THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Sunday, June 2, 2013

हटकर भी नहीं हटे श्रीनिवासन,खेल जारी है , सिर्फ खिलाड़ी बदल गये!बाकी कसर भी पूरी हो जायेगी, कीजिये अब इंतजार!

हटकर भी नहीं हटे श्रीनिवासन,खेल जारी है , सिर्फ खिलाड़ी बदल गये!बाकी कसर भी पूरी हो जायेगी, कीजिये अब इंतजार!


पलाश विश्वास


अब श्रीनिवासन का खड़ाऊं सिंहासन पर रखकर भारत सरकार के समांतर भारतीय क्रिकेट का आईपीएल साम्राज्य चलायेंगे कोलकाता के,  बंगाल क्रिकेट बोर्ड के अध्‍यक्ष जगमोहन डालमिया।बताया जा रहा है कि बैठक में अरुण जेटली ने डालमिया का नाम आगे बढ़ाया, बता दें कि बोर्ड की आपात बैठक के पहले जगमोहन डालमिया और श्रीनिवासन के बीच तकरीबन दो घंटे की बैठक हुई थी। हटकर भी नहीं हटे श्रीनिवासन और आईपीएल घोयाले का पटाक्षेप का पूरा आयोजन हो गया। जुआड़ियों के विश्वव्यापी बेटिंग नेटवर्क, अंडरवर्ल्ड के अंधेरे कारोबार और मैच फिक्सिंग की संसस्कृति के मुताबिक चाकचौबंद बंदोबस्त के तहत भारतीय शेयर बाजार आधारित मुक्त बाजार की काला धन व्यवस्था और अबाध पूंजीप्रवाह की तरह सत्तावर्ग की सफेदपोश सेक्सी चियरिन संस्कृति की जय जयकार। कोलकाता चेन्नई के गठबंधन की जय जयकार। बेटिंग फिक्सिंग के सबसे बड़े अखाड़ों के आगे नतमस्तक हो गये पत्रकारिता से राजनीति में आकर अरबपति राजनेता बने चरम मौकापरस्त सारे काले धंदों को निर्बाध चलाने के बाद दूधधुले केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री राजीव शुक्ला आईपीएल कमिश्नर पद को तिलांजलि देकर भारतीय क्रिकेट साम्राज्य को कब्जाने का मंसूबा पूरा नहीं कर पाये। बैठक में एन श्रीनिवासन की जीत हुई है। एन श्रीनिवासन इस्तीफा नहीं देंगे वो अपने पद पर बने रहेंगे, लेकिन बोर्ड के रोजाना के कामकाज वो नहीं देखेंगे। विरोध के मद्देनजर महज दिखावे के लिए एक अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है। श्रीनिवासन का तर्क था कि उनके इस्तीफे से गलत संदेश जाएगा। सूत्रों की मानें तो ढाई बजे बैठक शुरू होते ही श्रीनिवासन ने आखिरी दांव चला, श्रीनिवासन ने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया इसलिए अध्यक्ष पद से हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता।श्रीनिवासन ने सीधा निशाना बनाया राजीव शुक्ला, अरुण जेटली और अनुराग ठाकुर को। उन्होंने कहा कि दामाद की गलती की सजा मुझे क्यों मिले। नेता और मीडिया इस मामले को तूल दे रहे हैं। श्रीनिवासन ने ये भी कहा कि अगर मैं इस्तीफा देता हूं तो एक अलग परंपरा की शुरुआत हो जाएगी।


