THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, April 3, 2015

भुंदरा बौ अब गाळयूं तड़क्वणि ना फूलूं बरखा बरखांदि

   भुंदरा बौ अब गाळयूं तड़क्वणि ना फूलूं बरखा बरखांदि 
    
                         चबोड़्या , चखन्यौर्या , हंसोड्या - भीष्म कुकरेती   

                     इतिहास मा बि रिकॉर्ड हुयुं च बल भुंदरा बौ पैल सीम मुखीम किकी जात्रा करिक गां मा पैथर आंदि छे अर पैल अपण कूड़ौ मुंडळम चढ़िक गाळयूँ औडळ -बीडळ करदि छे कि जैनि मेरि घासक बिठकि सरकाई वींकि गौड़ी तड़म लग जैन।  जैन म्यार खड्डाउंदक  मूळा खत्याइ वैक लौड़ खत्ता उन्द जोग ह्वे जैन।  कवि हरीश जुयालन भुंदरा बौ की गाळयूँ पर इतिहास मा डाक्टरेट हासिल कार।  
                 अब दुसर युवा कवि गीतेश नेगी भुंदरा बौ पर पीएचडी करणा छन अर लिखणा छन बल अब भुंदरा बौ झाड़ा   बैठिक बि आंदि तो बी गाळी नि दीन्दी अपितु हाथ साफ़ करद करद बुलणी रौंदी बल हे भगवान ये गाँव मा खाद -पाणी की कमी नि हो अर फसल दुगण ह्वे जैन। 
ग्रामीण महिलाऊँ मनोविज्ञान का विचारक डा गौनियालन पंदरा साल पैल  कविता छपै छे बल  यदि भुंदरा बौ एक घंटा मा कैकि बांठक नि धरदि छे तो भुंदरा बौ पर भूत बाण लग जांद छा। 
पर अबि कच्चा बौड़ याने सुनील कुमार थपलियालन अपण एमए की थीसिस मा सिद्ध कार कि अजकाल भुंदरा बौ हरेक गाँ वळ इ ना गौंका कुत्ता बिरळु-चखलुं   तै आशीर्वाद दीणी रौंदी अर चखुल आशीर्वाद सूणिक बेहोस ह्वे जांद किलैकि वैन त सरा जिंदगी भर भुंदरा बौक मुखन तेजाबी बरखा ही झड़द देखि छौ। 
गढवळि साहित्यौ नामवर सिंह याने वीरेंद्र पंवार अर गढवळि साहित्यौ अशोक वाजपेई याने संदीप रावत दुयुंन अपण अपण कटुआलोचना की किताब की भूमिका मा ल्याख बि च कि ऊंन जू बि नकारात्मक आलोचना का प्रतीक प्रयोग करिन यि सब ऊंन भुंदरा बौमन सिखेन। 
अर गढवळि का भोला नाथ तिवारी डा अचला नन्द की ताज़ी किताब मा डा जखमोला लिखणा छन कि भुंदरा बौ अब सुंदर सुंदर उत्साहजनक शब्दों से लोगुंक  उत्साह बढ़ादि , माहौल मा सकारत्मक हवा फैलांदी , माहौल मा गरिमा फैलांदी। 
गाळयूँ पुड़िया ,   बदजुवान्यूं थैली , जीव मा अम्ल /तेज़ाब धरण वळि भुंदरा बौमा इन अंतर किलै आई पर रिसर्च करणो मि खुद ग्यों अर भुंदरा बौ से मुखाभेंट कार। 
मि -ये भुंदरा बौ ! यी मि क्या सुणनु छौं ? अब बल तू कमीनी नि रै गे बल अब तू शालीन ह्वे गे ?
भुंदरा बौ -हाँ मीन सदा का वास्ता कमीनी पंथी छोड़  याल अर मि सर्वथा शालीन ह्वे ग्यों। 
मि -अब तो तू अपण जनम जाती दुश्मनो से बि बड़ी तमीज तहजीब से बात करदि ?
भुंदरा बौ -  हाँ अब मि जम्मेबार पद पर छौं तो मि तै हर शब्द मीठा अर सहृदयी शब्द बुलण इ चयेंदन कि ना ?
मि -क्या मतलब ?
भुंदरा बौ -अरे अब मि ग्राम प्रधान ह्वे ग्यों तो पद कि गरिमा , पोजीसन की शान , पद की प्रतिष्ठा का हिसाब से हर समय बुलण चयेंद कि ना ? मीन समज याल कि अब मि तै एक एक शब्द ध्यान से बुलण चयेंद। ग्राम प्रधान तै पद गरिमा , प्रतिष्ठा कु ख्याल पैल रखण पोड़ल कि ना ? उच्चपदेन लोगुं जुम्मेवारी च कि वाणी संयम का पाबंद  रावन। 
मि   - अरे कास ! हैदराबादी ओएसी , उमा भारती , शरद यादव , सलमान खुर्शीद , गिरिराज सिंह , शाही  इमाम , संजय निरुपम , साक्षी महाराज जन उच्चपदेन नेता बि यीं बात तै समझदा कि उच्च पद पर बैठिक जीबि  मा तेज़ाब ना मिठास धरण चयेंद।                    

3 /4/15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 

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