Narendra Modi becoming face of BJP will electorally benefit Congress: Veerappa Moily
এতদিন যেটা ছিল জল্পনা, গুঞ্জন, আলোচনার কেন্দ্রবিন্দুতে, সেটাই রবিরারের বারবেলায় গোয়ার সমুদ্রসৈকত্যে সিলমোহর পেয়ে গেল। মোদীতেই ভরসা পেল বিজেপি। জল্পনা আর সমালোচনার অবসান। ২০১৪ নির্বাচনে ভারতীয় জনতা পার্টিকে নেতৃত্ব দেবেন নরেন্দ্র মোদী। গোয়ায় দু'দিনের বৈঠক শেষে বিজেপি সহাপতি রাজনাথ সিং ঘোষণা করেন আসন্ন লোকসভা নির্বাচনে প্রচার সমিতির দায়িত্বে থাকবেন মোদী।
নতুন দায়িত্ব পাওয়ার পরই আডবাণীর সঙ্গে টেলিফোনে কথা বলেন নরেন্দ্র মোদী। টুইট করে তিনি জানান, "ফোনে আডবাণী জীর সঙ্গে কথা হয়েছে। তিনি আমাকে আর্শীবাদ করেছে। তাঁর আর্শীবাদে আমি সম্মানিত।"
বৈঠক শেষে দলীয় কর্মীদের উদ্দেশ্যে রাজনাথ বলেন, "গোটা দেশ বিজেপির দিকে তাকিয়ে রয়েছে। আমাদের নির্বাচনের জন্য প্রস্তুতি নিতে হবে। নির্বাচনে নেতৃত্ব দেওয়ার জন্য মোদীই যোগ্য নেতা।'' মোদীকে সবচেয়ে জনপ্রিয় মুখ্যমন্ত্রী বলেই মন্তব্য করেছেন বিজেপি সভাপতি। সাংবাদিক সম্মেলনে রাজনাথ সিং দলের অন্দরে অবস্থা স্পষ্ট করার চেষ্টা করেছেন, ''গুজরাত মুখ্যমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদীকে নির্বাচনী সমিতির সভাপতি করা হল। সকলের সহমতে এই সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়েছে। আমরা ২০১৪ নির্বাচনে জয়ী হবই।"
মোদী মন্ত্রে মুগ্ধ বিজেপি শীর্ষ নেতৃত্ব দেরি করেনি তাঁকে বরণ করে নিতে। অরুণ জেটলি, সুষমা স্বরাজরা মঞ্চে উঠে মোদীকে মালা পড়ান। সাংবাদিক সম্মেলনেও রাজনাথের পাশে ছিলেন সুষমা, অরুণ, বেঙ্কাইয়া নায়ডুরা। চেষ্টা দলীয় ঐক্যকে সামনে রাখা।
বৈঠকে মোদী নেতৃত্বে কার্যত সহমত জানিয়েছেন সকলেই। ফলে অন্য বিকল্প নিয়ে আলোচনা ফুরসত পাননি কেউই। প্রতিক্রিয়া জানিয়েছে কংগ্রেস শিবিরও। মোদীকে শুভেচ্ছা জানিয়েছেন কংগ্রেস সাধারণ সম্পাদক দিগ্বিজয় সিং। তবে নরেন্দ্র দামোদর মোদীর সঙ্গে রাহুল গান্ধীর তুলনা টানতে রাজি নন তিনি।
শুধু মোদীকে প্রধানমন্ত্রী পদপ্রার্থী করার দৌড়ে এগিয়ে রাখাই নয়, ২০১৩ বিজেপি কার্যসমিতির বৈঠকে তাৎপর্য রয়েছে আরও একটি। তাঁর রাজনৈতিক কেরিয়ারে এই প্রথম কার্যসমিতির বৈঠকে নেই লৌহপুরুষ লালকৃষ্ণ আডবাণী। নেই যশবন্ত সিনহা, উমা ভারতী, যশবন্ত সিং-রাও।
ধোপে টিকল না লালকৃষ্ণ আডবাণীর আপত্তি। প্রত্যাশিত ভাবে আগামী লোকসভা নির্বাচনে নরেন্দ্র মোদীকেই বিজেপির প্রধান মুখ হিসেবে তুলে ধরল ভারতীয় জনতা পার্টি। রবিবার গোয়ায় বিজেপির দু-দিনের জাতীয় কর্মসমিতির বৈঠক শেষে সাংবাদিকদের এ কথা জানিয়ে দেন বিজেপি সভাপতি রাজনাথ সিং। তিনি বলেন, "আমি খুব গুরুত্বপূর্ণ একটা ঘোষণা করতে চলেছি। তা হল, ২০১৪ লোকসভা নির্বাচনের কথা মাথায় রেখে, গুজরাটের মুখ্যমন্ত্রী নরেন্দ্ মোদীকে বিজেপি-র প্রচার কমিটির চেয়ারম্যান মনোনীত করা হয়েছে।" নরেন্দ্র মোদীর মনোনয়ন নিয়ে দলের মধ্যে মতপার্থক্য ইস্যুতে সাংবাদিকদের প্রশ্ন তোলার কোনও সুযোগই এদিন দেননি রাজনাথ সিং। সর্বসম্মতিক্রমেই নরেন্দ্র মোদী প্রচার কমিটির চেয়ারম্যান হিসেবে মনোনীত করা হয়েছে বলে জানিয়েছেন তিনি।
- "Senior leaders have reposed faith in me. We will leave no stone unturned for Congress Mukt Bharat Nirman. Thanks for support & blessings,"2 hours ago Economic TimesNarendra Modi
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Narendra Modi anointed chairman of BJP 2014 Lok Sabha election ...
Today, I have appointed Gujarat CM Narendra Modi as chairman of the national election committee. This decision has been on the basis of ... Narendra Modi's elevation strengthens his political legitimacy
Narendra Modi`s elevation strengthens his political legitimacy New Delhi: Narendra Modi's elevation as BJP's campaign chief for 2014 Lok ...Rivalry within BJP: Advani's fight with Narendra Modi will erode his ...
With the BJP's Goa executive now reduced to a face-off between Advani and Gujarat chief minister Narendra Modi, that advice seems to have ...Narendra Modi anointed chairman of BJP election campaign ...
PANJIM: Brushing aside reservations of patriarch L K Advani and some other senior leaders, the BJP on Sunday anointed Narendra Modi as ...Hindu Sena chief Vishnu Gupta feels conspiracy on against ...
"I feel that there is a conspiracy that is being planned against Narendra Modi in the ongoing Bharatiya Janata Party's (BJP) national executive ...Narendra Modi to head BJP's 2014 battle, has Advani's blessings
Rajnath Singh has declared that Narendra Modi will be the new head of the BJP campaign committee. Arun Jaitley addresses the audience at ...Narendra Modi to lead BJP's 2014 poll campaign: Rajnath Singh ...
The biggest announcement he made was the formal declaration of the name of Narendra Modi as the chairman of the BJP poll campaign for ...After Narendra Modi's promotion, Yashwant Sinha talks of 'conspiracy'
New Delhi: BJP leader Yashwant Sinha today said that the party's decision to placeNarendra Modi in charge of its election committee seemed ...Show more-
Despite storm within BJP, Rajnath Singh set to anoint Narendra Modi
PANAJI: BJP president Rajnath Singh looks set to announce Gujarat chief ministerNarendra Modi as head of the Lok Sabha campaign ... In Goa, Narendra Modi is BJP's 'poster' boy
Panaji: Even before Narendra Modi was announced as the BJP poll campaign committee chairman, there was one count in which the Gujarat ...
