব্যাখ্যা, "কে ডি বাংলার জন্য অনেক কাজ করেন। তাই তাঁকে বাংলা থেকেই রাজ্যসভায় পাঠাতে চাই। তিনি ঝাড়খণ্ডের সাংসদ পদে ইস্তফা দিয়ে বাংলা থেকে প্রার্থী হবেন। তাঁর জায়গায় ঝাড়খণ্ডেরই কেউ রাজ্যসভায় যেতে পারবেন।"

তৃণমূল সূত্রের খবর, দলের তহবিল সামলানোয় বড় ভূমিকা পালন করেন ব্যবসায়ী কে ডি। লোকসভা ভোটকে সামনে রেখে তৃণমূল যে এখন ভিন্ রাজ্যে সংগঠনের প্রসার ঘটাতে চাইছে, সেখানেও কে ডি-র ওই ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ। দলে তাঁর গুরুত্ব বিচার করেই ঝাড়খণ্ডের মেয়াদ ফুরোনোর আগেই তাঁকে আরও ৬ বছরের জন্য রাজ্যসভায় নিশ্চিত করে দেওয়া হচ্ছে। বেসরকারি অর্থলগ্নি সংস্থাগুলির বিরুদ্ধে সাম্প্রতিক কালে যে সব অভিযোগ উঠেছে, তাতে কে ডি-র নাম জড়িয়ে বিতর্ক হলেও দল তাঁকে আলাদা গুরুত্ব দিচ্ছে। তার জন্য আপাতত একটি আসনের 'ক্ষতি'ও স্বীকার করে নিচ্ছে তৃণমূল। আপাতত কে ডি ঝাড়খণ্ডেই থেকে গেলে এ রাজ্য থেকে অন্য আর এক জনকে রাজ্যসভায় পাঠাতে পারত তৃণমূল।

সরাসরি রাজনীতির পরিসরের বাইরে থেকে রাজ্যসভা নির্বাচনে আগেও প্রার্থী করেছেন মমতা। তাঁর দলের সাংসদ ও বিধায়ক হিসেবে টলিউড তারকাদেরও দেখা গিয়েছে। তবু রাজ্যসভার প্রার্থী তালিকায় এ বার মিঠুনের নাম নিঃসন্দেহে বড় চমক। তার সঙ্গেই যোগ হচ্ছে যোগেনের নাম। রাজ্যসভার সম্ভাব্য প্রার্থী হিসেবে চিকিৎসক, শিক্ষক, অর্থনীতিবিদদের নাম নিয়ে তৃণমূলের অন্দরে চর্চা চলছিল। শেষ পর্যন্ত সব জল্পনা পিছনে ফেলে তৃণমূল নেত্রীর আস্থা জিতে নিয়েছেন যোগেন। পরিবর্তনকামী বিদ্বজ্জনেদের মধ্যে যাঁকে আগেই দেখা গিয়েছে। এ দিন রাজ্যসভার টিকিট পাওয়ার খবরে আপ্লুত এই শিল্পীর মন্তব্য, "মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের উন্নয়ন প্রক্রিয়ায় আমি সামিল হতে চাই।" মমতা এর আগে ক্যুইজ মাস্টার ডেরেক ও'ব্রায়েনকে রাজ্যসভায় পাঠিয়েছেন। একই ভাবে বাংলা, হিন্দি ও উর্দু সংবাদপত্র থেকে তিন জনকে সংসদের উচ্চ কক্ষের টিকিট দিয়েছেন। তাঁদের মধ্যে অন্যতম সাংসদ কুণাল ঘোষ সারদা-কাণ্ডে অভিযুক্ত হয়ে এখন জেলে। কুণাল-পর্বের সময়ে ক্ষুব্ধ তৃণমূল নেত্রীকে এক সময়ে বলতে শোনা গিয়েছিল, সংবাদমাধ্যমের আর কাউকে তিনি প্রার্থী করবেন না। কার্যক্ষেত্রে অবশ্য সংবাদমাধ্যমেরই ইমরান প্রার্থী হলেন। তৃণমূল সূত্রে বলা হচ্ছে, পঞ্চম আসনের জন্য ভোটাভুটি অনিবার্য হয়ে পড়লে সংখ্যালঘু প্রার্থী শাসক দলের পক্ষে সুবিধাজনক হতে পারেন।

