THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Thursday, October 24, 2013

गली गली चोर,चोर मचाये शोर चोर चोर

गली गली चोर,चोर मचाये शोर चोर चोर

रिलायंस के हित साधन के लिए कारपोरेटइंडिया की बारत सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है।

विनोद राय भी बिड़ला के बचाव में और

ओएनजीसी को रिलायंस से गैस चोरी का डर


स्पेक्ट्रम डिस्काउंट पर ट्राई अड़ा, अब DoT करेगा फैसला



पलाश विश्वास


मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने भारत में एक्सक्लूसिव चिकेन रेस्टोरेंट चेन चलाने का प्लान बनाया है। कंपनी ब्रिटिश फर्म के साथ पार्टनरशिप में रेस्टोरेंट चेन खोलना चाहती है। इसके जरिए कंपनी की क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर) में एंट्री की योजना है।


ईटी ने दी है खबर

अभी क्विक सर्विस रेस्टोरेंट्स बिजनेस की सालाना ग्रोथ 30 फीसदी है। हालांकि, यह बात काबिलेगौर है कि अंबानी खुद वेजेटेरियन हैं। इससे पता चलता है कि किसी इंडिविजुअल के खानपान और लाइफस्टाइल चॉइसेज से बिजनेस से जुड़े फैसलों को अलग रखा जा सकता है। रेस्टोरेंट चेन का नाम 'चिकेन केम फर्स्ट' होगा। यह दुनिया की सबसे पॉपुलर चिकेन रेस्टोरेंट चेन केएफसी (केंटकी फ्राइड चिकेन) से मुकाबला करेगी।


रिलायंस इंडस्ट्रीज ने टू सिस्टर्स फूड्स इंडिया (टीएसएफआई) में 45 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। टीएसएफआई, 2 सिस्टर्स फूड ग्रुप (2एसएफजी) का हिस्सा है। 2एसएफजी ब्रिटेन की तीसरी बड़ी फूड कंपनी है, जो रीटेल, फूड सर्विस और फूड मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स को पॉल्ट्री, रेड मीट, फिश, बेकरी और चिल्ड/फ्रोजेन प्रोडक्ट्स सप्लाई करती है। आरआईएल ने रिलायंस रीटेल के जरिए यह हिस्सा खरीदा है। हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि डील कितने में हुई है? टू सिस्टर्स फूड्स इंडिया (टीएसएफआई) में बाकी की 55 फीसदी हिस्सेदारी 2एसएफजी के पास है।


गली गली चोर

चोर मचाये

शोर

चोर चोर

रिलायंस के

हित सधेंगे

हर कीमत पर

रायसीना तक

समीकरण तय है

बिड़ला के बचाव में

एसोचैम,मोंटेक

और विनोद राय भी


कारपोरेट आस्था

कानून के राज

से बड़ी चीज है भाई

धर्म कर्म आस्था

सबकुछ कारोबार खातिर

राजनीतिक योगाभ्यास

बाकी धर्म कर्म राजनीति

राजकाज विकास

गरीबी हटाओ

आंदोलन और

अभिव्यक्ति की

स्वतंत्रता

कारपोरेट है

क्रांति कुछ

बी कर लो भइये

कारपोरेट खिलाफ

कुछ भी न बोलो

वे नरेंद्र मोदी बना देंगे

या फिर ममता बनर्जी

या फिर मिलेंग पद भारी

सम्मान पुरस्कार

कारपोरेट जिंदाबान

जिंदाबान कारपोरेट

दलित ओबीसी आदिवासी

पिछड़ा कुछ भी कहो

संघियों के साथ

हमबिस्तर रहो

हमबिस्तर रहो

हत्यारों के साथ

अपराधियों का

बिस्तर गर्म करो


कुछ न कहो

बस, कुछ भी न कहो

कारपोरेट इंक

के खिलाफ

खुले बाजार में

कामयाबी की कुंजी यही

सीढियां चढ़नी हो

बाधा दौड़

जीतनी हो

सबको पछाड़कर

आम आदमी की

रट लगाओ खूब

बहुजन मूलनिवासी

चिल्लाओ खूब

जमकर करो

पंडिंग बेहिसाब

बस,कारपोरेट राज

के खिलाफ बोलो मत

भाषण में चाहे

कुछ भी भौंको

करो चमत्कार

प्रवचन चाहे कुछ भी हो

सारा आयोजन

कारोपोरेट हो

सारे साध्य

कारपोरेट हो

कारपोरेट प्रधानमंत्री

के हित में

कर लो यज्ञ महायज्ञ

आस्था कारपोरेट

धर्म कारपोरेट

हर पूजा आयोजन

असुर वध है

महिषासुर वध है

जी रौ हजार साल

कारपोरेट राज

ताकि भाड़ों,भट्टों और

विदूषकों का

बलात्कारियों

और पाखंडियों का

गुलशन आबाद रहे

ताकि हम अंध भक्तों

का चौतरफा

सत्यानाश जारी रहे


दिल्ली में प्याज ने 'सेंचुरी'

लगा ली है तो क्या

आयात निर्यात के खेल में

कितनी सेंचुरियां ठोंक दी

मराठा मानुष कृषि मंत्री

क्रिकेटर आईपीएल उद्धारक ने

कृषि को ठिकाने लगा दी

अपने विदर्भ को बना दिया

किसानों का कब्रिस्तान


कांग्रेस हुई सत्ता से

बाहर तो देख लेना केसे

दल बदल देंग

सारे कारपोरेट

गुलाम जो अभी से

सुर साध रहे

राजनीति में

अस्पृश्यता नहीं होती

सामाजिक अस्पृश्यता

जारी रखने के

खातिर,जाहिर है


अलग-अलग बाजारों में

राजधानी दिल्ली के

प्याज अब बिक रहा है

100 रुपये से ऊपर

सत्ता परिवर्तान के

आसार पक रहे खूब

तो क्या हुआ


प्याज के दाम आसमान पर हैं, लेकिन सरकार इसका एक्सपोर्ट नहीं रोकेगी। हालांकि सरकार ने प्याज की कीमतों पर काबू पाने के उपाय शुरू कर दिए हैं। इसके लिए कैबिनेट सचिव ने 29 अक्टूबर को बैठक बुलाई है। वहीं, प्याज की बढ़ती कीमतों पर गुरुवार को कृषि मंत्री और खाद्य मंत्री की बैठक होगी। बैठक में प्याज के इंपोर्ट को बढ़ावा देने पर विचार किया जाएगा।


प्याज की कीमतों में कमी नहीं आई है। नवरात्रि से नए प्याज के आने से उसकी कीमतों में कमी की उम्मीद की जा रही थी लेकिन हाल की बारिश की वजह से प्याज की नई फसल बर्बाद हो गई। यही वजह है कि अब लोगों को खुदरा में 1 किलो प्याज के लिए 80 रुपये तक देने पड़ रहे हैं।



श्रीनगर और भोपाल

का भी कुछ यही हाल है

बाकी देश भी

हुआ मालामाल

ऐसी चूंती हुई

अर्थव्यवस्था है

ऐसी घनघोर

कारपोरेट आस्था है

ऐसी है अबाध

पूंजी प्रवाह

कोयला और तेल खाने

वाले लोग घूम घूमकर देश

बेच रहे हैं जनता के पैसे पर

अल्पमत सरकार

आस्था बेच रही है

खामोश

कारपोरेट राज

चालू आहे

चूं भू कर दी

तो फिर सड़क पर

आ जाओगे लल्लू

कारपोरेट राज में

धर्म कर्म ही

अब राजकाज

अखंड चंडीपाठ से

नरेंद्र मोदी के हिंदुत्व

से बड़ा हो गया

बंगाल का ब्राह्मणत्व

और कामरेड जो

शुरु से ही ब्राह्मण थे

अप परशुराम अवतार में

जनेऊ धारण करेके

हुए अवतरित


सिर्फ लालू महिषासुर

बाकी सारे देव हैं

अमृत चाखकर

अमर हैं सारे

सारे के सारे इंद्र

सारा कारोबार इंद्रिय

फिरभी पिंजरे में बंद

तौता आखिर

बाज क्यों नहीं आता

राज यही अधखुला

जैसे मूलनिवासी बहुजन

मनुस्मृति राज से

बहुजनों को मुक्ति दिलाने

कारपोरेट फंडिगं के लिए

पार्टी बनाने लगे हैं इन दिनों

पचासी फीसद को मुक्ति

दिलाने संघियों के

साथ सोने लगे हैं इन दिनों

कारपोरेट प्रधानमंत्रित्व के लिए

एक ओर यज्ञ

महायज्ञ भी करते हैं

तो दूसरी ओर

जेएनयू के फोरम में

मीडियाआलोक में

महिषासुर वध का

विरोध भी करते हैं

कुच भी कहो

कह लो भइया

कारपोरेट के

खिलाफ

कुछ भी मत बोलो

किस किस करिश्मे

का बखान करें

हरि अनंत

कारपोरेट अनंत

हरिकथा अनंत

कारपोरेट गाथा

अनंत

कितने रथी महारथी

सक्रिय हर इलाके में

धर्म में कर्म में

आंदोलन में

मीडिया

में

राजनीति में

कहां कहां नहीं हैं

छद्मभेष में

कारपोरेट लड़ाके

जो अंध भक्तों के

हुजूम के मध्य

रंग बिरंगी

क्रांतियों का

ख्वाब बांटकर

गरीबी

बेबसी

लाचारी

गुलामी

बेदखली

बेरोजगारी

नरसंहार

दुह रहे हैं

मालामाल हो रहे हैं

तमाम मसीहा

मसीहा तमाम

तरह तरह के

रंग बिरंगे राम


कोयला खदान आबंटन कांड की जांच में हुई प्रगति के सिलसिले में उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने सीलबंद लिफाफे में नयी रिपोर्ट दाखिल की। कोयला कांड की इस जांच की चपेट में अनेक कंपनियां, प्रमुख उद्योगपति और नौकरशाह आ गये हैं।


सीबीआई ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर हिंडाल्को कोयला ब्लॉक आवंटन से संबंधित सभी रिकार्ड मांगे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने तीन दिन पहले ही कहा था कि प्रधानमंत्री ने इस आवंटन को मंजूरी मामले की उस 'पात्रता' के आधार दी थी जो उनके समक्ष रखी गई थी। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि यह कदम उच्चतम न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट दायर करने के बाद उठाया गया जिसमें जांच एजेंसी ने आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख के खिलाफ दर्ज नवीनतम मामले के बारे में न्यायालय को जानकारी दी।


उम्मीद है कि जांच ब्यूरो इस रिपोर्ट में शीर्ष अदालत को 14वीं प्राथमिकी के बारे में जानकारी देगा जो उसने हाल ही में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, उनकी कंपनी हिन्डालको और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख के खिलाफ दर्ज की थी। जांच ब्यूरो ने कोयला खदान आबंटन से संबंधित दूसरे मामलों की प्रगति के बारे में भी इस रिपोर्ट में न्यायालय को अगवत करायेगा। न्यायालय ने 29 अगस्त को इस मामले की ढुलमुल जांच के लिये सीबीआई को आड़े हाथ लिया था।


कोयला खदान आबंटन कांड की धीमी जांच के लिये सीबीआई की आलोचना करते हुये न्यायाधीशों ने कहा था कि जांच एजेन्सी अभी भी 'पहले गियर' में ही है और उसे गति प्रदान करनी होगी।


