THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, March 25, 2013

क्या लगभग सर्वदलीय सहमति से प्रणव को राष्ट्रपति इसीलिए बनाया गया कि रक्षाकवच की आड़ में घोटालों का रफा दफा कर दिया जाये?

क्या लगभग सर्वदलीय सहमति से प्रणव को राष्ट्रपति इसीलिए बनाया गया कि रक्षाकवच की आड़ में घोटालों का रफा दफा कर दिया जाये?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


क्या लगभग सर्वदलीय सहमति से प्रणव को राष्ट्रपति इसीलिए बनाया गया कि रक्षाकवच की आड़ में घोटालों का रफा दफा कर दिया जाये?अब २जी स्पेक्ट्रम के मामले में राजा के ताजा आरोप कि प्रधानमंत्री और प्रणव मुखर्जी को सब कुछ मालूम है, यह सवाल उठना​​ स्वाभाविक है।वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे को उन्होंन अतिम रुप दिया बतौर तत्कालीन  रक्षामंत्री। फिर भारतीय निजी बैंकों के स्विस बैंक​ की तरह कालाधन सफेद करने के मामले में जांच रपट पर भी वित्तमंत्रालय दो साल तक दबाये बैठे रहा। वे राष्ट्रपति बनने से पहले ​​वित्तमंत्री ही थे। अब रिजर्व बैंक ने तुरत फुरत जांच करके अभियुक्त बैंकों को क्लीन चिट दे दिया है। विदेश दौरे पर सैर सपाटे के लिए सीबीआई टीम बेज दी गयी है, पर हेलीकाप्टर  सौदे का जांच पड़ताल से कुछ हासिल नहीं होने वाला है क्योंकि सरकार ने तो जान बूझकर फैक्टसीट में राष्ट्रपति का नाम डाल दिया, जिन्हें संवैधानिक रक्षाकवच मिला हुआ है और न उनके खिलाफ जांच संबव है और मुकदमा। अब तो राजा ने भी महामहिम का नाम घसीट दिया स्पेक्ट्र घोटाले में। नतीजा समान है। इसकी एकमात्र काट महाभियोग है, पर नीति निर्धारण और भारतीय राजनीति पर जो कारपोरेट शिकंजा है, उसके मुताबिक महाभियोग के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। सर्वदलीय सहमति प्रणव मुखर्जी के हक में बनाने में आखिर निर्णायक भूमिका कारपोरेट लाबिइंग की ही रही है।विदेशी निवेशकों की आस्था वापस लाने के लिए गार खत्म करने के मकसद से उन्हे वित्त मंत्रालय से हटाने की धारणा निराधार है। तो क्या घोटालों के घेरे में फंसी सरकार को कारपोरेट हित में बचाने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत प्रणव को रायसीना के किले में भेजने की कवायद थी? वे कालाधन की आम माफी की भी वकालत कर रहे थे और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए उन्होंने ही कारपोरेट चंदे को वैधानिक बनाया। अगर भारत लोक गणराज्य है तो उसे इस सवाल का सामना अवश्य करना चाहिए।राजनितिक दल प्रत्येक घोटाले के बाद अपने आप को बचाने और राजनितिक लाभ लेने के लिए एक दुसरे पर कीचड़ उछालने में लग जाते हैं। ताजा हेलीकाप्टर घोटाले और बैंक घोटाले  में भी ठीक यही सब बातें दोहराई जा रही है


२जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने इस मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लपेटने की कोशिश की है। मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजे लिखित जवाब में राजा ने कहा कि लाइसेंसिंग नीति के बारे में प्रधानमंत्री तथा तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी को जानकारी थी। साथ ही उन्होंने अटार्नी जनरल जीई वाहनवती (तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल) पर भी गलतबयानी का आरोप जड़ा है। राजा ने समिति द्वारा भेजी गई एक प्रश्नावली पर १७ पेजी अपने जवाब में कहा है- दूरसंचार क्षेत्र से जुड़े विभिन्ना मुद्दों पर मैंने २ नवंबर, २००७ को प्रधानमंत्री से पत्राचार किया और उसके बाद व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर उनसे उस विषय पर चर्चाएं भी की। समिति को १३ मार्च को भेजे जवाब में राजा ने कहा है- उन चर्चाओं में इस बात पर सहमति बनी कि संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी से विमर्श करेंगे। मुखर्जी खाली पड़े स्पेक्ट्रम मामलों पर गठित मंत्री समूह के प्रमुख थे। राजा के मुताबिक मुखर्जी के साथ दिसंबर २००७ की चर्चाओं में ग्राहक आधारित मापदंड पर अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के आवंटन, ड्यूअल टेक्नोलॉजी तथा नए लाइसेंस जारी करने के मसलों पर बात हुई थी। राजा ने जनवरी ०८ में स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटन किए जाने तक के घटनाक्रमों का ब्योरा देते हुए कहा कि उन चर्चाओं में तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल वाहनवती भी मौजूद थे और वही मसले दूरसंचार विवाद निवारण एवं अपीली पंचाट (टीडीसैट) के सामने भी आए थे।


देश के राष्ट्रपति महामहिम श्री प्रणव मुख़र्जी का नाम हेलीकाप्टर घोटाले में आया है। अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद में रक्षा मंत्रालय की सफाई से यूपीए सरकार को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस मामले में कांग्रेस और यूपीए एनडीए सरकार पर आरोप लगाकर अपना पल्ला झाड़ रही थी लेकिन गुरुवार को रक्षा मंत्रालय ने 3546 करोड़ रुपये की इस डील की जो फैक्टशीट जारी की है उसके मुताबिक सौदे पर मुहर सन् 2005 में लगी जब प्रणव मुखर्जी रक्षा मंत्री हुआ करते थे। डील के फाइनल होने के समय एसपी त्यागी एयर चीफ मार्शल, पूर्व आईपीएस अधिकारी व एसपीजी के मुखिया बीवी वांचू और एमके नारायणन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे।


इसीतरह कोलगेट में सरकार अपनी जांच एजंसी के जांच में फंसती नजर आ रही है। बहुचर्चित कोयला खान आबंटन घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने जो जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी उसमें कथित तौर पर सीबीआई द्वारा स्वीकार किया गया है कि यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान कोयला खानों के आबंटन में अनियमितताएं बरती गई थीं। सरकार की ओर से मौजूद एटार्नी जनरल ने जांच एजंसी के इस निष्कर्ष का का जोरदार प्रतिवाद किया गया।न्यायालय में पेश प्रगति रिपोर्ट में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) ने कहा है कि कि 2006 से 2009 के दौरान कंपनियों की पृष्ठभूमि की जांच पड़ताल के बगैर ही कोयला ब्लाक का आबंटन किया। आरोप है कि इन कंपनियों ने अपने बारे में कथित रूप से गलत तथ्य पेश किये थे। न्यायमूर्ति आर एम लोढा, न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सीबीआई द्वारा मोहरबंद लिफाफे में प्रस्तुत रपट देखी।


कोबरा पोस्ट के स्टिंग आपरेशन के बाद बैंकों की मुश्किल खत्म नहीं हो रही है। आरबीआई के बाद इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीए ने भी जांच शुरू कर दी है। इस मामले में आईआरडीए ने 3 इंश्योरेंस कंपनियों से जवाब-तलब किया है।


कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक के अधिकारियों पर मनी लॉन्डरिंग के आरोप लगे थे। स्टिंग ऑपरेशन के दौरान इन अधिकारियों ने ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए इंश्योरेंस में निवेश का भी हवाला दिया था।


इसी सिलसिले में आईआरडीए ने एचडीएफसी लाइफ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के सीईओ के सामने ये मामला उठाया। आईआरडीए ने तीनों कंपनियों से कार्रवाई शुरू करने के लिए डाटा भी मांगा है।