এআইসিসি অধিবেশন ফেরত প্রদেশ কংগ্রেস শিবিরেও রাজ্যসভার একটি আসনের জন্য প্রার্থী দেওয়ার তৎপরতা চলছে। কংগ্রেসের একটি সূত্রে বলা হচ্ছে, পঞ্চম আসনে তৃণমূলের প্রার্থী ইমরানকে সমর্থন করা সম্ভব নয়। তার চেয়ে নির্দল কোনও প্রার্থী সামনে আনতে পারলে বামেদের উদ্বৃত্ত ভোট যোগ করে তাঁকে জেতানো সম্ভব। সেই বিচারে ৬ বছর আগের সূত্র মেনে সৈয়দ আহমেদ মালিহাবাদীই 'নিরাপদ বাছাই' হতে পারেন বলে কংগ্রেসের একাংশের অভিমত। বাম-কংগ্রেস মিলিত ভোটেই মালিহাবাদী সাংসদ হন। আব্দুল মান্নান, শুভঙ্কর সরকার, মইনুল হকের মতো একাধিক নাম প্রার্থী-পদে ইচ্ছুক হিসেবে কংগ্রেসের অন্দরে ঘোরাফেরা করছে।

http://www.anandabazar.com/20desh1.html

এ বার সাংসদ মিঠুন, সৌজন্যে মমতা


এ বার সাংসদ মিঠুন, সৌজন্যে মমতা

নিজস্ব সংবাদদাতা • কলকাতা

ড় চমক দিলেন মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

পশ্চিমবঙ্গ থেকে রাজ্যসভার পাঁচটি আসনের মধ্যে একটিতে অভিনেতা মিঠুন চক্রবর্তীকে তৃণমূলের তরফে প্রার্থী করা হচ্ছে বলে শনিবার ফেসবুকে ঘোষণা করেছেন মমতা। তৃণমূল একটি আসনে প্রার্থীর নাম ঘোষণা করলেও বাকি আসনগুলির জন্য কোনও দলই তাদের প্রার্থীর নাম জানায়নি। ওই সব আসনে ভোট হবে ৭ ফেব্রুয়ারি। পরশু, মঙ্গলবার থেকে মনোনয়ন জমা দেওয়া শুরু হবে।

মিঠুনের নাম ঘোষণা করে ফেসবুকে মমতা লিখেছেন, "শ্রীচক্রবর্তী এক জন সুপরিচিত চলচ্চিত্র ব্যক্তিত্ব। সামাজিক এবং সাংস্কৃতিক কর্মকাণ্ডে তিনি নিজের জীবন সফল ভাবে উৎসর্গ করেছেন। তিনি শুধু পশ্চিমবঙ্গের নন, সারা দেশের সম্পদ। তাঁকে প্রার্থী করতে পেরে আমরা গর্বিত।'' প্রয়াত সিপিএম নেতা তথা রাজ্যের প্রাক্তন মন্ত্রী সুভাষ চক্রবর্তীর ঘনিষ্ঠ ছিলেন মিঠুন। প্রয়াত মুখ্যমন্ত্রী জ্যোতি বসুর সঙ্গেও তাঁর সুসম্পর্ক ছিল। ২০০৯ সালে মুর্শিদাবাদের জঙ্গিপুরে কংগ্রেস প্রার্থী প্রণব মুখোপাধ্যায়ের হয়ে প্রচারেও মিঠুনকে দেখা গিয়েছিল। লোকসভা ভোটের আগে সেই মিঠুনকেই রাজ্যসভায় প্রার্থী করে মমতা 'মাস্টার স্ট্রোক' দিয়েছেন বলে মনে করছেন তৃণমূল নেতাদের অনেকেই। তাঁদের ধারণা, মিঠুনকে প্রার্থী করায় জাতীয় স্তরেও তৃণমূলের ব্যাপক প্রচার হবে। লোকসভা ভোটের প্রাক্কালে এই প্রচারটা দরকার ছিল দলের। তৃণমূলের অনেকে বলছেন, বাংলার স্বার্থে মিঠুনের আগাগোড়া সক্রিয় ভূমিকার কথা মাথায় রেখেই মমতা তাঁকে রাজ্যসভায় পাঠানোর কথা ভেবেছেন।

প্রতি বছর এই সময়টা অর্থাৎ ২৬ জানুয়ারির ঠিক আগের এই দিনগুলো মিঠুনের পরিবার ও বন্ধুদের কাছে বেদনার এক অনিবার্য বার্তা বয়ে নিয়ে আসে। কারণ, পদ্মসম্মানের প্রাপকদের নাম প্রজাতন্ত্র দিবসের প্রাক্কালে ঘোষণা করা হয় এবং এ পর্যন্ত কখনওই সেই তালিকায় মিঠুনের নাম ওঠেনি। অথচ বলিউডের অনেকেই মনে করেন, অভিনয় বাদ দিয়ে শুধু সমাজসেবার জন্যই তাঁর পদ্মসম্মান পাওয়া উচিত ছিল। পূর্বতন বামফ্রন্ট সরকারের সঙ্গে মিঠুনের ঘনিষ্ঠ সম্পর্ক থাকলেও তাঁর নাম কখনও পদ্মশ্রীর জন্য প্রস্তাব করা হয়নি। মিঠুন নিজে প্রকাশ্যে না হলেও ঘনিষ্ঠ মহলে অভিমান করে বলতেন, "এ নিয়ে আর ভাবি না।" এ বছর ২৬ জানুয়ারির আট দিন আগে মিঠুন পেয়ে গেলেন অন্য রকম এক সম্মান!