शीर्ष अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि उन सभी कंपनियों के खिलाफ दिसंबर तक जांच पूरी की जाये जिन्हें कोयला खदानें आबंटित की गयी थीं। न्यायमूर्ति आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा था कि आपको कुछ गति पकड़नी होगी। जांच की रफ्तार अच्छी नहीं है। आप अभी भी पहले गियर में ही चल रहे हैं। आपके पास बड़ी जिम्मेदारी है और इस सभी को अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाना होगा।


नवभारत टाइम्स के मुताबिक कोयला घोटाले पर सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है प्रधानमंत्री ऑफिस करीब आते जा रहा है। मंगलवार को एक तरफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में जांच रिपोर्ट सौंपी रही थी तो दूसरी तरफ पीएमओ को अहम चिट्ठी भी भेजने में व्यस्त थी। सीबीआई ने प्रधानमंत्री ऑफिस को एक नोट भेजकर 2005 में हिंडाल्को को ओडिशा के कोल ब्लॉक आवंटित किए जाने संबंधी सारे दस्तावेज मांगे हैं। हिंडाल्को देश के जाने-माने उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी है। बिड़ला पर पहले ही सीबीआई एफआईआर दर्ज कर चुकी है। वहीं प्रधानमंत्री ऑफिस बिड़ला के स्वामित्व वाली कंपनी हिंडाल्कों को कोल ब्लॉक आवंटित किए जाने के फैसले को बिल्कुल सही बता रहा है।


सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमिटी की उन दोनों मीटिंग की डिटेल देने को कहा है, जिनमें पहले तो हिंडाल्को की अर्जी खारिज कर दी गई थी और बाद में इसी कंपनी को कोल ब्लॉक अलॉट कर दिया गया था। सीबीआई ने पीएमओ से इन दोनों बैठकों का ब्यौरा देने के लिए भी लिखा है। इस लेटर पर पीएमओ में राज्यमंत्री वी़. नारायणस्वामी ने कहा है कि सीबीआई को जरूरी दस्तावेज पहले ही दिए जा चुके हैं। बिड़ला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा, कॉरपोरेट मामलों के मंत्री सचिन पायलट, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया समेत उद्योग जगत की ओर से विरोध के स्वर उठे हैं।


पीएमओ ने बिड़ला पर एफआईआर के बाद कहा था कि प्रधानमंत्री ने ही बिड़ला को कोल ब्लॉक देने का अंतिम निर्णय मेरिट के आधार पर लिया था। साथ में पीएमओ का यह भी कहना था कि स्क्रीनिंग कमिटी की सिफारिशें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के कहने पर बदली गई थीं। सीबीआई पीएम का डायरेक्ट नाम नहीं ले रही है लेकिन बिड़ला और पूर्व कोल सचिव पी. सी. पारेख पर दर्ज एफआईआर में 'कॉम्पिटेंट अथॉरिटी' की बात कही गई है। बाद में पीएमओ ने कहा था कि 'कॉम्पिटेंट अथॉरिटी' प्रधानमंत्री ही थे।


जब सीबीआई के एक सीनियर ऑफिशल से पूछा गया कि क्या इस मामले में प्रधानमंत्री भी जांच के दायरे में हैं या उनसे भी पूछताछ होगी? ऑफिशल ने बताया कि फिलहाल हमलोग पीएमओ से 2005 में हिंडाल्को को कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़ी फाइलों का इंतजार कर रहे हैं। फाइल आने के बाद इस फर फैसला लिया जाएगा कि पीएम से पूछताछ करनी है या नहीं। इस बीच कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा है कि सीबीआई जांच में प्रधानमंत्री पूरा सहयोग करेंगे।


एफआईआर के बाद बिड़ला और पूर्व कोल सचिव पी. सी. पारेख ने कहा था कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। पारेख ने तो यहां तक कहा कि यदि सीबीआई समझती है कि बिड़ला को मदद करने के लिए मैंने साजिश रची है तब इसमें प्रधानमंत्री को अभियुक्त नंबर वन बनाया जाना चाहिए। इस केस में बिड़ला के आने के बाद विपक्ष प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांग रहा है। विपक्ष का कहना है कि अयोग्य कंपनियों को मार्केट रेट से कम पैसे पर कोल ब्लॉक का आवंटन एक बड़ा घोटाला है। इसमें प्रधानमंत्री सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं और उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। कैग ने कोल ब्लॉक आवंटन मामले में अनियमितता से 1.86 करोड़ रुपए नुकसान की बात कही थी।


गुजरात सरकार साणंद में कुल 10,000 हेक्टेयर जमीन पर इंडस्ट्रियल जोन बनाने जा रही है। साणंद में नैनो का प्लांट लगने के बाद फोर्ड मोटर्स भी पहुंची और उसके बाद धीरे-धीरे दूसरी कंपनियों के आने का सिलसिला बढ़ता गया।


इंडस्ट्रियल जोन बनाने के इरादे से गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जीआईडीसी) ने वहां 2,500 हेक्टेयर जमीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये जमीन साणंद के पास के ही कलाना और खोरज गांवों में खरीदी जाएगी और इसके लिए किसानों की सहमति भी ले ली गई है। इससे पहले भी जीआईडीसी वहां आसपास के 6 गांवों में करीब 6,000 हेक्टेयर जमीन खरीद चुकी है।


साणंद में जमीन की खरीद के लिए ऊंचे दाम दिए जा रहे हैं। कलाना और खोरज में जमीन के दाम 20-22 लाख रुपये बीघा हैं लेकिन किसानों को 1 बीघे के बदले 27 लाख रुपये मिल रहे हैं। इस जोन में अंबुजा सीमेंट और बॉश जैसी बड़ी कंपनियों के प्लांट लगाने का काम शुरू हो गया है वहीं कोलगेट ने भी प्लांट के लिए जगह पसंद कर ली है।


पहले से खरीदी गई 6,000 हेक्टेयर जमीन पर सरकार महिलाओं के लिए वीमेंस जीआईडीसी बनाने का ऐलान कर चुकी है। 2,500 हेक्टेयर जमीन की पूरी होने पर और 1,500 हेक्टेयर जमीन खरीद कर कुल 10,000 हेक्टेयर में सबसे बड़ा इंडस्ट्रिय जोन बनाया जाएगा।


अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमती धातुओं में गिरावट आने के बावजूद घरेलू बाजार में तेजी दर्ज की गई। बुधवार को दिल्ली सराफा बाजार में सोने की कीमतों में 305 रुपये की तेजी आकर भाव 31,930 रुपये प्रति दस ग्राम हो गए। चांदी की कीमतों में इस दौरान 1,190 रुपये की तेजी आकर भाव 50,200 रुपये प्रति किलो हो गए। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे भाव में निवेशकों की मुनाफावसूली आने से बुधवार को सोने की कीमतों में 8 डॉलर की गिरावट आकर भाव 1,333 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार करते देखे गए जबकि 22 अक्टूबर को विदेशी बाजार में इसका भाव 1,341 डॉलर प्रति औंस था।


नई दिल्ली। देश के कई शहरों में प्याज 100 रुपए किलो मिल रहा है। सरकार प्याज की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने का ऐलान कर रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार कह रहे हैं कि राज्य सरकारें जमाखोरी पर लगाम लगाए। दूसरी तरफ प्याज आयात की तैयारियां भी जोरों पर हैं।

चुनावी मौसम में प्याज जिस तरह से आम लोगों को खून के आंसू रुला रहा है। उसे देखते हुए सरकार भी परेशान है। प्याज की जमाखोरी पर लगाम कसने के लिए कृषि मंत्री शरद पवार ने सभी राज्यों से कहा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत प्याज को रखा जाए और जमाखोरों पर सख्त कार्रवाई की जाए। यही नहीं उन्होंने साफ कर दिया है कि दाम पर काबू पाने के लिए प्याज का आयात भी किया जाएगा। नेफेड ने आयात नियमों में थोड़ी ढील दे दी है। ऐसे में पवार को उम्मीद है कि प्याज के दाम दो-तीन हफ्तों में काबू में आ जाएंगे।

कृषि मंत्री पवार ने जहां नेफेड को प्याज के आयात के लिए तैयार रहने को कहा है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने प्याज उत्पादन करने वाले पांच अहम राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक की 25 अक्टूबर को अहम बैठक बुलाई है। ताकि प्याज के उत्पादन और बाजार पर समीक्षा की जा सके।

वहीं जिस तरीके से प्याज को लेकर कोहराम मचा हुआ है, उसे देखते हुए विपक्ष भी हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा। बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्याज की कीमत सौ रुपये तक जाना सरकार की बड़ी विफलता है। आम आदमी के नाम पर सत्ता पर आई कांग्रेस ने आम आदमी की आंख से आंसू निकाल दिए है।

प्याज के दाम पर काबू पाने के लिए एक संभावना ये भी जताई गई थी कि इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी जाए। लेकिन सूत्रों की मानें तो सरकार फिलहाल पाबंदी लगाने के मूड में नहीं है। ऐसे में प्याज को लेकर सरकार के भीतर माथापच्ची जारी है। सरकार को इस बात का डर सताने लगा है कि जिस प्याज की व्रुाह से जनता ने 15 साल पहले बीजेपी को सत्ता से उतार दिया था, आज कहीं वही प्याज कांग्रेस का ये हाल न कर दे।


और आपको लूटना का

चाक चौबंद है

इंतजाम

ICICI Bank

बीएसई | एनएसई 24/10/13



बाजार तेजी से भाग रहा है और लाइफटाइम हाई के काफी नजदीक पहुंच गया है। वैश्विक बाजारों से ज्यादा अच्छे संकेत ना आने के बावजूद घरेलू बाजार शानदार तेजी दिखा रहे हैं। ऐसे में किन शेयरों में निवेश के जरिए हो सकती है शानदार कमाई इस पर जानकारों ने अपनी सलाह दी है।


एलारा कैपिटल के एमडी हरेंद्र कुमार का कहना है कि बाजार में जब तक मूमेंटम मजबूत रहेगा तब तक तेजी रहेगी लेकिन मौजूदा तेजी एक फंडामेंटल तेजी नहीं है। बाजार में मौजूदा तेजी केवल लिक्विडिटी के चलते देखी जा रही है।


अब बाजार में जिन शेयरों की काफी पिटाई हो चुकी है उनमें खरीदारी का मौका दिखाई दे रहा है। पावर, इंफ्रास्ट्रक्टचर और पीएसयू शेयरों में अब तेजी आ रही है और आने वाले चुनावों के मद्देनजर इन्हीं में तेजी देखी जाएगी।


बाजार में नतीजे उम्मीद के मुताबिक ही आएंगे लेकिन सीमेंट शेयरों पर खराब नतीजों के चलते दबाव देखा जा सकता है। निजी बैंकों में काफी खरीदारी हो चुकी है तो शेयरों में ज्यादा बढ़त की संभावना नहीं है। हालांकि निजी बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक में कुछ खरीदारी की जा सकती है। हालांकिएचडीएफसी बैंक के शेयरों पर दबाव रहेगा। सरकारी बैंकों के शेयरों की काफी ज्यादा पिटाई हो चुकी है और फिलहाल इनमें खरीदारी की सलाह नहीं है।


फिलहाल लिक्विडिटी के चलते बाजार में नए हाई बनने से आश्चर्य नहीं होगा। लेकिन नए हाई बनने का मतलब ये नहीं होगा कि बाजार में नई तेजी की शुरुआत हो गई है।


आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के एमडी और सीईओ अनूप बागची का कहना है कि मिडकैप में श्री सीमेंट,हैवेल्स इंडिया के शेयर अच्छे लग रहे हैं क्योंकि इनके कैश फ्लो अच्छे हैं और बैलेंसशीट मजबूत है। लार्जकैप में आईटी सेक्टर में निवेश की सलाह होगी। सीमेंट कंपनियों में गिरावट पर खरीदारी कर सकते हैं क्योंकि सीमेंट कंपनियों ने दाम बढ़ाए हैं जिससे इनके राजस्व में बढ़ोतरी होगी। एफएमसीजी में मैरिको, आईटीसी में खरीदारी कर सकते हैं। इसके अलावा जे कॉर्प, डीएलएफ, जीएमआर इंफ्रा भी निवेश के लिहाज से अच्छे लगते हैं। हालांकिजीवीके पावर में निवेश पर जोखिम हो सकता है।


फिलिप कैपिटल के एमडी विनीत भटनागर का कहना है कि अक्टूबर एक्सपायरी से पहले निफ्टी के 6300 का स्तर पार करने की उम्मीद है। वैश्विक संकेतों के आधार पर निफ्टी ऊंचाई पर जा सकता है। एफआईआई बाजार पर सकारात्मक रुख बनाए रखेंगे। निफ्टी में 6130-6140 पर अच्छा सपोर्ट है।


विनीत भटनागर के मुताबिक भारती एयरटेल में खरीदारी कर सकते हैं क्योंकि ये अपनी बढ़त से बाजार को आगे ऊंचाई पर ले जा सकता है। मेटल शेयरों में टाटा स्टील में तेजी आ सकती है। आईटी सेक्टर में बढ़त जारी रहेगी। वहीं कैपिटल गुड्स सेक्टर में एलएंडटी पसंदीदा शेयर होगा।


बाजार में नई उंचाई बनने के आसार नजर आ रहे हैं। पिछले हफ्ते बाजार में अच्छी तेजी रही और शुक्रवार को बाजार लाइफटाइम हाई के नजदीक पहुंच गया। अब बस इंतजार है तो बाजार के उच्चतम स्तरों तक पहुंचने का। जानकारों का मानना है कि बाजार के उच्चतम स्तरों तक जाने की पूरी उम्मीद है।


एंबिट कैपिटल के इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सीईओ सौरभ मुखर्जी का कहना है कि बाजार के यहां से 2013 के अंत तक 5 फीसदी की और तेजी बाकी है। 2013 के लिए सेंसेक्स का लक्ष्य 21,000 का ही रहेगा।


आरबीआई की तरफ से इस साल एक बार और दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इस समय बैंक, आईटी, फार्मा में मुनाफावसूली का समय है। लंबी अवधि में सेंसेक्स 25,000 का स्तर छू सकता है।


रिटेल निवेशक लंबी अवधि के लिए अभी बाजार में निवेश कर सकते हैं। हालांकि इस समय सोने और रियल एस्टेट में निवेश नहीं करना चाहिए। निवेशकों को एलएंडटी के शेयर को होल्ड रखना चाहिए। साथ ही फेडरल बैंक और एक्साइड में निवेश करना चाहिए।


मोतीलाल ओसवाल एएमसी के सीनियर वीपी ताहेर बादशाह का कहना है कि बाजर में चल रहे मूमेंटम और एफआईआई की खरीदारी को देखते हुए कहा जा सकता है कि बाजार नया हाई बना सकता है। अब तक आए नतीजों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। बैंकों के नतीजों ने भी बाजार को खुश किया है।


करेंट अकाउंट घाटे में कमी और रुपये में स्थिरता से बाजार को काफी सहारा मिल सकता है। हालांकि ऊंचे वित्तीय घाटे और महंगाई को लेकर अभी भी चिंताएं बनी हुई हैं। हालांकि टेलीकॉम स्पेक्ट्रम जैसे उपाय कारगर रहे तो इसमें भी कमी आ सकती है जिससे बाजार में मजबूती बनी रह सकती है।


ताहेर बादशाह के मुताबिक बैंकिंग सेक्टर में पीएसयू और निजी बैंकों में अच्छा प्रदर्शन देखा जा सकता है। इसके अलावा रुपये में स्थिरता से ऑयल एंड गैस सेक्टर में भी तेजी आ सकती है। बाजार की आगे की तेजी को बैंक और ऑयल एंड गैस के शेयर आगे बढ़ाएंगे।


आईटी कंपनियों के नतीजे भी अच्छे रहे हैं जिससे अच्छे मिडकैप आईटी शेयरों में खरीदारी का अच्छा मौका है। इस समय पोर्टफोलियो में संतुलन जरूरी है। डिफेंसिव और हाई बीटा शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए। इंफ्रास्ट्रक्चर, कैपिटल गुड्स और सीमेंट शेयरों में कुछ खरीदारी की जा सकती है।


मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के हेड ऑफ रिसर्च रजत राजग्रहिया का कहना है कि इस साल बाजार के लिए 6200 को पार करना 3 बार कठिन रहा है। चुनावों के चलते बाजार में मूमेंटम देखा जा रहा है जो बाजार को ऊपर ले जा रहा है।


इस समय कैपिटल गुड्स सेक्टर के लिए माहौल चुनौतीपूर्ण है। सीमेंट सेक्टर में एसीसी टॉप पिक है। निवेशक बजाज ऑटो और इंफोसिस में पैसा डाल सकते हैं। बजाज ऑटो में 2,265 रुपये के लक्ष्य के साथ खरीदारी की सलाह बरकरार है। एक्सपोर्ट्स में सुधार होना बजाज ऑटो के लिए बड़ी सकारात्मक खबर है।



फाइनेंस मिनिस्ट्री के 'फंडिंग फॉर लेंडिंग' स्कीम की घोषणा के बाद सरकार से फंड्स पाने की प्रतिस्पर्धी दौड़ में कई सरकारी बैंकों ने कंज्यूमर लोन पर इंटरेस्ट रेट में 5 फीसदी तक की कमी की है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने सस्ते कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और टू-व्हीलर लोन्स के लिए दिए गए कैपिटल के बाद सरकारी बैंकों की ओर से रेट कटौती की घोषणा से जुड़ी इंफॉर्मेशन मांगी है। फाइनेंस मिनिस्ट्री इसके आधार पर बैंकों को फंड देगी। मतलब यह है कि जो बैंक बेहतर कर रहे हैं, उन्हें ज्यादा फंड मिलेगा। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने इस फाइनेंशियल ईयर में कैपिटल इनफ्यूजन के लिए 14,000 करोड़ रुपए रखे हैं।

फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक ऑफिसर ने बताया, 'हमें उम्मीद है कि अगले क्वार्टर में बैंक करीब 60,000 करोड़ रुपए का रीटेल लोन देंगे, जिसमें कंज्यूमर लोन भी शामिल होंगे।' उन्होंने बताया कि बैंकों का फंड इस बात से तय होगा कि इंडिविजुअल बैंक ने इन सेगमेंट्स में कितना पैसा उधार दिया है। सरकारी क्षेत्र का दूसरा बड़ा बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) कंज्यूमर लोन पर 5.75 फीसदी का कन्सेशन दे रहा है। वहीं, आंध्रा बैंक कंज्यूमर्स को 5.5 फीसदी का कन्सेशन ऑफर कर रहा है। ये बैंक इस तरह के लोन पर प्रोसेसिंग फीस भी नहीं ले रहे हैं।

इस साल के बजट में सरकारी बैंकों को 14,000 करोड़ रुपए देने की बात कही गई थी। हालांकि, केंद्र इससे ज्यादा पैसा बैंकों को देगा। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कंज्यूमर और टू-व्हीलर लोन सस्ती दरों पर दे सकेंगे। सरकार को उम्मीद है कि डिमांड बढ़ने से कैपेसिटी एडिशन, एंप्लॉयमेंट और प्रोडक्शन में मजबूती आएगी। हालांकि, सस्ते कंज्यूमर लोन के जरिए इकनॉमी को रिवाइव करने की सरकार की कोशिशें जिस तरह से तैयार की गई हैं, वे उस तरह शायद आगे न बढ़ पाएं। बैंकों के सामने कई ऐसे मामले आए हैं, जिनमें कंज्यूमर हायर इंटरेस्ट रेट वाले क्रेडिट कार्ड लोन को चुकाने के लिए सस्ता कंज्यूमर लोन ले रहे हैं या सस्ता लोन लेकर छुट्टियों पर जा रहे हैं। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया, 'ये कंज्यूमर लोन होते हैं और हम इसमें कस्टमर्स से किसी तरह का बिल जमा करने को नहीं कहते हैं। कंज्यूमर्स इस लोन से ड्रैप्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स या फेस्टिव सीजन के दौरान कोई कलाकृति भी खरीद सकते हैं।' बैंक, कंज्यूमर ड्यरेबल्स खरीदने या घर को फर्निश करने के लिए 10.50 फीसदी के फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पर 5 लाख रुपए तक का लोन ऑफर कर रहे हैं। ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स भी इस तरह के लोन पर बॉरोअर्स से कोई बिल जमा करने को नहीं कह रहा है।


Sunday, October 20, 2013

असप्तकोटि यक्षप्रश्न द्वि

पलाश विश्वास


प्रथमा


तमाम मित्रों से आग्रह है कि कृपया इस पहेली को बूझने में मेरी मदद करें कि आरक्षण महायुद्ध के रथी महारथी तमाम मोर्चे पर जमकर युद्धरत हैं, लेकिन बहुजनों के खिलाफ जारी सर्वात्मक कारपोरेट आक्रमण के खिलाफ उनके शब्दकोश निःशब्द क्यों हैं ?


जबकि इसवक्त नियुक्तियां हो ही नहीं रही हैं और रोजगार है ही नहीं और यह आलम खुला बाजार कारपोरेट राज के निरंकुश हो जाने के कारण बना है?


