THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Saturday, April 4, 2015

# पंचामृत # # बेचो सोने की चिड़िया # के मुक्तबाजारी केसरिया शत प्रतिशत हिंदू राष्ट्र एजंडा के मुताबिक बौद्धमय भारत की विरासत को तिलांजलि मुसलमानों,ईसाइयों,सिखों और बौद्धों,दलितों,आदिवासियों और शरणार्थियों के साथ कृषि, कारोबार, उद्योग,पर्यावरण और प्रकृति के खिलाफ अश्वमेध जारी,नरसंहार संस्कृति से बचेगा नहीं कोई,जो मलाईदार हैं,नवधनाढ्य हैं और बहजन ,गैरआर्य हैं,वे भी विधर्मियों को आरक्षण नहीं,बाबासाहेब की वजह से बने रिजर्व बैंक का निजीकरण, योजना आयोग से लेकर यूजीसी तक का सफाया,इतिहास विकृति, संपूर्ण निजीकरण, संपूर्ण विनिवेश,धर्मनिरपेक्ष डिलीट,अमेरिकी इजरायली हितों के मुताबिक अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के बाद अब तिरंगे में अशोक चक्र की जगह कमल खिलाने की बारी कब तक सोये रहेंगे हिंदुत्व के शिकंजे में मुक्तबाजारी चकाचौंध में मारे जा रहे बहुसंख्य बहुजन,उनके जागे बिना यह कयामत अब थमेेगी नहीं पलाश विश्वास


# पंचामृत  #
# बेचो सोने की चिड़िया # के मुक्तबाजारी केसरिया शत प्रतिशत हिंदू राष्ट्र एजंडा के मुताबिक  बौद्धमय भारत की  विरासत को तिलांजलि

मुसलमानों,ईसाइयों,सिखों और बौद्धों,दलितों,आदिवासियों और शरणार्थियों के साथ कृषि, कारोबार, उद्योग,पर्यावरण और प्रकृति के खिलाफ अश्वमेध जारी,नरसंहार संस्कृति से बचेगा नहीं कोई,जो मलाईदार हैं,नवधनाढ्य हैं और बहजन ,गैरआर्य हैं,वे भी

विधर्मियों को आरक्षण नहीं,बाबासाहेब की वजह से बने रिजर्व बैंक का निजीकरण, योजना आयोग से लेकर यूजीसी तक का सफाया,इतिहास विकृति, संपूर्ण निजीकरण, संपूर्ण विनिवेश,धर्मनिरपेक्ष डिलीट,अमेरिकी इजरायली हितों के मुताबिक अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के बाद अब तिरंगे में अशोक चक्र की जगह कमल खिलाने की बारी
कब तक सोये रहेंगे हिंदुत्व के शिकंजे में मुक्तबाजारी चकाचौंध में मारे जा रहे बहुसंख्य बहुजन,उनके जागे बिना यह कयामत अब थमेेगी नहीं

पलाश विश्वास
कृपया गौर करें कि यह आलेख लिखते हुए पंक्ति दरपंक्ति इसे फेसबुक पर तत्काल पोस्ट कर रहा हूं इस उम्मीद से कि आपकी शिराओं और धमनियों में मनुष्यता की कोई धड़कन बची है,तो आप इस संवाद में शामिल हों।

हम गलत हैं तो फौरन टोंके।अपने विचार बेखटके लिखे।गालियां देना हो,जात कुजात,राष्ट्रद्रोही,पाकिस्तानी मुसलमान ईसाई जो भी मन में आयें,तुरंत उसे बोल देने लिख देने की हिम्मत भी करें।
# पंचामृत  #
# बेचो सोने की चिड़िया #  के मुक्तबाजारी केसरिया शत प्रतिशत हिंदू राष्ट्र एजंडा के मुताबिक  बौद्धमय भारत की  विरासत को तिलांजलि।

मुसलमानों,ईसाइयों,सिखों और बौद्धों, दलितों, आदिवासियों और शरणार्थियों के साथ कृषि, कारोबार, उद्योग,पर्यावरण और प्रकृति के खिलाफ अश्वमेध जारी,नरसंहार संस्कृति से बचेगा नहीं कोई,जो मलाईदार हैं,नवधनाढ्य हैं और बहजन ,गैरआर्य हैं,वे भी