गोवा में संपन्न हुई पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उन्होंने ट्वीट किया, 'आडवाणी जी से फोन पर बात की। उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया। उनका आशीर्वाद पाकर मैं सम्मानित और कृतज्ञ हुआ।' मोदी ने कहा, 'वरिष्ठ नेताओं ने मुझमें विश्वास जताया है। कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। समर्थन और आशीर्वाद के लिए धन्यवाद।'
बताया जाता है कि मोदी को प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर आडवाणी और कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं को आपत्ति थी। कहा जा रहा है कि प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाने से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारी की उनकी दावेदारी भी एक तरह से मान ली गई है।
2014 के लिए बीजेपी ने मोदी पर लगा दिया दांव
पढ़ें: बीजेपी की गोवा बैठक की पल-पल की कहानी
राजनाथ सिंह ने पहले अध्यक्षीय अपने भाषण में इसका जिक्र किया और फिर बाहर आकर मीडिया को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'दो दिनों से कार्यकारिणी की बैठक चल रही थी। आज वह बैठक समाप्त हुई है। महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहता हूं। बीजेपी आगामी चुनावों को बड़ी चुनौती मानकर चल रही है। पार्टी विजय का संकल्प आगे रखकर चल रही है। चुनाव अभियान को ध्यान को रखते हुए मैंने आज गुजरात के मुख्यमंत्री को चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन घोषित किया है। यह फैसला सभी की सहमति से लिया गया है।' राजनाथ ने जब यह घोषणा कि तो उनके साथ आडवाणी खेमे की मानी जाने वालीं सुषमा स्वराज और अनंत कुमार भी मौजूद थे। हालांकि, कई सियासी पंडितों का कहना है कि यह फैसला आम सहमति से नहीं हुआ है। बल्कि आरएसएस के दबाव में पार्टी के भीतर मोदी विरोधियों को जबरन दबाया गया है। मौका मिलने पर वह मोदी पर हमला करने से नहीं चुकेंगे।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी में लोकसभा चुनावों के लिए मोदी को 2 चरणों में आगे बढ़ाने का 'गेम प्लान' है। मोदी को आज बीजेपी की प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक मोदी को लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा। लेकिन, मोदी को सीधे पीएम कैंडिकेट घोषित करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा। बीजेपी के कई सहयोगी दल मोदी के कट्टर विरोधी हैं।
कांग्रेस पर हमला
गोवा में राष्ट्रीय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का अध्य के दूसरे दिन अपने भाषण में कांग्रेस पर पुरजोर हमला किया। उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं से देश से कांग्रेस को मुक्त करने का आह्वान करते हुए कहा कि कांग्रेस को मुक्त करने राजनीतिक नहीं राष्ट्रवाद का कार्यक्रम है।
मोदी ने करीब 15 मिनट के अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस ने देश में अविश्वास का माहौल पैदा किया है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि देश को कांग्रेस से मुक्त किया जाए। मोदी ने यूपीए सरकार के 4 साल पूरे होने पर चलाए जा रहे भारत निर्माण कैंपेन पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस के भारत निर्णाण के हक पर शक होता है। मोदी ने कहा कि देश की ऐसी दुर्दशा कभी नहीं हुई। कांग्रेस को सत्ता से हटाना राजनीतिक नहीं राष्ट्रवाद का कार्यक्रम है। कांग्रेस के पापों से आज जनता गुस्से में है।
इससे पहले बीजेपी प्रवक्ता प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि कार्य समिति के दूसरे दिन बीजेपी ने अपना राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कहा कि गडकरी ने प्रस्ताव रखा और उस पर शिवराज सिंह चौहान, मनोहर पर्रिकर और राजगोपाल ने समर्थन किया। राजनीतिक प्रस्ताव में यूपीए सरकार के करप्श का जिक्र किया गया। यूपीए-2 सरकार के चार साल के कार्यकाल को काला अध्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि यूपीए को सत्ता से बेदखल करने के लिए कमर कसी गई। कांग्रेस ने महंगाई और करप्शन का विष फैलाया है। बीजेपी देश को बेहतर विकल्प देने की कोशिश करेगी। आडवाणी के सवाल पर उन्होंने कहा कि बीजेपी को नाज है कि उनके पास आडवाणी और अटल जैसे नेता हैं। आडवाणी जी ने पार्टी को खड़ा किया है। दोनों का मार्गदर्शन पार्टी को मिल रहा है।
मोदी पर कांग्रेस, एसपी का हमला
मोदी को बीजेपी की कैंपेन कमिटी का अध्यक्ष बनाए जाने पर कांग्रेस ने हमला किया है। केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि मोदी से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति पार्टी के लोगों साथ लेकर नहीं चल सकता वह पूरे देश को कैसे एक साथ लेकर चलेगा। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि बीजेपी मोदी को लाए या फिर इब्राहिम लोधी को, हम (कांग्रेस) सबको देख लेंगे। एसपी के सीनियर नेता आजम खान ने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि जिस व्यक्ति पर कत्लेआम के आरोप हैं वह पीएम बनने का सपना देख रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह बीजेपी का अंदरूनी मामला है, इससे हमारी पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
Union minister M Veerappa Moily today said that if BJP projects Gujarat Chief Minister Narendra Modi as its face in the Lok Sabha polls, it would electorally benefit the Congress.
Speaking to reporters on the sidelines of a function here, before Modi was anointed as Election Campaign Committee Chairman by BJP for the 2014 elections, the former Karnataka Chief Minister referred to the 2002 riots in Gujarat.
The senior Congress leader claimed that 30 crore minorities would vote for his party if the BJP projects Modi.
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2002 Gujarat violence - Wikipedia, the free encyclopedia
en.wikipedia.org/wiki/2002_Gujarat_violenceThe 2002 Gujarat violence was a series of incidents starting with the Godhra train ...characterised the deaths of Hindus and Muslims as a genocide in which the ... Gujarat Genocide: Reflections on justice and media
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sikhspectrum.com/.../genocide-in-gujarat-the-sangh-parivar-narendra-m...Relevant records and documents are referenced, as necessary, in the text and in footnotes. Gujarat: Narendra Modi and State Complicity in Genocide. Summary ...Three Years After Genocide In Gujarat By Asghar Ali Engineer
www.countercurrents.org/gujarat-engineer030305.htmMar 3, 2005 – It was on 28 February 2002 three years before that genocide of Muslims started in Gujarat a day after train burning incident in Godhra on 27th ...Gujarat genocide: The State, law and subversion - Rediff.com India ...
Feb 27, 2012 – The Gujarat genocide in 2002, resulting in the killing of nearly 1500 innocent citizens, mostly from India's major minority community, and the ...Myth 6: Gujarat riots were the 'worst ever massacre' in India | Gujarat ...
www.gujaratriots.com/.../myth-6-gujarat-riots-were-the-worst-ever-massa...Oct 8, 2012 – Fact: Gujarat riots of 2002 AD were absolutely nothing as compared toGujarat's past riots of 1969 and 1985 AD. They were still nothing as ...Reports on Gujarat 2002 and aftermath - Coalition Against Genocide ...
www.coalitionagainstgenocide.org/reports.php25+ items – Interfaith · Tikkun. Reports on Gujarat 2002 and aftermath. PDF.