फिर गौर करें, प्रतिरोध की जमीन पर खड़े हुए बिना अस्मिता और पहचान की खंडित विमर्श के तमाम झंडेवरदार कारपोरेट राज में मलाईदार हैसियत वाले मैनेजर,मंत्री,संतरी सबकुछ हैं।


अब यह सोचने समझने का वक्त बेहद नाजुक है कि हमारे मसीहा हम अंध भक्तों, हम भेड़ बकरियों को कहां किस किस दिशा में हांक रहे हैं।


इस पहेली को सुलझाये बिना,इस चक्रव्यूह को तोड़ने का उपाय नहीं है।

कृपया अपनी राय दें ताकि इसपर बहस की जा सकें और समाधान को कोई तरकीब निकालकर मोर्चा भी बनाया जा सकें।


हर दाने का हिसाब मांग कर अपना हिस्सा मांगा जा सकें।


यह करोड़पतिया सवाल नहीं है और न पुरस्कार सम्मान का कारपोरेट कोई बंदोबस्त है।


आज रविवार है और आगे दिवाली है।


बिसात बिछने से पहले सुरासुर महासंग्राम में किसी स्वप्नादेश से थोड़ा सा अमृत हाथ लगे,तो चाख लीजै।


हालांकि सुदर्शन चक्र से भी डरते रहिये।


सोने के तमाम खजाने अलग खुल रहे हैं।


हम तो बस दिमाग के बंद दरवाजे खिड़कियां खोलने का निवेदन मात्र कर रहे हैं।


हमें सीधे लिख सकते हैं या फिर फेसबुक दीवाल पर अपनी अपनी अमुल्य सूक्तियां टांग सकते हैं महापंडितों की तर्ज पर।


कृपया एसएमएस न भेजें। इससे किसीके कारपोरेट प्राण बचने की संभावना नहीं है और न ही इस तरह आपके अमूल्य विचार हम किसी माध्यम में सहेज सकते हैं।


द्वितीया


हम लगातार लिखते रहे हैं कि लालू ने चारा खाया तो उसे जेल हो गयी।अच्छा हुआ। कानून का राज कायम हो गया। संविधान लागू हो गया।कभी न मिले उसको बेल।


इससे क्या कि उसने हिंदी अस्मिता को स्थापित किया।देहात के मुहावरों को प्रतिष्टा दी। पत्रकार को खुद रांधकर मछली भात खिलाया।

इससे क्या चारा उसने नहीं खाया, पर मुख्यमंत्री वे थे और उनके राजकाज में चारा  घोटाला हुआ।


बाकी देवासुरों के राजकाज में कहीं किसी घोटाले की कोई सूचना नहीं है। बाकी जिसने कोई पापकर्म किया हो और उस पर कार्रवाई हो तो यह एफआईआर भारतीय अर्थ व्यवस्था,शुधार अश्वमेध और विकास दर आंकडों के विरुद्ध होगा।


प्रधानमंत्री बेहद ईमानदार हैं और उनके राजकाज में हुए घोटालों में उनका कोई हाथ ऩहीं है। लिहाजा लालू को बेल न मिले, चुन चुन कर सीबीआई तोता लोगों को ठिकाना लगा दें जो भारत में सामाजिक बदलाव के जिम्मेदार हैं। जो दिल्ली लखनऊ और दूसरी राजधानियों के समीकरण बदलने के जिम्मेदार हैं।


बहुत बेहतर हो कि लालू के बाद बहन मायावती, मुलायमसिंह यादव, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, करुणानिधि, जयललिता, शरद यादव, राम विलास पासवान जैसे असुर संस्कृति के दिग्गजों को जेल के सींकचों में डाल दिया जाये।

इससे भारत में भ्रष्टाचार का अंत हो जायेगा। चूंकि इनके अलावा कोई औप भ्रष्ट हैं ही नहीं। शारा कालाधन इन्हीं के खातों में है। बेहिसाब अकूत संपत्ति सिर्फ इन्हीं की है।


भारत में खुले बाजार की अर्थव्यवस्था से ही विकास संभव है और इसीसे गरीबी हटेगी। जिन्हें हम धर्मांद समझते हैं,युद्ध अपराधी मानते हैं, वे सारे लोग दरअसल इस अर्थव्यवस्था और कारपोरेट राज को मजबूत करते हैं।रक्षा सौदों में कमीशन बिना हथियार मिलते नहीं हैं। कमीशन खाने वाले लोग चाहे लाखों करोड़ खाते रहे हैं,पर देश को तो महाशक्ति बना दिया। विकास के लिए जरुरी है कि दूध देने वाली गाय की लातें हजम की जाये और देश की अर्थव्यवस्था के तमाम दिग्गजों को सालाना लाखों करोड़ की टैक्स छूट के अलावा उनके विरुद्ध घोटालों के अमर्यादित तमाम मामले तुरंत रफा दफा है।


राडिया टेपों को तुरंत बिना देर पवित्रतम धर्मग्रंथ मान लिया जाये क्योंकि अब विकास हमारा धर्म है।


हम मानते हैं कि सत्तावर्ग के तमाम लोग दूध के धुले हैं और महिषासुर वध धारिमक कर्मकांड हैं।


महिष से यादवों का बहुत तगड़ा नाता है।


महाराष्ट्र में यादवों का साम्राज्य रहा है, जिनका आर्यों से लगातार संघर्ष होता रहा है।


सत्रहवीं अठारवी सदी तक भारत भर में शूद्र राजाओं का राज रहा है। लार्ड क्लाइव की ओर से कोलकाता के शोबाबाजार के राजा नवकृष्णदेव की राजबाड़ी से शूद्र राजाओं को असुर महिषासुर बनाने की जो रघुकुल रीति चली आयी, उससे ओबीसी लालू महिषाषुर बना दिये गये और उनका वध शास्त्रसम्मत है।


स्वर्ग की देवसंस्कृति में सारी अनैतिकता नैतिकता है,ऐसा पवित्र ग्रंथों और मिथकों का सारतत्व है।


तो कोयला घोटाला पर इतना हंगामा क्यों बरपा है?


फेयर एंड लवली लगाने के बजाय सुंदरियों को अपने चेहरे पर कोयले की कालिख पोतनी चाहिए क्योंकि वही सर्वोत्तम सौंदर्य प्रसाधन है।


कोयला खाकर लोग कितने सेहतमंद डिओड्रेंट है।


इससे बेहतर तेल पीने से और चमकेगा सौंदर्य,भारतीय अर्थव्यव्स्ता में तेल पीने वालों की चांदनी पर गौर कीजिये।


यह करोड़पतिया सवाल नहीं है और न पुरस्कार सम्मान का कारपोरेट कोई बंदोबस्त है।


आज रविवार है और आगे दिवाली है।


बिसात बिछने से पहले सुरासुर महासंग्राम में किसी स्वप्नादेश से थोड़ा सा अमृत हाथ लगे,तो चाख लीजै।हालांकि सुदर्शन चक्र से भी डरते रहिये। सोने के तमाम खजाने अलग खुल रहे हैं।

हम तो बस दिमाग के बंद दरवाजे खिड़कियां खोलने का निवेदन मात्र कर रहे हैं।


हमें सीधे लिख सकते हैं या फिर फेसबुक दीवाल पर अपनी अपनी अमुल्य सूक्तियां टांग सकते हैं महापंडितों की तर्ज पर।चाहे तो गुगल प्लस या ट्विटर पर भी।


कृपया एसएमएस न भेजें।


इससे किसीके कारपोरेट प्राण बचने की संभावना नहीं है और न ही इस तरह आपके अमूल्य विचार हम किसी माध्यम में सहेज सकते हैं।


भारतीय बेंचमार्क सेंसेक्स 3 साल में पहली बार 21 हजार के पार पहुंच गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की अगली मौद्रिक नीति से पहले ही बैंकिंग और रियल्टी शेयरों में तेजी दर्ज की गई। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आई सुस्ती के बावजूद घरेलू बाजारों में मजबूती देखने को मिल रही है। मजे की बात ये है कि बीएसई के सभी इंडेक्स हरे निशान में हैं और निफ्टी साल की नई ऊंचाई पर पहुंचने में कामयाब हो गया है। दिग्गज शेयरों के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में अच्छी तेजी आई है। हालांकि, कारोबार की शुरुआत में ही डॉलर की तुलना में रुपया 6 पैसे गिर गया। रुपया 61.65 पर पहुंच गया जबकि पिछले सत्र के दौरान यह 61.59 के स्तर पर बंद हुआ था।

बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 250 अंक की मजबूती के साथ 21,011.55 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। इससे पहले यह स्तर पर नवंबर 2010 में देखा गया था। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 66.43 अंक चढ़कर 6,244.75 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों की बात करें तो बुधवार को अमेरिकी बाजार 0.5 फीसद की कमजोरी पर बंद हुए। 4 दिन लगातार नए रिकॉर्ड स्तर बनाने के बाद एसएंडपी 500 इंडेक्स 1,750 के स्तर के नीचे बंद हुआ। दुनियाभर के बाजारों में कमजोरी और मिलेजुले तिमाही नतीजों के असर से अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए।




प्याज की बढ़ती कीमतों से त्योहारी सीजन में आम आदमी के आंसू निकल रहे हैं, तो वहीं चुनावी मौसम को देखते हुए सरकार के भी हाथ-पांव फूल गए हैं।

रिलायंस के हित साधन के लिए कारपोरेटइंडिया की बारत सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। कैबिनेट रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की मौजूदा फील्ड्स के लिए लागू रेट्स के अलावा नेचरल गैस प्राइसेज का डिटेल रिव्यू कर सकती है। फाइनैंस मिनिस्ट्री ने उन फील्ड्स की कॉस्ट और प्रोडक्शन की जानकारियां मांगी हैं, जिनके 4.2 डॉलर प्रति यूनिट के मौजूदा प्राइस पर कमर्शियल तौर पर नुकसान में रहने की बात कही जा रही है।गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का कहना है कि जियोलॉजिकल प्रॉब्लम के चलते केजी डी-6 से गैस प्रोडक्शन में कमी आई है। कंसल्टेंट देखेगा कि रिलायंस की बात सही है या वह जानबूझकर गैस प्रोडक्शन कम रखे हुए है, जिससे आगे चलकर वह इसकी ज्यादा कीमत हासिल कर सके?रिलायंस ब्लॉक से गैस प्रोडक्शन का अपना वादा पूरा नहीं कर पाई है। इस वजह से सरकार उस पर पेनाल्टी लगाने की सोच रही है। हालांकि, रिलायंस ने इस मामले में रुख कड़ा कर लिया है। उसने ऑयल मिनिस्ट्री को चैलेंज किया है कि अगर उसे लगता है कि इन फील्ड्स में ज्यादा गैस है, तो वह ओएनजीसी को और कुएं खोदने के लिए कहे। इसके बाद जो भी गैस मिले, वह उसे ले ले। यह बात इंडस्ट्री ऑफिशियल्स ने बताई है।


त्योहारी मौसम में आम जनजीवन जहां आपदाओं और मुद्रस्फीति,महंगाई की मार से त्राहि त्हिमाम कर रहा है,वहीं शेयर बाजार में जश्न का माहौल है। देश के शेयर बाजारों में गुरुवार सुबह के शुरुआती कारोबार में तेजी दर्ज की गई। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह लगभग 9.20 बजे 60.33 अंकों की बढ़त के साथ 20,828.21 पर और निफ्टी भी लगभग इसी समय 12.55 अंकों की बढ़ोत्तरी के साथ 6,190.90 पर कारोबार करते हुए देखे गए। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 1.83 अंकों की गिरावट के साथ 20,766.05 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी सुबह 15.55 अंकों की गिरावट के साथ 6,162.80 पर खुला।


इंडिया इंक के लिए खास खुशी की खबर यह भी है कि टेलिकॉम रेगुलेटर स्पेक्ट्रम के बेस प्राइस में 60 फीसदी तक कमी करने, फ्लैट बैंडविड्थ यूसेज चार्ज और स्पेक्ट्रम री-फार्मिंग की अपनी सिफारिशों पर अड़ गया है। इससे अब इन मामलों में फैसले की जिम्मेदारी टेलिकॉम डिपार्टमेंट पर आ गई है। रेगुलेटर को इन सिफारिशों के लिए इंडस्ट्री से वाहवाही मिली थी।

टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने इन मामलों में टेलीकॉम रेगुलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) से क्लैरिफिकेशन मांगी थी। हालांकि, रेगुलेटर ने एक बार फिर 800 मेगाहर्ट्ज बैंड की नीलामी के लिए कीमत की सिफारिश करने से मना कर दिया है। इस बैंड का इस्तेमाल सीडीएमए ऑपरेटर्स करते हैं। उसने 9 सितंबर को दी गई अपनी सिफारिशें दोहराई हैं।


ट्राई ने कहा है कि वह अपने प्रस्ताव पर कायम है जिसमें उसने सिफारिश की थी कि 2जी स्पेक्ट्रम के अलगे राउंड की नीलामी के लिए पहले से तय मूल्य से 60 फीसदी कम हो।