विधर्मियों को आरक्षण नहीं,बाबासाहेब की वजह से बने रिजर्व बैंक का निजीकरण, योजना आयोग से लेकर यूजीसी तक का सफाया,इतिहास विकृति, संपूर्ण निजीकरण, संपूर्ण विनिवेश,धर्मनिरपेक्ष डिलीट,अमेरिकी इजरायली हितों के मुताबिक अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के बाद अब तिरंगे में अशोक चक्र की जगह कमल खिलाने की बारी
कब तक सोये रहेंगे हिंदुत्व के शिकंजे में मुक्तबाजारी चकाचौंध में मारे जा रहे बहुसंख्य बहुजन,उनके जागे बिना यह कयामत अब थमेेगी नहीं?

मीडिया की खबरों की तह में जाने की कोशिश करें नमो बुद्धाय,नमो जयमूलनिवासी और जयभीम का नारा लगाने वाले,14 अप्रैल को ईश्वर बना दिये गये भूले हुए बाबासाहब,रोज मारे जा रहे बाबासाहेब के अंध भक्तों,क्रांति और प्रतिक्रांति का इतिहास याद करके गौतम बुद्ध के मार्ग से भटके धर्मांतरित और भारत को फिर बौद्धमय बनाने के मिथ्या अभियान के तहत बुनियादी मुद्दे भूलकर मलाई चाटने कोअब्यस्त नवब्राह्मण पढ़े लिखो,जड़ों से कट, सामाजिक यथार्थ से अंधे,हिंदुत्व के धर्मोन्माद में मनुस्मृति शासन के सैन्य राष्ट्र की धर्मोन्मादी पैदल सेनाओं, जिनकी दिनचर्या पुरखों के नाम आंसू बहाने से शुरु होती है और अंत होती है,अब नहीं जागे ,तो कब जागोगे?

जानकारी और विचार शेयर करने के बजाय चुटकुलों ,मौजमस्ती और तस्वीरें सोशल मीडिया में डालकर क्रांति करने वाले मक्कारों अब भी जागो कि मौत खड़ी है सर पर और वार कभी भी किसी पर कभी भी हो सकती है।

हम पहले भी कह चुके हैं,लिख चुके हैं,जो तवलीन सिंह जैसी समर्थ पत्रकार और हमारे अकाली सिख स्वजन भी समझ नहीं सकें और न धर्मातरित बहुजन समझ रहे हैं कि हिंदुत्व की यह सुनामी जो उनने अपने हिंदू कायाकल्प से हनुमान यंत्र पहनकर बजरंगी बनकर फेंके हुए टुकड़ों और जूठन बटोरने की पहचान की राजनीति और सत्ता की अस्मिता चाबी के लिए तमाम हक हकूकों से बेदखल होने के बावजूद मनुस्मृति अनुशासन के राजकाज से आंखें मूंदे उसे ही बहाल रखने के लिए रच दी है।

अब उसी  हिंदुत्व एजंडा के मुताबिक शत प्रतिशत हिंदुत्व का मतलब आनंद तेलतुंबड़े के कहे मुताबिक जाति व्यवस्था,रंगभेदी नस्ली और भौगोलिक भेदभाव,सर्वव्यापी अस्पृश्यता, अन्याय, असमता,उत्पीड़न,जनसंहार की समरसता के नाम पर हिंदुत्व की नर्क चुनने की बाध्यता है।

हिंदू जो नहीं हैं,वे आरक्षण के लाभ उठा नहीं पायेंगे।इसका मतलब सिर्फ मुसलमानों और ईसाइयों के 2021 तक सफाये का घोषित एजंडा नहीं है।बाकी तमाम लोगों का और खासतौर पर बहुजनों का सफाया है और इस सफाये में बहुजन सिपाहसालार अगुवा सिपाहसालार हैं तमाम।

हिंदू साम्राज्यवाद के विश्वविजयी विजयरथ के पहियों में समाहित है बहुजनों का जीवन मरण,इसीलिए हिंदुत्व की जयजयकार है।

