THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Sunday, June 30, 2013

भारी बरसात से नरक यंत्रणा की शुरुआत!

भारी बरसात से नरक यंत्रणा की शुरुआत!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


अभी मानसून लगातार बरस नहीं रहा है। लेकिन एक रात और अगले दिन दोपहर की बारिश से कोलकाता और उपनगरों मे उत्तराखंड के जलप्रलय का स्पर्श मिल गया। कोलकाता की रामकहानी हर बरसात में एक जैसी है, उसमें सुधार हने के आसार बहुत कम है। लेकिन कोलकाता महानगर के उत्तरी और  दक्षिणी उपनगरों में नरक यंत्रणा की शुरुआत हो चुकी है। महानगर में फिरभी निकासी की व्यव्था देर सवेर हो जाती है।कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में शनिवार रात से हो रही भारी बारिश से शहर में कई स्थानों पर जल भराव होने के कारण सामान्य जीवन प्रभावित हो गया है और रेल सेवाएं भी आंशिक रूप से बाधित हो गई हैं। सेंट्रल, नॉर्थ और साउथ कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में जल भराव के कारण लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।मौसम विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटों में शहर में 89.5 मिमी बारिश दर्ज की गई है। आगामी 24 घंटों में मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है। राज्य के गांगेय क्षेत्र के ऊपर वर्षा रेखा पूरी तरह से सक्रिय हो उठी है। इसके साथ ही ओड़िशा व उसके संलग्न पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों के ऊपर भी एक चक्रवात तैयार हो गया है। इन दो परिस्थितियों के कारण शनिवार को भी कोलकाता समेत राज्य के कई इलाकों में अच्छी-खासी बारिश हुई।मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगले 24 घंटे में उक्त चक्रवात और सक्रिय होकर निम्न दबाव के रूप में परिवर्तित हो जायेगा। इस वजह से ओड़िशा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के तटीय व उसके आसपास के इलाकों में और बारिश होगी। उपग्रहों से मिली तसवीरों के अनुसार दो-तीन दिन पहले अंडमान में समुद्र के ऊपर बना चक्रवात बढ़ते-बढ़ते ओड़िशा व पश्चिम बंगाल के तटीय व संलग्न बंगाल की खाड़ी के ऊपर स्थिर हो गया है। जाहिर है कि नरक यंत्रणा की शुरुआत है यह।


कोलकाता के महापौर शोभनदेव चटर्जी ने बताया कि कोलकाता नगर निगम के कर्मी जलभराव वाले इलाकों से पानी बाहर निकाल रहे हैं। भारी बारिश के कारण सियालदह खंड में रेल सेवाएं आंशिक रूप से बाधित हो गईं। दिन में रेल सेवापूरी तरह से बहाल हो गई।


उपनगरों में अंधाधुंध र्माण की वजह से जल निकासी के तमाम रास्ते अवरुद्ध हो गये हैं। नालियां और नहरें, उपनदियां तो पाट दी गयी हैं। झीलों, पोखर और तालाब भी खत्म हो गये हैं।जरा कल्याणी हाईवे पर नजर डाले तो बिराटी से कल्याणी तक जलाशयों पर बन रहे प्रोमोटर राज से कल्याणी से लेकर बेलघरिया तक चारों तरफ लहराते समुंदर की असली वजह मालूम हो जायेगी। यहा हाल सोनारपुर से लेकर बारुईपुर तक की है। एक इंच जलाशय बाकी बचा नहीं है। साल्टलेक बन जाने के बाद कलकाता में प्राकृतिक झीलों की परिधि कम हो जाने से महानगर में जीर्ण शीर्ण निकासी व्यवस्था पर अभूतपूर्व दबाव है तो सोनारपुर बारुईरपुर से लेकर कल्याणी तक जमा जल बाहर निकलने का कोई रास्ता ही नहीं है। बैरकपुर से लेकर डनलप तक जलनिकासी के लिए परंपरागत निकासी प्रणाली बागजोला खाल का उपयोग अब अवैध शराब की आपूर्ति लाइन बतौर होती है।


रातभर की बारिश से बीटीरोड समुंदर में तब्दील हुआ। बेलघरिया और सोदपुर रेलवे ब्रिज केमुहाने तक पानी भर गया। सोदपुर मध्यम ग्राम मार्ग पर रविवारको दिनभर यातायात बंद रही। बसें नही चलीं।


