Saturday, June 29, 2013
Rajiv Lochan Sah ‘‘आप तो सिर्फ यात्रियों की बात कर रहे हैं। अकेले मंदाकिनी घाटी के 46 गांवों के 1600 से अधिक पुरुष घर नहीं लौटे हैं। पुरुषविहीन हो गया है, पूरा समाज। उनकी आजीविका की ओर भी क्या आपका ध्यान है ? कल तक आप कह रहे थे कि सरकार में तालमेल की कमी है। आज आप दावा कर रहे हैं कि अच्छा तालमेल है। कहां है तालमेल देष के कोने कोने से भावना के वषीभूत लोग राहत सामग्री लेकर यहां आ रहे हैं। कोई उन्हें यह निर्देषित करने वाला भी नहीं है कि उन्हें जाना कहां चाहिये! न जाने कितनी राहत सामग्री बर्बाद हो रही है।’’
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