जिनके हाथों में राष्ट्रीय ध्वज शर्मिंदा हैं, वक्त है बाजार के उन महानायकों के विसर्जन का!
पलाश विश्वास
भारतीय लोग गणराज्य के स्वतंत्र संप्रभू नागरिक बाहैसियत अगर राष्ट्रप्रेम का जैसा कुछ भाव आपको विह्वलकरता है तो तुरंत मांग कीजिये कि चैंपियन कप क्रिकेट प्रतियोगिता खेलने गयी भारतीय टीम को तुरंत वापस बुला लिया जाये क्योंकि न सिर्फ इस टीम के कप्तान और एक कारपोरेट कंपनी के उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह धोनी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के अत्यंत गंभीर आरोप हैं , बल्कि इस टीम के चयन भी फिक्सिंग मिक्सिंग बेटिंग आधारित है। लेकिन शायद हमारे पिछवाड़े में वह दम नहीं है कि हम अपने को खुले बाजार के खुल्ला खेल फर्रऊखाबादी के खिलाफ खड़े होकर माओवादी या राष्ट्रद्रोही करार दिये जानेका जोकिम उठाये।लेकिन यह वक्त है, राष्ट्र ध्वज जिन हाथों में शर्मिंदा है, बाजार के ऐसे नायकों महानायकों का विसर्जन कर दिया जाये।
क्योंकि पानी सर से ऊपर आ चुका है। अब भी न जागे तो लिंग परिवर्तन थेरापी के दुष्प्रभाव से नींद में हमेशा सो जाने का खतरा मुंह बांए है।हदें पार करने के बावजूद जिनकी रगों में ग्लेशियरी बर्फ जमा हो वे स्वतंत्र देश के नागरिक नहीं हो सकते। लगातार छह साल से आईपीएल की चियरिन संस्कृति भारतीय अर्थव्यवस्था पर वर्चस्ववादियों के एकाधिकार कायम करती दीख रही है। महेंद्र सिंह धोनी का प्रबंधन करने वाली खेल प्रबंधन कंपनी रिती स्पोर्ट्स ने सोमवार को स्पष्टीकरण दिया कि भारतीय कप्तान इस कंपनी के अंशधारक नहीं हैं जिससे हितों में टकराव की संभावना की अटकलों पर विराम लग गया। इस तरह की खबरें थी कि रिती स्पोर्ट्स में धोनी का 15 प्रतिशत हिस्सा है। यह कंपनी सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा और प्रज्ञान ओझा का प्रबंधन भी देखती है। कंपनी ने हालांकि स्पष्ट किया कि धोनी अल्प समय के लिए कंपनी के शेयरधारक थे!
खेल प्रबंधन कंपनी रिती स्पोर्ट्स ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पास उसके शेयर थे। फर्म ने कहा है कि धोनी अभी उसके शेयर होल्डर नहीं हैं। कंपनी ने धोनी को 22 मार्च 2013 को शेयर दिया था लेकिन उसने 26 अप्रैल 2013 को उनसे शेयर वापस ले लिया था। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक स्पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म रहिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में धोनी की 15 फीसदी हिस्सेदारी है। यह कंपनी टीम इंडिया में खेलने वाले चार दूसरे खिलाड़ियों का भी मैनेजमेंट देखती है!आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी जैसे अहम मुद्दे पर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की खामोशी से पूरा देश हैरान हैं। पर, धोनी की क्रिकेटर और बिजनेसमैन की भूमिकाओं को लेकर हितों के टकराव का मामला सामने आया है. अब सवाल यही है कि कहीं धोनी इस वजह से खामोश तो नहीं?