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जब भी गोवा में आशीर्वाद मिला, कामयाबी मिली है: मोदी
पढ़ें: आडवाणी पड़े अकेले, मोदी मय हुई बीजेपी
तमाम विवादों के बीच कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष बनने के बाद मोदी ने पहली बार सार्वजनिक मंच से बोलते हुए संयम दिखाया। उन्होंने कहा कि मैंने बीजेपी के सीनियर नेताओं की अंगुली पकड़कर चलना सीखा है। मैं आज जो कुछ भी हूं, अपने सीनियर नेताओं के कारण ही हूं। उन्होंने कहा कि कई नेताओं ने अपने बच्चों से ज्यादा मेरे लिए वक्त दिया है। मुझे बनाया है।
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि गोवा मेरे लिए हमेशा लकी रहा है। 2002 में गोवा में ही मुझे गुजरात को आगे ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आज गुजरात चीन से स्पर्धा कर रहा है। विकास की ऊंचाइयां छू रहा है। इस बार गोवा में मुझे नई जिम्मेदारी सौंपी गई है, मुझे फिर कामयाबी मिलेगी। गौरलतब है कि 2002 में गोवा बैठक में ही लालकृष्ण आडवाणी ने मोदी की मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाई थी। उस वक्त ज्यादातर सीनियर नेता मोदी के खिलाफ थे और आज उसी गोवा में आडवाणी को साइड लाइन कर मोदी को 2014 लोकसभा चुनावों की कमान सौंपी गई है।
अपने भाषण में मोदी ने यूपीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने यूपीए सरकार के 'भारत निर्माण' वाले ऐड पर भी चुटकी ली। कहा, यूपीए का विज्ञापन कहता है कि भारत निर्माण पर हक है मेरा, पर सच तो यह है कि भारत निर्माण पर हक नहीं, शक है मेरा। उन्होंने कहा कि केंद्र की यूपीए सरकार पर करप्शन के आरोपों का असर नहीं पड़ता। बीजेपी के किसी मुख्यमंत्री पर करप्शन का आरोप नहीं है।
नक्सलवाद के मुद्दे पर मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। मोदी ने यूपीए सरकार और सोनिया गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि माओवादियों को संरक्षण देने का काम यूपीए नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने कहा कि सोनिया की अगुवाई वाली एनएसी (राष्ट्रीय सलाहकार परिषद) के सदस्य माओवादियों को अपने एनजीओ का नेतृत्व सौंपने में भी नहीं हिचकते। उन्होंने कहा कि योजना आयोग की एक कमिटी के अध्यक्ष पर भी नक्सली होने का आरोप है। सरकार नक्सलवाद के खिलाफ काम करने वालों को अपमानित करती है। उन्हें काम करने से रोकती है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण नौजवान बंदूक उठाने के लिए मजबूर हो गए हैं। कांग्रेस को देश के नौजवानों की चिंता नहीं है। पशुपति से तिरुपति तक रेड कॉरिडर बन रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस सत्ता की मानसिकता से ग्रस्त है। वह चाहती है कि जो करेंगे हम करेंगे किसी और को कुछ नहीं करने देंगे। वह संघीय ढांचे पर हमला कर रही है। सीबीआई के माध्यम से विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को डराती है। वह संघीय ढांचे को तोड़ना चाहती है।
अपने भाषण के अंत में मोदी ने कहा कि भारत को असहाय नहीं छोड़ा जा सकता। देश को अब कांग्रेस मुक्त करने का वक्त आ गया है। रैली को बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अरुण जेटली ने भी संबोधित किया। जेटली ने मोदी के बारे में फैसला लेने के लिए अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बधाई दी। अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि मोदी पर फैसला इंसाफ की मांग थी।
पणजी : आम चुनाव 2014 के लिए प्रचार समिति का चेयरमैन बनाए जाने के बाद गोवा बैठक को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश को बचाने के लिए केंद्र की सरकार को हटाना होगा और सत्ता से कांग्रेस को हटाना ही भारतीय जनता पार्टी का लक्ष्य है।
मोदी ने कहा, 'मैं राजनाथ सिंह का आभारी हूं। जो दायित्व मिला है उसे पूरा करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। मेरे संस्कारों पर मेरा अधिकार नहीं बल्कि भाजपा के कार्यकर्ताओं एवं देश का नागरिकों का है। मेरी क्षमता पर कार्यकर्ताओं पर अधिकार है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मुझे चलना सीखाया।'
मोदी ने कहा कि सत्ता हमारे लिए भोग का साधन नहीं है और केंद्र पर भ्रष्टाचार के आरोपों का असर नहीं है।
मोदी ने कहा, 'राजनीति को हमने सेवा का माध्यम माना।' उन्होंने कहा कि आज देश में एक के बाद ऐसी घटनाएं हो रहीं है जिससे लोगों का भरोसा टूटता जा रहा है।
मोदी ने कहा, `जिस योजना आयोग का अध्यक्ष पीएम हो, उसका भी अनादर किया गया है। पिछले 50 साल से एक संस्था जो कुछ करने का प्रयास कर रही थी। उस संस्था को नाम मात्र का बना दिया गया। उसके ऊपर एक एनएसी बना दी गई।`
उन्होंने कहा, `माओवाद एक बड़ी चुनौती है। रक्त रंजित हो रहा है रेड कॉरीडोर। निर्दोष लोगों को मारा जा रहा है। देश तबाही में जा रहा है।` मोदी ने माओवाद समस्या से निपटने में सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों के लिए पीएम मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को निशाने पर लिया।
मोदी ने कहा कि सरकार ने इस देश को `टेकेन फॉर गांटेड` माना है। देश के नौजवानों को रोजगार भाजपा ने दिया है। युवाओं की शक्ति एवं सामर्थ्य का उपयोग करना होगा। युवाओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा। देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल की है जिसका उपयोग करना होगा।
दिल्ली की सल्तनत पूरी तरह विफल हो चुकी है। किसी भी मोर्चे पर इस सरकार ने ठीक काम नहीं किया है। यूपीए के शासन से इस देश को बचाना है। भारत और देश के नौजवानों के भविष्य को असुरक्षित नहीं छोड़ा जा सकता।
मोदी ने कहा, `हमारा उद्देश्य सत्ता परिवर्तन नहीं है। हमारा सपना देश निर्माण का है। कांगेस ने पाप किए हैं, उसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।`
Sunday, 09 June 2013 16:15 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पणजी । नरेंद्र मोदी को 2014 के चुनाव के लिए अध्यक्ष घोषित किया गया जो उनके प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनने की दिशा में ही एक कदम माना जा रहा है। वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और कुछ अन्य आला नेताओं की असहमति को दरकिनार करते हुए भाजपा ने आज गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष घोषित किया है जो उनके प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनने की दिशा में ही एक कदम के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, ''हमें पूरा विश्वास है कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है और यह भी भरोसा है कि 2014 के चुनावों में जीतकर भाजपा सत्ता में पहुंचेगी।'' इस बीच मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि आडवाणी ने राजनाथ की घोषणा के बाद उन्हें अपना आशीर्वाद दिया है। उन्होंने लिखा, ''फोन पर आडवाणीजी से बात की। उन्होंने मुझे अपना आशीर्वाद दिया। उनका आशीर्वाद पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं और बहुत आभारी हूं।'' एक अन्य ट्वीट संदेश में गुजरात के मुख्यमंत्री ने लिखा, ''वरिष्ठ नेताओं ने मुझमें भरोसा जताया है। हम कांग्रेस मुक्त भारत निर्माण के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। सहयोग और आशीर्वाद के लिए धन्यवाद।'' मोदी को साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के बाद से देश की राजनीति में धु्रवीकरण करने वाले चेहरे के तौर देखा जाता है। उनके विरोधी आरोप लगाते रहे हैं कि गोधरा कांड के बाद जो हुआ उसमें मोदी की रजामंदी थी। भाजपा के आज के निर्णय को लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने के बाद अगले चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। कल पूरे दिन अटकलें लगती रहीं कि पार्टी मोदी पर किसी तरह का निर्णय करने से बच सकती है। एक राय यह आ रही थी कि आडवाणी चाहते हैं कि मोदी को लोकसभा चुनाव की प्रचार समिति की कमान सौंपने की बजाय विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार की कमान थमाई जाए। इनमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे पार्टी शासित राज्य भी हैं जहां इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस तरह की राय बनी कि कार्यकारिणी की बैठक बेनतीजा नहीं समाप्त होनी चाहिए क्योंकि इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा। इसके बाद ही राजनाथ सिंह ने उच्च्हापोह की स्थिति को सुलझाने का फैसला किया और प्रचार समिति के प्रमुख के रूप में मोदी के नाम की घोषणा कर दी गयी। नरेंद्र मोदी की चाहत और चुनौतियां