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Saturday, June 8, 2013

संसद में नहीं खुली पूर्व झारखंडी मुख्यमंत्रियों की जुबां

संसद में नहीं खुली पूर्व झारखंडी मुख्यमंत्रियों की जुबां


वर्तमान समय में झारखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, शिबू सोरेन और मधु कोड़ा लोकसभा सांसद हैं. मधु कोड़ा फिलहाल जेल में हैं, परंतु बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी. बावजूद इसके इनकी लोकसभा में उपस्थितिअन्य सांसदों की तुलना में सबसे कम रही है...

राजीव


पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च संस्था के अनुसार 15वीं लोकसभा में बजट सत्र तक सांसदों का राष्द्रीय औसत 77 प्रतिशत रहा, वहीं झारखंड के 14 सांसदों का औसत 66 प्रतिशत रहा.

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झारखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, शिबू सोरेन और मधु कोड़ा अभी लोकसभा सांसद हैं, परंतु लोकसभा में उनकी उपस्थिति और अन्य कार्यवाहियों में उनकी भागीदारी सबसे कम है. कोडरमा से सांसद रहे बाबूलाल मरांडी की लोकसभा में उपस्थिति 29 प्रतिशत है, जबकि उन्होंने संसद में एक भी सवाल नहीं पूछा, वहीं दुमका से सांसद रहे शिबू सोरेन की लोकसभा में उपस्थिति मात्र 21 प्रतिशत है, जबकि शिबू सोरेन ने भी संसद में एक भी सवाल नहीं पूछा है. सिहभूम से सांसद रहे मधु कोड़ा की लोकसभा में उपस्थिति मात्र 24 प्रतिशत रही है, हालांकि मधु कोड़ा ने 71 प्रश्न पूछे हैं.

उल्लेखनीय है कि संसद में ही देश के नीतियों का निर्धारण होता है, जिसमें सांसदों की भूमिका भारतीय संविधान के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. संसद में बहस के दौरान सांसदों का अनुपस्थिति रहना आज एक आम बात हो गयी है, जिसकी वजह से वहस के स्तर में गिरावट तो आयी ही है, कई महत्वपूर्ण विधेयक बिना बहस के ही बिल बना दिए जाते हैं तथा कई विधेयक अधर में लटके रह जाते हैं.

झारखंड में 14 लोकसभा सांसद है जिनकी उपस्थिति संसद में राष्ट्रीय औसत से 10 प्रतिशत कम है. झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, पूर्व मुख्यमंत्री व झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन, कांग्रेस के रांची से सांसद सुबोधकांत सहाय, मंत्री पद से हटने के बाद तथा राजमहल से सांसद रहे देवीधन बेसरा ने तो संसद में एक भी सवाल नहीं पूछा.

सुबोधकांत सहाय के मंत्री पद से हटने के बाद, खूंटी से सांसद रहे कडि़या मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने तो संसदीय बहस में हिस्सा तक नहीं लिया, जबकि राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी, राजमहल सांसद देवीधन बेसरा व जमशेदपूर से सांसद पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने बहस में मात्र क्रमशः दो-दो और तीन बार ही हिस्सा लिया. सांसदों द्वारा सवाल पूछने का राष्द्रीय औसत 265 रहा, जिसकी तुलना में राज्य के 14 सांसदों का औसत 227 रहा है.

गौरतलब है कि सांसद निधि की निर्गत राशि का जहां तक व्यय का प्रश्न है, तो केन्द्रीय साख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय के अनुसार राज्य के सांसदों ने 70 प्रतिशत व्यय किया है जो बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के सांसदों द्वारा खर्च की गयी राशि से ज्यादा है. राज्य में लोहरदगा के सांसद सुदर्शन भगत 97 प्रतिशत राशि खर्च कर अन्य तेरह सांसदों से काफी आगे खड़े नजर आते हैं.

वर्तमान समय में झारखंड के तीन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, शिबू सोरेन और मधु कोड़ा लोकसभा सांसद हैं. हालांकि मधु कोड़ा फिलहाल जेल में हैं तथा अदालत द्वारा उन्हें पिछले कुछ सत्रों में भाग लेने की इजाजत नहीं दी गयी है, परंतु बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी. बावजूद इसके इन पूर्व मुख्यमंत्रियों की लोकसभा में उपस्थिति और विभिन्न कार्यवाहियों में हिस्सेदारी राज्य के अन्य सांसदों की तुलना में सबसे कम रही है.

यही वजह है कि संसद में झारखंड के साथ केन्द्र सरकार सौतैला व्यवहार करती आयी है. राज्य की समस्याओं को संसद में उठाना सांसदों का कार्य है, जिसके लिए उन्हें वेतन दिया जाता है. बाबजूद इसके राज्य के सांसदों द्वारा संसद में चुप्पी साधे रखना राज्य का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा.

rajiv.jharkhand@janjwar.com

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