ऑनलाइन पोर्टल कोबरापोस्ट डॉट कॉम ने आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर केसी चक्रवर्ती के देश के 3 बड़े प्राइवेट बैंकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को खारिज करने पर कड़ा ऐतराज जताया है। गौरतलब है कि कोबरापोस्ट ने स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया था कि आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग का काम करते हैं।


इस पर आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने कहा था, 'आरोपों का मतलब नॉर्म्स का उल्लंघन नहीं है। एक भी ट्रांजैक्शन नहीं हुआ। केवाईसी के उल्लंघन किसी भी सिस्टम में होंगे। ये सभी ट्रांजैक्शन से जुड़े मुद्दे हैं और इनका मनी लॉन्ड्रिंग से कोई संबंध नहीं है। कोई स्कैम नहीं हुआ क्योंकि कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ। हमें खुद को बिना जरूरत के नीचा नहीं करना चाहिए। मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए हमारा सिस्टम पूरी तरह सटीक है।'


कोबरा पोस्ट ने कहा कि तीनों बैंकों को आरबीआई ने क्लीन चिट दे दी, जबकि अभी न तो आरबीआई और न ही इन बैंकों की आंतरिक जांच पूरी हुई है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। कोबरा पोस्ट ने आरोप लगाया कि इससे यह प्रतीत हो रहा है कि जैसे आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर इन तीनों बैंकों के प्रवक्ता हैं।


कोबरा पोस्ट ने कहा कि चक्रवर्ती का यह कहना कि क्योंकि कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ है, इसलिए कोई गड़बड़ी भी नहीं हुई है, बहुत ही सतही बयान है। कोबरा पोस्ट ने आरबीआई से बैंकिंग रेग्युलेटरी और सुपरविजन का अधिकार वापस लेने और नई एजेंसी बनाने की मांग की।


गौरतलब है कि कोबरापोस्ट ने 14 मार्च को एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक के अधिकारियों की विडियो रिकॉर्डिंग जारी की थी। इसमें कथित तौर पर इन अधिकारियों के बिना जांच के नकदी लेने और इसे इनवेस्टमेंट स्कीमों और बेनामी खातों में डालने के लिए हामी भरते दिखाया गया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों का उल्लंघन है। इन आरोपों के सामने आने के बाद बैंकों ने अपने कुछ एंप्लॉयीज को सस्पेंड भी किया।


आरबीआई ने केवाईसी गाइडलाइंस के कथित उल्लंघन के लिए तीनों बैंकों की जांच भी शुरू की है। आरबीआई ने कहा है कि अंतिम रिपोर्ट 31 मार्च तक तैयार हो जाएगी और उसके बाद जरूरत पड़ने पर अगला कदम उठाया जाएगा।


'ऑपरेशन रेड स्पाइडर' नाम के इस स्टिंग ऑपरेशन में तीनों बैंकों के कुछ एग्जिक्यूटिव्स की विडियो फुटेज थी जिसमें वे मौखिक तौर पर अंडरकवर रिपोर्टर से बड़ी मात्री में नकदी लेकर उसे अलग-अलग लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट प्लान्स में डालने के लिए हामी भरते दिखाया गया था। इस तरह की ट्रांजैक्शंस ब्लैक मनी को वाइट में बदलने के लिए की जाती हैं। चक्रवर्ती का कहना था , 'अपने बैंकों को इस बारे में पर्याप्त गाइडलाइंस दी हैं। हमारे लोगों ने जांच भी शुरू की है , जो सिर्फ इन 3 बैंकों की नहीं , बल्कि सभी अन्य बैंकों की भी होगी। '


उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग और ब्लैक मनी दो अलग-अलग चीजें हैं। चक्रवर्ती का कहना था , ' आपको यह दिखाने के लिए स्टिंग ऑपरेशन करने की जरूरत नहीं है कि इस देश में लोगों के पास ब्लैक मनी है। कुछ ब्लैक मनी बैंक खातों में है और क्या इसके लिए आपको स्टिंग ऑपरेशन की जरूरत है?'



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