प्रवीण कुमार गुजरात में सत्ता की हैट्रिक लगाने के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की चाहत अब कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण करना है और यह तभी होगा जब नरेंद्र मोदी देश का प्रधानमंत्री बनें। कहते हैं कि राजनीति में सबको सब-कुछ नहीं मिलता है, लेकिन भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी ऐसे इकलौते राजनेता हैं जिन्होंने जब जो चाहा मिला, भले ही उसे पाने के लिए उन्हें बहुतेरे चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अब प्रधानमंत्री की चाहत के साथ भी नरेंद्र मोदी के समक्ष चुनौतियां आएंगी। लेकिन मोदी को करीब से जानने वाले कहते हैं कि मोदी देश का प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में आने वाली तमाम चुनौतियों का सामना करेंगे और एक दिन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजेंगे। कुछ ऐसी ही उम्मीदों से उत्साहित होकर भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों की कमान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी है। गोवा में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे और आखिरी दिन रविवार (9 जून 2013) को नरेंद्र मोदी को पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया गया। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और उनके खेमे के अन्य नेताओं के तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए `चुनाव अभियान समिति` के अध्यक्ष पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान किया। इस बहुप्रतीक्षित ऐलान के बाद यह तय माना जा रहा है कि भाजपा में अब मोदी युग का शुभारंभ हो चुका है और आडवाणी समते उन तमाम उम्रदराज नेताओं का वक्त खत्म हो चुका है, जो गाहे-ब-गाहे पार्टी के अंदर उठापटक की वजह बनते रहे हैं। भाजपा अब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ने का मन बना लिया है। यह सर्वविदित है कि नरेंद्र मोदी एक बेहद महत्वाकांक्षी राजनेता हैं। बड़ी सोच और बेहद आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की एक चाहत, एक ललक ने नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में दोबारा से पदस्थापित किया है। गुजरात में सत्ता की हैट्रिक लगाने के बाद पार्टी में इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई थी कि मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए। भाजपा नेतृत्व ने अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया और नरेंद्र मोदी को पार्टी की संसदीय समिति में शामिल किया गया। मोदी भाजपा शासित राज्यों के ऐसे इकलौते मुख्यमंत्री हैं जिन्हें भाजपा संसदीय समिति का भी सदस्य बनाया गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने फिर से अपनी आवाज बुलंद की और प्रधानमंत्री पद की दावेदारी का पक्ष मजबूत करते हुए मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बना दिया गया। दरअसल चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष पद काफी अहम और चुनौतियों से भरा होता है। चुनाव जीतने का श्रेय भले ही न मिले, लेकिन चुनाव हारने का ठीकरा जरूर चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पर फोड़ दिया जाता है। इस लिहाज से नरेंद्र मोदी को ताज तो मिला है लेकिन कांटों से भरपूर। `ताज` इसलिए क्योंकि अगर मिशन-2014 की महफिल लूटने में मोदी कामयाब हो गए तो फिर उन्हें प्रधानमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा में लोकसभा चुनावों के लिए मोदी को दो चरणों में आगे बढ़ाने का `गेम प्लान` है। अभी मोदी को भाजपा की प्रचार समिति (चुनाव अभियान समिति) का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके बाद जैसे ही लोकसभा चुनावों की घोषणा होगी, उन्हें भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के रास्ते में आने वाली चुनौतियों का अगर जिक्र करें तो सबसे पहले मोदी को पार्टी के अंदर सत्ता संतुलन स्थापित करना होगा। पूर्व के अनुभवों से सीख लेते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि राष्ट्रीय व प्रांतीय दोनों ही स्तर पर पार्टी में सभी नेता व कार्यकर्ता एकजुट होकर मिशन-2014 के लिए काम करें। आज से ही यह तय कर लेना होगा कि पार्टी में कोई कल्याण सिंह, उमा भारती, येदियुरप्पा या फिर केशुभाई पटेल कोई नहीं बनेगा। यह स्थिति बड़ी हास्यास्पद होती है क्योंकि बागी तेवर अपनाकर ना तो अलग पार्टी बनाने वाले बागी नेता को फायदा होता है और न ही भाजपा को। दोनों ही नुकसान की स्थिति में होते हैं। कहने का मतलब यह कि मोदी के सामने पार्टी में सत्ता संतुलन एक बड़ी चुनौती होगी और इसे अगर मोदी ने साध लिया तो आधी जंग इसके साथ ही जीत जाएंगे। जैसा कि नरेंद्र मोदी गोवा में अपने संबोधन में कह भी चुके हैं कि कांग्रेस ने देश का भरोसा तोड़ा है। यह `भरोसा` शब्द भी एक चुनौती है मोदी के लिए। आप देश की जनता को कैसे भरोसा दिलाएंगे कि अगर 2014 में भाजपा की सरकार बनी तो भ्रष्टाचार मिट जाएगा, महंगाई का खात्मा होगा, बेटियां असुरक्षित नहीं रहेंगी, सर्व धर्म सम्भाव की अस्मिता को ठोस नहीं पहुंचेगी, युवा बेरोजगार नहीं रहेंगे, देश में नक्सली हमला नहीं होगा, सबको बिजली का हक आदि-आदि। पार्टी को इन अहम समस्याओं को लेकर एक ठोस एजेंडा देश के सामने रखना होगा और सिर्फ रखने से नहीं होगा, बल्कि मतदाता को यह समझ में आना चाहिए कि हां, इस एजेंडे से वाकई उसका भला होगा। गलतियां अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार से भी हुई है। तो मोदी के लिए दूसरी बड़ी चुनौती `भरोसा` कायम करना होगा। अगर मोदी अपने चुनावी अभियान की कुशलता से लोगों में कांग्रेस के प्रति टूटा भरोसा भाजपा से जोड़ पाए तो मोदी की कामयाबी को कोई रोक नहीं पाएगा। बहरहाल, लोकसभा के चुनाव में एक साल से भी कम समय का वक्त रह गया है। छोटी-बड़ी चुनौतियां आती रहेंगी जिसपर गौर करते हुए मोदी को मंजिल तय करनी होगी। यह भी ध्यान में रखना होगा कि भाजपा सत्ता से बाहर है और विपक्ष की बड़ी व महती भूमिका में भी है। देश कांग्रेस के एक विकल्प के रूप में भाजपा और विशेष रूप से नरेंद्र मोदी को देख रहा है। निश्चित रूप से देश में नरेंद्र मोदी के पक्ष में एक लहर सी चल रही है लेकिन इस लहर को भाजपा चुनाव में अपने पक्ष में कितना भुना पाती है इसपर ही भारतीय जनता पार्टी का भविष्य तय होगा। हालांकि नरेंद्र मोदी चाहत और चुनौती के खेल में काफी माहिर माने जाते हैं। राजनीति में टाइमिंग की भूमिका अहम होती है। शतरंज की बिसात पर किस समय शह देना है ताकि प्रतिद्वंद्वी के पास बचने के लिए कोई घर नहीं बचे और वह मात हो जाए, यह मोदी से बेहतर कोई नहीं जानता। लेकिन गुजरात और भारत में जमीन-आसमान का अंतर है। इसका ध्यान उन्हें रखना होगा। http://zeenews.india.com/hindi/news/%E0%A4%9C%E0%A4%BC%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A4%B2/%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%A4-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%9A%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82/171382 नरेन्द्र मोदीमुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (गुजराती: નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી; जन्म : 17 सितम्बर, 1950) 7 अक्तूबर 2001 से अब तक लगातार गुजरात राज्य के मुख्यमन्त्री हैं। अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमन्त्री बने थे। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने पहले दिसम्बर 2002 और उसके बाद दिसम्बर 2007 के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया। नरेन्द्र भाई मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। मोदी के नेतृत्व में 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया।[2] बेहद साधारण परिवार में जन्में नरेन्द्र विद्यार्थी जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये तथा अविवाहित रहकर अभी तक राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किया फिर संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये। सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा में लालकृष्ण आडवाणी के साथ रहे नरेन्द्र मोदी पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मन्त्री फिर महामन्त्री बनाये गये। केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद उन्हें गुजरात राज्य की कमान सौंपी गयी। तब से लेकर अब तक वे गुजरात के मुख्यमन्त्री बने हुए हैं। ९ जून 2013 को गोआ में भाजपा कार्यसमिति बैठक में नरेन्द्र मोदी को 2014 लोकसभा चुनाव अभियान की कमान सौंपी गयी। आगामी लोकसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जायेगा।[3]
