THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Tuesday, October 29, 2013

राजकोष से मुआवजा देकर चिटफंड कारोबार का अपराध धुलेगा?

राजकोष से मुआवजा देकर चिटफंड कारोबार का अपराध धुलेगा?


मां माटी मानुष की सरकार राजकोष से आम टैक्स पेयर जनता के पैसे का वारा न्यारा करके चिटपंड के शिकार लोगों का जुबान बंद रखने को मुआवजा बांटकर दागी मंत्रियों,सांसदों,विधायकों और नेताओं का पाप धोने में लगी है।रोज एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासा हो रहा है। लेकिन न जांच हो रही है और न रिकवरी।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


प्रवर्तन निदेशालय की जिरह का सामना करने के बाद तृणमूल के निलंबित सांसद ने अब शारदा चिटफंड मामले में सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित परिवहनमंत्री मदन मित्र पर आरोपों की बौछार कर दी है। कुणाल के मुताबिक विष्णुपुर से शारदा कर्णदार सुदीप्तो सेन के उत्थान की कथा मदन मित्र को ही मालूम है।इसी सिलसिले में शारदा प्रतिदिन समझौते के सिलसिले में कुणाल ने प्रतिदिन के संपादक और तृणमूल सांसद सृंजय बोस को भी लपेटा है। इसके साथ ही लास वेगास में शारदा के कार्यक्रम के प्रसंग में उन्होंने आईपीएस अफसर रजत मजुमदार का नामोल्लेख भी कर दिया।गौरतलब है कि 2009 में विष्णुपुर से विधायक चुने गये थे मदन मित्र।प्रवर्तन निदेशालय की जिरह में कुणाल ने सुदीप्तो के उत्थान  के साथ विष्णुपुर से मदनबाबू के अवतार का टांका जोड़ दिया है। जबकि परिवहन मंत्री का कहना है कि अगर वे दोषी होते तो निदेशालय कुणाल से नहीं उन्हींसे पुछताछ कर रहा होता।इसके जवाब में कुमाल का दावा है कि अगर मंत्री मदन मित्र,सांसद सृंजय बोस ौर आईपीएस अफसर रजत मजुमदार से जिरह की जाये तो सारदा फर्जीवाड़ा के सारे राज खुल जायेंगे।



शारदा फर्जीवाड़े से दागी मंत्रियों,सांसदों,विधायकों और नेताओं की लंबी सूची है।आरोप है कि शारदा का पैसा ठिकाने लगाने के लिए सांसद और पूर्व रेलमंत्री मुकुल राय व कुणाल घोष के साथ बैठक के बाद ही सीबीआई को पत्र लिखकर अपनी खासमखास देबजानी के साथ सुदीप्त काठमांडु पहुंच गये और उन्हीके इशारे पर लौटकर कश्मीर में जोड़ी में पकड़े गये।तब से संगी साथियों के साथ सुदीप्तो और देबजानी सरकारी मेहमान हैं।जिस सीबीआई को खत लिखने से इस प्रकरण का खुलासा हुआ,मजे की बात है,चिटपंड फर्जीवाड़े की जांच में उसकी कोई भूमिका ही नहीं है। चिटपंड कारोबार में अपना चेहरा काला होने की वजह से सत्ता से बेदखल वामपंथी विपक्षी नेता भी इस मामले में ऊंची आवाज में कुछ भी कहने में असमर्थ हैं।


नतीजतन इस मामला से पीछा छुड़ाने के लिए मां माटी मानुष की सरकार राजकोष से आम टैक्स पेयर जनता के पैसे का वारा न्यारा करके चिटपंड के शिकार लोगों का जुबान बंद रखने को मुआवजा बांटकर दागी मंत्रियों,सांसदों,विधायकों और नेताओं का पाप धोने में लगी है।रोज एक के बाद एक सनसनीखेज खुलासा हो रहा है। लेकिन न जांच हो रही है और न रिकवरी।





तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जा चुके घोष ने बार बार दावा किया कि उन्हेंचिटफंड घोटाले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी ।लेकिन वे बार बार सबकुछ खुलासा कर देने की धमकी भी साथ साथ दे रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से शारदा फर्जीवाड़े मामले के भंडापोड़ के बाद नया कानून बनाकर चिटफंड कारोबार रोकने की कवायद भी बंद हो गयी है।बहरहाल सेबी को पोंजी कारोबार रोकने के लिए संपत्ति जब्त करने और गिरफ्तारी के पुलिसिया अधिकार जरुर दिये गये।सेबी ने रोजवैली और एमपीएस जैसी कंपनियों को नोटिस जारी करके निवेशको के पैसे लौटाने के लिए बार बार कह रही है।इस बीच एमपीएस के पचास से ज्यादा खाते बी सेबी ने सील कर दिया।लेकिन शारदा समूह समेत किसी भी चिटफंड कंपनी से न कोई रिकवरी संभव हुई है और न निवेशकों को किसी कंपनी ने पैसे लौटाये हैं।शिकंजे में फंसी पोंजी स्कीम चलाने वाली कंपनियों के कारोबार पर थोड़ा असर जरुर हुआ है,लेकिन बाकी सैकड़ों कंपनियों का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है।सीबीआई जांच हो नहीं रही है।अब जरुर केंद्र की ओर से प्रवर्तन निदेशालय और कार्पोरेट मंत्रालय के गंभीर धोखाधड़ी अपराध जांच आफिस भी जांच में लग गये हैं।लेकिन रोजाना सनसनीखेज राजनीतिक खुलासे के अलावा कुछ हो नहीं रहा है।


