THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, October 21, 2013

अभूतपूर्व रसोई संकट,सब्जियों से लेकर अनाज तक सोने के भाव हैं और इन हालात में रसोई गैस भी बाजार दर पर खरीदनी होगी।

अभूतपूर्व रसोई संकट,सब्जियों से लेकर अनाज तक सोने के भाव हैं और इन हालात में रसोई गैस भी बाजार दर पर खरीदनी होगी।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



राज्य के गृहविभाग के मुताबिक 28 फरवरी के मध्य उत्तर और दक्षिण 24 परगना ,मुर्शिदाबाद, नदिया और दार्जिलिंग जिलों में सभी नागरिकों के आधार कार्ड बन जाने थे।31 अक्तूबर तक हावड़ा, हुगली, कोलकाता,बांकुड़ा,दक्षिण दिनाजपुर,मालदह जिलों में सभी नागरिकों को आदार कार्ड मिल जाने चाहिए। इसी हिसाब के तहत पहली नवंबर से हावड़ा,कोलकाता और कूचबिहार में रसोई गैस पर नकद सब्सिडी योजना लागू होने जा रही है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ज्यादातर इलाकों में आधार का काम शुरु ही नहीं हुआ। पूजा की लंबी छुट्टियों के बाद राजकाज शुरु होने का बाद कब तक सभी लोगों को कार्ड मिलेगा.किसी को नहीं मालूम। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आधार नंबर ऐच्छिक है और इसकी मांग नहीं की जा सकती रसोई गैस के लिए। इसके बावजूद हालत यह है कि मुख्यमंत्री के नवान्न में बैठते न बैठते कोलकाता,हावड़ा और कूच बिहार में अभूतपूर्व रसोई संकट पैदा होने जा रहा है।

सब्जियों से लेकर अनाज तक सोने के भाव हैं और इन हालात में रसोई गैस भी बाजार दर पर खरीदनी होगी।हालत कितनी संगीन है,इसी से समझ लीजिये कि जिन तीन जिलों में नकद सब्सिडी योजना चालू होनी है,उनमें कोलकाता के दस लाख रसोई गैस उपभोक्ताओं में से सिर्फ 35 हजार ही गैस एजंसी को आधार नंबर दर्ज करा सके हैं। हावड़ा में साढ़े पांच लाख उपभोक्ताओं में से  सिर्फ 33 हजार और कूचबिहार में एक लाख 35 हजार उपभोक्ताओं में से सिर्फ 8 हजार।


अभीतक नकद सब्सिडी योजना स्थगित होने की कोई खबर नहीं है। राहत सिर्फ इतनी सी है कि 31 जनवरी तक आधार नंबर गैस एजंसियों को जमा करने की मोहलत मिली है। लेकिन आधार कार्ड बनवाने की जो कच्छप गति है,उससे तब तक भी सभी नागरिकों को आधार कार्ड मिलना तय नही है।


संसद में सरकार चीख चीख कर कहती रही बार बार आधार अनिवार्य नहीं है।सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ गया कि रसोई गैस, वेतन, अस्पताल,बैंकिंग जैसी जरुरी सेवाओं के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। कोलकाता ,हावड़ा और कूचबिहार जिलों के नागरिकों के सामने महासंकट लेकिन मुंह बांए खड़ा है।बिना आधार नंबर के लोग अब पहली नवंबर से बाजार दर पर ही रसोई गैस खरीदने को मजबूर होंगे।सीना जारी के साथ तेल कंपनियां सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कर रही हैं।सरकार खामोश है। राजनीति खामोश है।आधार संकट पर कोई बोल ही नहीं रहा है।


पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने समयसीमा के भीतर आधार कार्ड बनवाने के आदेश जारी कर दिये थे।सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने से पहले।सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। आधार योजना को अभी संवैधानिक कानूनी मान्यता नहीं है।लेकिन इसके खिलाफ संसद के भीतर और बाहर राजनीति सिरे से खारिज है। बेमतलब आम लोगों की गरदन फंसी हुई है।निजता के अधिकार की दुहाई देना सरल है। पर इस मुद्रास्फीति और मंहगाई के जमाने में वेतन,बैंकिंग,रसोई गैस जैसी नागरिक सेवाओं की कीमत पर आधार योजना से बिना राजनीतिक संरक्षण के परहेज करना आम नागरिकों के लिए असंभव है।


बंगाल में सरकार नागरिकों को कारपोरेट आधार योजना के लिए कोई संरक्षण नहीं दे रही है और न आधार बिना नागरिक सेवाएं बहाल रखने की गारंटी दे रहा है कोई।लेकिन दर हकीकत आधार से

अब चतुर्दिक अंधियारा है।


जनसंख्या रजिस्टर का क्या हुआ कोई नहीं जाने हैं, जारी हो गये तमाम रंग बिरंगे आंकड़े। नगरपालिकाओं और नगर निगमों के चुनाव होते रहे हैं।वहां नयी प्रशासनिक व्यवस्था अभी बनी नहीं है।और तो और, राजधानी और राइटर्स भी स्थानांतरित।नागरिकों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।अफसरान से आधार एक बारे में पूछो तो टका सा जवाब मिलता है वे कुछ बता ही नहीं सकते।




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