THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Friday, June 7, 2013

गंगा से परवीन शाकिर, पाकिस्तानी शायर

गंगा से

जुग बीते
दजला से इक भटकी हुई लहरganga-near-uttarkashi
जब तेरे पवित्र चश्मों को छूने आई तो
तेरी ममता ने फैला दीं अपनी बाहें
और तेरे हरे किनारों पर तब
आम और कटहल के दरख्तों से घिरे हुए
खपरैलों वाले घरों के आँगन में
किलकारियाँ गूँजीं
मेरे पुरुखों की खेती शादाब हुई
और शगुन के तेल ने
दिए की लौ को ऊँचा किया
फिर देखते-देखते
पीले फूलों और सुनहरे दियों की जोत
तेरे फूलों वाले पुल की
कोख से होती हुई
मेहरान तक पहुँच गई
मैं उसी जोत की नन्हीं किरण
फूलों का थाल लिए
तेरे कदमों में फिर आ बैठी हूँ
और अब तुझसे
बस एक दिए की तालिब हूँ
यूँ अंत समय तक तेरी जवानी हँसती रहे
लेकिन ये शादाब हँसी
कभी तेरे किनारों के लब से
इतनी न छलक जाएParveen-Shakir
कि मेरी बस्तियाँ डूबने लग जाएँ
गंगा प्यारी
मेरी रुपहली रावी
और भूरे मेहरान की मुट्ठी में
मेरी माँ की जान छुपी है
मेरी माँ की जान न लेना
मुझसे मेरा मान न लेना
ओ गंगा प्यारी !

परवीन शाकिर, पाकिस्तानी शायर

http://www.nainitalsamachar.in/ganga-a-poem-by-parveen-shakir/

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