Subject: Rihai Manch Indefinite Dharna demanding Justice for khalid mujahid completes 17th day. Shabnam Hashmi coming in suport tomorrow. Revolutionary Cultural Front (JNU) presents a play 'Batla House' 12 pm, 8 June Saturday, Vidhan Sabha Dharna Sthal, Lucknow. In support of Rihai Manch's indefinite dharna for justice to martyr Khalid Mujahid.
RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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खालिद के इंसाफ की लड़ाई देश को बचाने की लड़ाई है- मोहम्मद अहमद
लखनऊ में कल जीवंत होगा बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड!
रिहाई मंच के धरने को प्रशासन द्वारा हटवाने की कोशिश सरकार को मंहगी पड़ेगी
सत्रहवें दिन भी जारी रहा खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी
अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना
लखनऊ 7 जून 2013/ खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की
गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी
कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम
पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का
अनिश्चित कालीन धरना सत्रहवें दिन भी जारी रहा। आज क्रमिक उपवास पर हरे
राम मिश्रा बैठे।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए जमात-ए-इस्लामी के राष्ट्रीय सचिव
मोहम्मद अहमद ने कहा कि जिस तरह पूरे देश में खालिद मुजाहिद की हत्या पर
लोग सड़कों पर उतरे हैं, उससे साफ हो गया है कि लोग अब आतंकवाद के नाम पर
की जा रही राजनीति को समझने लगे है और आने वाले दिनों में सपा-कांग्रेस
समेत सभी सरकारें जो आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवकों को फंसाकर
देश में असुरक्षा की भावना फैलाकर अमरीका और इजराइल की सांम्राज्यवादी
एजेंडे को फैला रही हैं वे सभी पार्टीयां जनता के गुस्से का शिकार होंगी।
उन्होंने कहा कि जब इंसाफ का राज खत्म होता है तो बड़े-बड़े मुल्क खत्म
हो जाते हैं। इसलिए मौलाना खालिद के न्याय की यह लड़ाई देश को बचाने की
लड़ाई है।
धरने पर बैठे तारिक कासमी के ससुर मौलवी मोहम्मद असलम ने कहा कि सरकार जब
तक आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल नहीं करती तब तक उनके दामाद के
छूटने का रास्ता साफ नहीं होगा। जिस रिपोर्ट को सरकार आज स्वीकार कर रही
है, अगर इस रिपोर्ट को अगस्त 2012 में निमेष साहब के सौंपने के बाद सरकार
ने कार्यवाई कर दी होती तो आज तारिक-खालिद जेल से रिहा होते। उन्होंने
कहा कि जिस तरह खालिद के हत्या आरोपी पुलिस वालों को सरकार बचा रही है,
उससे मेरे समेत सभी निर्दोष बच्चों के मां-बाप अपने लड़कों की सुरक्षा को
लेकर चिंतित हैं।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि यूपी सरकार की नियत साफ
नहीं है, जिसके तहत उसने बगुनाह मुसलमानों पर से मुकदमें वापस लेने की
सिर्फ घोषणा की अमल नहीं किया। जिससे संघ परिवार और भाजपा को विरोध में
उतरने का पूरा अवसर प्राप्त हो। सरकार की ओर से बिना किसी पर्याप्त कारण
दर्शाए मुकदमों को वापस लेने का प्रार्थना पत्र डलवाकर जहां एक तरफ
मुसलमानों को खुश करने का प्रयास किया गया तो वहीं दूसरी तरफ फैसला
न्यायालयों की सहमति पर डाल दिया गया। जिसमें बाराबंकी के न्यायाधीश
कल्पना मिश्रा ने प्रार्थना पत्र पर अभियोजन तथा बचाव पक्ष को न सुनकर
संघ परिवार से संबद्ध अधिवक्तओं से प्रार्थना पत्र लेकर मन-माने ढंग से
आदेश पारित किया। जिससे साबित होता है कि बेगुनाहों की रिहाई को रोकने के
लिए सरकार ने अदालतों का भी इस्तेमाल किया।
सरकार के समक्ष दो मजबूत आधार थे लेकिन दोनों आधारों को दरकिनार किया
गया। पहला आधार तो यह था कि लखनऊ तथा फैजाबाद कचहरी ब्लास्ट और तारिक व
खालिद के मुकदमों में विवेचना अधिकारी द्वारा इंस्टीटृयूट फाॅर डिफेंस
