THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, March 18, 2013

अब तो विपक्ष को चीखने चिल्लाने के लिए जनता को मूर्ख बनाने के लिए दूसरे मुद्दे मिल ही गये हैं तो सत्तावर्ग को बेदाग साबित करने के लिए हमारी जेब क्यों काटी जा रही है?

अब तो विपक्ष को चीखने चिल्लाने के लिए जनता को मूर्ख बनाने के लिए दूसरे मुद्दे मिल ही गये हैं तो सत्तावर्ग को बेदाग साबित करने के लिए हमारी जेब क्यों काटी जा रही है?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



सीबीआई 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वतखोरी के मामले  में जांच कैसे हो सकती है, जबकि इस सौदे​ ​​ को  अंतिम रुप दिया था तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी ने, जो इस वक्त भारत के राष्ट्रपति हैं। संवैधानिक प्रावधान के तहत उन्हें ​​प्रेसीडेंसियल इम्युनिटी का रक्षाकवच मिला हुआ है और उनके खिलाफ न कोई जांच हो सकती है और न उनपर कोई मुकदमा चलाया जा ​​सकता है। इसीतरह भारत में कालाधन को सफेद बनाने की स्विस बैंक व्यवस्था के बारे में २०११ को ही वित्त मंत्रालय को मालूम था। लेकिन कोई जांच न हुई। न कार्रवाई हुई। अब कोबरापोस्ट के स्टिंग आपरेशन से हुए खुलासे के बाद शक के दायरे में फंसे निजी बैंक कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर खुद को पाक साफ और कालाधन की व्यवस्था को बेदाग साबित करने में लगा है। प्रश्न यह उठता है कि २०११ में भारत का ​​वित्तमंत्री कौन था, जिन्होंने मामले को दबा दिया प्रशन यह भी है कि क्या उनके लिए भी रक्षकवच का कोई मामला है जनता के पैसे से जांच पर करोड़ों रुपए बरबाद करने की आखिर जरुरत क्या है? विदेश यात्राओं पर सैर सपाटे के अलावा जांच दल को आखिर करना क्या है? बोफोर्स ममले का उदाहरण सामने है। कुल ६४ करोड़ के घोटाले की जांच में दसियों गुणा खर्च हुआ, लेकिन नतीजा सिफर! अब तो विपक्ष को चीखने चिल्लाने के लिए जनता को मूर्ख बनाने के लिए दूसरे मुद्दे मिल ही गये हैं तो सत्तावर्ग को बेदाग साबित करने के लिए हमारी जेब क्यों काटी जा रही है?


सीबीआई 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वतखोरी के मामले के अभियुक्तों के वित्तीय लेनदेन की जानकारी पाने के लिए कम से कम चार देशों को न्यायिक अनुरोध भेज सकती है। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि वे अनुरोध पत्रों के जरिये उठाए जाने वाले मुद्दे तय करने के लिये सामग्री का विशलेषण कर रहे हैं।ये एलआर (न्यायिक अनुरोध) ब्रिटेन, इटली, मॉरिशस और टयूनीशिया को भेजे जाने हैं, जिनमें एजेंसी अपनी प्राथमिकी में नामित की गयी कंपनियों और व्यक्तियों की ओर से किये गये वित्तीय लेनदेन की जानकारी मांगेगी। गौरतलब है कि सीबीआई ने पिछले हफ्ते पूर्व एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी समेत 12 अन्य लोगों के खिलाफ इस सौदे में कथित धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के मामले दर्ज कर उनके आवास समेत 14 ठिकानों पर छापे मारे।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि उसने आईसीआईसीआई, एचडीएफसी और एक्सिस बैंक के मुख्यालयों और ब्रांचों की छानबीन शुरू कर दी है। इन बैंकों पर मनी लॉन्ड्रिंग, फेमा और केवाईसी जैसे नियमनों का उल्लंघन करने का आरोप है।रिजर्व बैंक ने कहा कि यह छानबीन 31 मार्च तक पूरी हो जाएगी।जांच का फैसला Cobrapost.com के स्टिंग ऑपरेशन के बाद लिया गया। इस न्यूज वेबसाइट की खबर में इन बैंकों पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने की बात कही गई है। मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, 'इसकी उम्मीद की जा रही थी। हम आरबीआई के अधिकारियों से बैंकों की ऑडिट किए जाने की उम्मीद कर रहे थे। आरबीआई के अधिकारी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि क्या कोई संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुआ था या नहीं।' पिछले हफ्ते आरबीआई ने कोबरापोस्ट की विडियो क्लिप मंगाई थी। इसमें कुछ बैंकों के स्टाफ को टैक्स चोरी और विदेशों में पैसा भेजने के लिए डील करते दिखाया गया है।


वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों के कुछ अधिकारियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग गतिविधियों में लिप्त होने के आरोपों पर सरकार और रिजर्व बैंक नजदीकी से नजर रखे हुये हैं।वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय खुफिया तंत्र को वर्ष 2011-12 में संदिग्ध लेन देन के 13871 मामलों का पता चला है। अध्ययन के अनुसार यदि इस गैर कानूनी ब्लैक मनी का पता लगा लिया जाए और उस पर 30 फीसद की दर से टैक्स लगाया जाए तो उससे प्राप्त होने वाले 8.5 लाख करोड़ रुपए से देश के 626 जिलों में दो हजार बिस्तरों वाले सुपर स्पेशलिटी वाले अस्पताल खोले जा सकते हैं। अध्ययन बताते हैं कि यदि यह सारी ब्लैक मनी वापस आ जाए तो तो देश के प्रत्येक नागरिक और उद्योगों को एक साल तक टैक्स देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।आगामी लोकसभा चुनाव में मंहगाई और भ्रष्टाचार के बाद यदि तीसरा कोई बड़ा मुद्दा है जो सत्तापक्ष के सियासी गड़ित को गड़बड़ा सकता है तो वह ब्लैक मनी का है। देश की खस्ता हाल अर्थव्यवस्था को विदेशी बैंकों में जमा यह काला धन संजीवनी देने का काम कर सकता है। देश की धन संपदा को गैर कानूनी तरीके से जोंक की तरह चूस कर विदेशी बैंकों की शोभा बढ़ाने के इस खेल में राजनेताओं से लेकर बड़े उद्योगपति शामिल हैं। रीयल एस्टेट, सोने, बुलियन और शेयर मार्केट के कारोबारियों से लेकर अनके नौकरशाहों की भी अकूत संपत्ति विदेशी बैंकों में जमा है। काले धन को वापस लाना तो दूर की बात है फिलहाल तो सरकार ऐसे लोगों के नाम भी उजागर करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती है। इसलिए उच्चतम न्यायालय के कड़े रुख के बाद सरकार ने जो लिफाफा न्यायालय को सौंपा उसमें यह कहा गया कि नाम उजागर न किए जाएं।


निजी क्षेत्र के तीन प्रमुख बैंकों के खिलाफ मनी लांड्रिंग आरोपों के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, 'वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव इस मामले को नजदीकी से देख रहे हैं। रिजर्व बैंक भी बारीकी से इसे देख रहा है। उन्होंने (बैंकों ने) भी अपनी खुद की जांच बिठाई है। हमें उन्हें जांच रिपोर्ट तैयार करने के लिये कुछ समय देना चाहिये।'


एक वेबपोर्टल के स्टिंग आपरेशन में निजी क्षेत्र के तीन बैंकों आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और एचडीएफसी बैंक के अधिकारियों के मनीलांड्रिंग गतिविधियों में लिप्त होने का खुलासा होने के बाद इन बैंकों ने तुरंत हरकत में आते हुये अपने स्तर पर जांच बिठा दी और जांच पूरी होने तक कुछ कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।


वेबपोर्टल कोबरापोस्ट ने पिछले सप्ताह इस वीडियो रिकार्डिंग को जारी किया था। इसमें निजी क्षेत्र के इन बैंकों के अधिकारी बिना किसी लिखत पढ़त के नकदी स्वीकार करने पर सहमत होते दिखे और इस राशि को उन्होंने अपनी निवेश योजनाओं और बेनामी खातों में रखने पर सहमति जताई, जो कि सरासर मनी लांड्रिंग रोधी कानून का उल्लंघन है।


एचडीएफसी बैंक ने मामले की स्वतंत्र जांच के लिये बाहर से ऑडिट फर्म को नियुक्त किया है जबकि एक्सिस बैंक ने मामले में अपनी जांच शुरू की है।


वित्त मंत्रालय के सूत्रों से एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि आयकर विभाग मनी लॉन्डरिंग के आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रावाई कर सकता है। कर्मचारियों के खिलाफ धारा 276, 278 के तहत मामला दर्ज हो सकता है।


कोबरपोस्ट के स्टिंग में आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और एचडीएफसी बैंक के कुछ कर्मचारियों को काले धन को सफेद बनाने के तरकीबें बताते हुए दिखाया गया था।