जैसोर रोड पर जलजमाव होने से बारासात से लेकर दमदम हवाई अड्डेतक यातायात ठप पड़ गयी तो दमदम रोड पर नावें चलानेी हालत बन गयी। पानीहाटी, खड़दह, टीटागढ़, बरानगर, कमारहट्टी, दमदम, विधाननगर, सोनारपुर, महेशतला, बैरकपुर, नैहाटी, कल्याणी नगरपालिकाओं में आम जनजीवन शनिवार की रात को हुई बरसात से ठप पड़ गया।


वहीं हुगली के उसपार ग्रांड ट्रंक रड के संकरे रास्ते पर हालत कुछ बेहतर नही थी। मुंबई रोड से जुड़ने वाली बांकड़ा मार्ग हो या सलप से सालकिया रोड. या डनलप से सोदरपुर जाने वाली नीलगंज रोड सर्वत्र जलजला था। हावड़ा नगरनिगम और चंदननगर नगर निगम में भी जलनिकासी  का इतजाम कोलकाता से कोई बेहतर नहीं है, यह साबित हो गया। विडंबना है कि शहर नियोजन के लिए गठित लंबे-चौड़े सरकारी अमले पानी के बहाव में शहरों के ठहरने पर खुद को असहाय पाते हैं। सारा दोष नालों की सफाई ना होना, बढ़ती आबादी, घटते संसाधन और पर्यावरण से छेड़छाड़ को दे दिया जाता है। पर इस बात का जवाब कोई नहीं दे पाता है कि नालों की सफाई सालभर क्यों नहीं होती और इसके लिए मई-जून का ही इंतजार क्यों होता है।


ईएम बाईपास, दिल्ली मुंबई हाईवे और कोना एक्सप्रेस में ही यातायात सामान्य रही।


छुट्टी का दिन होने से समस्या उतनी विकराल नहीं हुई। वरना थोड़ा पानी पड़ने से तो सियालदह दक्षिण और सियालदह उत्तर शाखाओं में ट्रेन सेवा भी ठप पड़ जाती है। गैरसरकारी दफ्तरों आपातकालीन सेवाओं में लगे लोगों के लिए कार्यस्थल तक पहुंचने और वापस घर लौटने के लिए मेटाडोर वाहन ही उपलब्ध थे।घर बैठे भी लोगों को राहत नहीं मिली। रविवार के दिन सेटटाप बाक्स के जरिये मनोरंजन टैक्स की रंगदारी के खिलाफ केबल आपरेटरों ने टीवी प्रसाऱण बंद कर दिया। आज वे पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक हड़ताल पर थे। नेट के जरिये सूचना हाईवे पर टहलने वाले लोगों के लिए भी बरसात मायूसी बनकर आयी। जगह जगह लोकल फाल्ट की वजह से केबल के जरिये इंटरनेट सेवा अस्त व्यस्त रही।


बारिश के कारण बालीगंज, सीआर एवेन्यू, एमजी मार्ग, जकारिया स्ट्रीट, विधान सरणी और कॉलेज स्ट्रीट इलाके प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा भारी बारिश की वजह से पतिपुकुर और दमदम की गलियों में भी पानी भर गया है। हालांकि रविवार होने के कारण आज गलियों में यातायात काफी कम था।


सच पूछें तो देश के हर शहर का हाल थोड़ी सी बरसात में ऐसा ही हो जाता है। कोलकता को तो पहली ही बारिश ने दरिया बना दिया है। पिछले कुछ सालों में देखा गया कि हरियाणा, पंजाब के कई तेजी से उभरते शहर- अंबाला, हिसार, कुरुक्षेत्र, लुधियाना आदि एक रात की बारिश में तैरने से लगते हैं। रेल, बसें सब कुछ बंद. अहमदाबाद, सूरत के हालत भी ठीक नहीं।

अभी पटना में गंगा तो नहीं उफनी पर शहर के वीआईपी इलाके घुटने-घुटने पानी में तैरते रहे। किसी भी शहर का नाम लें, कुछ न कुछ ऐसे हालात देखने-सुनने को मिल ही जाते हैं।दिल्ली, कोलकाता, पटना जैसे महानगरों में जल निकासी की माकूल व्यवस्था न होना शहर में जल भराव का स्थाई कारण माना जाता है। मुंबई में मीठी नदी के उथले होने और सीवर की पचास साल पुरानी व्यवस्था के जर्जर होने के कारण बाढ़ के हालात बनना सरकारें स्वीकार करती रही है। बंगलुरू में पारंपरिक तालाबों के मूल स्वरूप में अवांछित छेड़छाड़ को बाढ़ का कारक माना जाता है।



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