बुधवार को ट्राई ने अंतिम सिफारिश सरकार को सौंप दी। दो राउंड की नीलामी में अब तक न्यूनतम रिजर्व प्राइस को ऊंचा बताकर टेलिकॉम कंपनियां इसमें ज्यादा उत्साह नहीं दिखा रही हैं।


वित्त मंत्रालय  ने रिलायंस के विवादास्पद केजी-डी6 ब्लॉक में डी1 और डी3 फील्ड्स से प्रड्यूस होने वाली गैस के लिए ऊंची कीमतें देने से इनकार करने वाले पेट्रोलियम मंत्रालय के कैबिनेट प्रपोजल के जवाब में यह मुद्दा उठाया है। गैस प्रोडक्शन में कमी के लिए आरआईएल पर दोष लगाने वाली पेट्रोलियम मिनिस्ट्री का कहना है कि आरआईएल की मौजूदा फील्ड्स को तब तक ज्यादा कीमतें नहीं दी जा सकतीं, जब तक सरकार कंपनी की इस राय से सहमत नहीं होती कि प्रॉडक्शन में कमी जियोलॉजिकल वजहों से हुई है।

हालांकि, वित्त मंत्रालय  ने एक कदम आगे बढ़ते हुए ऐसी अन्य फील्ड्स की कॉस्ट और प्रॉडक्शन से जुड़ी जानकारियां मांगी हैं, जो अभी तक डिवेलप नहीं हुई हैं। इसका मकसद कैबिनेट कमिटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स (सीसीईए) को डी1 और डी3 फील्ड्स से प्रोड्यूस होने वाली गैस के लिए बढ़ी हुई कीमत को टालने का फैसला लेने में मदद करना है।


वित्त मंत्रालय के नोट में उसी ब्लॉक में 5 अन्य गैर-विवादास्पद फील्ड्स- एमए, डी2, डी6, डी19 और डी22 की जानकारियां मांगी गई हैं। इस ब्लॉक में फील्ड डिवेलपमेंट प्लान को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है और कॉन्ट्रैक्टर ने डिवेलपमेंट प्लान या प्रॉडक्शन टारगेट पूरा करने की शर्तों को लेकर कोई डिफॉल्ट नहीं किया है। डायरेक्टररेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बंस (डीजीएच) के ऑफिशियल्स ने बताया कि इन फील्ड्स में से केवल एमए फील्ड ही प्रोडक्शन कर रही है, जबकि अन्य में अभी काम चल रहा है।


इसी बीच,रिटायर्ड कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (कैग) ऑफ इंडिया विनोद राय ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया है कि आदित्य बिड़ला ग्रुप के मालिकाना हक वाली कंपनी हिंडाल्को को कोल अलॉटमेंट ट्रांसपैरेंट (बिलकुल स्पष्ट) था। उन्होंने कहा कि कैग ऑडिट में इसमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली थी। विनोद राय ने अपने कार्यकाल के दौरान कई पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट कंपनियों को किए गए कोल एलोकेशन का ऑडिट किया था।सीबीआई ने पिछले हफ्ते कोल आवंटन स्कैम में कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोल सेक्रेटरी पी सी पारेख के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हिंडाल्को कोल आवंटन के लिए मैं 'तर्कसंगत' नहीं बल्कि 'पारदर्शी' शब्द का इस्तेमाल करूंगा। बतौर कैग राय ने कोल ब्लॉक अलॉटमेंट्स से जुड़ी अपनी रिपोर्ट में 25 कंपनियों के नाम का जिक्र किया था, जिन्हें इससे फायदा हुआ है।



दूसरी ओर,रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी डी-6 ब्लॉक के साथ ओएनजीसी का ब्लॉक भी है। ओएनजीसी ने सरकार से पक्का करने के लिए कहा है कि रिलांयस कहीं उसके एरिया से चुपचाप गैस न निकाल ले। कई सरकारी और ओएनजीसी के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि ओएनजीसी ने इस बारे में इंडस्ट्री रेगुलेटर डायरेक्टर जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बंस (डीजीएच) से शिकायत की है। इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ एक और मोर्चा खुल सकता है, जिसके पहले ही सरकार और रेगुलेटर के साथ कई विवाद चल रहे हैं।

रिलायंस का केजी डी-6 ब्लॉक कृष्णा-गोदावरी बेसिन में है। इससे ही भारत में डीप-सी गैस प्रोडक्शन की शुरुआत हुई थी। इसके साथ ओएनजीसी का डीडब्ल्यूएन 92/2 ब्लॉक लगा हुआ है। ओएनजीसी की जी-4 गैस फील्ड भी रिलायंस के ब्लॉक के पास है। ओएनजीसी के बड़े अफसर ने बताया, 'हमने इस मामले को डीजीएच और पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के सामने उठाया है। वे हमारे ब्लॉक्स से गैस निकाल रहे होंगे, इसलिए हमने शिकायत की है। जुलाई-अगस्त के बाद से हमारी रिलायंस के साथ दो बार मीटिंग हो चुकी है। रिलायंस को इसके डेटा अभी शेयर करने हैं। हमने हाल ही में डीजीएच से कहा है कि रिलायंस को डेटा शेयर करने के बारे में याद दिलाने की जरूरत है।'


इसके विपरीत पेट्रोलियम मिनिस्ट्री को लिखे गए फाइनैंस मिनिस्ट्री के पत्र में आरआईएल की एमए फील्ड के संशोधित प्रॉडक्शन टारगेट के साथ ही 'गैस प्रॉडक्शन के लिए जरूरी एक्सप्लोरेशन और डिवेलपमेंट खर्च और उन फील्ड्स के संबंध में अनुमानित गैस रिजर्व की जानकारी मांगी गई है, जिनके बारे में 4.2 एमएमबीटीयू की मौजूदा कीमत को फायदेमंद नहीं बताया जा रहा है।'


यह पत्र फाइनैंस मिनिस्टर पी चिदंबरम की अनुमति के साथ जारी किया गया है। पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने सीसीईए के लिए एक प्रपोजल पेश कर उससे 1 अप्रैल 2014 से गैस प्राइसेज एक समान करने के जून के फैसले की समीक्षा करने को कहा था। इससे पहले फाइनेंस मिनिस्ट्री के एक पत्र में फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा गया था क्योंकि रिलायंस के ब्लॉक से गैस प्रॉडक्शन मंजूर योजना के मुकाबले कहीं ज्यादा गिरा है। आरआईएल ने डी6 ब्लॉक में 19 डिस्कवरी की रिपोर्ट दी है। विवादास्पद डी1 और डी3 फील्ड्स से अप्रैल 2009 और एमए फील्ड से सितंबर 2008 से गैस का प्रॉडक्शन हो रहा है।


सरकारी सूत्र ने बताया कि डीजीएच इस मामले को देख रहा है। वहीं, रेगुलेटर के टॉप ऑफिशियल ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, 'हमें इस बारे में शिकायत मिली है कि यह एक ही रिजर्वायर हो सकता है। हालांकि, अभी यह साबित नहीं हुआ है। रिलायंस और ओएनजीसी के बीच इस बारे में बात हो रही है। इस मामले की मुकम्मल पड़ताल की जरूरत है। सेसमिक डाटा शेयर किए जाने के बाद ही पक्के तौर पर कुछ कहा जा सकता है।' सरकारी अफसर और कंपनी एग्जिक्यूटिव्स इस पर अभी कुछ नहीं कहना चाहते। उन्होंने कहा कि यह मामला सेंसिटिव है।


रिलायंस पहले ही केजी जी-6 ब्लॉक से गैस प्रोडक्शन में भारी गिरावट के चलते मुश्किल में फंसी है। उसने पास के ब्लॉक से गैस निकालने के आरोप को बेतुका बताया है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, 'हमें ओएनजीसी के ऐसे किसी लेटर की जानकारी नहीं है। इसके बावजूद हम कहना चाहेंगे कि यह आरोप बेबुनियाद है।' इकनॉमिक टाइम्स की ईमेल से भेजे गए सवालों के जवाब में ओएनजीसी ने माना कि उसने इस मामले को डीजीएच के सामने उठाया है। हालांकि, उसने यह भी कहा कि इंडस्ट्री में अक्सर ऐसा होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों कंपनियों के बीच टकराव है।


रिटायर्ड कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (कैग) ऑफ इंडिया विनोद राय ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया है कि आदित्य बिड़ला ग्रुप के मालिकाना हक वाली कंपनी हिंडाल्को को कोल अलॉटमेंट ट्रांसपैरेंट (बिलकुल स्पष्ट) था। उन्होंने कहा कि कैग ऑडिट में इसमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली थी। विनोद राय ने अपने कार्यकाल के दौरान कई पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट कंपनियों को किए गए कोल एलोकेशन का ऑडिट किया था।


राय के मुताबिक, 'हिंडाल्को डील पारदर्शी थी। हमने तमाम फाइलों की पड़ताल की, लेकिन हमें आवंटन में कोई भी चीज आपत्तिजनक नहीं मिली थी।' उन्होंने कहा, 'कुछ दूसरे मामलों में फैसले का तुक समझना मुश्किल था, जिसका पता मिनट्स ऑफ मीटिंग से भी लगता है। कुछ मीटिंग्स से जुड़े कुछ मिनट्स गायब हैं, लेकिन इस मामले में सारी फाइलें क्लियर थीं।'


सीबीआई ने पिछले हफ्ते कोल आवंटन स्कैम में कुमार मंगलम बिड़ला और पूर्व कोल सेक्रेटरी पी सी पारेख के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हिंडाल्को कोल आवंटन के लिए मैं 'तर्कसंगत' नहीं बल्कि 'पारदर्शी' शब्द का इस्तेमाल करूंगा। बतौर कैग राय ने कोल ब्लॉक अलॉटमेंट्स से जुड़ी अपनी रिपोर्ट में 25 कंपनियों के नाम का जिक्र किया था, जिन्हें इससे फायदा हुआ है।


राय ने कहा, 'कैग ने हिंडाल्को के आवंटन की व्यापक जांच की थी, लेकिन पाया कि अलॉटमेंट पारदर्शी तरीके से किया गया है। इसलिए हमने अपनी रिपोर्ट में इसके नाम का जिक्र नहीं किया।' उन्होंने स्कैम पर चल रही सीबीआई जांच पर कमेंट करने से मना कर दिया। हालांकि, उन्होंने पॉलिटिकल क्लास की ओर लगाए गए उन आरोपों का सख्ती से जवाब दिया, जिनमें कहा गया था कि कैग ऑडिट्स ने इनवेस्टर्स को डरा दिया है और इससे इकनॉमिक क्लाइमेट बिगड़ा है।


राय ने कहा है, 'असल में क्या हो रहा है, यह जानने के लिए इनवेस्टर्स को सीबीआई या कैग जांच की जरूरत नहीं है। वे निवेश का फैसला लेने से पहले चीजों को बारीकी से देखते हैं। 2जी स्पेक्ट्रम पर कैग रिपोर्ट आने से पहले ही ए राजा ने टेलिकॉम मिनिस्टर की कुर्सी छोड़ दी थी, तो भला हमने माहौल कैसे बिगाड़ा?'