सूत्रों के मुताबिक तीनों बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर आयकर विभाग आरबीआई के साथ बातचीत कर रहा है। आरबीआई और वित्त मंत्रालय मामले की जांच कर रहे हैं। तीनों बैंकों ने भी आंतरिक जांच शुरू कर दी है।


सूत्रों का कहना है कि आरबीआई की टीम ने कोबरापोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में नाम आने वाले बैंकों की शाखाओं में जाकर जांच शुरू कर दी है। स्टिंग ऑपरेशन के बाद आरबीआई की तरफ से गठित 30 टीमों ने पिछले हफ्ते बैंकों के शाखाओं में जाकर अपनी जांच शुरू की है। आरबीआई की टीम ने बैंकों की शाखाओं में स्पेशल ऑडिट किया है।


सूत्रों की मानें तो आरबीआई की तरफ से स्टिंग ऑपरेशन में शामिल बैंकों पर लगे आरोप की जांच के लिए ऑडिट किया गया है। आरबीआई की टीम एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के हेड ऑफिस में भी जाने वाली है। इन बैंकों के हेड ऑफिस में सिस्टम की जांच की जाएगी। माना जा रहा है कि 2-4 हफ्तों में ऑडिट रिपोर्ट के नतीजे आ सकते हैं।


सीबीआई सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वत के मामले में धन के लेनदेन, जो इन देशों से भारत पहुंचाया गया, की जांच के लिए इन देशों के जवाब की जरूरत होगी। एजेंसी के सूत्रों के अनुसार एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि दलाल गुइदो हाशके ने ट्यूनिशिया स्थित अपनी कंपनी गॉर्डियन सर्विसेज सार्ल के जरिए अगस्ता वेस्टलैंड के साथ 2004-05 से कई परामर्श करार किए और इसी के साथ-साथ उसने त्यागी के भाइयों के साथ भी परामर्श करार किए। हाशके ने इन करारों के नाम पर कथित तौर पर त्यागी बंधुओं को 1.26 लाख यूरो और दो लाख यूरो भेजे।


प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि हाशके एवं कालरेस गेरोसा मोहाली स्थित आईडीएस इन्फोटेक और चंडीगढ़ स्थित एयरोमेट्रिक इन्फो साल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड के जरिये भारत में 56 लाख यूरो भेजने में सफल हुए। इन लोगों ने बाकी की लगभग दो करोड़ 43 लाख यूरो की रकम अपनी आईडीएस ट्यूनीशिया के खाते में रख ली, जो उन्हें अगस्ता वेस्टलैंड से मिली। इसमें कहा गया, इस रकम का एक हिस्सा मॉरिशस एवं हवाला के जरिये भारत में भेजा गया ताकि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदा अगस्तावेस्टलैंड के लिए हासिल करने की रिश्वत दी जा सके।


दूसरी ओर, भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक के मुख्यालयों और शाखाओं की व्यापक छानबीन शुरू की है। इन बैंकों पर मनी लांड्रिंग और फेमा व केवाईसी जैसे नियमनों का उल्लंघन करने का आरोप है।


रिजर्व बैंक ने कहा कि यह छानबीन 31 मार्च तक पूरी हो जाएगी।इस घटनाक्रम से जुड़े आरबीआई के एक अधिकारी ने बताया, 'विडियो में कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ जान पड़ता है। हालांकि, कुछ बैंक अधिकारियों की फाइनैंशल सलाह इन बैंकों को मुश्किल में डाल सकती है। ऑडिट शुरू हो चुकी है और हम इन बैंकों की तरफ से नो योर कस्टमर्स (केवाईसी) स्टैंडर्ड नियम के पालन की पड़ताल करेंगे। अगर कोई भी गड़बड़ी पाई जाती है हमारे पास बैंक ब्रांच के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है। हम बैंकों की इंटरर्नल रिपोर्ट का भी इंतजार करेंगे।'


अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया, 'बैंक के अहाते में किसी एजेंट की तरफ से इंश्योरेंस या म्यूचुअल फंड जैसे थर्ड पार्टी प्रॉडक्ट्स की क्रॉस सेलिंग भी बैंक की जिम्मेदारी होगी।' आरबीआई ने 2006 में केवाईसी नियमों के उल्लंघन समेत कई गाइडलाइंस का पालन नहीं करने के मामले में 17 बैंकों पर जुर्माना लगाया था। उस वक्त आरबीआई ने सबसे ज्यादा एचडीएफसी बैंक पर 25 लाख का जुर्माना लगाया था। इसी बीच, तीन प्राइवेट सेक्टर बैंकों ने मिडिल लेवल के तकरीबन 40 एग्जिक्यूटिव्स को सस्पेंड कर दिया है। आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है। एचडीएफसी बैंक ने ब्रांचों की ऑडिट के लिए ऑडिटर डेलॉइट टीटी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को हायर किया है।