विश्वव्यापी जुआ की चपेट में है कालाधन की यह अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रबंधन में लगे हैं गैरसंवैधानिक कारपोरेट तत्व, जिन्होंने भारतीय संविधान और कानून के राज को अप्रासंगिक कर दिया है, संविधानकी हत्या कर दी है और लोकतांत्रिक संस्थाओं का बधियाकरण कर दिया है। इस देश की बहुसंख्य जनता को मानव और नागरिक अधिकारों से वंचित करके जल जंगल जमीन आजीविका और नागरिकता के अधिकारों से बेदखल करने का अश्वमेध बिना प्रतिवाद, बिना प्रतिरोध जारी है, तो नागरिकों की स्वतंत्रता और संप्रभुता के अपहरण के लिए बायोमेट्रिक नागरिकता का प्रावधान है।
आदिवासी संविधान लागू करने की मांग करते हैं तो माओवादी, अल्पसंख्यक अपने हक हकूक पर दावा करें तो आतंकवादी, भौगौलिक नस्ली भेदभाव के शिकार हैं सारा हिमालय, सारा पूर्वोत्तर और सारा मध्य भारत, पूरी बहुजन आबादी, जिनमें संवेधानिक रक्षाकवच से जबरन वंचित कर दिय गये आदिवासी समाज भी है।
लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड नाम की एक कारपोरेट कारोबारी संस्था को भारत सरकार की तर्ज पर संप्रभुता मिली हुई है कि वह नंगा नाच और कैसिनों के कारोबार में पूरे देश की ऐसी की तैसी करें और देशवासियों को कुछ भी कहने का हक नहीं है, सत्ता पक्ष और विपक्ष समेत पूरा सत्तावर्ग उसकी मनमानी झेल रहा है और भारत सरकार का उस पर कोई नियंत्रण है ही नहीं। उग्रतम धर्मोन्मादी राष्ट्रवादी की तरह बाजार के आखेटगाहों के विस्तार में लगे इस जनविरोधी खेल में हमबिस्तर हैं तमाम महामहिम और उनकी अवैध संतानों को हमने नायकों और महानायकों का दर्जा दे रखा है।
स्पॉट फिक्सिंग के चलते अब महेंद्रसिंह धोनी भी सवालों के घरे में आने लगे हैं। अभी तक किसी को शायद ही इसका पता हो कि धोनी क्रिकेटर के साथ अब बिजनेसमैन भी बन गए हैं। अपने दोस्त की एक कंपनी में उनकी 15 फीसदी हिस्सेदारी है।
इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट अनुसार महेंद्रसिंह धोनी ने अपने दोस्त अरुण पांडे की कंपनी की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है। इस कंपनी का नाम है रीति स्पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म।
यह कंपनी क्रिकेटरों की प्रोफेशनल लाइफ का कामकाज देखती है। स्पोर्ट्स मार्केटिंग फर्म का मैनेजमेंट 4 और क्रिकेटर्स को मैनेज करता है। ये क्रिकेटर सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा, प्रज्ञान ओझा और आर.पी. सिंह हैं। यह कंपनी क्रिकेटरों के विज्ञापन और ब्रेंड के कामकाज का ध्यान रखती है।
इस हिस्सेदारी से माना यह जा रहा है कि खिलाड़ियों के चयन में धोनी की भूमिका अहम होती है, क्योंकि इससे कंपनी के हित जुड़े हैं। खिलाड़ियों की ब्रांड वेल्यू बनाए रखने के लिए यह जरूरी है।
इस बारे में पूछे जाने पर बीसीसीआई के जॉइंट सेक्रेटरी अनुराग ठाकुर ने कहा, 'मैं यह पहली बार सुन रहा हूं। यह चिंता वाली बात है। हम मामले की जांच कर सकते हैं।'
धोनी ने 31 मई को ई-मेल से भेजे गए सवालों का जवाब नहीं दिया और पांडेय ने इसके बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया है।
कंपनी के कई बिजनेस एसोसिएशंस हैं, जिससे धोनी की हिस्सेदारी के चलते कम से कम 2 मामले में प्रोपराइटी और हितों के टकराव की स्थिति बनती है। पहली स्थिति में धोनी क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट के लिए इंडियन टीम के कप्तान हैं। दूसरे रूप में धोनी को आईपीएल टीम सीएसके के कप्तान के तौर पर देखते हैं। इससे हितों के टकराव की स्थिति बनती है।
स्पॉट फिक्सिंग पर धोनी अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। इससे महेंद्र सिंह धोनी भी अब सवालों के घेरे में आ गए हैं।
अब हमें इन सवालों का साफ और सीधा जवाब मांगना ही चाहिए!
