THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Thursday, August 14, 2014

पूंजी की खोज में दीदी चली सिंगापुर,बंगाल में अब तृणमूल वाम गठबंधन का इंतजार एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

पूंजी की खोज में दीदी चली सिंगापुर,बंगाल में अब तृणमूल वाम गठबंधन का इंतजार
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कामरेड ज्योति बसु और कामरेड बुद्धदेव भट्टाचार्य के चरण चिन्हों का अनुसरण करते हुए मां माटी मानुष सरकार की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूंजी की खोज में विदेश यात्राओं का सिलसिला शुरु करने जा रही हैं।पीपीपी माडल के मुताबिक विदेशी पूंजी के बिना विकास जाहिर है कि असंभव है और दीदी ने सत्ता में आने के बाद वाम नेताओं की तरह इस चरम सत्य की उपलब्धि कर ली है।

तमाम उद्योग कारोबारी मेलों,उत्सवों के बावजूद पूजी निवेश बंगाल में हो नहीं रहा है।नई शहरीकरण नीति के तहत निरंकुश प्रोमोटर राज के बंदोबस्त.शापिंग माल हास्पीटल हब नालेज इकोनामी को खुल्ला छूट और विकास की सुनामी के सरकारी दावों के बावजूद बंगाल में उद्योग और कारोबार का माहौल सुधर नहीं रहा है।दूसरी ओर राजनीति तौर पर वाम दलों की तरह दीदी का जनाधार भी खिसकने लगा है।

खास बात लेकिन यह है कि सुषमा स्मार्ट सिटी परियोजना में सिंगापुर को शामिल करने की संभावना तलाशेंगी और यह भी देखेंगी कि क्या अन्य भारतीय शहरों के पुनरुद्धार में सिंगापुर भागीदारी कर सकता है या नहीं। इन अन्य शहरों में बंगाल के कितने शहर हो सकते हैं,कहना मुश्किल है।

वैसे यह रोचक तथ्य है कि सिंगापुर आसियान समूह में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है और साथ ही यह भारत में एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत है जो पिछले वर्ष 5.9 अरब डॉलर रहा।इसी एफडीआई राज के खिलाफ तोपें दागने से दीदी अघाती नहीं।
लेकिन यह भी सच है कि पिछले दशक में सबसे अधिक भारतीय निवेश आकर्षित करने में भी सिंगापुर अग्रणी देश रहा और वहां 4,000 से 4,500 भारतीय कंपनियों के कार्यालय हैं।




दरअसल देश की दो बड़ी राजनेत्रियों का सिंगापुर जाने का कार्यक्रम है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 15 अगस्त को सिंगापुर की यात्रा पर जाएंगी तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 17 अगस्त को वहां जाएंगी। सुषमा स्वराज की यात्रा के एजेंडा में सिंगापुर के साथ सहयोग बढ़ाना विशेषकर सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजना का क्रियान्वयन और दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों की 50वीं वर्षगांठ का जश्न मनाना शामिल है। अपनी तीन दिवसीय सिंगापुर यात्रा के दौरान सुषमा वहां के प्रधानमंत्री ली सिएन और विदेश मंत्री के. षणमुगम सहित शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करेंगी।मोदी ने जिन सौ स्मार्ट सेज सिटी का ऐलान किया है,संजोग से उनमे से दस दीदी बंगाल में चाहती हैं।नये कोलकाता से लेकर शांतिनिकेतन तक को स्मार्ट सिटी बनाना चाहती हैं दीदी।लेकिन इस संजोग के अलावा फिलहाल दोनों नेताओं की सिगापुर यात्रा के साझे रसायन का फार्मूला अभी अनजाना है।

राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है।दीदी का भाजपा के साथ गठबंधन रहा है और माकपाइयों का कांग्रेस के साथ।

मुश्किल यह है कि केंद्रकृत सत्ता और आर्थिक मदद अनुदान केलिए विपक्षी राज्य सरकारों को भी केंद्र की नीतियों पर चलना पड़ता है।

इससे भी बड़ी मुश्किल यह है कि जिस पीपीपी माडल के विकास और राजनीति पर निर्भर है सत्तादखल का खेल,उस पिच पर आर्थिक नीतियों के खिलाफ बगावत नहीं की जा सकती। राजनीतिक जिहाद से इस देश में कोई किसी को रोकता नहीं है।