अरुण जेटली और संघ परिवार का रिमोट कंट्रोल फेल हो गया। राजनीति के मराठा डान भारतीय कृषि के विध्वंसक शरद पवार भी हाथ मलते रह गये। जगताले और शिरके श्रीनिवासन के काले कारनामों में सच्ची साझेदारी निभाने के बाद रातोंरात ईमानदारी का परचम लहराने के बावजूद श्रीनिवासन का तख्ता पलट नहीं कर पाये।बीसीसीआई की चेन्नै में हुई आपात बैठक में भी आखिर एन श्रीनिवासन की ही चली। वह पद पर बने रहेंगे। रोज के काम-काज से खुद को अलग करने पर वह जरूर तैयार हो गए हैं। मगर, रोज का काम-काज देखने वाले वर्किंग ग्रुप का प्रमुख भी श्रीनिवासन की पसंद से ही तय हुआ। बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने श्रीनिवासन के इस्तीफे के सवाल पर जोर देना ठीक नहीं समझा। इस स्थिति से नाराज संजय जगदाले और अजय शिर्के ने अपना इस्तीफा वापस लेने और बोर्ड में अपना कामकाज दोबारा संभालने का अनुरोध स्वीकार करने से इनकार कर दिया।पंजाब क्रिकेट असोसिएशन के आई एस बिंद्रा जरूर अपवाद रहे। उन्होंने श्रीनिवासन के खिलाफ हमला बोलते हुए जोरदार ढंग से उनका इस्तीफा मांगा। उनका कहना था कि इस इस्तीफे के साथ किसी तरह की शर्त नहीं लगाई जानी चाहिए। मगर श्रीनिवासन खेमा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। बिंद्रा के समर्थन में और लोग सामने नहीं आए। ज्यादातर सदस्यों ने इस मसले पर चुप रहना ही बेहतर समझा। ऐसे में, बैठक में श्रीनिवासन की ही चली। उन्होंने साफ कर दिया कि वह पद नहीं छोड़ने वाले। आरोपों को देखते हुए जांच रिपोर्ट आने तक खुद को रोज के काम-काज से अलग करने की बात उन्होंने कही। रोज का काम-काज एक वर्किंग ग्रुप को सौंपा गया है जिसके अध्यक्ष जगमोहन डालमिया होंगे।


जगमोहन डालमिया क्रिकेट कारोबार और राजनीति दोनों में माहिर हैं।कोलकाता का आईपीएल केंद्र उन्हींके मातहत हैं, जहां से बेटिंग फिक्सिंग अंडरवर्ल्ड, चिटफंड, माफिया और राजनीति के तार प्लग अनप्लग होते रहे हैं। बंगाल और भारतीय राजनीति के संरक्षण में।डालमियां का करिश्मा यह है कि कोलकाता में पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग की रस्साकशी के बीच फैलती अराजक हिंसा और हावड़ा संसदीय चुनाव के लिए हो रहे मतदान में ममता दीदी की अग्निपरीक्षा की खबरें तक दिनभर हाशिये पर रही और कोलकाता में मीडिया और सत्ता वर्चस्व को डालमिया की ताजपोशी का इंतजार रहा।


भारतीय क्रिकेट को खुल्ला बाजार के सबसे क्रेजी, सबसे सेक्सी हथियार बनाने वाले डालमिया के अंतरिम अध्यक्ष बनने से बाजार की ही जयजयकार। आईसीसी के चेयरमैन बतौर भद्रलोक के खेल के कालाबाजार में तब्दील करने का काम उन्होंने ही तो संपन्न किया।मौनी देवों और देवियों की तपस्या सार्थक हो गयी। शरद पवार खेमे को धता बताने वाले फैसले में बोर्ड की कार्यसमिति ने फैसला किया कि डालमिया उसके रोजमर्रा के कामकाज का संचालन करेंगे। इससे पहले श्रीनिवासन ने कहा कि वह स्पाट फिक्सिंग मामले में जांच पूरी होने तक अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे।अरुण जेटली, राजीव शुक्ला और अनुराग ठाकुर जैसे प्रमुख सदस्य डालमिया के पक्ष में थे।


पवार खेमा पूर्व प्रमुख शशांक मनोहर को डालमिया की जगह चाहता था लेकिन वह भी श्रीनिवासन का इस्तीफा सुनिश्चित नहीं करा सका।डालमिया अब संजय जगदाले की जगह तीन सदस्यीय जांच आयोग में एक नये सदस्य की नियुक्ति करेंगे। यह आयोग श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपर किंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरूनाथ मयप्पन और सीएसके के खिलाफ स्पाट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोपों की जांच करेगा।


बोर्ड के 24 सदस्यों ने बैठक में भाग लिया लेकिन श्रीनिवासन ने कहा कि किसी ने उनसे इस्तीफे की मांग नहीं की.