রাজ্যসভায় তৃণমূলের প্রার্থী হওয়ার প্রস্তাব মিঠুনকে আগেও দিয়েছিলেন মমতা। এ দিন মিঠুন বলেন, "সে সময় ৩৬৫ দিনে, ৪১৫ দিন আমায় কাজ করতে হতো। উনি আমাকে ভেবে দেখতে বলেছিলেন। আমিও ওঁকে বলেছিলাম, আপনিও ভেবে দেখুন, আমাকে দিয়ে কাজ হবে কি না!" এ বার রাজ্যসভার ভোটের দিন ঘোষণার পরে তাঁর সঙ্গে মমতা আবার যোগাযোগ করেন। মিঠুন বলেন, "এ বার বলার পর আমি আবার ওঁকে বলেছিলাম, আমি কি পারব ওই দায়িত্ব সামলাতে? উনি বলেছিলেন, 'কেন মিঠুনদা তুমি বারবার না বল? যেখানে লতাজি, রেখাজি, সচিন তেন্ডুলকর রাজ্যসভায় আছেন! এটা তো একটা সম্মানের ব্যাপার!' উনি আমাকে প্রার্থী

হওয়ার জন্য তৈরি থাকতে বলেছিলেন।" সুচিত্রা সেনের অন্ত্যেষ্টিতে যোগ দিতে শুক্রবারই কলকাতায় এসেছিলেন মিঠুন। তখনই মমতা তাঁকে চূড়ান্ত সিদ্ধান্তের কথা জানিয়ে দেন। তার পর আজ ফেসবুকে আনুষ্ঠানিক ঘোষণা।

এ দিন দুপুরে মিঠুনকে তাঁর মেয়ে যখন মোবাইলে খবরটা দেন, তখন তিনি কলকাতা বিমানবন্দরে, মুম্বইয়ের উড়ান ধরার অপেক্ষায়। অভিনেত্রী ও তৃণমূল বিধায়ক দেবশ্রী রায়ের সঙ্গে গল্প করছিলেন। যিনি আবার শিলিগুড়ির বিমান ধরার অপেক্ষায় ছিলেন। আপ্লুত মিঠুন সন্ধ্যায় মুম্বই থেকে ফোনে আনন্দবাজারকে বললেন, "আমার অভিজ্ঞতা হয়তো এই সব ব্যাপারে কম। কিন্তু আমার উদ্দেশ্য তো পরিষ্কার। বাংলার জন্য চিরকাল লড়াই করে এসেছি। এ বার দিল্লিতে রাজ্যের হয়ে বলতে চাই।"

আর যিনি তাঁকে এই সুযোগ করে দিলেন, সেই মমতার সঙ্গে তাঁর সম্পর্ক? মিঠুনের কথায়, "ভাইবোনের মতো।" মিঠুন বলেন, "আমি ভাবতে পারিনি, আমাদের এই সম্পর্ককে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় এত সম্মান দেবেন।" বলার সময়ে আবেগপ্রবণ হয়ে পড়লেন মিঠুন। বললেন, "আমার স্ত্রী বলেছেন, আর যা-ই করো, এই সম্পর্কে কখনও অকৃতজ্ঞ হয়ো না।"

রাজ্য বিধানসভায় শক্তির নিরিখে পাঁচটি আসনের মধ্যে নিজের ক্ষমতায় তৃণমূল তিনটি এবং বামেরা একটি আসনে জিততে পারবে। পঞ্চম আসনে কে জিতবে, তা নিয়ে ইতিমধ্যেই জল্পনা শুরু হয়েছে। বাকি আসনগুলিতে দলীয় প্রার্থী কারা হবেন, তা নিয়ে আজ রবিবার তৃণমূল ভবনে দলের নির্বাচন কমিটির বৈঠক হবে।

সিনেমার পর্দায় প্রথমে এমএলএ, পরে মিনিস্টার হয়েছিলেন 'ফাটাকেষ্ট' মিঠুন। এ বার তিনি চললেন সংসদে।

http://www.anandabazar.com/archive/1140119/19desh1.html


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