स्टडीज एण्ड एनालिशिश द्वारा श्री ख्रुश्चेव की 'हुजी आफ्टर द डेथ आॅफ
इट्स इंडिया चीफ' पर की गई टिप्पड़ी दिनांक 13/02/2008 को सही मान कर
दाखिल किया था। इस टिप्पड़ी में स्पष्ट किया गया था कि मक्का मस्जिद,
अजमेर दरगाह, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, और यूपी कचहरियों के ब्लास्ट
हूजी द्वारा किए गए थे। मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और समझौता एक्सप्रेस
ब्लास्ट में नई गिरफ्तारियां होने के बाद स्पष्ट हो गया कि इन सभी
विस्फोटों में भगवा ब्रिगेड के लोगों का हाथ था और इस आधार पर यूपी की
कचहरियों में हुए ब्लास्ट की अग्रिम विवेचना आवश्यक हो गई थी। दूसरा
मजबूत आधार आरडी निमेष जांच कमीशन की रिपोर्ट जो सरकार को 31 अगस्त 2012
को सौंपी गई थी, उसमें उद्घाटित किए गए तथ्य थे। इन दोनों आधारों को
मिलाकर धारा 173 (8) दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तगर्त अग्रिम विवेचना
कराए जाने पर न्यायालय को उसमें कुछ भी कर पाने का अवसर नहीं मिलता और
ऐसा करने से असली दोषियों की गर्दन तक कानून का हाथ पहुंचता और निर्दोष
लोग रिहा कर दिए जाते साथ ही दोषी पुलिस अधिकारियों/पुलिस जन के खिलाफ
कार्यवाई भी हो गई होती।
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जिस
तरह से मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या की सीबीआई जांच पर यूपी सरकार
चुप्पी साधे हुए है, वो साफ करता है कि सरकार इसकी जांच सीबीआई से न
कराकर दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने की फिराक में है। सपा सरकार जो खुद
विभिन्न घोटालों में फंसी है, वो खालिद मुजाहिद के हत्या प्रकरण में
सीबीआई जांच करवाने से इसलिए भाग रही है कि अगर दोषी पुलिस अधिकारीयों और
आईबी पर गाज गिरगे तो वो सरकार को भी फंसाने लगेंगे क्योंकि खुद मुलायम
सिंह आय से अधिक संपत्ती समेत दूसरे कई घोटालों में फंसे हुए हैं। हमारे
सामने बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड एक नजीर पहले से है जहां पुलिस के
मनोबल के गिरने की दुहाई देकर पूरे न्याय के सवाल को भटका दिया गया,
बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ मसले पर खामोश रहकर कांग्रेस को मदद पहुंचाने
वाली सपा अब यही रणनीति खालिद मुजाहिद की हत्या के मामले में भी अपनाना
चाहती है। जो हम नहीं होने देंगे।
रिहाई मंच के प्रवक्तओं ने बताया कि कल के अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन
में सांप्रदायिकता विरोधी अभियान से जुड़ी मानवाधिकार नेता शबनम हाशमी और
मानसी भी आएंगी। कल जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के
रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में विधान सभा
धरना स्थल पर बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड पर आधारित 'बाटला हाउस' नाटक
का मंचन करेगा।
धरने का संचालन आजमगढ़ रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने किया। धरने को
रिहाई मंच के महासचिव व पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एसआर दारापुरी, मैग्सेसे
पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, पूर्व सांसद इलियास आजमी, सोशलिस्ट
फ्रंट के मोहम्मद आफाक, कानपुर से मो0 नईम, मो0 फहीम सिद्ीकी, शिवदास,
अफरोज, हरेराम, शुएब, सादिक, योगेन्द्र सिंह यादव, शम्स तबरेज खान,
मोहम्मद कासिम, डा0 हारिस सिद्की, असदुल्ला, शाहनवाज आलम और राजीव यादव
ने संबोधित किया।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
Email- rihaimanchindia@gmail.com
RIHAI MANCH
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खालिद के इंसाफ की लड़ाई देश को बचाने की लड़ाई है- मोहम्मद अहमद
लखनऊ में कल जीवंत होगा बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड!