चैंपियन ट्राफी जीतकर महेंद्र सिंह धोनी फिर उग्रतम हिंदुत्व में सराबोर चियरिन राष्ट्रीयता के ध्वजावाहक बने ही रह सकते हैं। दो चार बलि हो जाने के बाद जनता का गुस्सा अपने आप शांत हो जायेगा। तमाम प्रतिरक्षा घोटालों, कोलगेट, रेलगेट, टुजी स्पेक्ट्राम, शारदा फर्जीवाड़ा, कोबरा स्टिंग आपरेशन का जो हुआ, उससे अलग हश्र होने की उम्मीद नहीं है।



जब सारा खेल खुल्ला फर्रूखाबादी संपन्न हो गया, जुआड़ियों की पसंदीदा टीम को आईपीएल छह चैंपियन बना दिया गया, विश्वव्यापी बेटिंग मीडिया प्रसारण कारोबार में अरबों का न्यारा वारा हो गया, भारतीय क्रिकेट में उजली छवि के आखिरी स्तंभ क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को टेस्ट क्रिकेट से भी रिटायर करने की परिस्थितियां बना दी गयीं, तब अब दावा है कि चौतरफा दबाव के आगे झुकते हुए एन श्रीनिवासन ने समझौते के तहत बीसीसीआई अध्यक्ष पद से किनारा कर लिया जिससे पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की वापसी हुई जो बोर्ड के संचालन के लिए अंतरिम व्यवस्था के तौर पर चार सदस्यीय पैनल की अध्यक्षता करेंगे। शरद पवार खेमे को धता बताने वाले फैसले में बोर्ड की कार्यसमिति ने फैसला किया कि डालमिया उसके रोजमर्रा के कामकाज का संचालन करेंगे। इससे पहले, श्रीनिवासन ने कहा कि वह स्पॉट फिक्सिंग मामले में जांच पूरी होने तक अध्यक्ष पद नहीं छोड़ेंगे।


श्री निवासन हटे और नहीं भी डटे। फिक्स्ड मैच में वे चौके छक्के लगाते रहे। फील्डर दौड़कर उछलकर तमाम कवायद करके टांग उठाऊ जंपिंग झपांग करते रहे। अपना समय चुनकर अपनी सुविधा के मुताबिक राज पाट अपने ही खास आदमी को सौंपकर व्यवस्था को भारतीय अर्थव्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रणाली को रोज रोज संविधान और कायदे कानून की हत्या के बावजूदखुले बाजार के कारपोरेट राज और अल्पमत जनविरोधी सरकार की तरह बदस्तूर कायम रखकर वे हटे। वे लगातार डटे रहे और उनके अंगदी पांव को प्रधानमंत्रित्व के दावेदार और संघ मुख्यालय तक टस से मस नहीं कर पाये। और अब वे हटकर भी नहीं हटे। श्रीनिवासन के बदले अंतरिम अध्यक्ष जो जगमोहन डालमियां बने वे बाकी कसर उसी तरह पूरा करेंगे जैस ललित मोदी के पलायन के बाद राजीव शुक्ला ने पूरी दक्षता और प्रतिबद्धता के साथ पूरी की। सुरेश कलमाडी और राष्ट्रमंडल खेलों में घपला किसी को याद है?


फिर इंतजार कीजिये , बाकी खेलो में खुले बाजार के मुताबिक प्रीमियर लीग के जरिये बाकी बचे खुचे स्पेस तक  गैर क्रिकेटीय आइकनों के जरिये दखल और जल जंगल जमीन आजीविक और नागरिकता से बेदखली और निर्मम सैन्य दमन की कार्रवाइयों का, जिसका कि हम लोग पिछले दो दशकों में भारतीय छिनाल राजनीति की बिस्तरी कवायद की तरह अभ्यस्त होही चुके हैं।



बल्कि इस घनघोर घटाटोप में बेसिक सारे मुद्दे हाशिये पर जाने का पूरा इंतजाम है। संसद में सर्वदलीय सहमति से देशभर में बहुसंख्य जनगण के खिलाफ नरसंहार संस्कृति के तहत जो अश्वमेध अभियान जारी है, विकास दर,वित्तीय घाटा, रेटिंग से लेकर माओवादी हिंसा तक के तर्क के तहत उसे भारतीय जनता के खिलाफ सर्वात्मक युद्ध में तब्दील करने की तैयारी है। चियरिनों के जलवे की आड़ में छुपे हैं नरसंहार के पारमाणविक शस्त्र तमाम और जनता को कानोंकान खबर नहीं है, आईपीएल विकास कथानक के विध्वंसक उत्कर्ष की तैयारी में है पक्ष विपक्ष की सम्मिलित सत्ता। सबसे उजले और चमकदार चेहरों के मार्फत जो व्यापक धोखाधड़ी का इंतजाम खुले बाजार के तहत भारत के कोने कोने में निरंकुश बाजार का वर्चस्व बनाता है , वह है क्रिकेट और इसकी सत्ता के लिए मारामारी भी राजनीति की रणनीतिक मजबूरी है, जैसे कि अश्वमेध यज्ञ के करमकांड की आध्यात्मिकता आक्रामक जनविराधी सलवा जुड़ुम धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद की मनुस्मृति व्यवस्था की अनिवार्यता है।