केंद्रीय बैंक ने एक बयान जारी कर कहा, 'आरबीआई ने निजी क्षेत्र की तीन बैंकों, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक के मुख्यालय और शाखाओं की व्यापक छानबीन शुरू की है। इन सभी तीन बैंकों पर अंतिम रिपोर्ट 31 मार्च, 2013 तक पूरी हो जाएगी और इसके बाद आवश्यकता के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।' ऑनलाइन पोर्टल कोबरापोस्ट द्वारा एक स्टिंग ऑपरेशन में इन तीन बैंकों पर मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया गया था।


रिजर्व बैंक ने कहा, 'इन बैंकों की कुछ शाखाओं में एक ऑनलाइन मीडिया फर्म द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर यह छानबीन शुरू की गई है। स्टिंग ऑपरेशन में इन बैंकों की शाखाओं में आरबीआई नियमन के कई प्रावधानों का उल्लंघन करने और मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया गया है।'


सीबीआई ने 3600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रिश्वतखोरी के मामले में पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके तीन चचेरे भाइयों और पांच अन्य भारतीयों के लिए लुक आउट नोटिस जारी किया है जिनके नाम सौदे में कथित रूप से रिश्वत लेने के मामले में दर्ज प्राथमिकी में हैं।


सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि इन सभी को किसी भी हवाईअड्डे से देश से बाहर जाने से रोकने के लिए लुक आउट नोटिस जारी किया गया है। सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ऐसे मामलों में इस प्रक्रिया को अपनाती है जिनमें आशंका होती है कि आरोपी मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़कर जा सकता है।


एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एसपी त्यागी देश के पहले ऐसे वायुसेना प्रमुख हैं जिनके खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है। उन पर 12 अन्य लोगों के साथ सौदे में कथित धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का मामला बुधवार को दर्ज किया गया और उनके आवास समेत 14 ठिकानों पर छापे मारे गए।


सीबीआई सूत्रों ने कहा कि पूर्व वायु सेना प्रमुख, उनके रिश्ते के तीन भाई संजीव उर्फ जूली, राजीव उर्फ डोक्सा और संदीप, यूरोपीय दलाल कालरे गेरोसा, क्रिस्चियन माइकल और गुइदो हाशके उन 13 लोगों में शामिल हैं जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।


मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोपों के बीच प्राइवेट सेस्टर के आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और एचडीएफसी बैंक हरकत में आ गए हैं। इन्होंने अपने स्तर पर आरोपों की जांच शुरू कर दी है। आईसीआईसीआई बैंक ने जांच पूरी होने तक शुक्रवार को ही अपने 18 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था। एक्सिस बैंक ने भी शनिवार को 16 अधिकारियों को जांच पूरी होने तक प्रशासनिक कार्यालयों को रिपोर्ट करने को कहा है। उधर, एचडीएफसी बैंक ने इन आरोपों के बाद जांच के लिए अलग अलग समितियां गठित की हैं।


एक्सिस बैंक सूत्रों ने बताया कि बैंक ने एक आंतरिक जांच शुरू की है। जब तक जांच पूरी नहीं होती, हमने 16 संबंधित कर्मचारियों को बैंक के प्रशासनिक कार्यालयों को रिपोर्ट करने को कहा है।


प्राइवेट सेक्टर के इन तीनों प्रमुख बैंकों, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक पर अंदर और बाहर दोनों तरह से मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप लगे हैं। एक ऑनलाइन पोर्टल कोबरा पोस्ट ने दावा किया है कि उसके स्टिंग ऑपरेशन में मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले का खुलासा हुआ है।


कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन के तहत खुलासा होने के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि उसने एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की है जो मामले की जांच कर 2 सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। बैंक ने 18 कर्मचारियों को जांच पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया।


कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन 'ऑपरेशन रेड स्पाइडर' में दिखाया गया है कि तीनों बैंकों के कई सीनियर अधिकारी अंडरकवर रिपोर्टर से बिना किसी लिखित के भारी नकदी लेने पर सहमत हो रहे हैं और इस पैसे को दीर्घकालिक निवेश योजनाओं में लगाने की बात कर रहे हैं, ताकि इस कथित ब्लैकमनी को वाइट में बदला जा सके।


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