राय के कार्यकाल में टेलिकॉम और कोल जैसे बड़े स्कैम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि इन दिनों वह इंटरनेशनल लेक्चर सर्किट में बिजी हैं। इकनॉमिक टाइम्स को दिए गए पहले के इंटरव्यू में उन्होंने किसी पॉलिटिकल अप्वाइंटमेंट या करियर की संभावना से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि वह फाइनैंशल सेक्टर में अपनी एक्सपर्टाइज का इस्तेमाल करेंगे।


ट्राई की वेबसाइट पर बुधवार को दी गई स्टेटमेंट में रेगुलेटर ने कहा कि इस बैंड की नीलामी सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 2012 में दिए गए फैसले के मुताबिक इस तरह से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा था कि नेचुरल रिसोर्सेज असल वैल्यू से कम पर किसी को नहीं दिए जा सकते। मार्च की नीलामी में सिर्फ सीडीएमए कंपनी सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज लिमिटेड (एसएसटीएल) ने इस बैंड के स्पेक्ट्रम खरीदे थे। तब सरकार ने इसके बेस प्राइस में 50 फीसदी की कटौती की थी। कंपनी सरकार से कम कीमत पर इस बैंड में और स्पेक्ट्रम ऑक्शन करने के लिए कह रही है। ट्राई ने शुरू में कहा था कि सरकार को 800 मेगाहर्ट्ज बैंड को एक्सटेंडेड जीएसएम टेक्नोलॉजी बैंड की तरह लेना चाहिए और इसे 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के साथ क्लब करके ऑक्शन करना चाहिए। इससे अच्छी कीमत मिलेगी। ट्राई का मानना था कि इस बैंड में स्पेक्ट्रम की काफी मांग है।


टेलिकॉम डिपार्टमेंट की सबसे बड़ी संस्था टेलीकॉम कमीशन अब ट्राई की सिफारिशों पर फैसला करेगी। इसके लिए मीटिंग 29 अक्टूबर को होगी। उसके बाद वह इसे एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के पास भेजेगी, जो इस पर आखिरी फैसला करेगा। ट्राई ने अपनी सिफारिशों में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के बेस प्राइस में 37 फीसदी और 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में 60 फीसदी की कमी की सिफारिश की थी। उसने कहा था कि यह कीमत इस आधार पर निकाली गई है कि इस पर कोई भी टेलिकॉम सर्विस ऑफर की जा सकती है। उसने यह भी कहा था कि कीमत में कटौती पिछले ऑक्शन के हिसाब से होनी चाहिए। ट्राई ने कहा था कि उस नीलामी में जो स्पेक्ट्रम ऑफर किए गए थे, वे सभी नहीं बिके थे। इसका मतलब यह है कि वह कीमत सही नहीं थी। रेगुलेटर सिर्फ कोलकाता, दिल्ली और मुंबई के लिए 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के रिजर्व प्राइस ऑफर करने की बात पर भी अड़ा हुआ है। इन सर्किल्स के लाइसेंस 2014 के आखिर में रिन्यू होने हैं। टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने 10 जुलाई 2013 को लिखे लेटर में ट्राई से सिर्फ दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के लिए 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के रिजर्व प्राइस के बारे में सुझाव मांगे थे।


टेलिकॉम डिपार्टमेंट के एक पैनल ने स्पेक्ट्रम की कीमतों में जबरदस्त कटौती समेत ट्राई के कई सुझावों पर सवाल उठाए हैं। टेलिकॉम विभाग के इंटर्नल पैनल ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इसमें टेलिकॉम रेगुलेटर के स्पेक्ट्रम की कीमत में 62 फीसदी की भारी कटौती के फैसले पर सवाल खड़े किए गए हैं।


इस पैनल ने सिफारिश की है कि ट्राई को तय रिजर्व प्राइस पर फिर से विचार करना चाहिए। टेलिकॉम रेगुलेटर ने 2जी स्पेक्ट्रम के लिए प्रस्तावित तीसरे दौर की नीलामी के लिए स्पेक्ट्रम के प्राइस में यह कटौती की है।


कुल 122 टेलिकॉम लाइसेंस के रद्द होने से 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में खाली हुए 2जी स्पेक्ट्रम के लिए ट्राई ने बेस प्राइस में 37 फीसदी की कटौती किए जाने की सिफारिश की है। साथ ही, 900 मेगाहर्ट्ज प्रीमियम बैंड में रेगुलेटर ने पिछले रिजर्व प्राइस के मुकाबले 62 फीसदी कटौती की बात कही है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने स्पेक्ट्रम प्राइस को सही ठहराते हुए इसके लिए फाइनल प्राइस पर पहुंचने के लिए वैज्ञानिक मेथड के इस्तेमाल की बात कही है।

हालांकि, 1800 मेगाहर्ट्ज के बारे में डीओटी पैनल का कहना है कि इसके लिए रिजर्व प्राइस का आकलन कुछ निश्चित मान्यताओं पर आधारित जान पड़ता है। तीन सर्विस एरिया- दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में 900 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम प्राइस पर पैनल का कहना है कि सिफारिशें 1800 मेगाहर्ट्ज के प्राइस पर आधारित हैं। साथ ही, इनमें कई चीजों के बारे में साफ-साफ नहीं बताया गया है। ऐसी स्थिति में कमेटी किसी नतीजे पर पहुंचने की हालत में नहीं है।


पैनल ने स्पेक्ट्रम प्राइस पर ट्राई से स्पष्टीकरण मांगने की सिफारिश की है। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, 'टेलिकॉम डिपार्टमेंट के इंटर्नल पैनल ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। पैनल का गठन फैसले लेने के लिए नहीं, बल्कि ट्राई की सिफारिशों की उलझनें समझने के लिए किया गया था। पैनल ने 800 मेगाहर्ट्ज (सीडीएमएम) का रेफरेंस लेते हुए सुझाव दिए हैं, क्योंकि इसी आधार पर ईगॉम का भी फैसला आया था।'


ट्राई ने सीडीएमए के लिए ऑक्शन नहीं करने की सिफारिश की है। पिछले ऑक्शन में सीडीएमए से जुड़े एयरवेव्स की डिमांड नहीं देखने को मिली थी। मार्च 2013 के इस ऑक्शन में मात्र एक कंपनी ने हिस्सा लिया था। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के पैनल ने 1 अप्रैल 2014 से सालाना फीस, स्पेक्ट्रम यूज चार्जेज और 4जी स्पेक्ट्रम के वायरलेस ब्रॉडबैंड पर ड्यूटी 1 से बढ़ाकर 4 फीसदी करने की ट्राई की सिफारिशों पर भी संदेह जताया है।


रिपोर्ट में कहा गया है, ' कमेटी को लगता है कि नीलामी किए गए स्पेक्ट्रम पर 3 फीसदी चार्ज लागू करना मुमकिन नहीं है।' स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग के बारे में कमेटी का कहना है कि इसकी इजाजत दिए जाने से पहले सरकार को इसके सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट अंतर-मंत्रिस्तरीय पैनल और टेलिकॉम कमीशन के सामने पेश की जाएगी, जिसकी बैठक 3 अक्टूबर को होनी है। अधिकारी ने बताया, 'टेलिकॉम कमीशन ट्राई की सिफारिशों और कमेटी की रिपोर्ट पर फैसला लेगा।'

S.r. Darapuri shared Gowthama Meena's photo.
How caste system can be destroyed?

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Navbharat Times Online
झूमा सेंसेक्स, 21000 को किया पार। नवंबर 2010 के बाद पहली बार सेंसेक्स ने किया इतना बड़ा धमाका। निफ्टी 6250 के करीब। रीयल्टी में सबसे ज्यादा तेजी...http://nbt.in/8CZ6dY

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होता सिंहा सारखा भीम माझा.. नवती त्याला कोणाची भीती.. अरे, होऊन गेले वर्ष जरीही किती.. आज हि बोलावते आम्हाला ती "चैत्यभूमी" ची माती....... क्रांतीसूर्य, बोधिसत्व, भारतीय घटनेचे शिल्पकार, भारतरत्न, महामानव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांना कोटी कोटी प्रणाम विनम्र अभिवादन!!!! jai bhim


  • Xavier Dias shared Native causes's photo.
  • "Our nation was born in genocide when it embraced the doctrine that the original American, the Indian, was an inferior race. Even before there were large numbers of Negroes on our shore, the scar of racial hatred had already disfigured colonial society. From the sixteenth century forward, blood flowed in battles over racial supremacy. We are perhaps the only nation which tried as a matter of national policy to wipe out its indigenous population. Moreover, we elevated that tragic experience into a noble crusade. Indeed, even today we have not permitted ourselves to reject or feel remorse for this shameful episode. Our literature, our films, our drama, our folklore all exalt it. Our children are still taught to respect the violence which reduced a red-skinned people of an earlier culture into a few fragmented groups herded into impoverished reservations." ― Dr. Martin Luther King Jr.

ये है प्याज का कड़वा सच! इनकी मदद से मारी सेंचुरी

नई दिल्ली। देश भर के लोगों को प्याज रुलाने पर तुला हुआ है। एक बार फिर 100 रुपये प्रति किलो पर पहुंचने वाला प्याज बहस का विषय बन गया। एशिया की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव में तो प्याज की कीमत गिरने से लोगों ने राहत की सांस ली है लेकिन देश के बाकी हिस्से में लोगों को कोई राहत नहीं मिली। त्योहारों में ऐसा होना इस मामले को और भी गर्म कर रहा है। पिछले दिनों भी प्याज ने ऐसी ही छलांग लगाई थी लेकिन सरकारी हस्तक्षेप से ये एक ही दिन में नीचे आ गया। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि एक दिन में जिसकी कीमत 100 रुपये हो वह 60-70 रुपये प्रति किलो पर पहुंच जाए। सवाल यही है कि प्याज की कीमतें आसमान पर पहुंची कैसे? यहां कुछ तथ्य सामने आए हैं जिसकी वजह से प्याज का स्वाद बेहद कड़वा हो गया है।
पढ़ें : प्याज ने फिर उड़ाई शीला की नींद
- गर्मियों की पैदावार जिसे पिछले छह माह से जमा करके रखा हुआ था वह अब खत्म हो रही है। इस प्याज को आमतौर पर बड़े छोटे रेस्त्रां और फूड पैकेजिंग इंडस्ट्री को बेचा जाता है जिसकी कीमत कम रहती है। अब नई खरीफ फसल कम हुई है। ऊपर से बारिश ने कुछ हिस्सों की फसलों को खराब कर दिया है। इसकी वजह से कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव आ रहा है।
पढ़ें : तो अब पाकिस्तान देगा गोलियों के साथ प्याज
- जो प्याज 80 से 100 रुपये किलो खरीद रहे हैं, वो दरअसल किसानों से इन व्यापारियों ने इस साल फरवरी-मार्च में ही महज 8 से 12 रुपये की दर पर खरीदता था। कारोबारियों ने कुल फसल का करीब 80 फीसद खरीद कर जमा कर लिया। ये वो 80 फीसद छोटे किसान हैं जिनके पास प्याज को जमा करने की सहूलियत नहीं है मात्र 20 फीसद प्याज ही किसान अपनी कीमत पर बेच पाया लेकिन ये 20 फीसद किसान खुद बड़े किसान हैं जिनके पास उसे जमा करने की सुविधा है। बाद में यही प्याज जब मंडी में आया तब दाम बढ़ाकर 50 के पार पहुंचा दिया गया। फिर व्यापारियों ने सारा प्याज 40 से 60 के रेट पर बेचा यानि बेचारा किसान भी मारा गया और आम आदमी भी।
बिगड़ा खाने का स्वाद, 15 साल के रिकॉर्ड भाव पर प्याज
- महाराष्ट्र और कर्नाटक ही ऐसे दो राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा प्याज की पैदावार होती है। ऐसे में अगर इन दोनों राज्यों की फसल खराब होती है तो प्याज की कीमतों में उछाल आना लाजमी है।
पढ़ें : प्याज ने गिरा दी जान की कीमत
- जुलाई-सितंबर का महीना प्याज के लिए मंद रहता है। ऐसे वक्त पर रबी यानी गर्मियों के स्टॉक का इस्तेमाल पर मांग पूरी की जाती है। सितंबर के अंत तक खरीफ (अक्टूबर-नवंबर) की फसल बाजार में आती है, जोकि बेमौसम बारिश के कारण खराब हो गई।
- फिलहाल, मांग और आपूर्ति का खेल खेला जा रहा है। देश की मासिक मांग करीब 9 से 10 लाख टन है जबकि प्याज की सप्लाई मात्र 50 फीसद ही हो रही है। कारोबारियों का कहना है कि त्योहारी सीजन में जब प्याज की मांग बढ़ती है तब आपूर्ति कम होने से कीमतों में इजाफा होगा ही।
http://www.jagran.com/news/business-why-onion-prices-are-inching-towards-100-rupee-per-kg-10817115.html
Ak Pankaj shared SamanvaY: IHC Indian Languages' Festival's photo.
भसवा कॉलिंग! समनवइया में आवइथऽ न?
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दिल्ली आ रहे हैं दोपहर तक. हम और सुषमा. समन्वय 2013 में शामिल होने. अगर आप सबकी दिलचस्पी भारतीय भाषाओं में है तो आइए आज 4 बजे इंडिया हैबिटेट सेंटर में. 6 बजे सुषमा का काव्यपाठ भी है. हमारा सत्र कल है 12 बजे.

