THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA INDIA AGAINST ITS OWN INDIGENOUS PEOPLES

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Monday, October 21, 2013

महंगाई पर अंकुश के लिए सरकार अब सीधे बिल्ली के गले में घंटा बांधने की तैयारी में

महंगाई पर अंकुश के लिए सरकार अब सीधे बिल्ली के गले में घंटा बांधने की तैयारी में


सब्जी सोना के भाव,आलू भी संकट में,आसमान चूमती कीमतों पर लगाम के लिए गिरफ्तारी और तालाबंदी पर विचार


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



महंगाई पर अंकुश के लिए सरकार अब सीधे बिल्ली के गले में घंटा बांधने की तैयारी में है।आसमान चूमती कीमतों पर लगाम के लिए गिरफ्तारी और तालाबंदी पर विचार हो रहा है। बाजार में मूल्यों पर अंकुश न लगा तो सबसे पहले कोलकाता के बाजारों में दुकानों में तालाबंदी और दुकानदरों की गिरफ्तारी जैसे कदम उठाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हरी झंडी मिलते ही कोलकाता नगरनिगम यह अभियान शुरु करने ही वाला है,जो बाकी राज्य में पालिकाओं औरजिला प्रशासन की अगुवाई में चलेगा।मुख्यमंत्री के निर्देश पर बने टास्क फोर्स की छापेमारी और दबिश से भी बाजार में लगी आग पर काबू पाना असंभव हो रहा है, इसीलिए अब  बिल्लियों से निपटने की बारी है।आवेदन निवेदन से काम बन नही रहा है। किल्लत के बाजार में सारे लोग दिन दूनी  रात चौगुनीकमाई के फिराक में हैं और आम जनता के लिे रसोई चली रखना मुश्किल है।इसके मद्देनजर सरकार बेनजीर कदम उठाने की सोच रही है।




बारिश का सिलसिला खत्म हो नहीं रहा। दिवाली और भैय्या दूज अभी बाकी है। सब्जी सोना के भाव हैं और बाजार से सब्जियां गायब भी हैं। आलू गोदामों में काफी है, लेकिन जमाखोरों की महरबानी से बंगाल में अब आलू का भी संकट है। बारिश की वजह से फसले बरबाद होने,जनपदों के जलमग्न हो जाने से लक्ष्मी पूजा के मौके पर फूलों के भाव अग्निमूल्य हो गये। गेंदे की माला उपनगरीय बाजारों में पचास पचास रुपये के भाव बिकी। काली पूजा तक फूल प्याज के भाव से भी आगे निकलने की दौड़ मे हैं।सब्जी और फूलों के अलावा साइक्लोन की वजह से आंध्र और ओड़ीशा में सप्लाई लाइन टूट जाने से मछलियां तक नहीं मिल रही हैं। अब खेतों में पानी खड़ा हो जाने से धान की खेती के भी कराब हो जाने की आशंका है।


जनपदों में जरुरी चीजों की भारी किल्लत है और दाम औकात से बाहर। लेकिन महानगरों ौर उपनगरों में भी मंहगाई बेकाबू है। राज्य सरकार इसके लिए जमाखोरों को जिम्मेदार मान रही है। कोलकाता महानगर में तो एनफोर्समेंट ब्रांच और टास्क फोर्स की निरंतर छापेमारी के बावजूद बाजार पर कोई नियंत्रण हैही नहीं। तो उपनगरों और जनपदों का भोगे हुए यथार्थ का सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है, जहां निगरानी का कोई इंतजाम है ही नहीं।


बाजारों में कहीं भी कोई सब्जी किलो प्रति चालीस रुपये से नीचे नहीं है। साग बाजार में हैं ही नहीं और जो हैं, वे भी मंहगे बिक रहे हैं। गरीबों के भोजन का यह हिस्सा अब अमीरों के लिए भी मंहगा हो गया है। व्यापारियों की दलील है कि बाजार में यह आग लगातार हो रही बारिश और खेतों में पानी खड़ा होने से लगी है। जो किसान सीधे अपनी उपज लेकर बाजार में कीमतों को नियत्रित करने में भारी मदद किया करते हैं, बारिश और बाढ़ ने उन्हें उटाकर बाजार से बाहर कर दिया है। देहात के हाटों से जो माल आता है, छोटे कारोबारियों के मार खा जाने से वह भी नहीं आ रहा है।


लेकिन हिमघरों में भारी मात्रा में आलू मौजूद होने से आलू की बढ़ती कीमतों से राज्य सरकार सबसे ज्यादा नाराज है। कोलकाता में पहले ही पालिका बाजारों में उचित मूल्य की दुकानें खोलकर मछलियों और मुर्गी के मांस बेचे जा रहे हैं। लेकिन बाजार में ज्योति आलू 10 से 12 रुपये भाव बिक रहा है तो चंद्रमुखी 14 से 16 रुपये किलो। परवल चालीस, बैगन साठ से लेकर अस्सी रुपये किलो भाव है।कहीं कहीं  सौ रुपये किलो भी बिका बैंगन। करेला, भिंडी प्याज से महंगे हैं। तो लौकी और कुम्हड़ा के भाव भी तेज है। जाड़ों में मिलने वाले गोभी का सत्यानाश हो गया है। अगले पंद्रह बीस दिनों मे नया माल आने की संभावना नहीं है। बारिश का सिलसिला लंबा खिंचता रहा तो बाजार भाव किस ऊंचाई पर होंगे, व्यापारी भी नही ंबता सकते।





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