रिहाई मंच के धरने को प्रशासन द्वारा हटवाने की कोशिश सरकार को मंहगी पड़ेगी
सत्रहवें दिन भी जारी रहा खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी
अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना
लखनऊ 7 जून 2013/ खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की
गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी
कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम
पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का
अनिश्चित कालीन धरना सत्रहवें दिन भी जारी रहा। आज क्रमिक उपवास पर हरे
राम मिश्रा बैठे।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए जमात-ए-इस्लामी के राष्ट्रीय सचिव
मोहम्मद अहमद ने कहा कि जिस तरह पूरे देश में खालिद मुजाहिद की हत्या पर
लोग सड़कों पर उतरे हैं, उससे साफ हो गया है कि लोग अब आतंकवाद के नाम पर
की जा रही राजनीति को समझने लगे है और आने वाले दिनों में सपा-कांग्रेस
समेत सभी सरकारें जो आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवकों को फंसाकर
देश में असुरक्षा की भावना फैलाकर अमरीका और इजराइल की सांम्राज्यवादी
एजेंडे को फैला रही हैं वे सभी पार्टीयां जनता के गुस्से का शिकार होंगी।
उन्होंने कहा कि जब इंसाफ का राज खत्म होता है तो बड़े-बड़े मुल्क खत्म
हो जाते हैं। इसलिए मौलाना खालिद के न्याय की यह लड़ाई देश को बचाने की
लड़ाई है।
धरने पर बैठे तारिक कासमी के ससुर मौलवी मोहम्मद असलम ने कहा कि सरकार जब
तक आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल नहीं करती तब तक उनके दामाद के
छूटने का रास्ता साफ नहीं होगा। जिस रिपोर्ट को सरकार आज स्वीकार कर रही
है, अगर इस रिपोर्ट को अगस्त 2012 में निमेष साहब के सौंपने के बाद सरकार
ने कार्यवाई कर दी होती तो आज तारिक-खालिद जेल से रिहा होते। उन्होंने
कहा कि जिस तरह खालिद के हत्या आरोपी पुलिस वालों को सरकार बचा रही है,
उससे मेरे समेत सभी निर्दोष बच्चों के मां-बाप अपने लड़कों की सुरक्षा को
लेकर चिंतित हैं।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि यूपी सरकार की नियत साफ
नहीं है, जिसके तहत उसने बगुनाह मुसलमानों पर से मुकदमें वापस लेने की
सिर्फ घोषणा की अमल नहीं किया। जिससे संघ परिवार और भाजपा को विरोध में
उतरने का पूरा अवसर प्राप्त हो। सरकार की ओर से बिना किसी पर्याप्त कारण
दर्शाए मुकदमों को वापस लेने का प्रार्थना पत्र डलवाकर जहां एक तरफ
मुसलमानों को खुश करने का प्रयास किया गया तो वहीं दूसरी तरफ फैसला
न्यायालयों की सहमति पर डाल दिया गया। जिसमें बाराबंकी के न्यायाधीश
कल्पना मिश्रा ने प्रार्थना पत्र पर अभियोजन तथा बचाव पक्ष को न सुनकर
संघ परिवार से संबद्ध अधिवक्तओं से प्रार्थना पत्र लेकर मन-माने ढंग से
आदेश पारित किया। जिससे साबित होता है कि बेगुनाहों की रिहाई को रोकने के
लिए सरकार ने अदालतों का भी इस्तेमाल किया।
सरकार के समक्ष दो मजबूत आधार थे लेकिन दोनों आधारों को दरकिनार किया
गया। पहला आधार तो यह था कि लखनऊ तथा फैजाबाद कचहरी ब्लास्ट और तारिक व
खालिद के मुकदमों में विवेचना अधिकारी द्वारा इंस्टीटृयूट फाॅर डिफेंस
स्टडीज एण्ड एनालिशिश द्वारा श्री ख्रुश्चेव की 'हुजी आफ्टर द डेथ आॅफ
इट्स इंडिया चीफ' पर की गई टिप्पड़ी दिनांक 13/02/2008 को सही मान कर
दाखिल किया था। इस टिप्पड़ी में स्पष्ट किया गया था कि मक्का मस्जिद,