मोदी सरकार के पीपीपी माडल के विकास के लिए ही दीदी सिंगापुर जा रही हैं जैसे कामरेड नेता सकल यूपीए की आर्थिक नीतियों के तहत ही पूंजीवाद के स्वर्णिम राजपथ पर विचारधारा गंगा में डालकर दौड़ते रहे थे।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राखी पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर शनिवार को भाजपाई राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी तथा फिल्म अभिनेता शाहरूख खान को राखी बांधी।

लेकिन वोट कीराजनीति भारी बला है।हर कदम पर कदमबोशी करते रहो,लेकिन खुदा को भी मालूम न हो,सत्ता की राजनीति दरअसल कुलमिलाकर यही है।दीदी गुजरात विकास माडल लागू करने के लिए गुजराती पीपीपी धूमधड़ाके केलिए बेसब्र बेताब जरूर हैं,लेकिन जनतामध्य उन्हें भी वामदलों से ज्यादा धर्मनिरपेक्ष दिखना है।

जाहिर है कि भाजपा से जैसे वामदलों का आपातकाल अवसान जैसा गठबंधन का समीकरण फिलहाल बन नहीं रहा है और उनकी धर्मनिरपेक्ष राजनीति उन्हें केसरियाखेमे के साथ खड़ा नहीं होने देती ,भले ही केसरिया कारपोरेट से परहेज न दीदी को है और न वाम को।आवाम कोबुरबक बनाने के लिए इन्हीं दो धर्मनिरपेक्ष खेमों के रसायन आविस्कार की प्रतीक्षा है।

इस पर तुर्रा यह कि वामदलों की तरह संग परिवार भी कैडरबेस हैं और उनके स्वयंसेवक सत्ता बदलने से भेड़धंसान भी नहीं हैं।वे बंगाल में पहले से ही सक्रिय रहे हैं और मौसम बदलते ही जमीन से बाहर निकल आये हैं।वामपक्ष और तृणमूल के लिए यही सबसे बड़ी प्राकृतिक विपदा है।

अब भाजपा को स्पेस दिया तो गैरभाजपाी दलों के लिए मुश्किल हो जायेगी।दूसरी ओर कांग्रेस अभी घनघोर मंदी के दौर में है।इसलिए बंगाल में अनेक लोगों को अगले चुनाव तक तृणमूल कांग्रेस गठबंधन का इंतजार है।

संघी सक्रियता के मद्देनजर आपसी विवाद सत्ता संघर्ष भूलकर अपना अपना वजूद बचाने के लिए लाजिक के हिसाब से इससे बेहतर कोई दूसरा चारा है ही नहीं।

नवान्न में भोज खाकर कामरेडों ने इस समीकरण का दरवाजा पहले ही खोल दिया है।

इसपर तुर्रा यह कि शारदा समूह के एकके बाद एक कबार्ड से नरकंकालों की बदबू जो फैलने लगी है,उससे दीदी को सिंगापुर आकर पूंजी मिले या नहीं,चैन मिलना भी मुश्किल है।

कल कारखानों,चायबागानों के अलावा अब बंगाल के अस्पतालों में भी मृत्युजुलूस निकलने लगा है।जंगलमहल में शांति बहाल है फिलहाल और वहां के सलवा जुड़ुम भूगोल में चाकचौबंद सुरक्षा इंतजाम भी है,लेकिन खिलखिलाता हुआ पहाड़ बेदखल है।

यूनियनें बेकाबू होती जा रही हैं और बस मालिकों ने तीन  दिनों की हड़ताल की घोषणा कर रखी है।पार्टी नेताओं में मारामारी से वाम दल जितने परेशान हैं,उनसे कम परेशान नहीं है दीदी।

भाजपाइयों का हौसला बुलंद है और राज्य में अब राजनीतिक हिंसा की वजह वाम तृणमूल संघर्ष के बजाये या तो तृणमूल तृणमूल संघर्ष है या फिर तृणमूल भाजपा संघर्ष है।