पंजाब क्रिकेट संघ के अध्यक्ष आई एस बिंद्रा ने हालांकि दावा किया कि उन्होंने इस्तीफे की मांग की।आई एस बिंद्रा ने बीसीसीआई बैठक के नतीजों पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि जो कुछ हुआ है उससे इस देश के करोड़ों क्रिकेटप्रेमी संतुष्ट नहीं होंगे। यह फैसला ऐसा नहीं है जिसे संतोषजनक माना जा सके। कार्यसमिति के दो सीनियर सदस्यों ने भी कहा कि बैठक में इस्तीफा शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। बैठक में सचिव जगदाले और कोषाध्यक्ष अजय शिर्के से भी इस्तीफे के फैसले पर पुनर्विचार करके बोर्ड को 24 घंटे के भीतर जवाब देने के लिये कहा गया।दोनों ने हालांकि बैठक के बाद कहा कि वे इस्तीफा वापिस नहीं लेंगे।


आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में राजस्थान रॉयल्स के तीन क्रिकेटर श्रीसंथ, अजीत चंदीला और अंकित चव्हान की गिरफ्तारी के बाद से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठने लगे थे। पहले दिन से आईपीएल कमिश्नर और बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से इस्तीफे की मांग शुरू हो गई थी।

दिल्ली पुलिस की पूछताछ और मुंबई क्राइम ब्रांच की कार्रवाई के बाद इस मामले के तार न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि चेन्नई सुपर किंग्स के प्रिंसिपल और श्रीनिवासन के दामाद मयप्पन गुरुनाथ तक पहुंच गए।

गुरुनाथ की गिरफतरी के बाद से ही चौतरफा दबाव में घिरे श्रीनिवासन की विदाई की राह बनने लगी थी हालांकि चेन्नई में हुई बीसीसीआई की आपात बैठक में इस चर्चाओं पर विराम लगा और श्रीनिवासन के अध्यक्ष पद को बरकरार रखते हुए जगमोहन डालमिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।


बीसीसीआई की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि बैठक के बाद श्रीनिवासन ने घोषणा की कि जांच पूरी होने तक वह बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं करेंगे। जब तक जगमोहन डालमिया बोर्ड के रोजमर्रा के कामकाज का संचालन करेंगे।' इसमें कहा गया कि समिति ने संजय जगदाले और अजय शिर्के पर पूरा विश्वास जताया और उनसे बोर्ड के व्यापक हित में इस्तीफा वापिस लेने का अनुरोध किया है।'


बैठक के बाद श्रीनिवासन ने कहा कि किसी ने उनसे इस्तीफे की मांग नहीं की और उन्होंने खुद अपने दामाद और फ्रेंचाइजी के खिलाफ जांच पूरी होने तक बोर्ड अध्यक्ष के रूप में काम नहीं करने की पेशकश की. उन्होंने कहा कि बैठक में कोई कटुता नहीं थी।


दामाद के गिरफ्तार होने के बाद से ही श्रीनिवासन पर इस्तीफा देने के लिये दबाव बनाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि खुद को अलग करके उन्होंने सही कदम उठाया है।


पवार के करीबी माने जाने वाले शिर्के ने कार्यसमिति के फैसले पर अप्रसन्नता जताते हुए कहा कि उन्हें समझ में नहीं आता कि यह व्यवस्था कैसे कामयाब होगी।पूर्व कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने  फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि वह इस फैसले से बेहद मायूस हैं। उन्होंने टाइम्स नाउ को बताया कि बैठक में उन्हें और बिंद्रा को छोड़कर एकाध लोग ही ऐसे थे जो श्रीनिवासन के खिलाफ बोलने की हिम्मत कर पाए। उन्होंने कहा कि मेरे ख्याल से जो बातें तय की गई हैं वे कानून सम्मत नहीं हैं, लेकिन बड़े नेताओं ने यह वैकल्पिक व्यवस्था सुझाई है, इसलिए मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा।शिर्के ने बताया, जगदाले से और मुझसे कहा गया कि हम अपना इस्तीफा वापस लेकर अपना काम-काज फिर से शुरू कर दें। मगर, जगदाले ने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं भी इसे स्वीकार नहीं कर पाऊंगा।





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