इसका सीधा मतलब है कि सिखों का ब्लू स्टार फिर दोहराया जाने वाला है।

बारंबार दोहराया जायेगा बाबरी विध्वंस,भोपाल गैस त्रासदी,केदार जलप्रलय और गुजारात नरसंहार।
और बौद्धकाल के बाद बौद्धों का जो सफाया हुआ,बाकी बचे खुचे और हिंदुत्व के नर्क से भागे धर्मांतरित बौद्धों,मुक्तबाजारी अर्थव्यवस्था के मुताबिक अबाध इजराइली और अमेरिकी पूंजी के नस्ली वर्ण वर्चस्व के हितों मुताबिक तमाम किसानों,तमाम बहुजनों,तमाम आदिवासियों,तमाम बस्तीवालों,तमाम बंजारों,तमाम कारोबारियों,तमाम हिमालयी जनता और तमाम देशज उद्यमियों का सफाया है।सफाया है।सफाया है।

सलवा जुड़ुम और आफसा सर्वव्यापी है इसका मतलब।

इसका मतलब सर्वव्यापी नस्ली रंगभेद और वर्ण वर्चस्व की संघ परिवारी समावेशी विकास पीपीपी और समरसता हरितक्रांति डाउ कैमिकैल्स मनसैंटो है।
इसका मतलब मतलब घर घर  फर्जी मुठभेड़ है।

इसका मतलब है गांव,देहात,कस्बों और नगरों,उपनगरों,महानगरों,अरण्यों,घाटियों ,समुंदरों, मरुस्थलों और हिमालय के उत्तुंग शिखरों तक में निरंकुश बेदखली का भूमि अध्ग्रहण अध्यादेश गैरसंसदीय है और उसे बारंबार महामहिम की मंजूरी लंबित बिलियन डालरों की परियोजनाओं के तहत #सोने की चिड़िया# को #बेचो# लूटो# अश्वमेध अभियान #और #निरंकुश सांढ़ों और घोड़ों# की #अंधी दौड़# है।

इसका मतलब है देश विदेश दंगों का अबाध निरंतर प्रवाहमान दावानल है,जो सात समुंदर के पानियों से बुझेगा नहीं क्योंकि यह केसरिया कारपोरेट राज का सबसे बड़ा एजंडा हिंदुत्व की नर्क में घर वापसी और इंकार करने वालों का सामूहिक वध का है।

मतलब भारत के डिजिटल बायोमेट्रिक रोबोटिक क्लोन नागरिकों के लिए आसमान में ड्रोन है तो जमीन पर इंसानियत और कायनात को रौंदती देशी विदेशी पूंजी की बुलेट ट्रेनें हैं।

इसका मतलब है जमीन आसमान और अंतरिक्ष में भौगलिक सीमाओं के आर पार पीपीपी माडल गुजरात है क्योंकि पंचशील सिर्फ भारत का नहीं,बौद्धमय विश्व है, जिसके खिलाफ इस खुली युद्ध घोषणा का मतलब है कि बहुजनों का संहार।

पौराणिक जमाने की तरह राक्षस, असुर, दैत्य, दानव,गंधर्व,वानर आदियों की तरह बहुजनों की अलग अलग अस्मिताओं में बंटी पूरी जनसंख्या का सफाया जो उत्तरआधुनिक अर्थशास्त्र भी है कि बाजार से बाहर के लोगों को जीने का कोई हक हकूक नहीं है और यह दरअसल #मनुस्मृति का स्थाईभाव# है।

बहुजनों और खासकर नमोबुध्धाय संप्रदाय के अंबेडकर अनुयायियों इसे समझने की कोशिश करें कि हिंदू एफडीआई मीडिया,जिसके ज्यादातर सवर्ण नामदार खासदार पदधारी नामी गिरामी हिंदुत्व से लड़ने का मिथ्या श्रेय फर्जी मसीहा वृंद को देकर विदेशी पूंजी और विदेशी इशारों के मुताबिक जनमत बनाते हैं।

और हम जैसे स्वयंभू विद्वान उऩकी पैदल सेना बने उनकी ओर से स्पेस से भी वंचित,पहचान,वजूद और हैसियत से रंगभेदी भेदभाव के तहत बेदखल हैं,हम तमाम लोग सिर्फ केसरिया कारपोरेट एफडीआई राज के गुलाम हैं और सच बोलने लिखने के लिए कतई आजाद नहीं है।