आज जिन भारी पुलिस अफसर रजत मजुमदार के यहां छापे पड़े,वे राज्य के एक अतिचर्चित मंत्री के खासमखास हैं जो शारदा वकील पियाली की रहस्यमय मौत के सिलसिले में कटघरे में हैं।मतंग सिंह और उनकी पत्नी से भी सत्तासमूह के उतने ही मधुर संबंध हैं,जितने कि उद्योगपति रमेश गांधी से।अपनी खालें बचाने के लिए घोषित अघोषित ना तृणमूली वममोर्चा वक्त का तकाजा है।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी 17 अगस्त से छह दिवसीय सिंगापुर यात्रा पर जाएंगी। उनकी यह यात्रा सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्ते सुधारने के लिए सिंगापुर के निमंत्रण पर हो रही है।
   वर्ष 2011 में पदभार संभालने के बाद से यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी।
   उनके साथ 'बहुत उच्च स्तरीय' सरकारी और व्यापारिक शिष्टमंडल जाएगा। वह इस मौके का इस्तेमाल राज्य में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए करेंगी।
   यात्रा के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र ने कहा है कि सिंगापुर के विदेश मंत्री के. षनमुगम ने रिश्तों में सुधार के लिए बनर्जी को आमंत्रित किया था और उन्होंने आमंत्रण स्वीकार कर लिया।
   उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मजबूत रिश्ते बनाना चाहती हैं और वह सिंगापुर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मुलाकात करेंगी।
   उन्होंने कहा कि सरकारी प्रतिनिधिमंडल में वित्त मंत्री, राज्य के प्रमुख सचिव और कुछ अन्य विभागों के सचिवों तथा एक सांसद शामिल होगा। उन्होंने सांसद का नाम नहीं बताया।
   उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ जाने वाले व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल में बड़े उद्यमी शामिल होंगे। वे अपने खर्चे पर जाएंगे।  
2013 में पश्चिम बंगाल में 26 पॉलिटिकल मर्डर के मामले सामने आए हैं। जो कि पूरे देश का 25 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में पूरे देश में 101 पॉलिटिकल मर्डर के केस सामने आए हैं।
  • जिनमें से 26 पश्चिम बंगाल में हुए हैं।
  • वहीं, मध्य प्रदेश इस सूची में दूसरे स्थान पर आता है। जहां 2013 में 22 पॉलिटकल मर्डर किये गये थे।
  • और, 12 पॉलिटिकल मर्डर के साथ तीसरे स्थान पर बिहार है।
वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर था। वहीं, बिहार में 2012 में 32 पॉलिटिकल मर्डर का केस पाया गया था और मध्यप्रदेश में 28। पॉलिटिकल कमेंन्टेटर विश्वनाथ चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल की स्थिति पर कहा कि यहां राजनीतिक मतभिन्नता काफी ज्यादा है। साथ ही यहां की सोसाइटी भी काफी राजनीतिक रंग में रंगी हुई है।
आपको बता दें, सोमवार को ही फिर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में हिंसा देखने को मिली थी, जहां भाजपा के कार्यकर्ताओं पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया था। चक्रवर्ती ने बताया कि इस तरह की घटनाओं से पार्टी के अंदर भी काफी वातावरण काफी गर्म हो जाता है। जो कि पॉलिटिलक मर्डर जैसी घटनाओं को बढ़ावा देता है।
दूसरी ओर,दैनिक देशबंधु की यह रपट भी देखेंः
पश्चिम बंगाल की सरकार के बड़े-बड़े वादों के बावजूद राज्य में बड़ी परियोजनाओं के लिए कोई निवेश नहीं हो रहा है, पुरानी प्रतिष्ठित इकाइयां बंद हो चुकी हैं और लूट-खसोट चरम पर है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में हालांकि कुछ उम्मीद की किरण दिखाई पड़ रही है। पिछले सप्ताह राज्य के वित्त और उद्योग मंत्री अमित मित्रा ने कहा था, बंगाल में लगने वाली औद्योगिक परियोजनाओं की सूची इतनी लंबी है कि उसे पढऩे में पूरा एक दिन लग सकता है।
उन्होंने हालांकि जिन परियोजनाओं का जिक्र किया है, उनमें से अधिकतर की योजना पूर्व वामपंथी सरकार के कार्यकाल में बनी थी।