अकेले  शारदा ग्रुप से जुड़े पश्चिम बंगाल के कथित चिटफंड घोटाले के 2,460 करोड़ रुपये तक का होने का अनुमान है। ताजा जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 80 पर्सेंट जमाकर्ताओं के पैसे का भुगतान किया जाना बाकी है।रिपोर्ट कहती है कि गिरफ्तार किए गए शारदा के चेयरमैन सुदीप्त सेन का उनके ग्रुप की सभी कंपनियों की सभी जमा रकम पर पूरा कंट्रोल था। सेन पर आरोप है कि उन्होंने कथित फ्रॉड करके फंड का गलत इस्तेमाल किया।पश्चिम बंगाल पुलिस और ईडी की इस संयुक्त जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 से 2012 की ग्रुप की समरी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि ग्रुप की चार कंपनियों ने अपनी पॉलिसियां जारी करके 2459 करोड़ रुपये को ठिकाने लगाया है। इन्वेस्टर्स को 476.57 करोड़ रुपये का पेमेंट हुआ। 16 अप्रैल 2013 तक निवेशकों को 1983.02 करोड़ रुपये का प्रिंसिपल अमाउंट दिया जाना बाकी था। निवेशकों की ओर से अब तक 560 शिकायतें दाखिल की गई हैं। इस घोटाले का खुलासा इस साल की शुरुआत में हुआ था।


उलटे हुआ यह कि शारदा फर्जीवाड़ा केभंडापोड़ के बाद तमाम दूसरी कंपनियों का पोंजी चेन गड़बड़ा जाने से निवेशकों का पैसा फंस गया है।

नॉन बैंकिंग कम्पनी यानि चिटफंड कम्पनी के खिलाफ कसी गई शिकंजा से एक ओर जहां लाखों लोगों की गाढ़ी खून पसीने की कमाई  डूब गई ,कम्पनी मालिक और संचालक रातों रात या तो फरार हो गये या फिर कम्पनी में तालाबंदी कर भूमिगत हो गये,लोगों के करोड़ों रूपये डूबे और इन रूपये के डूबने से हजारों  छोटे परिवारों के लोगों की जमा पूंजी हमेशा के लिए चली गई,वहीं चिटफंड या नन बैंकिंग कम्पनी में तो ताला लग जाने से कम्पनी के मालिक और संचालक को फायदा हीं हुआ, लेकिन कम्पनी के रोजगार में लगे वेतन भोगी कर्मचारी सीधे सडक पे आ गये।सनप्लांट , प्रयाग ग्रुप, एक्टिव इंडिया, शारदा ग्रुप जैसे कम्पनी का कर्मचारी होना तो गौरव और सम्मान की बात थी। लेकिन अचानक से ताला लगने के बाद ये लोग सडक पर आ गये है। जेनरेटर वाला , चाय वाला, और कम्पनी में उधार देनेवाला दुकानदार जैसे फर्नीचर दुकानदार, कम्प्यूटर दुकानदार इत्यादि को भी नुकसान हुआ है। क्योंकि अचानक बंद हुए कम्पनी और चिटफंड के कारण उनका बकाया मिल नहीं सका और अब इस बकाया राशि की वसूली के उपाय नहीं हैं क्योकि कम्पनी में तालाबंदी है और संचालक या मालिक फरार है। इस परिस्थिति से लोगों को राहत देने में सरकारी मुआवजा कितना ौर किस हद तक दिया जा सकेगा,यह यक्ष प्रश्न अभी अनुत्तरितहै।



