THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Saturday, June 8, 2013

28 साल बाद मिली बिजली

28 साल बाद मिली बिजली

hemkund-sahibहेमकुण्ड साहिब और उसके इलाकों में 28 साल बाद बिजली उपलब्ध हो पाई। 1984 में अथाह वर्फ गिरने के कारण इस इलाके की विद्युत-व्यवस्था भंग हो गई थी। तब से गुरुद्वारा प्रबंधन पहले उत्तर प्रदेश व बाद में उत्तराखंड सरकार से लगातार पत्राचार व विभागीय अधिकारियों, नेताओं से मिलता व अन्य कोशिशें करता रहा लेकिन बिजली नहीं मिली।

पिछले वर्ष जब यह मामला आरटीआई कार्यकर्ता गुरविन्दर सिंह चड्ढा के संज्ञान में आया तो उन्होंने केन्द्र व उत्तराखंड सरकार से आरटीआई के तहत पत्राचार किया। उन्होंने यह मुद्दा उठाते हुए सवाल किया कि हेमकुण्ड गुरुद्वारा विश्व प्रसिद्ध 'फूलों की घाटी' के क्षेत्र में आता है। बिजली न होने से मजबूरीवस यहाँ के लोग जनरेटर का प्रयोग कर बिजली जलाते हैं। हजारों लीटर डीजल के प्रयोग से पूरे क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है और डीजल भी बरबाद हो रहा है। इससे वहाँ के महत्वपूर्ण पेड़-पौंधों की प्रजातियाँ भी नष्ट हो रही हैं। इसका जिम्मेदार शासन है या प्रशासन ? श्री चड्ढा की योजना सफल हुई और बिजली का काम शुरू होने लगा।

29 साल बाद 23 मई 2013 को बिजली आ गई। इसकी जानकारी गुरविन्दर सिंह को गुरुद्वारा ट्रस्ट द्वारा शुक्रिया अदा करते हुए दी गई। गुरविन्दर सिंह बताते हैं, इस कामयाबी से उन्हें भी काफी हर्ष हुआ। अब तीनों गुरुद्वारों- गोविन्द घाट, गोविन्द धाम तथा हेमकुण्ड साहिब को बिजली से सजाया गया है।

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