कोलकाता के एक उद्योगपति ने बताया,  यदि बड़ी परियोजनाएं नहीं आती हैं, तो सहायक गतिविधियों का विकास नहीं होगा। नया रोजगार पैदा नहीं होगा। दुर्भाग्य से इस तरह का निवेश नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि हाल में एक मात्र बड़ा निवेश हुआ है-हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड। इसकी स्थापना वामपंथी सरकार द्वारा हुई थी। वह भी खराब स्थिति में है।

उद्योगपति ने लूट खसोट का चित्रण करते हुए कहा, वामपंथी सरकार के दिनों में उद्योगपतियों को सिर्फ एक आदमी को पैसे देने होते थे। अब यदि आप एक को पैसे देते हैं, तो दो और सामने आ जाएंगे और दोगुना अधिक मांगेंगे। यह प्रक्रिया आगे चलती रहेगी। एंबेसडर कार निर्माता हिंदुस्तान मोटर्स, टायर निर्माता डनलप और रंग विनिर्माता शालीमार पेंट्स जैसी अंग्रेजी राज के दिनों की कंपनियों ने अपना संचालन स्थगित कर दिया है।

अर्थशास्त्री दीपांकर दासगुप्ता ने कहा, लंबे समय से राज्य में बड़ी परियोजनाएं नहीं आ रही हैं। एक मात्र अपवाद थी टाटा मोटर्स की नैनो परियोजना। उन्होंने हालांकि कहा कि उम्मीद की किरण हालांकि तीन परियोजनाओं में दिखाई पड़ रही है। ये हैं - बर्दमान जिले के अंदर की आगामी एरोट्रोपोलिस परियोजना, एमएसएमई को मजबूत करने की राज्य सरकार की कोशिश और अगस्त में होने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सिंगापुर यात्रा। एरोट्रोपोलिस ऐसे नगर क्षेत्र को कहते हैं, जिसकी अर्थव्यवस्था के केंद्र में एक हवाईअड्डा होता है।

সারদাকাণ্ডে দেশ জুড়ে তল্লাশি সিবিআইয়ের

সংবাদ সংস্থা

সারদাকাণ্ডে ফের এক বার দেশ জুড়ে তল্লাশি অভিযান চালালো সিবিআই। বৃহস্পতিবার সকাল থেকে কলকাতা-সহ দেশের মোট ২৮টি জায়গায় একযোগে শুরু হয় সিবিআই তল্লাশি। শুধুমাত্র কলকাতাতেই ১০টি জায়গায় চলে এই তল্লাশি।

এ দিন সকাল ৯টা নাগাদ কলকাতার নিজাম প্যালেসের অফিস থেকে দশটি দলে ভাগ হয়ে অভিযান শুরু করে সিবিআই। পূর্ব সিঁথিতে ইস্টবেঙ্গল কর্তা দেবব্রত সরকারের বাড়ি, প্রিন্স আনোয়ার শাহ রোডে রমেশ গাধীঁর অফিস-সহ তল্লশি চলছে সুদীপ্ত সেনের স্ত্রী পিয়ালী সেনের বাগুইআটির বাড়িতেও। তল্লাশি চলছে জেনাইটিসের প্রাক্তন অধিকর্তা শান্তনু ঘোষের বাড়িতেও। তবে প্রাক্তন পুলিশকর্তা রজত মজুমদারের পদ্মপুকুরের বাড়িতে গেলেও তিনি বাড়িতে না থাকায় সেখানে তল্লাশি শুরু হয় অনেক পরে। সূত্রের খবর, রজতবাবু কলকাতায় ফেরার পর তল্লাশি শুরু হয়।

সিবিআইয়ের তরফে আগেই জানানো হয়েছিল, সারদা মামলায় জড়িত প্রভাবশালী ব্যক্তিদের তালিকা তৈরির কাজ চলছে। ১৫ অগস্টের পর তাঁদের ডাকার ইঙ্গিতও দিয়েছিল কেন্দ্রীয় তদন্তকারী সংস্থা। তার আগেই এ দিনের এই তল্লাশিতে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ তথ্য ও নথি পাওয়া গিয়েছে বলে জানিয়েছেন সিবিআইয়ের আধিকারিকেরা।