निजी जीवन[संपादित करें]नरेन्द्र मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिले के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में हुआ।[4] वह शाकाहारी हैं।[5] भारत पाकिस्तान के बीच द्वितीय युद्ध के दौरान अपने तरुणकाल में उन्होंने स्वेच्छा से रेलवे स्टेशनों पर सफ़र कर रहे सैनिकों की सेवा की।[6] युवावस्था में वह छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए और साथ ही साथ भ्रष्टाचार विरोधी नव निर्माण आन्दोलन में हिस्सा लिया। एक पूर्णकालिक आयोजक के रूप में कार्य करने के पश्चात् उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन का प्रतिनिधि मनोनीत किया गया।[7] किशोरावस्था में अपने भाई के साथ एक चाय की दुकान चला चुके मोदी ने अपनी स्कूली शिक्षा वड़नगर में पूरी की।[4] वह गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक है।[8] प्रारंभिक सक्रियता और राजनीति[संपादित करें]नरेन्द्र जब विश्वविद्यालय के छात्र थे तभी से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में नियमित जाने लगे थे। इस प्रकार उनका जीवन संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में प्रारम्भ हुआ [8][9] उन्होंने शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलायी और भारतीय जनता पार्टी का आधार मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभायी। गुजरात में शंकरसिंह वघेला का जनाधार मजबूत बनाने में नरेन्द्र मोदी की रणनीति ही तो थी। अप्रैल 1990 में जब केन्द्र में मिली जुली सरकारों का दौर शुरू हुआ, मोदी की मेहनत रंग लायी जब गुजरात में 1995 के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली। इसी दौरान दो राष्ट्रीय घटनायें और इस देश में घटीं। पहली घटना थी सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथ यात्रा जिसमें आडवाणी जी के प्रमुख सारथी की मूमिका में नरेन्द्र का मुख्य सहयोग रहा। इसी प्रकार की दूसरी रथ यात्रा कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित काश्मीर तक की नरेन्द्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई। इन दोनों यात्राओं ने मोदी का राजनीतिक कद ऊँचा कर दिया जिससे चिढ़कर शंकरसिंह वघेला ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया।केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमन्त्री बना दिया गया और नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुलाकर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मन्त्री का दायित्व सौंपा गया। 1995 में राष्ट्रीय मन्त्री के नाते उन्हें पाँच प्रमुख राज्यों में पार्टी संगठन का काम दिया गया जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) का उत्तरदायित्व दिया गया। इस पद पर वे अक्तूबर 2001 तक काम करते रहे। भारतीय जनता पार्टी ने अक्तूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की कमान नरेन्द्र भाई मोदी को सौंप दी। गुजरात के मुख्यमन्त्री के रूप में[संपादित करें]नरेन्द्र मोदी अपनी विशिष्ट जीवन शैली के लिये समूचे राजनीतिक हलकों में जाने जाते हैं। उनके व्यक्तिगत स्टाफ में केवल तीन ही लोग रहते हैं कोई भारी भरकम अमला नहीं होता। लेकिन कर्मयोगी की तरह जीवन जीने वाले मोदी के स्वभाव से सभी परिचित हैं इस नाते उन्हें अपने कामकाज को अमली जामा पहनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती। [10] उन्होंने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मन्दिरों को भी ध्वस्त करवाने में कभी कोई कोताही नहीं बरती जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे। हालाँकि इसके लिये उन्हें विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों का कोपभाजन भी बनना पड़ा परन्तु उन्होंने इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं की; जो उन्हें उचित लगा करते रहे।[11] वे एक लोकप्रिय वक्ता हैं जिन्हें सुनने के लिये बहुत भारी संख्या में श्रोता आज भी पहुँचते हैं। वे स्वयं को पण्डित जवाहरलाल नेहरू के मुकाबले सरदार वल्लभभाई पटेल का असली वारिस सिद्ध करने में रात दिन एक कर रहे हैं। धोती कुर्ता सदरी के अतिरिक्त वे कभी कभार सूट भी पहन लेते हैं। गुजराती, जो उनकी मातृभाषा है के अतिरिक्त वे राष्ट्रभाषा हिन्दी में ही बोलते हैं। अब तो उन्होंने अंग्रेजी में भी धाराप्रवाह बोलने की कला सीख ली है।[12] २०१२ चुनाव[संपादित करें]मोदी के नेतृत्व में 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत[2] प्राप्त किया। भाजपा को इस बार 115 सीटें मिलीं। गुजरात के विकास की योजनाएँ[संपादित करें]मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के विकास[13] के लिये जो महत्वपूर्ण योजनाएँ प्रारम्भ कीं व उन्हें क्रियान्वित कराया उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
मोदी का वन बन्धु विकास कार्यक्रम[संपादित करें]उपरोक्त विकास योजनाओं के अतिरिक्त मोदी ने आदिवासी व वनवासी क्षेत्र के विकास हेतु गुजरात राज्य में वनबन्धु विकास[16] हेतु एक अन्य दस सूत्री कार्यक्रम भी चला रक्खा है जिसके सभी दस सूत्र निम्नवत हैं: १ - पाँच लाख परिवारों को रोजगार, २ - उच्चतर शिक्षा की गुणवत्ता, ३ - आर्थिक विकास, ४ - स्वास्थ्य, ५ - आवास, ६ - साफ स्वच्छ पेय जल, ७ - सिंचाई, ८ - समग्र विद्युतीकरण, ९ - प्रत्येक मौसम में सड़क मार्ग की उपलब्धता और १० - शहरी विकास । विचार[संपादित करें]आतंकवाद पर स्थिति[संपादित करें]१८ जुलाई २००६ को मोदी ने एक भाषण में आतंकवाद निरोधक अधिनियम जैसे आतंकवाद-विरोधी विधान लाने के विरूद्ध उनकी अनिच्छा को लेकर भारतीय प्रधानमंत्रीमनमोहन सिंह की आलोचना की। मुंबई की उपनगरीय रेलों में हुए बम विस्फोटों के मद्देनज़र उन्होंने केंद्र से राज्यों को सख्त कानून लागू करने के लिए सशक्त करने की माँग की।[17] उनके शब्दों में - आतंकवाद युद्ध से भी बदतर है। एक आतंकवादी के कोई नियम नहीं होते। एक आतंकवादी तय करता है कि कब, कैसे, कहाँ और किसको मारना है। भारत ने युद्धों की तुलना में आतंकी हमलों में अधिक लोगों को खोया है।[17] नरेंद्र मोदी ने कई अवसर पर कहा था कि यदि भाजपा केंद्र में सत्ता में आई, तो वह सन् २००४ में उच्चतम न्यायालय द्वारा अफज़ल गुरु को फाँसी दिए जाने के निर्णय का सम्मान करेगी। भारत के उच्चतम न्यायालय ने अफज़ल को २००१ में भारतीय संसद पर हुए हमले के लिए दोषी ठहराया था एवं ९ फ़रवरी २०१३ को तिहाड़ जेल में उसे लटकाया गया।[18] विवाद एवम् आलोचनाएँ[संपादित करें]गुजरात हिंसा[संपादित करें]27 फरवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात वापस लौट कर आ रहे कारसेवकों को गोधरा स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में एक हिंसक भीड़ द्वारा आग लगाकर जिन्दा जला दिया गया। इस हादसे में 59 कारसेवक मारे गये थे।[19]रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप समूचे गुजरात में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे। मरने वाले 1180 लोगों में अधिकांश संख्या अल्पसंख्यकों की थी। इसके लिये न्यू यॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया।[12] कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की माँग की।[20][21] मोदी ने गुजरात की दसवीं विधान सभा भंग करने की संस्तुति करते हुए राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। परिणामस्वरूप पूरे प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।[22][23] राज्य में दोबारा चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने मोदी के नेतृत्व में विधान सभा की कुल 182 सीटों में से 127 सीटों पर जीत हासिल की। अप्रैल 2009 में भारत के उच्चतम न्यायालय ने विशेष जाँच दल भेजकर यह जानाना चाहा कि कहीं गुजरात के दंगों में नरेन्द्र मोदी की साजिश तो नहीं।[12] यह विशेष जाँच दल दंगें में मारे गये काँग्रेसी सांसद ऐहसान ज़ाफ़री की विधवा ज़ाकिया ज़ाफ़री की शिकायत पर भेजा गया था।[24] दिसम्बर 2010 में उच्चतम न्यायालय ने एस०आई०टी० की रिपोर्ट पर यह फैसला सुनाया कि इन दंगों में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।[25] उसके बाद फरबरी 2011 में टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब यह आरोप लगाया कि रिपोर्ट में कुछ तथ्य जानबूझ कर छिपाये गये हैं[26] और सबूतों के अभाव में नरेन्द्र मोदी को अपराध से मुक्त नहीं किया जा सकता।[27][28] इंडियन एक्सप्रेस ने भी यह लिखा कि रिपोर्ट में मोदी के विरुद्ध साक्ष्य न मिलने की बात भले ही की हो किन्तु अपराध से मुक्त तो नहीं किया।