THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, June 28, 2013

बन्द कीजिये आकाश में नारे उछालना

बन्द कीजिये आकाश में नारे उछालना


नीचे वालों को तो जैसे तैसे सेना उतार लायेगी, राज्य सरकारें अपने प्रदेश के लोगों को अपनी संकीर्ण मानसिकता और वोट बैंक का सहारा लेकर उतार लायेगी, मुआवजे की रोटियां फेंक देगी निराश्रितों की तरह... उन लोगों का क्या जो वहीं रह जायेंगे एक अभिशप्त जीवन जीने के लिये. जिनके पुरखे वहाँ सदियों से रहते आये हैं...

संदीप नाइक


यहां हर दिन हर पल लोगों का दम निकला जा रहा है और आप हैं कि अपनी रोटियां सेकने में लगे हैं. सेकुलर और न जाने कौन कौन से सिद्धांत याद आ रहे हैं आपको. समझ नहीं आता कि जो जवान बचा रहे हैं वे भी जब मरने की कगार पर हैं, तो क्या किया जाये. आपको हो क्या गया है, कहां गयी आपकी भावनायें. कोई वहाँ जाये या न जाये इससे हमें क्या, जब एक आदमी मरता है किसी तंत्र की लापरवाही से तो समूचे विकास और मानवता पर प्रश्न उठते हैं महामना! पर आपको कोई इस बात से फर्क नहीं पड़ रहा..... कब तक विनाश का मंजर देखेंगे और हवाई खूबसूरती का जश्न मनाते रहेंगे... 'बन्द् कीजिये आकाश में नारे उछालना' - याद आ गये दुष्यंत कुमार...

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बंद कीजिये मोदी, राहुल, बहुगुणा और तमाम तरह के आत्मप्रचार वाले, दुष्प्रचार करने वाले नारे उछालना और अपने तक ही सीमित रखिये अपनी घटिया सोच. उस आदमी के बारे मे सोचिये जो मर रहा है, उन लोगों के बारे मे सोचिये जो वहीं रह जायेंगे एक अभिशप्त जीवन जीने के लिये. जिनके पुरखे वहाँ सदियों से रहते आये हैं.

नीचे वालों को तो जैसे तैसे सेना उतार लायेगी, राज्य सरकारें अपने प्रदेश के लोगों को अपनी संकीर्ण मानसिकता के चलते और वोट बैंक का सहारा लेकर उतार लायेगी, गोदी मे बिठाकर घर भी छोड़ देगी, मुआवजे की रोटियां फेंक देगी निराश्रितों की तरह...

पर जो लोग वहाँ के हैं, जिनका सबकुछ बर्बाद हो गया जिनके मूक पशु बह गये, जिनके जीवन-गृहस्थी का थोड़ा सा सामान था उनकी संपत्ति के रूप में वह भी तो बह गया पानी में, जिनके टापरों पर पत्थर गिर पड़े उनके सामने क्या है... जिनके बच्चों, बुजुर्गों के बारे में हमारा बिकाऊ मीडिया कुछ नहीं कह रहा, जहाँ के संसाधन नष्ट हो गये, जहाँ की सारी व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, प्रशासन ठप्प हो गया है, सारे रिकार्ड और जरूरी कागजात नष्ट हो गये, जहाँ धनलोलुप पंडे और ब्राहमण मरे हुए इंसानों की जेब से और मृत शरीरों से धन और जेवर चुरा रहे हैं ऐसे में कौन से मूल्य भी शेष रह गये हैं...

ज़िंदा इंसानों की चिता करने के बजाय जहाँ यह बहस हो रही हो कि केदारनाथ की पूजा की जाये या नहीं और उसकी मूर्ति किस दिशा मे हो, बेहद शर्मनाक है... घिन आती है कि हम इक्कीसवीं सदी में रह रहे हैं और हमारे पास शिक्षा के बड़े बड़े मंदिर हैं जो यही सिखा रहे हैं कि विपदा के समय हम मूर्तियों की चिंता करें, बजाय लोगों की...

यही संविधान में वैज्ञानिक मानसिकता का प्रचार-प्रसार है, जो हमने पिछ्ले लगभग सात दशकों में किया है... क्या ये लोग इस वैज्ञानिक और सूचना तकनीकी के युग मे भी महादेवी वर्मा के अप्रतिम निबंध में आये चरित्रों की तरह अब वे फ़िर से 'सुई दो रानी डोरा दो रानी' की हुंकार लगाएंगे हर आने-जाने वाले से...

अगर आप कुछ नहीं कर सकते तो कृपया शांत रहे. घर में फिल्म देखें और बरसात का मौसम है जीभर कर के भुट्टे खायें, पकौड़े खायें, जाना पाँव चले जायें, अपने परिजनों के साथ बरसात के नजारें देखे और ऐश करें, पर यहाँ -वहाँ घटिया राजनीति न करें. आने वाले इतिहास में आपको कोई कुछ् नहीं कहेगा. आपका नाम भी स्वर्णाक्षरों मे लिखा जाएगा कि आप आपदा के समय शांत थे और किसी अपराध में आपको नहीं सजा नहीं दी जायेगी......

मेहरबानी करके देश का साथ दीजिए.... किसी पप्पू, फेंकू या पार्टी का नहीं, नजर रखिये उन लोगों पर जो इन पीड़ितों के नाम पर आपके घर से रुपया, कपडे और अनाज ले जा रहे हैं. हाल ही खबर आयी थी कि इंदौर में एक सांसद ने एक मंत्री और एक विधायक पर उत्तराखंड के नाम पर रुपया वसूलकर अपनी जेब मे रखने का खुलेआम आरोप सार्वजनिक मंच से लगाया है. कहीं आप भी ऐसे किसी संगठित गिरोह के शिकार तो नहीं हो रहे, क्या आप किसी फर्जी एनजीओ के नाम पर तो अपना धन या सामग्री नहीं दे रहे?

सावधान रहे, सचेत रहें, हम सब बहकाने और बहकने में माहिर हैं...

sandeep-naikसंदीप नाइक सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं.

http://www.janjwar.com/society/1-society/4129-bas-kijiye-aakash-men-naare-uchhlana-by-sandeep-naik-for-janjwar

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