इस बीच तृणमूल कांग्रेस के निलंबित सांसद कुणाल घोष के बाद सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआइओ) ने तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य सांसद सृंजय बोस से पूछताछ की. एसएफआइओ ने लगभग दो घंटे तक बोस से पूछताछ की है। बोस से दिल्ली स्थित एसएफआइओ के कार्यालय में पूछताछ की गयी है। लेकिन मुकुल राय,शताब्दी राय,मदन मित्र जैसे अभियुक्तों सेअभी कोई पूछताछ नहीं हो सकी है।लगभग दो घंटे तक सृंजय से पूछताछ की गयी। सूत्रों के अनुसार, शारदा कांड से संबंधित मामले में उनसे पूछताछ की गयी। पूछताछ के बाद संवाददाताओं के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि शारदा के साथ उनके व्यावसायिक संबंध थे। उससे संबंधित कुछ दस्तावेज उन्होंने एसएफआइओ के अधिकारियों को सौंपे हैं। इसके पहले गुरुवार को तृणमूल के निलंबित सांसद कुणाल घोष  से लगभग सात घंटे तक पूछताछ की गयी थी। सूत्रों के अनुसार कुणाल व सृंजय ने दस्तावेज जमा दिये हैं, उसके आधार पर फिर उन दोनों को पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है।




जांच रिपोर्ट के मुताबिक, शारदा ग्रुप की चार कंपनियों का इस्तेमाल तीन स्कीमों के जरिए पैसा इधर-उधर करने में किया गया। ये तीन स्कीम थीं- फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट और मंथली इनकम डिपॉजिट। इन स्कीम के जरिए भोले भाले जमाकर्ताओं को लुभाने की कोशिश हुई और उनसे वादा किया गया कि बदले में जो इनसेंटिव मिलेगा वो प्रॉपर्टी या फॉरेन टून के रूप में होगा।



अब तक 10 बार पुलिस की लम्बी जिरह का सामना कर चुके कुणाल ने रविवार को कहा कि सारधा चिट फंड घोटाले की पूरी साजिश ही उन्हें फंसाने के लिए रची गई है। उन्होंने अपनी बात को प्रमाणित करते हुए कहा कि सारधा का कारोबार बहुत बड़ा रहा है, मैं सिर्फ मीडिया इकाई से जुड़ा रहा हूं बावजूद सभी एजेंसियां घोटाले की जांच के लिए पूछताछ को मुझे ही बुला रही हैं। कुणाल पहले भी कई बार कह चुके हैं कि इस घोटाले में और बड़े लोग भी शामिल हैं, लेकिन उनसे पूछताछ नहीं हो रही है। तृणमूल सुप्रीमो के कोपभाजन हो चुके कुणाल ने तृणमूल के एक नेता पर पैसे मांगने का भी आरोप लगाया है। बावजूद इन सब के साल्टलेक पुलिस कमिश्नरेट सिर्फ उन्हीं को पूछताछ के लिए बुला रहा है। उन्होंने कहा फिर कहा कि पुलिस मुझे जब जब बुलाएगी मैं हाजिर रहूंगा।

उल्लेखनीय है कि राज्य पुलिस के अलावा केंद्र का प्रवर्तन निदेशालय और कार्पोरेट मंत्रालय का गंभीर धोखाधड़ी अपराध जांच आफिस भी कुणाल से लम्बी पूछताछ कर चुका है।

कुणाल ने आरोप लगाया कि सारधा प्रकरण में उन्हें फंसाने की साजिश का सूत्रपात समूग के मुखिया सुदीप्त सेन की ओर से सीबीआई को लिखे तथाकथित पत्र से हुआ है। उन्होंने आज फिर मांग की कि इस घोटाले की जांच सीबीआई को करनी चाहिए।


दूसरी ओर,नया कंपनी कानून लागू करने की दिशा में सरकार ने प्रस्तावित नैशनल फाइनैंशल रिपोर्टिंग अथारिटी (एनएफआरए) के लिए नियमों का मसौदा जारी कर दिया। एनएफआरए के अलावा, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और कंपनियों द्वारा जमाएं स्वीकारने के संबंध में भी नियमों का मसौदा कंपनी कानून, 2013 के तहत जारी किया गया है। देश में कंपनियों को प्रशासित करने वाले छह दशक पुराने कानून की जगह नए कानून के विभिन्न अध्यायों के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी नियमों के मसौदे का यह तीसरा सेट है। भागीदार एवं आम जनता नियमों के इन मसौदे पर एक नवंबर तक अपनी राय भेज सकते हैं। नए कंपनी कानून में 29 अध्याय हैं। एनएफआरए के पास लेखा व अंकेक्षण नीतियां तय करने के अधिकार होंगे। साथ ही उसके पास कंपनियों या कंपनियों के वर्ग के लिए मानक तय करने के भी अधिकार होंगे। यह नई इकाई लेखा व अंकेक्षण मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगी। वहीं, नए कानून में एसएफआईओ को और अधिकार दिए गए हैं। वर्तमान में, यह सारदा चिटफंड घोटाले सहित कई बड़े मामले देख रहा है। मंत्रालय को अभी तक निगमित सामाजिक दायित्व खर्च व अंकेक्षण सहित विभिन्न विषयों पर हजारों की संख्या में टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं।


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