हमारे पर काट दिये हैं।

हमारे सरकलम हैं और हम कबंधों की जमात हैं,जिनके अपने न विचार हैं और न दिलोदिमाग और न भारत की सरजमीं में कोई जड़ें हैं।

हम नरसंहार संस्कृति की पृष्ठभूमि रचने में ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देख रहे हैं और मुक्तबाजार के लोकतंत्र में हम अपने स्वजनों की खून की नदियों को सिर्फ बहुत जरुरी हुआ तो सुर्खियों में तब्दील करनेवाले औऱ फिर उन सुर्खियों को मनोरंजन और विज्ञापन की चाशनी में एफडीआई हितों के मुताबिक मिटाने के विशेषज्ञ हैं।

हम युद्ध अपराधियों और मनुष्यता के दुश्मनों को सत्ता में बहाल रखने वाले बिलियनर मिलियनर जमात के गुलाम हैं जिनमें भी नब्वे फीसद की हालत बंधुआ मजदूरों से बदतर कूकूरदशा है,चाहे वे सवर्ण हों या बहुजन।

जो समान रुप से पादते रहने के बाद इतने विकलांग हैं,इतने मूक हैं कि अपने हक हकूक की लडा़ई सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर छोड़े हुए हैं।

इसी मीडिया के लोग पंचशील को नेहरु की बपौती बता रहे हैं और कह रहे हैं कि दशकों से भारत की विदेश नीति नेहरू के जिस शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पंचशील सिद्धांत की बात करती है, उसे अब पंचामृत का रूप दिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि पंचामृत अब भारतीय विदेश नीति के नए आधार स्तंभ होंगे।

हमारी बिरादरी के लोग कभी यह सच नहीं बता सकते कि इससे भारत की बौद्धमय विरासत,गौतम बुद्ध और गांधी अंबेडकर तक की विरासत को तिलांजलि देकर अब अशोक चक्र की जगह तिरंगे पर कमल ही कमल खिलाने का स्थाई बंदोबस्त हो रहा है।

यह पंचामृत भारत के बहुजनों के नरसंहार के लिए इजरायली और अमेरिकी हितों के ग्लोबल हिंदुत्व का हिंदू साम्राज्यवादी एजंडा है और इसका ताल्लुकात संघ परिवार के 2021 तक भारत को विधर्मी मुक्त शत प्रतिशत हिंदुत्व की नर्क में तब्दील करने के एजंडे से है,जो सबसे भयानक आर्थिक सुधार है।

क्योंकि एडम स्मिथ का अर्थशास्त्र भी मुकम्मल मनुस्मृति अर्थशास्त्र के एकाधिकारवादी नस्ली वर्णवर्चस्वी मुनाफा वसूली के आगे कुछ भी नहीं है।

इस सच को मुक्तबाजारी कार्निवाल में तब्दील करनेवाले वाम दक्षिण सभी किस्म के पत्रकार और अर्थशास्त्री,तमाम जनविरोधी बिलियनर मिलियनर रंग बिरंगे राजनेता जितने सक्रिय हैं,उनसे लाख गुणा सक्रिय हैं वे सफेद झां चकाचक मसीहा वृंद के उजले चेहरे जो अपनी चकाचौधं से,भाषाई दक्षता से ,विद्वता से,जनता के बीचअपनी लोकप्रियता और साख से,मौकापरस्त कलाबाजियों और करतबों से,सत्ता की मलाई से रोजाना करोड़ों के भाव बिककर हमारी गला रेंत रहे हैं पल छिन पल छिन।

और हम उनके लिए तमाम धर्मश्थल सजाये अरदास करने वाले अंध भक्त बहुसंख्य बुरबक भेड़िया धंसान भारतीय जनगण हैं,जिनके लिए न कोई राष्ट्र है और न लोकतंत्र और न कोई न्यायप्रणाली।

हम खूंखार भेड़ियों को भी ईश्वर बनाने वाले लोग हैं।सबसे जहरीले सर्पों के उपासक हैं हम।

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