अजमेर दरगाह, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, और यूपी कचहरियों के ब्लास्ट
हूजी द्वारा किए गए थे। मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और समझौता एक्सप्रेस
ब्लास्ट में नई गिरफ्तारियां होने के बाद स्पष्ट हो गया कि इन सभी
विस्फोटों में भगवा ब्रिगेड के लोगों का हाथ था और इस आधार पर यूपी की
कचहरियों में हुए ब्लास्ट की अग्रिम विवेचना आवश्यक हो गई थी। दूसरा
मजबूत आधार आरडी निमेष जांच कमीशन की रिपोर्ट जो सरकार को 31 अगस्त 2012
को सौंपी गई थी, उसमें उद्घाटित किए गए तथ्य थे। इन दोनों आधारों को
मिलाकर धारा 173 (8) दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तगर्त अग्रिम विवेचना
कराए जाने पर न्यायालय को उसमें कुछ भी कर पाने का अवसर नहीं मिलता और
ऐसा करने से असली दोषियों की गर्दन तक कानून का हाथ पहुंचता और निर्दोष
लोग रिहा कर दिए जाते साथ ही दोषी पुलिस अधिकारियों/पुलिस जन के खिलाफ
कार्यवाई भी हो गई होती।
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जिस
तरह से मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या की सीबीआई जांच पर यूपी सरकार
चुप्पी साधे हुए है, वो साफ करता है कि सरकार इसकी जांच सीबीआई से न
कराकर दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने की फिराक में है। सपा सरकार जो खुद
विभिन्न घोटालों में फंसी है, वो खालिद मुजाहिद के हत्या प्रकरण में
सीबीआई जांच करवाने से इसलिए भाग रही है कि अगर दोषी पुलिस अधिकारीयों और
आईबी पर गाज गिरगे तो वो सरकार को भी फंसाने लगेंगे क्योंकि खुद मुलायम
सिंह आय से अधिक संपत्ती समेत दूसरे कई घोटालों में फंसे हुए हैं। हमारे
सामने बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड एक नजीर पहले से है जहां पुलिस के
मनोबल के गिरने की दुहाई देकर पूरे न्याय के सवाल को भटका दिया गया,
बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ मसले पर खामोश रहकर कांग्रेस को मदद पहुंचाने
वाली सपा अब यही रणनीति खालिद मुजाहिद की हत्या के मामले में भी अपनाना
चाहती है। जो हम नहीं होने देंगे।
रिहाई मंच के प्रवक्तओं ने बताया कि कल के अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन
में सांप्रदायिकता विरोधी अभियान से जुड़ी मानवाधिकार नेता शबनम हाशमी और
मानसी भी आएंगी। कल जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के
रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में विधान सभा
धरना स्थल पर बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड पर आधारित 'बाटला हाउस' नाटक
का मंचन करेगा।
धरने का संचालन आजमगढ़ रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने किया। धरने को
रिहाई मंच के महासचिव व पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एसआर दारापुरी, मैग्सेसे
पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, पूर्व सांसद इलियास आजमी, सोशलिस्ट
फ्रंट के मोहम्मद आफाक, कानपुर से मो0 नईम, मो0 फहीम सिद्ीकी, शिवदास,
अफरोज, हरेराम, शुएब, सादिक, योगेन्द्र सिंह यादव, शम्स तबरेज खान,
मोहम्मद कासिम, डा0 हारिस सिद्की, असदुल्ला, शाहनवाज आलम और राजीव यादव
ने संबोधित किया।
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प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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