কলকাতা ছাড়াও দিল্লি, ওড়িশা ও গুয়াহাটির একাধিক জায়গায়ও এ দিন হানা দেয় সিবিআই। দিল্লিতে প্রাক্তন মন্ত্রী মাতঙ্গ সিংহ এবং তাঁর স্ত্রী মনোরঞ্জনা সিংহের বাড়িতে চলে তল্লাশি।



সারদার কাছ থেকে মোটা বেতন ও গাড়ি পেতেন তৃণমূল-ঘনিষ্ঠ প্রাক্তন পুলিশ কর্তা রজত মজুমদার

প্রকাশ সিংহ, সমিত সেনগুপ্ত ও রঞ্জিত সাউ, এবিপি আনন্দ
সারদা কেলেঙ্কারির তদন্তে এবার সিবিআইয়ের নিশানায় রাজ্যের শাসক দল তৃণমূলের ঘনিষ্ঠ প্রাক্তন পুলিশ কর্তা রজত মজুমদার ৷ তল্লাশি চলল সারদাকাণ্ডে অভিযুক্ত এই  তৃণমূল ঘনিষ্ঠ প্রাক্তন আইপিএস অফিসারের ভবানীপুরের বাড়িতেও৷ কে এই রজত মজুমদার? কীভাবে সারদাকাণ্ডের সঙ্গে জড়াল তাঁর নাম?
সূত্রের খবর, গত পঞ্চায়েত নির্বাচনে তৃণমূলের তরফে বীরভূম জেলার পর্যবেক্ষক ছিলেন রজত মজুমদার৷ তৃণমূলের এক শীর্ষ নেতার অত্যন্ত ঘনিষ্ঠও তিনি৷ পঞ্চায়েত ভোটের সময় থেকে লোকসভা ভোট পর্যন্ত কলকাতায় তৃণমূলভবনে তাঁর অবাধ যাতায়াত ছিল৷ এমনকি লোকসভা নির্বাচনে রজত মজুমদার তৃণমূল প্রার্থী হতে পারেন, এমন জল্পনাও শোনা গিয়েছিল৷ যদিও, শেষমেশ প্রার্থী হননি তিনি৷
সারদাকাণ্ড প্রকাশ্য আসার পর থেকেই এই কেলেঙ্কারির সঙ্গে নাম জড়ায় তৃণমূল ঘনিষ্ঠ এই প্রাক্তন পুলিশ কর্তার৷ সিবিআই সূত্রে খবর, সারদা গোষ্ঠীর কাছ থেকে লক্ষাধিক টাকা বেতন নিতেন তিনি৷ সারদার একটি গাড়িও ছিল তাঁর কাছে৷
সূত্রের খবর, কেলেঙ্কারির কথা প্রকাশ্যে আসার পর সেই গাড়ি তাঁর কাছ থেকে বাজেয়াপ্ত করা হয়৷ গোয়েন্দা সূত্রে খবর, জেরার মুখে একাধিকবার রজত মজুমদারের নাম করেছেন সুদীপ্ত-দেবযানী থেকে কুণাল ঘোষ৷ সিবিআইয়ের অনুমান, এই মামলায় সুবিধাভোগী প্রভাবশালীদের সম্পর্কে সাক্ষ্য জোগাড়ে গুরুত্বপূর্ণ ভূমিকা নিতে পারেন তৃণমূল ঘনিষ্ঠ এই প্রাক্তন পুলিশ কর্তা৷
বৃহস্পতিবার সকাল সাড়ে ৯টা নাগাদ প্রাক্তন এই পুলিশকর্তার বাড়িতে পৌঁছন সিবিআই আধিকারিকরা৷ তখন বাড়িতে ছিলেন না রজত মজুমদার৷ তাঁকে ডেকে পাঠায় সিবিআই৷ দুপুর আড়াইটে নাগাদ বীরভূম থেকে বাড়ি ফেরেন রজত মজুমদার৷ দুপুর ৩টে নাগাদ তৃণমূল ঘনিষ্ঠ এই প্রাক্তন পুলিশ কর্তার বাড়িতে তল্লাশি শুরু করে সিবিআই৷

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