एन श्रीनिवासन की तानाशाही को क्यों बर्दाश्त कर रहा है देश?
क्यों लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद वह पद पर बने हुए हैं एन श्रीनिवासन?
क्यों लगातार हारने वाली टीम के कप्तान को उनकी ही कंपनी इंडियन सीमेंट्स का वाइस प्रेसीडेंट बना दिया जाता है और उनकी ही दामाद की टीम का कप्तान भी?
क्यों मालिक की गिरफ्तारी के बाद ऐसे कप्तान और ऐसी टीम को फाइनल में खेलने दिया गया?
क्यों फिर वही कप्तान अपने आईपीएल साथियों और कारोबारी सहयोगियों के साथ राष्ट्रध्वज की प्रतिष्ठा संभालने के सबसे योग्य समझे जाते हैं?
क्यों बिना एन श्रीनिवासन के पद से हटे पहले से संदिग्ध किसी व्यक्ति को मामला रफा दफा करने के लिए सर्व सम्मति से अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है?
क्यों राजस्थान रायल्स के खिलाड़ी तो गिरफ्तार हो जाते हैं लेकिन चेन्ने सुपर किंग्स के नहीं?
क्यों मामूली मध्यस्थ बिंदू दारासिंह धर लिये जाते हैं , लेकिन भारतीय कप्तान की पत्नी को उनसे साबित घनिष्ठता के बावजूद शुरु से निर्दोष मान लिया जाता है?
क्यों सभी आईपीएल मैचों में फिक्सिंग का दावा करने वाले बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और भारत के कृषि मंत्री ने बाहैसियत केंद्रीय मंत्री इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की?
क्यों संघ परिवार की शुद्धता और नैतिकता के बावजूद डालमिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाने की पहल करते हुए श्रीनिवासन को पद पर बनाये रखने की पहल करते हैं प्रधनमंत्रित्व के दावेदार अरुण जेटली?
क्यों फिक्सिंग मिक्सिंग बेटिंग के धंधे को कामयाबी के साथ अंजाम देकर आईपीएल कमिश्नर पद से इस्तीफा देते हैं केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री?
क्यों भारत के वित्त मंत्री लंदन जाकर पिछले आईपीएल घोटाले के महनायक ललित मोदी की वापसी का रास्ता तैयार करने लगते हैं?
क्यों बेटिंग की वजह से निर्वासित पूर्व भारतीय कप्तान अजपहरुद्दीन को सत्तादल का सांसद और अल्पसंख्यक चेहरा बना दिया जाता है?
क्यों आईपीएल घोटाला में फंसकर इस्तीफा देने वाले मंत्री शशि थरुर की मंत्रिमंडल में ससम्मान बहाल किया जाता है?
क्यों बोर्ड प्रेसीडेंड और भारतीय कारोबारी कप्तान की मर्जी मुताबिक जिस तिस को भारतीय टीम में शामिल किया जाता है और अजहरुद्दीन के करिश्मे से कलंकित भारीय क्रिकेट को विश्वचैंपियन बनाने वाली टीम के सौरभ गांगुली, राहुल द्राविड़, अनिल कुंबले, वीवीएस लक्ष्मण, जहीर खान, वीरेंद्र शहबाग, गौतम गंभीर से लेकर सचिनतेंदुलकर तक की असमय असम्मानजनक विदाई हो जाती है?
क्यों क्रिकेट कारोबार में महारत हासिल करने वाले सुनील गावस्कर, कपिल देव, श्रीकांत , नवज्योत सिंह सिद्धू जो सांसद भी रहे हैं, रवि शास्त्री हर कीमत पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सात खड़े हो जाते हैं और मलाई मारे रहते हैं और महेंद्र अमरनाथ जैसे लोग किनारे कर दिये जाते हैं?
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