आइए. कुछ सुनते हैं. कुछ सुनाते हैं.

गंगा सहाय मीणा, Kedar Prasad Meena, Ganesh Eklavya, Neetisha Xalxo,Ujjwala Jyoti Tiga, Kapil Sharma, Rajneesh Sahil, Krishna Deo

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Vidya Bhushan Rawat shared BBC News's photo.
Congratulations Markel for speaking up unambiguously. it is important for country's to stand up and protect their citizens from this international intrusion of US spying agencies. Is it the beginning of more expose of the dirty games being played by the intelligence agencies in US by creating a fear psychosis among the citizens of that country and humiliating others. for standing up and speaking bluntly. Will we speak ? Can our ruling and opposition parties stand up against this American hegemony over our information resources and spying of Indian citizens. Wake up India.

German Chancellor Angela #Merkel has called US President Barack #Obama after receiving information that the US may have spied on her mobile phone http://bbc.in/...See More

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दिल्ली में हें तो कल पूरे दिल के साथ सुनने आइए

संध्या 6 बजे इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित भारतीय भाषाओं के उत्सव 'समन्वय' 2013 में

असुर गांव सखुआपानी कल दिल्ली में गीत सुनाएगा


आप सबने सुना होगा. बहुत से कवियों को. जिनके पास एक मखमली भाषा होती है. सुंदर शिल्प होता है. गढ़े भाव और करोड़ों माथाओं से पच्ची कर निकले सुगठित विचार होते हैं. लेकिन कल झारखंड के सुदूर वन प्रांतरसे कविता चलकर आ रही है. जो किसी क्रौंचवध से नहीं फूटी है. जिसकी चर्चा किसी पोएटिक्स या काव्यशास्त्र में नहीं है. वह बस कविता है. ऐसी कविता जिसकी परंपरा जीवन को लोहे की तरह एक समूचे समुदाय ने सिरजित किया है. जिसमें समष्टि की समस्त ध्वनियां हैं.


स्वागत करें आदिवासी कवयित्री सुषमा असुर का. कल संध्या 6 बजे इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित भारतीय भाषाओं के उत्सव 'समन्वय' 2013 में. जरूर सुनें सुषमा को और देश के प्रथम निवासियों के अनुभव में शामिल हों. अपने सभी संबंधियो-मित्रो के साथ.


Anuj Lugun, Gladson Dungdung, Kedar Prasad Meena, गंगा सहाय मीणा, Neetisha Xalxo, Syed Shahroz Quamar, Uday Prakash,Bidesia Rang, Sunil Kumar 'suman', Sunder Manoj Hembrom

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समन्वय 2013 में उद्घाटन-संध्या में सुषमा असुर का काव्य-पाठ

[Oct 24]Inaugural Evening: Poetry Reading. Reclaiming the Earth (5 photos)

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Gladson Dungdung
This is another best way of the Government to harass, mentally torture and terrorize the Human Rights Activist. I was served a show cause notice from the Regional Passport Office, Ranch, the Ministry of External Affairs (Govt of India) dated 4 October, 2013 but without signature of the authority. I don't know why they don't' want to take responsibility of such action? Though this was a registered letter but I got it after returning from abroad. They have stated that there is "Adverse Police verification Report" but they didn't send a copy to me. Why? They have threatened me either to cancel my passport or take other action. What went wrong with them, I don't know? I had acquired passport in 2010 after submission of all required documents. Of course, I had resisted giving money during the police verification but were they sleeping for last three years? Indeed, when they came to know about my visit to Germany and Thailand, they got up and wanted to prevent my visit. But the question is why are they behaving like this? Am I anti-national? What is it?


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Rahul Singh
"सांप्रदायिक हिँसा विरोधी विधेयक और आ आ पार्टी" ---- दोस्तो , अजीजो और भतीजो , सोनिया ताई और अहमद सर के सपनों को पूरा करने के लिए और देश मेँ "सेकुलरिज्म" के "स्वर्णिम युग" के ऐलान के लिए "सांप्रदायिक हिँसा विरोधी विधेयक" संसद मेँ पारित होने के लिए मुँह बाए खड़ा है ।

यह एक "सुपर सेकुलर" विधेयक (बिल) है , ये साफ साफ कहता है कि दंगे हमेशा बहुसंख्यक लोग करते हैँ और "अल्पसंख्यक" नामक धर्म के लोग हमेशा दंगापीड़ित होते हैँ , वे दंगा कर ही नहीँ सकते । अब चूंकि ये मान लिया जाएगा कि "अल्पसंख्यक धर्म" के लोग दंगा कर ही नहीँ सकते , अत: उनके द्वारा दंगे के समय की गई हत्याएँ , बलात्कार , आगजनी आदि भी कपोलकल्पित मान ली जाएँगी , ये मान लिया जाएगा कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीँ है । अगर किसी सांप्रदायिक धर्म (हिँदु) के व्यक्ति की हत्या हो जाती है तो ये मान लिया जाएगा कि वो व्यक्ति या तो पैदा ही नहीँ हुआ था , या फिर किसी महामारी का शिकार होके या बीवी के ताने झेल के मर गया । इसी प्रकार अगर किसी सांप्रदायिक धर्म के व्यक्ति का घर जला दिया जाता है तो ये माना जाएगा कि वो घ...Continue Reading

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Status Update

By झारखंडी भाषा संस्कृति अखड़ा

जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड के विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक, सामाजिक और सामुदायिक संगठनों ने मंगलवार को मानव संसाधन मंत्री गीताश्री उरांव के वक्तव्य का स्वागत किया है। संगठनों ने वक्तव्य को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और पुतला दहन कार्यक्रम को गलत बताया है। वहीं, कुछ ने इसका विरोध किया है।1अखड़ा की केंद्रीय समिति ने कहा है कि जब भी स्थानीय भाषा संस्कृति की बात आती है, तो लोगों को समरसता के टूटने, जहर घुलने और भाषा के नाम पर लड़ाने का प्रयास नजर आने लगता है। 1संगठनों की ओर से कहा गया है कि जेपीएससी में जब झारखंडी भाषाओं को निष्प्रभावी बनाया गया था, तो राज्य के राजनीतिक और भोजपुरी के लोग चुप क्यों थे? धर्म और भाषा के नाम पर झारखंड को सांप्रदायिक आग में झोंकने का यह खेल बंद होना चाहिए। झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा केंद्रीय समिति ने इस मुद्दे पर हुए बवाल पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उसकी तीखी भर्त्सना की है। संगठनों ने कहा है कि मातृभाषा में शिक्षा का सवाल सबसे अहम है। अत: झारखंड के स्थानीय आदिवासी और उनकी भाषाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कहा कि स्थानीय भाषा से ही राज्य विकास की बात हो सकती है। बैठक में पंचपरगनिया, भाषा विकास केंद्रीय समिति, मुंडा सभा, कुड़ुख भाषा परिषद, झारखंडी भाषा साहित्य परिषद, खोरठा भाषा साहित्य परिषद, भारतीय आदिवासी मुंडा भाषा परिषद, मुंडा उबार समिति, अखिल भारतीय सरना समाज, आदिवासी मूलवासी छात्र संघ, कुड़ुख लिटरेरी सोसाइटी ऑफ इंडिया, खड़िया साहित्य समिति, खड़िया महासभा, शहीद तेलंगा खड़िया स्मारक समिति, नागपुरी भाषा परिषद, नागपुरी संस्थान, आदिवासी कुड़मी समाज और संताली परिषद साहित्य के प्रतिनिधि शामिल थे। आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष प्रेमचंद मुमरू ने गीताश्री उरांव के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि बयान को समझने की आवश्यकता है। डॉ. करमा उरांव ने कहा, गीताश्री उरांव आदिवासी मूलवासी अवाम की आवाज हैं। छात्र संघ के एस अली ने मंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि जिस प्रकार बिहार में पिछले तीन वर्षो में जितनी नियुक्तियां हुईं हैं,उनमें झारखंड के एक भी व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया है। उसी प्रकार झारखंड में होनेवाली नियुक्तियों में दूसरे राज्यों के लोगों की बहाली न हो। झारखंड दिशोम पार्टी के अध्यक्ष धीरू उरांव ने मंत्री के बयान का समर्थन किया है। आदिवासी लोहरा समाज झारखंड प्रदेश समिति के केंद्रीय महासचिव अभय भुटकुंवर ने कहा कि मंत्री के बयान का हम स्वागत करते हैं। आदिवासी छात्र संघ और आदिवासी जन परिषद ने भी संयुक्त रूप से मंत्री गीताश्री उरांव के बयान का समर्थन किया है।जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड के विभिन्न साहित्यिक-सांस्कृतिक, सामाजिक और सामुदायिक संगठनों ने मंगलवार को मानव संसाधन मंत्री गीताश्री उरांव के वक्तव्य का स्वागत किया है। संगठनों ने वक्तव्य को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और पुतला दहन कार्यक्रम को गलत बताया है। वहीं, कुछ ने इसका विरोध किया है।1अखड़ा की केंद्रीय समिति ने कहा है कि जब भी स्थानीय भाषा संस्कृति की बात आती है, तो लोगों को समरसता के टूटने, जहर घुलने और भाषा के नाम पर लड़ाने का प्रयास नजर आने लगता है। 1संगठनों की ओर से कहा गया है कि जेपीएससी में जब झारखंडी भाषाओं को निष्प्रभावी बनाया गया था, तो राज्य के राजनीतिक और भोजपुरी के लोग चुप क्यों थे? धर्म और भाषा के नाम पर झारखंड को सांप्रदायिक आग में झोंकने का यह खेल बंद होना चाहिए। झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा केंद्रीय समिति ने इस मुद्दे पर हुए बवाल पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उसकी तीखी भर्त्सना की है। संगठनों ने कहा है कि मातृभाषा में शिक्षा का सवाल सबसे अहम है। अत: झारखंड के स्थानीय आदिवासी और उनकी भाषाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कहा कि स्थानीय भाषा से ही राज्य विकास की बात हो सकती है। बैठक में पंचपरगनिया, भाषा विकास केंद्रीय समिति, मुंडा सभा, कुड़ुख भाषा परिषद, झारखंडी भाषा साहित्य परिषद, खोरठा भाषा साहित्य परिषद, भारतीय आदिवासी मुंडा भाषा परिषद, मुंडा उबार समिति, अखिल भारतीय सरना समाज, आदिवासी मूलवासी छात्र संघ, कुड़ुख लिटरेरी सोसाइटी ऑफ इंडिया, खड़िया साहित्य समिति, खड़िया महासभा, शहीद तेलंगा खड़िया स्मारक समिति, नागपुरी भाषा परिषद, नागपुरी संस्थान, आदिवासी कुड़मी समाज और संताली परिषद साहित्य के प्रतिनिधि शामिल थे। आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष प्रेमचंद मुमरू ने गीताश्री उरांव के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि बयान को समझने की आवश्यकता है। डॉ. करमा उरांव ने कहा, गीताश्री उरांव आदिवासी मूलवासी अवाम की आवाज हैं। छात्र संघ के एस अली ने मंत्री के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि जिस प्रकार बिहार में पिछले तीन वर्षो में जितनी नियुक्तियां हुईं हैं,उनमें झारखंड के एक भी व्यक्ति को शामिल नहीं किया गया है। उसी प्रकार झारखंड में होनेवाली नियुक्तियों में दूसरे राज्यों के लोगों की बहाली न हो। झारखंड दिशोम पार्टी के अध्यक्ष धीरू उरांव ने मंत्री के बयान का समर्थन किया है। आदिवासी लोहरा समाज झारखंड प्रदेश समिति के केंद्रीय महासचिव अभय भुटकुंवर ने कहा कि मंत्री के बयान का हम स्वागत करते हैं। आदिवासी छात्र संघ और आदिवासी जन परिषद ने भी संयुक्त रूप से मंत्री गीताश्री उरांव के बयान का समर्थन किया है। — with Vandna Tete.