[29] द हिन्दू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार नरेन्द्र मोदी ने न सिर्फ़ इतनी भयंकर त्रासदी पर पानी फेरा अपितु प्रतिक्रिया स्वरूप उत्पन्न गुजरात के दंगों में मुस्लिम उग्रवादियों के मारे जाने को भी उचित ठहराया।[30] भारतीय जनता पार्टी ने माँग की कि एस०आई०टी० की रिपोर्ट को लीक करके उसे प्रकाशित करवाने के पीछे सत्तारूढ काँग्रेस पार्टी का राजनीतिक स्वार्थ है इसकी भी उच्चतम न्यायालय द्वारा जाँच होनी चाहिये।[31] सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई फैसला दिये अहमदाबाद के ही एक मजिस्ट्रेट को इसकी निष्पक्ष जाँच करके अबिलम्ब अपना निर्णय देने को कहा।[32] अप्रैल 2012 में एक अन्य विशेष जाँच दल ने फिर ये बात दोहरायी कि यह बात तो सच है कि ये दंगे भीषण थे परन्तु नरेन्द्र मोदी का इन दंगों में कोई भी प्रत्यक्ष हाथ नहीं।[33] 7 मई 2012 को उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जज राजू रामचन्द्रन ने यह रिपोर्ट पेश की कि गुजरात के दंगों के लिये नरेन्द्र मोदी पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153 ए (1) (क) व (ख), 153 बी (1), 166 तथा 505 (2) के अन्तर्गत विभिन्न समुदायों के बीच बैमनस्य की भावना फैलाने के अपराध में दण्डित किया जा सकता है।[34] हालँकि रामचन्द्रन की इस रिपोर्ट पर विशेष जाँच दल (एस०आई०टी०) ने आलोचना करते हुए इसे दुर्भावना व पूर्वाग्रह से परिपूर्ण एक दस्तावेज़ बताया।[35] अभी हाल ही में 26 जुलाई 2012 को नई दुनिया के सम्पादक शाहिद सिद्दीकी को दिये गये एक इण्टरव्यू में नरेन्द्र मोदी ने साफ कहा-"2004 में मैं पहले भी कह चुका हूँ, '2002 के साम्प्रदायिक दंगों के लिये मैं क्यों माफ़ी माँगूँ?' यदि मेरी सरकार ने ऐसा किया है तो उसके लिये मुझे सरे आम फाँसी दे देनी चाहिये।" मुख्यमन्त्री ने गुरुवार को नई दुनिया से फिर कहा- "अगर मोदी ने अपराध किया है तो उसे फाँसी पर लटका दो। लेकिन यदि मुझे राजनीतिक मजबूरी के चलते अपराधी कहा जाता है तो इसका मेरे पास कोई जबाव नहीं है।" यह कोई पहली बार नहीं है जब मोदी ने अपने बचाव में ऐसा कहा हो। वे इसके पहले भी ये तर्क देते रहे हैं कि गुजरात में और कब तक गुजरे ज़माने को लिये बैठे रहोगे? यह क्यों नहीं देखते कि पिछले एक दशक में गुजरात ने कितनी तरक्की की? इससे मुस्लिम समुदाय को भी तो फायदा पहुँचा है। लेकिन जब केन्द्रीय क़ानून मन्त्री सलमान खुर्शीद से इस बावत पूछा गया तो उन्होंने दो टूक जबाव दिया-"पिछले बारह वर्षों में यदि एक बार भी गुजरात के मुख्यमन्त्री के खिलाफ़ एफ०आई०आर० दर्ज़ नहीं हुई तो आप उन्हें कैसे अपराधी ठहरा सकते हैं? उन्हें कौन फाँसी देने जा रहा है?"[36] सन्दर्भ[संपादित करें]
बाह्य सूत्र[संपादित करें]
Narendra ModiFrom Wikipedia, the free encyclopedia
Narendra Damodardas Modi ( pronunciation (help·info); born 17 September 1950) is the 14th and current Chief Minister of Gujarat, a state in western India. Modi was a key strategist for the Bharatiya Janata Party (BJP) in the successful 1995 and 1998 Gujarat state election campaigns. He first became chief minister of Gujarat in October 2001, being promoted to the office upon the resignation of his predecessor, Keshubhai Patel, following the defeat of BJP in by-elections. In July 2007, he became the longest-serving Chief Minister in Gujarat's history when he had been in power for 2,063 days continuously. Under his leadership, the Bharatiya Janata Party won the 2012 State Assembly Elections and he was chosen to serve for a fourth term as chief minister. Modi is a member of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS). He holds a master's degree in political science. Modi is a controversial figure both within India and internationally.[1][2][3][4] His administration has been criticised for the incidents surrounding the 2002 Gujarat violence.[4][5] His policies are credited with creating the environment for the high economic growth in Gujarat.[6]
Early life and activismEarly lifeModi was born on 17 September 1950[7] to a family of grocers in Vadnagar in Mehsana district of what was then Bombay State (present-day Gujarat), India.[8] He was the third of six children born to Damodardas Mulchand Modi and his wife, Heeraben.[9][10] While a teenager, Modi ran a tea stall with his brother around a bus terminus.[11] He completed his schooling in Vadnagar, where a teacher describes him as being an average student but a keen debater.[10] He began work in the staff canteen of Gujarat State Road Transport Corporation, where he stayed till he became a full–time pracharak(propagator) of the RSS.[10][12] After Modi had received some RSS training in Nagpur, which was a prerequisite for taking up an official position in the Sangh Parivar, he was given charge of Sangh's student wing, Akhil Bharatiya Vidyarthi Parishad, in Gujarat. Modi organised agitations and covert distribution of Sangh's pamphlets during the Emergency.[10] During his years in the RSS, Modi came in touch with Vasant Gajendragadkar and Nathalal Jaghda, leaders of the Jan Sangh, who later founded the BJP's Gujarat state unit.[12] Education and political activismModi remained a pracharak in the RSS while he completed his master's degree in political science from Gujarat University.[13] The RSSseconded Modi to the BJP in 1987.[12][14] While Shankarsingh Vaghela and Keshubhai Patel were the established names in the BJP, Modi rose to prominence after organising Murli Manohar Joshi's Ekta yatra (journey for unity).[10] His electoral strategy was central to BJP's victory in the 1995 state elections.[14][12][15] Modi became the General Secretary of the BJP and was transferred to New Delhi where he was assigned responsibility for the party's activities in Haryana and Himachal Pradesh.[14] Vaghela, who had threatened to break away from BJP in 1995, defected from the BJP after he lost the 1996 Lok Sabha elections. In 1998, Modi was promoted to the post of National Secretary of the BJP.[10] While selecting candidates for the 1998 state elections in Gujarat, Modi sidelined people who were loyal to Vaghela and rewarded those who favoured Patel, thus ending factional divisions within the party. His strategies were key to winning those elections.[14] Patel's failing health, along with allegations of abuse of power, corruption and poor administration, as well as a loss of BJP seats in by-elections and the effects of the devastating Bhuj Earthquake of 2001, which his administration struggled to handle, prompted the BJP's national leadership to seek a new candidate for the office of chief minister.[16][17][14] Modi, who had aired his misgivings about Patel's administration, was chosen as a replacement.[10] L. K. Advani, a senior leader of the BJP, however, did not want to ostracise Patel and was worried about Modi's lack of experience in governance. It was suggested that Modi should be made the deputy chief minster in a government led by Patel. Modi informed Advani and Atal Bihari Vajpayee that he was "going to be fully responsible for Gujarat or not at all" and declined the proposal. On 7 October 2001, Modi was appointed the Chief Minister of Gujarat and was assigned responsibility to prepare the BJP for elections in December 2002.[16] As Chief Minister, Modi's ideas of governance revolved around privatisation andsmall government, which stood at odds with what Aditi Phadnis has described as the "anti–privatisation, anti–globalisation position" of the RSS.