अदालती अवमानना और प्रहसन में बदल गया पंचायत चुनाव!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने हाईकोर्ट के इस आदेश पर कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव में यह सुनिश्चित करें कि सभी उम्मीदवार अपना नामांकन निर्विघ्न ढंग से जमा कर सकें, फिर एकबार अदालत की अवामानना कर दी और खुलकर लोकतंत्र का माखौल उड़ाया। उन्होंने टिप्पणी की ऐसे उम्मीदवार को नामांकन करने की कोई आवश्यकता नहीं है!पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस द्वारा विपक्षी उम्मीदवारों पर हमला किये जाने और उन्हें नामांकन भरने से रोके जाने संबंधी खबर का खंडन करते हुए राज्य के पंचायत मंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। मुखर्जी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि यदि कोई प्रत्याशी पुलिस सुरक्षा में चुनाव लड़ना चाहता है तो फिर जंग में उतरने की जरूरत ही नहीं है।
सांसद शताब्दी राय की बुलायी कार्यकर्ता बैठक में गैरहाजिर होकर वीरभूम के जिन तृणमूल जिलाध्यक्ष ने जिले में पार्टी और सांसद की तीव्र लड़ाई का श्रीगणेश किया, उनहीं अनुव्रत मंडल ने पतवा जारी किया है कि कांग्रेस और वाम मोर्चे के किसी उम्मीदवार को तृममूल कार्यकर्ता नामांकन दाखिल करने न दें। जिससे वहां भारी अराजकता और हिंसा भड़क गयी है। बाकी जिलों में भी तृममूल नेतृत्व को गोषित अघोषित फतवा जारी है, जिसकी पुष्टि पंचायत मंत्री के वक्तव्य से हो जाती है। जिससे बंगाल में पंचायत चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा प्रहसन बनकर रह गया है।
बंगाल के महाधिवक्ता ने आज हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पंचायत चुनावों के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम का दावा पेश किया लेकिन राज्य सरकार की ओर से अभी इसका कोई ब्यौरा पेश नहीं किया जा रहा है।उल्टे महाधिवक्ता ने चुनाव आयोग की हर मांग पूरी करने का दावा करते हुए उसके रवैय्ये को किसी सुंदरी महिला की ओर से तरह तरह के नखरे पेश करने के समान बताकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।चुनाव आयोग के अधिवक्ता समरादित्यपाल ने इसे अदालत की अवमानना करार दिया तो विपक्ष महाधिवक्ता के इस लिंग वैषम्यमूलक वक्तव्य के लिए इस्तीफा की मांग कर रहे हैं।इससे पहले अदालत की सुनवाई के दौरान कल समरादित्य पाल और न्यायाधीश से कहासुनी भी हो गयी।महाधिवक्ता के दावे के विपरीत नामांकन दाखिल के दौरान राज्य भर में हिंसा की वारदातें हो रही हैं। महाधिवक्ता ने कहा कि कोई एफआईआर इस सिलसिले में दाखिल नहीं हुआ है।इसके विपरीत वाममोर्चा, बाजपा और कांग्रेस की ओर से नामांकन प्रक्रिया बाधित होने की वजह से नामांकन की अवधि दो दिन और बढ़ाने की मांग की जा रही है।
गौरतलब है कि पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा है कि राज्य के महाधिवक्ता के पास चुनाव सुरक्षा इंतजाम पर सभी सूचनाएं हैं और यदि कलकत्ता हाई कोर्ट ने जानना चाहा तो वह उसे सूचनाएं उपलब्ध करायेंगे। राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) और सरकार अदालती लड़ाई में उलझे हुए हैं। मंत्री ने कहा कि यदि कोई विशेष कानून व्यवस्था समस्या है तो एसईसी को बताने दीजिए। सरकार और एसईसी के बीच टकराव की ओर इशारा करते हुए मुखर्जी ने कहा, 'हम इस मामले में अदालत के निर्देशों का पालन कर रहे हैं।'
पहाड़ों में अभी पंचायत चुनाव के लिए बाकायदा संविधान संशोधन होना है ौर वहा फिलहाल इस चुनाव को लेकर कोई तनाव नहीं है।लेकिन जंगल महल में दंडकारण्य की तरह माओवादियों की जोनल कमिटियां बनने लगी हैं ौर माोवादी फिर सक्रिय हैं। राज्य सरकार जाहिर है वहां भी पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम होने का दावा कर रहा है। अब कोई बड़ी हिंसा की वारदात से ही सच का खुलासा होना है।
जीटीए क्षेत्र में पंचायत चुनाव के लिए संविधान संशोधन होगा। केंद्रीय गृहमंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एस स्कंदन, पश्चिम बंगाल के गृह सचिव बासुदेव बनर्जी और गोररखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन प्रतिनिधियों के साथ चली तीन घंटे की मैराथन बैठक में जीटीए में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने सहित विभिन्न मामले पर सहमति बनीं।बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय अतिरिक्त गृह सचिव एस स्कंदन ने बताया कि जीटीए से संबंधित विभिन्न मसलों पर सौहार्दपूर्ण माहौल पर चर्चा हुई। जीटीए के सफल संचालन के लिए केंद्र राज्य सरकार और जीटीए को समुचित सहयोग देगा। जीटीए क्षेत्र में पंचायत चुनाव के लिए संविधान संशोधन होगा।
पश्चिम बंगाल के गृह सचिव वासुदेव बनर्जी ने कहा कि 15 जुलाई के पहले राज्य सरकार और जीटीए प्रतिनिधियों के साथ कोलकाता में बैठक होगी। बसु ने बहा कि द्विपक्षीय बैठक में आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे, तराई व डुवार्स के मौजे को जीटीए में शामिल करने के लिए गठित फैक्ट वैरीफिकेशन कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा होगी। इसके बाद दिल्ली में त्रिपक्षीय बैठक का आयोजन होगा।
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