नव बौद्ध हिन्दू दलितों से बहुत आगे - डॉ. शूरा दारापुरी


नव बौद्ध हिन्दू दलितों से बहुत आगे

-डॉ. शूरा दारापुरी


डॉ. बाबा  साहेब भीम राव आंबेडकर  ने ३१ मई , १९३६ को दादर (बम्बई ) में  "धर्म परिवर्तन क्यों? " विषय परबोलते हुए अपने विस्तृत भाषण में कहा था , " मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूँ कि मनुष्य धर्म  के लिए नहींबल्कि  धर्म मनुष्य के लिए है. अगर मनुष्यता की प्राप्ति करनी है तो धर्म परिवर्तन करो. समानता और सम्मान चाहिए तो धर्म परिवर्तन करो. स्वतंत्रता से जीविका  उपार्जन करना चाहते हो धर्म परिवर्तन करो . अपने परिवारऔर कौम को  सुखी बनाना चाहते हो तो  धर्म परिवर्तन करो." इसी तरह  १४ अक्टूबर, १९५६ को धर्म परिवर्तन करने के बाद बाबा साहेब ने कहा था, " आज मेरा नया जन्म हुआ है."


आईए अब देखा  जाये कि बाबा साहेब ने धर्म परिवर्तन के जिन उद्देश्यों और संभावनाओं का ज़िकर किया था, उनकी पूर्ती किस हद तक हुयी है और हो रही है. सब  से पहले यह देखना  उचित होगा कि बौद्ध धर्म परिवर्तन कि गतिकैसी है. सन २००१ की जन गणना के अनुसार भारत में बौद्धों की जनसँख्या लगभग ८० लाख है जो कि कुल जनसंख्या का लगभग . प्रतिशत है. इस में परम्परागत बौद्धों की जन संख्या बहुत ही कम है और  यह हिन्दूदलितों में से धर्म परिवर्तन करके  बने  नव बौद्ध ही हैं. इस में सब से अधिक बौद्ध महाराष्ट्र में ५८.३८ लाख,कर्नाटक  में .००  लाख और उत्तर प्रदेश में .०२ लाख हैं. सन १९९१ से सन २००१ की अवधि में बौद्धों कीजनसँख्या में २४.५४% की वृद्धि हुयी है. जो कि बाकी सभी धर्मों में हुयी वृद्धि से अधिक है. इस से स्पष्ट है कि बौद्धोंकी जन संख्या  में भारी मात्रा में वृद्धि हुयी है.


अब अगर नव बौद्धों  में आये गुणात्मक परिवर्तन की तुलना हिदू दलितों से की जाये तो यह सिद्ध होता है किनवबौद्ध हिन्दू दलितों से बहुत  क्षेत्रों में  बहुत आगे बढ़ गए हैं जिस से बाबा साहेब के धर्म परिवर्तन के उद्धेश्यों कीपूर्ती होने की पुष्टि होती है. अगर सन २००१ की जन गणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर नव बौद्धों की तुलना हिन्दू दलितों से की जाये तो नव बौद्ध निम्नलिखित क्षेत्रो में हिन्दू दलितों से बहुत आगे पाए जाते हैं:-


. लिंग अनुपात :- नव बौद्धों में स्त्रियों और पुरुषों का अनुपात ९५३ प्रति हज़ार है जबकि हिन्दू दलितों में यहअनुपात केवल ९३६ ही है. इस से यह सिद्ध होता है कि नव बौद्धों में महिलायों की स्थिति हिन्दू दलितों से बहुतअच्छी है. नव बौद्धों में महिलायों का उच्च अनुपात बौद्ध धर्म में महिलायों के समानता के दर्जे के अनुसार ही हैजबकि हिन्दू दलितों में महिलायों का अनुपात हिन्दू धर्म में महिलायों के निम्न दर्जे के अनुसार है. नव बौद्धों मेंमहिलायों का यह अनुपात हिन्दुओं के ९३१, मुसलमानों के ९३६, सिक्खों के ८९३ और जैनियों के ९४० से भीअधिक है.


. बच्चों (- वर्ष तक )  का लिंग अनुपात:- उपरोक्त जन गणना के अनुसार नव बौद्धों में - वर्ष तक के बच्चोंका लड़कियों और लड़कों का लिंग अनुपात ९४२ है जब कि हिन्दू दलितों में यह अनुपात ९३५ है. यहाँ भी लड़केऔर लड़कियों का लिंग अनुपात धर्म में  उन के स्थान  के अनुसार ही है. नव बौद्धों में यह अनुपात हिन्दुओं के९३१, मुसलामानों के ९३६, सिक्खों के ८९३ और जैनियों के ९४० से भी ऊँचा है.


. शिक्षा दर :- नव बौद्धों में शिक्षा दर ७२. % है जबकि हिन्दू दलितों में यह दर सिर्फ ५४. % है. नव बौद्धों काशिक्षा दर हिन्दुओं के ६५. % , मुसलमानों के ५९. % और सिक्खों के ६९. % से भी अधिक है. इस से स्पष्टतौर से  यह सिद्ध होता है कि बौद्ध धर्म में ज्ञान और शिक्षा को अधिक महत्त्व देने के कारण  ही नव बौद्धों ने शिक्षाके क्षेत्र में काफी तरक्की की है जो कि हिन्दू दलितों कि अपेक्षा बहुत अधिक है.


. महिलायों का शिक्षा दर:- नव बौद्धों में  महिलायों का शिक्षा दर ६१. % है जब कि हिन्दू दलितों में यह दर केवल ५४. %  ही है. नव बौद्धों में महिलायों का शिक्षा दर हिन्दू महिलायों के ५२. %, और मुसलमानों के ५०.% से भी अधिक है. इस से यह सिद्ध होता है कि नव बौद्धों में महिलायों की शिक्षा कि ओर अधिक ध्यान दियाजाता है.


. कार्य सहभागिता दर:- नव बौद्धों में कार्य सहभागिता दर ४०. % है जब कि हिन्दू दलितों में यह दर ४०. %है.  नव  बौद्धों का  कार्य सहभागिता दर हिन्दुओं के  ४०., मुसलमानों के  ३१., ईसाईयों के  ३९., सिखों के ३७. और जैनियों के  ३२. % से भी अधिक है. इस से यह सिद्ध होता है कि नव बौद्ध बाकी  सभी वर्गों केमुकाबले में नियमित नौकरी करने वालों की  श्रेणी में सब से आगे हैं जो कि उनकी उच्च शिक्षा दर के कारण हीसंभव हो सका है. इस कारण वे हिन्दू दलितों से आर्थिक तौर पर भी अधिक संपन्न हैं.


उपरोक्त तुलनात्मक अध्ययन से स्पष्ट है कि नव बौद्धों में लिंग अनुपात, शिक्षा दर, महिलायों का शिक्षा दर औरकार्य सहभागिता  की दर केवल हिन्दू दलितों बल्कि हिन्दुओं, मुसलमानों, सिक्खों और जैनियों से भी आगे है.इस का मुख्य  कारण उन का धर्म परिवर्तन  करके मानसिक गुलामी से मुक्त हो कर प्रगतिशील होना ही है.

इस के अतिरिक्त अलग अलग शोध कर्ताओं द्वारा किये गए अध्ययनों में यह पाया आया है  कि दलितों के जिनजिन परिवारों और उप जातियों ने डॉ. आंबेडकर और बौद्ध  धर्म को अपनाया है उन्होंने हिन्दू दलितों की अपेक्षाअधिक तरक्की की है. उन्होंने ने पुराने गंदे पेशे छोड़ कर नए साफ सुथरे पेशे अपनाये हैं. उन में पढाई की ओरअधिक झुकाव पैदा हुआ है. वे भाग्यवाद से मुक्त हो कर अपने पैरों पर खड़े हो गए हैं. वे जातिगत  हीन भावना सेमुक्त हो कर अधिक स्वाभिमानी हो गए हैं. वे धर्म के नाम पर होने वाले आर्थिक शोषण से  भी मुक्त हुए हैं औरउन्होंने अपनी आर्थिक हालत सुधारी है. उनकी महिलायों और बच्चों की हालत हिन्दू दलितों से बहुत अच्छी है.


उपरोक्त संक्षिप्त विवेचन से यह सिद्ध होता है कि बौद्ध धर्म ही वास्तव में दलितों के कल्याण और मुक्ति का मार्ग है .नव बौद्धों ने थोड़े से समय में हिन्दू दलितों के मुकाबले में बहु तरक्की की है, उन की नव बौद्धों के रूप में एक नयीपहिचान बनी है. वे पहिले की अपेक्षा अधिक स्वाभिमानी और प्रगतिशील बने है.  उन का दुनिया और धर्म के  बारेनजरिया  अधिक तार्किक  और विज्ञानवादी बना है. नव बौद्धों में  धर्म परिवर्तन के माध्यम से आये परिवर्तन औरउन द्वारा की गयी प्रगति से हिन्दू दलितों को प्रेरणा लेनी चाहिए. उन को  हिन्दू धर्म की  मानसिक गुलामी से मुक्तहो कर नव बौद्धों की तरह  आगे बढ़ना चाहिए. वे एक नयी पहिचान प्राप्त कर जातपात के नरक से बाहर निकलकर समानता और स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं. इस के साथ ही नव बौद्धों को भी अच्छे बौद्ध बन कर हिन्दू दलितोंके सामने अच्छी उदाहरण पेश करनी चाहिए ताकि बाबा साहेब का भारत को  बौद्धमय बनाने का सपना  जल्दी सेजल्दी साकार हो सके.


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