[16] 2002 Gujarat violenceMain article: 2002 Gujarat violence In 2002, widespread communal violence erupted between Hindus and Muslims in Gujarat after the violent incident near the Godhra railway station where some coaches of a train carrying Hindu pilgrims was burned by a muslim mob;[18] the Gujarat administration was accused by the opposition and sections of the media of taking insufficient action against the violence, and even condoning it in some cases.[19][20][21] The Modi government had imposed curfews, issued shoot-at-sight orders and called for the army to prevent the violence from worsening but the combined strength of the army and state police proved insufficient.[20][21] In April 2009, the Supreme Court of India appointed a Special Investigation Team (SIT) to inquire into the Gujarat government and Narendra Modi's role in the incidents of communal violence.[19] The SIT reported to the court in December 2010 submitting that they did not find any incriminating evidence against Modi of willfully allowing communal violence in the state.[22] Modi's decision to move the corpses of the kar sevaks who had been burned to death in Godhra to Ahmedabad had been criticised for inflaming the violence.[23][24] However, SIT found his decision to be justified.[25] In April 2012, the SIT absolved Modi of any involvement in the Gulbarg Society massacre that occurred in 2002.[26][27] On 7 May 2012, the Supreme Court-appointed amicus curiae, Raju Ramachandran, observed that Modi could be prosecuted for promoting enmity among different groups during the 2002 Gujarat violence. His main contention was that the evidence should be examined by a court of law because the SIT was required to investigate but not to judge.[28] The amicus report has been criticised by the Special Investigation Team for relying heavily on the testimony of Sanjiv Bhatt.[29] 2002 electionMain article: Gujarat legislative assembly election, 2002 In the aftermath of the violence, there were calls for Modi to resign from his position as chief minister of Gujarat. The opposition parties stalled the national parliament over the issue. Both the Dravida Munnetra Kazhagam[citation needed] (DMK) and Telugu Desam Party(TDP), allies of the BJP, also asked for Modi's resignation, as did Jayalalithaa, the leader of the All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam party.[30][31] Modi submitted his resignation and the state Assembly was dissolved.[32] In the resultant elections the BJP, led by Modi, won 127 seats in the 182-member assembly.[33] Second term (2002–2007)During his second term, Modi's emphasis shifted from Hindutva to the economic development of Gujarat.[16] Modi's decisions curtailed the influence of organizations of the Sangh Parivar such as the Bharatiya Kisan Sangh (BKS) and Vishva Hindu Parishad (VHP),[34]which had become entrenched in Gujarat after the decline of Ahmedabad's textile industry.[16] Modi dropped Gordhan Zadaphia, ally of Modi's former Sangh co–worker and VHP state chief Praveen Togadia, from the cabinet ministry. When BKS launched a farmers' agitation, Modi ordered their eviction from houses provided by the state government.[34] Modi's decision to demolish 200 illegal temples in Gandhinagar deepened the rift with VHP.[34][35] Various organizations of the Sangh were no longer consulted or apprised of Modi's administrative decisions prior to enactment.[34] Between 2002–2007, Gujarat emerged as an attractive investment destination. Aditi Phadnis, author of Political Profiles Of Cabals & Kings and columnist in the Business Standard, writes that "there was sufficient anecdotal evidence pointing to the fact that corruption had gone down significantly in the state... if there was to be any corruption, Modi had to know about it".[16] Modi instituted financial and technology parks in the state. During the 2007 Vibrant Gujarat summit, real estate investment deals worth 6.6 lakh crore (6600 billion) were signed in Gujarat.[16] In 2003, when Narendra Modi was asked about the conflict of his dreams for Gujarat's future with international criticism of his past activities, Modi said,[36]
Atal Bihari Vajpayee, then Prime Minister of India, who had asked Modi not to discriminate between citizens in the aftermath of the 2002 Gujarat violence and had pushed for his resignation as Chief Minister of Gujarat,[37][38] distanced himself from Modi and reached out to North Indian Muslims before the 2004 elections to the Lok Sabha. After the elections, Vajpayee held the violence in Gujarat as one of the reasons for BJP's electoral defeat and acknowledged that not removing Modi immediately after the Gujarat violence was a mistake.[39][40] Modi had attempted to equate the Gujarat violence with the events of 9/11 in the USA and responded to a newspaper's criticism that compared him to Hitler, Pol Pot and Slobodan Milosovic by saying that "I have not read and I would not like to read [the criticism]. But thank you people for spending time on me."[36] Terrorism and elections in 2007-2008Further information: Gujarat legislative assembly election, 2007 In the lead up to assembly and general elections in 2007–2008, the BJP stepped up its rhetoric on terrorism.[41] On 18 July 2006, Modi criticised the Indian Prime Minister, Manmohan Singh, "... for his reluctance to revive anti-terror legislations" such as the Prevention of Terrorist Activities Act. He asked the national government to allow states to invoke tougher laws in the wake of the 7/11 blasts in Mumbai.[42] Modi said that:
Around this time Modi frequently demanded the execution of Afzal Guru,[43] a collaborator of the Pakistani jihadists who had been convicted of terrorism for his involvement in the 2001 Indian Parliament attack.[44][a] Modi made a speech at Mangrol in which he justified the extrajudicial killing of Sohrabuddin Sheikh, during the election campaign in response to Sonia Gandhi's speech calling him a "merchant of death",[45] and referred to Sohrabuddin's killing. For this speech theElection Commission of India, a constitutional body governing election proceedings in India, cautioned Modi as it considered it as indulging in an activity which may aggravate existing differences between different communities.[46] Modi had completed 2,063 consecutive days as chief minister of Gujarat in July 2007, making him the longest-serving holder of that post.[47] The BJP won the 2007 election, gaining 122 of the 182 seats in the state assembly, and Modi continued in office as chief minister.[48] As a consequence of the November 2008 Mumbai attacks, Modi held a meeting to discuss security of Gujarat's 1,600 km (990 mi) coastline. The outcome was that the central government authorised construction of 30 high–speed surveillance boats.[49] Third term (2007–2012)Gujarat is a semi-arid state and, according to Tushaar Shah, was "... never known for agrarian dynamism" but in recent years has improved its agricultural output substantially, in large part due to projects relating to improvement of groundwater supplies in Saurashtra,Kachchh and the north, as well as efforts to increase the use of micro-irrigation and to provide more efficient power supply to farms. Public irrigation measures in the central and southern areas, such as the Sardar Sarovar Project, have not been so successful in achieving their aims.[50] Successive BJP governments under Patel and Modi supported NGOs and communities in the creation of infrastructure projects for conservation of groundwater. By December 2008, 500,000 structures had been constructed, of which 113,738 were check dams. While most check dams remained empty during the pre-monsoon season, they helped recharge the aquifers that lie beneath them.[50] 60 of the 112 Tehsils which were found to have over–exploited the groundwater table in 2004 had regained their normal groundwater level by 2010[51] and Gujarat had managed to increase its groundwater levels at a time when they were falling in all other Indian states. As a result, production of genetically-modified Bt cotton, which could now be irrigated using tube wells, increased to become the largest in India.[50] The boom in cotton production and utilization of semi–arid land[52] saw the agriculture growth rate of Gujarat increase to 9.6% in the period 2001–2007.[53] For the decade 2001–2010, Gujarat recorded a Compound annual growth rate of 10.97%, the highest among all Indian states.[52] The system of supplying power to rural areas has been changed radically and has had a greater impact on agriculture than the irrigation works. While states such as Andhra Pradesh and Tamil Nadu provided free electricity to farms, and most other states provided subsidised power, the Gujarat government between 2003-2006 reacted to concerns that such measures result in waste of the power supplied and of groundwater itself with the Jyotigram Yojana scheme, based on ideas developed by the International Water Management Institute. Agricultural supplies were rewired to separate then from other rural supplies and then the electricity used by farms was rationed to fit with scheduled demand for irrigation and consequently to reduce the amount of subsidy being paid. The farmers objected to this at first but came to realise that the outcome was that they were receiving a supply that suffered less from interruption, was of a more consistent voltage and was available when they most needed it for irrigation purposes. Other states have since begun to adopt similar, although not identical, strategies.[50] During late 2011 and early 2012, Narandra Modi undertook a series of fasts as part of the Sadbhavna Mission, to reach out to the Muslim community in Gujarat.[54] The mission started on 17 September 2011 in Ahmedabad with a three-day fast aimed at strengthening the atmosphere of peace, unity, and harmony in the state. He observed 36 fasts in 26 districts and 8 cities.[55] In 2011, the Gujarat state organisation of Congress banned the Gujarati-language TV 9 television channel from covering its events and prohibited access to its press conferences.[56] Modi criticised this decision, saying that
On 25 August 2011, the Governor of Gujarat, Kamla Beniwal, appointed Justice R. A. Mehta to the post of Lokayukta of Gujarat, a critical anti–corruption post that had been lying vacant since 2003. Mehta was recommended for the post by the Chief Justice of theGujarat High Court in June 2011.[58] Beniwal made this decision without consultation with and approval from Modi and his council of ministers.[59] This marked the beginning of a strained relationship between Modi and Beniwal. On 25 September 2011, Modi accused the Governor of running a parallel government in the state supported by the Indian National Congress party. He demanded that she be recalled.[60] The appointment of Mehta was challenged in the High Court by the Gujarat government. The two-member high court bench gave a split verdict on 10 October 2011. In January 2012, a third member upheld Beniwal's decision.[61] Modi has also accused Beniwal of delaying a bill for reservation of 50% of seats in local government for women.[62] Modi interacted with netizens on Google+ on 31 August 2012.[63] The chat session was also broadcast live on YouTube.[63] The questions were submitted before the chat, and those broadcast were mostly based on issues about education, youth empowerment, rural development and causes of urbanisation.[64] The hashtag #ModiHangout became the most trending term in India at Twitter on the day of the session, whereas #VoteOutModi, used by Modi's opponents, became the third most trending term in the country.[63] The event made Modi the first Indian politician to interact with netizens through live chat on the internet.[65] Fourth term (2012–present)Further information: Gujarat legislative assembly election, 2012 In the 2012 Gujarat legislative assembly elections, Narendra Modi won the constituency of Maninagar with a majority of 86,373 votes over Sanjiv Bhatt's wife, Shweta, who was contesting for the Indian National Congress.[66] The BJP as a whole won 115 of the 182 seats; it has formed the government in Gujarat since 1995[67] and has had an absolute majority throughout Modi's time in office.[68] Role in central politicsIn March 2013, Modi was appointed as member of the BJP Parliamentary Board, its highest decision-making body, and also as a member of the party's Central Election Committee.[69][70] International diplomacyTo attract foreign investment in Gujarat during his time as chief minister, Modi has made visits to countries such as China, Singapore and Japan.[71] Modi visited China in November 2006 in order to study the Special Economic Zones that were planned to start in Gujarat.[72] He also visited in September 2007[73] and later in November 2011. A month after his visit of 2011, the Chinese Government released 13 diamond traders fromIndia who had been jailed by the Shenzhen Customs, which Modi described as being the consequence of his diplomatic efforts and statesmanship.[74][75] In 2005 Modi was denied a diplomatic visa to the United States. In addition, the B-1/B-2 visathat had previously been granted to him was also revoked, under a section of the Immigration and Nationality Act which makes any foreign government official who was responsible or "directly carried out, at any time, particularly severe violations of religious freedom" ineligible for the visa.[76] The United Kingdom refused to deal with Modi for a decade following the 2002 violence, changing its policy of diplomatic boycott by all but low-ranking officials in October 2012.[77] Later, in March 2013, the European Union, of which the UK is a member, also ended its boycott, saying that talking with Modi was a separate issue from that of protecting human rights and those of women.[78] Personality and imageModi is a vegetarian.[79] He is known for leading a frugal lifestyle and has a personal staff of three. He is known to be a workaholic and an introvert.[80] He also writes poems in Gujarati.[81] He is a crowd-puller as a speaker.[82] He wears "business suits to business meetings, instead of homespun tunics. He still lampoons the urban, English-speaking elite, but he is also honing his English skills."[19]Modi is seen as a "protector" by his supporters.[19] Indian National Congress party likened Modi with "Yamraj", the god of death in Hindu mythology.[83] Awards and recognitions
In the recently conducted opinion polls by various agencies, Narendra Modi has been the preferred choice of majority of Indians as Prime Minister. The second place is occupied by Rahul Gandhi who remains far behind Narendra Modi in these polls.[90] [91] ReferencesNotes Citations
External links
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